Saturday, April 30, 2016

मण्डला जिले में शासकीय विद्यालयों के 41 विद्यार्थी IIT -JEE में चयनित

मण्डला जिले में  शासकीय विद्यालयों के 41 विद्यार्थी IIT -JEE में चयनित 

राष्ट्रिय स्तर पर इंजनियरिंग के लिए प्रख्यात IIT और NIT जैसे संस्थानों में चयन के लिए आयोजित होने वाली प्रतिष्ठित परीक्षा IIT -JEE  में मण्डला जिले की शासकिय शालाओ  मे  अध्ययनरत 41   छात्र छात्राओं ने सफलता प्राप्त  की है। मण्डला जिला  आदिवासी बाहुल्य जिला है और यंहा की  शिक्षा व्यवस्था के प्रबंधन का दायित्व आदिम जाती कल्याण विभाग के पास है ,जिले के पूर्व जिलाधीश लोकेश जाटव ,और सहायक आयुक्त आदिवासी विकास डॉ संतोष शुक्ला के सराहनीय प्रयासों से  इस अंचल  को इतनी बड़ी सफलता प्राप्त हुई है ,इस सफलता का श्रेय  " ज्ञानार्जन प्रोजेक्ट " को जाता है ,इस प्रोजेक्ट में  जिले के होनहार विद्यार्थियों का चयन कर के उन्हें विशेष  प्रशिक्षण दिया गया ,उन्हें परीक्षा के लिए आवेदन करवाने ,और  परीक्षा केंद्र तक लाने  ले जाने की व्यवस्था भी  आदिम जाती कल्याण विभाग द्वारा इसी प्रोजेक्ट  के माध्यम से की गयी थी । ज्ञानार्जन  के माध्यम से विभाग द्वारा शिक्षकों को भी इस परीक्षा को लेकर विशेष प्रशिक्षिण  दिया  गया और उनके प्रशिक्षण की सतत  निगरानी भी  की गयी । इस सफलता ने यह भ्रान्ति तोड़ दी है की शासकीय विद्यालयों में  उच्च स्तरीय अध्य्यपन अध्यापन नहीं होता है। इन विद्यार्थियों में राज्य अध्यापक संघ के जिलाध्यक्ष श्री डी के सिंगौर के विद्यालय शासकीय उच्त्तर माध्यमिक विद्यालय  बबलिया / खिन्हा  ( विकासखण्ड नारायणगंज )  के एक  भी एक छात्र का भी चयन हुआ है।  राज्य अध्यापक संघ के संरक्षक एवं सुसनेर विधायक श्री मुरलीधर पाटीदार ,प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश यादव ,महासचिव दर्शन सिंह चौधरी ने जिले के शिक्षकों और सफलता प्राप्त छात्र छात्राओं  को बधाई प्रेषित की है।

   पूर्व जिलाधीश श्री लोकेश जाटव के साथ श्री सिंगौर 
सहयक आयुक्त आदिवासी विकास डॉ संतोष शुक्ल के साथ श्री सिंगौर 


  

पिपरिया जिला होशंगाबाद में अध्यापकों का समस्या निवारण शिविर





विभागीय परामर्श दात्री की बैठक मंडला जिलाध्यक्ष ने ज्ञापन सौंपा

विभागीय परामर्श दात्री की बैठक कल DEO दफ्तर में संपन्न हुई मण्डला में शिक्षक और अध्यापकों की स्थापना AC के यहाँ है इसलिए DEO के यहाँ अध्यापकों के ज्यादा इश्यू नहीं रहते फिर भी राज्य अध्यापक संघ ने RMSA से पदोन्नति के लिए स्वीकृत ९२ पदों पर पदोन्नति की कार्रवाई की मांग की साथ ही मॉडल स्कूलों के पदों को वरिष्ठ अध्यापकों से भरने की मांग सहित अन्य मांगे रखी|




राज्य अध्यापक संघ नरसिंहपुर में DEO को सौंपा ज्ञापन


29 अप्रैल 2016, नरसिंहपुर अध्यापक संवर्ग की  सात सूत्रीय मांगों पदोन्नति, क्रमोन्नति, महिला मातृत्व अवकाश , नगरीय निकाय पदोन्नति, NSDL  PRAN KIT एवं कटौती सम्वन्धी समस्याओं के निराकरण के सम्वन्ध में कलेक्टर महोदय व मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत की ग्रामोदय से भारत उदय कार्यक्रम के तहत समाधान में व्यस्तता के चलते जिला शिक्षा अधिकारी नरसिंहपुर श्री जे.के.मेहर को राज्य अध्यापक संघ नरसिंहपुर द्वारा जिलाध्यक्ष श्री अजीत जाट, प्रांतीय प्रवक्ता नागेन्द्र त्रिपाठी, प्रदेश मीडिया प्रभारी सियाराम पटेल, प्रांतीय प्रतिनिधि कोमल सिंह पटेल के नेतृत्व में ज्ञापन सौपकर महत्वपूर्ण चर्चा की गयी। जिला शिक्षा अधिकारी महोदय द्वारा एक सप्ताह की समय सीमा में क्रमोन्नति सूची, अध्यापक संवर्ग से वरिष्ठ अध्यापक की प्रतीक्षा सूची से पदोन्नति व जल्द ही सहायक अध्यापक से अध्यापक संवर्ग (ग्रामीण) में  पदोन्नति , नगरीय निकाय हेतु यथाशीघ्र प्रक्रिया पूर्ण किये जाने हेतु आश्वासन प्रदान करते हुए निर्देश प्रदान किये। उक्त अवसर पर श्री एस. के. कोष्टी जिला परियोजना समन्वयक जिला शिक्षा केंद्र नरसिंहपुर, सियाराम पटेल ,महिला मोर्चा से श्रीमती प्रज्ञा तिवारी, श्रीमती मुक्ति राय, श्रीमती सुमित्रा ठाकुर, ब्लाक अध्यक्ष चावरपाठा गोविन्द बुन्देला, गोटेगांव रघुवीर पटेल, चीचली दौलत सिंह पटेल, नरसिंहपुर विवेक मिश्रा, जिला उपाध्यक्ष आशीष नामदेव, योगेंद्र झारिया, ब्रजेंद्र गुप्ता, संजय पराशर, राकेश पटेल, राकेश श्रीवास, रघुवीर साहू,  गौतम पठया, रोशन पाली, सुरेश मेहरा, हरभजन सिंह राठौर, ताराचंद चौधरी, राजेश कौरव, सतेंद्र कौरव, संजय अग्रवाल उपस्थित रहे।
           
                

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस , " मई दिवस " पर विशेष : -सुरेश यादव रतलाम

1 मई अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस जिसको " मई दिवस " के नाम से जाना जाता है, इसकी शुरुआत 1886 में शिकागो में उस समय शुरू हुई थी, जब मजदूर काम की अवधि आठ घंटे करने  और सप्ताह में एक दिन की छुट्टी  की मांग कर रहे थे कि। इस हड़ताल / प्रदर्शन के दौरान एक अज्ञात व्यक्ति ने बम फोड़ दिया और बाद में पुलिस फायरिंग में कुछ मजदूरों की मौत हो गई, साथ ही कुछ पुलिस अफसर भी मारे गए । और मजदूरों के हाथ में रखे सफ़ेद झंडे खून लाल हो गए तभी से लाल ध्वज  मजदूरों की एकता का प्रतिक हो गया।
इसके बाद 1889 में पेरिस में अंतरराष्ट्रीय महासभा की द्वितीय बैठक में " फ्रांस की क्रांति " को याद करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया कि ,1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाए, उसी वक्त से दुनिया के 80 देशों में " मई दिवस "  को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा।
भारत से संबंध
चेन्नई के मैरिना बीच पर मज़दूर दिवस

भारत में  मई दिवस सब से पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को मनाना शुरू किया गया था। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर स्वीकार कर  लिया गया था। इस की शुरूआत भारती मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। भारत में मद्रास के हाईकोर्ट के सामने एक बड़ी सभा  कर के और उसमे  संकल्प के पास करके यह सहमति बनाई गई कि ,इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये।  इस के पीछे तर्क था की  कि यह दिन अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के तौर पर प्रचलित  हो चुका था ।
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी ने कहा था कि " किसी देश की तरक्की उस देश के कामगारों और किसानों पर निर्भर करती है। उद्योगपति स्वय को मालिक या प्रबंधक समझने की बजाय अपने-आप को ट्रस्टी समझे ।"
गुरु नानक और भाई लालो
 गुरू नानक देव जी ने किसानों, मज़दूरों और कामगार के हक में आवाज़ उठाई थी और उस समय के अहंकारी और लुटेरे हाकिम ,ऊँट पालक की रोटी न खा कर उस का अहंकार तोड़ा और भाई लालो की काम की कमाई को सम्मान दिया  था। गुरू नानक देव जी ने " काम करना, नाम जपना, बाँट कर खाना और दसवंध निकालना " का संदेश दिया। गरीब मज़दूर और कामगार का राज स्थापित करने के लिए मनमुख से गुरमुख तक की यात्रा करने का संदेश दिया था इसके बाद 1 मई को भाई लालो दिवस के तौर पर भी  मनाया जाता है।

       लोकतन्त्रिक  ढांचो में तो सरकार भी लोगों द्वारा  चुनी जाती है ,जनता राजनीतिक लोगों को अपने देश की बागडोर ट्रस्टी के रूप में सौंपती हैं। राजनीतिज्ञ  देश का प्रबंधन करने के   लिए मज़दूरों, कामगारों और किसानों की बेहतरी, भलाई और विकास, शन्ति और कानूनी व्यवस्था बनाऐ रखने के लिए वचनबद्ध होते हैं। मज़दूरों और किसानों की बड़ी संख्या का शासन  प्रबंध में बड़ा योगदान है। सरकार का दायित्व है की  उद्योगपतियों और मज़दूरों के मध्य  सुखदायक, शन्ति व्यवस्था बना  कर  और पारिवारिक संबंध कायम करे।  झगड़े और टकराव की सूरत में समझौता और सुलह करवाने का प्रबंध करें , को श्रमिकों कामगारों के मामलों को    ट्रिब्यूनल के माध्यम से  पारदरशी ढंग के साथ नैसर्गिक  न्याय के  सिद्धांत के अनुसार सम्पन्न  करें।
        परन्तु वर्तमान में समाजवाद की आवाज कम ही सुनाई देती है। ऐसे हालात में " मई दिवस " की हालत क्या होगी, यह सवाल प्रासंगिक हो गया है। हम ऐतिहासिक दृष्टि से 'दुनिया के मजदूरों एक हो ' के नारे को देखें तो उस वक्त भी दुनिया के लोग दो खेमों में बंटे हुए थे। अमीर और गरीब देशों के बीच फर्क था। सारे देशों में कुशल और अकुशल श्रमिक एक साथ ट्रेड यूनियन में भागीदार नहीं थे।

     
प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सारे श्रमिक संगठन और इसके नेता अपने देश के झंडे के नीचे आ गए। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब सोवियत संघ संकट में था तब वहां यह नारा दिया गया कि मजदूर और समाजवाद अपनी-अपनी पैतृक भूमि को बचाएं। इसके बाद हम देखते हैं कि पश्चिमी देशों में कल्याणकारी राज्य आया और मई दिवस का पुनर्जागरण हुआ ।
  अब दुनिया बदल चुकी है। सोवियत संघ के टूटने के साथ ही पूंजीवाद का विकल्प दुनिया में खो गया है , औद्योगिक उत्पादन का तरीका बदल गया है । औद्योगिक उत्पादन तंत्र का विस्तार पूरी दुनिया में हो गया है । एक साथ काम करना और एक जगह करना महज एक सपना रह गया।
            दुनिया में सबसे बड़ा परिवर्तन यह आया है कि जो काम पहले 100 मजदूर मिलकर करते थे। वह काम अब एक रोबोट कर लेता है। उदाहरण के लिए टाटा की नैनो फैक्टरी में 4 करोड़ रु. के निवेश पर एक नौकरी निकलती है। यह काम भी मजदूर के लिए नहीं बल्कि तकनीकी रूप से उच्च शिक्षित लोगों के लिए है।
          सिंगुर या नंदीग्राम में प्रदर्शन क्यों होता है? क्योंकि स्थानीय लोगों यह पता है कि हमारे लिए या हमारे बच्चों के लिए कुछ नहीं है। तकनीक ने लोगों की आवश्यकता को कम कर दिया। इससे साधारण लोगों की जमीन खिसक गई , लोग बेरोजगार हैं, जिनके पास रोजगार है उसको यह डर सता रहा है कि कल यह  छीन न जाए।
       आईएमएफ और विश्व बैंक की नीतियों का हजारों नौजवान सड़क पर विरोध करते हैं लेकिन इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है ,की उनका रोजगार कैसे बचेगा। हम  शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े है ,लेकिन आईएमएफ और विश्व बैंक की नीतियों के कारण हमारे काम पर भी संकट उत्पन्न  हो गया है ,विद्यालयों और शिक्षकों के युक्तियुक्तदकरण  के रुप में  यह संकट हमें नजर आने लगा  है । " शिक्षा क्रांति यात्रा " हमे हमारे रोजगार पर खड़ा संकट बता रही है ,साथियो सचेत हो जाएँ  रोजगार को  बचाएं। सभी  साथियो को लाल सलाम ,कर्मचारी एकता जिंदाबाद ,मजदुर एकता जिंदाबाद। 

आप का  सुरेश यादव  कार्यकारी जिलाध्यक्ष 

राज्य अध्यापक संघ रतलाम 9926809650 


Friday, April 29, 2016

ग्राम / वार्ड शिक्षा रजिस्टर का परिवारवार सर्वेक्षण प्रपत्र भरने हेतु निर्देश


ग्राम / वार्ड शिक्षा रजिस्टर का परिवारवार सर्वेक्षण प्रपत्र भरने हेतु निर्देश
यह प्रपत्र घर घर जाकर परिवार के मुखिया या अन्य जिम्मेदार सदस्य से बातचीत कर भरा जाना चाहिए।
सर्वेक्षण के पूर्व आपको ग्राम/वार्ड शिक्षा रजिस्टर का परिवारवार सर्वेक्षण प्रपत्र उपलब्ध होगा जिसमें समग्र/शिक्षा पोर्टल से प्राप्त जानकारी पूर्व से ही मुद्रित होगी । घर घर संपर्क के दौरान केवल 0 से 18 वर्ष कीआयु के सदस्यों की जानकारी को ही अध्यतन करना है।
यदि प्रपत्र में पूर्व से अंकित जन्मतिथि या  अन्य  कोई जानकारी  गलत है तो इसमें लाल स्याही से गोला लगा कर प्रपत्र पर सही जन्मतिथि भरी जाए एवं इसकी पुष्टि जन्म प्रमाण पत्र / अधिकारिक रिकॉर्ड से की जाए।
सर्वप्रथम यह जानकारी प्राप्त करें की उक्त परिवार उस ग्राम/वार्ड में निवासरत है या नहीं।
निवासरत नहीं होने की स्थिति में इसमें नीली स्याही से गोला लगा कर अंकित करें। ऐसे परिवारों कोसमग्र से परिवार को विलोपित करने का दायित्व ग्राम पंचायत सचिव/वार्ड प्रभारीका होगा एवं प्रपत्र अंकित जानकारी को दल के सभी सदस्यों (विशेष रूप से आंगनवाडी एवं आशा कार्यकर्ता) से चर्चा कर अध्यतन/अपडेट करने का दायित्व दल प्रभारीका होगा।
यदि परिवार पलायनकर्ता है अर्थात दो माह से अधिक ग्राम से बाहर रोज़गार हेतुजाता हैं एवं बच्चों को साथ लेकरजाता हैं तो ऐसी स्थिति में पलायनके माह का विवरण लिखें |अगर परिवार बीपीएल नहीं है तो प्रपत्र मे अंकित करें। जांच होने के बाद परिवार को बीपीएल सूची से हटाने की कार्यवाही  संबंधित कार्यालय द्वारा की जाएगी।
बी.पी.एल - यदि परिवार बी.पी.एल(BPL) है तो उसके राशन कार्ड/पात्रता पर्ची/अन्य अधिकारिक रिकॉर्ड से उसके पुष्टि कर जानकारी अंकित करें ।
जाति - जाति वर्ग की जानकारी भरने के विकल्प– SC,ST, OBC, GEN है| यदि ST है तो बैगा, भारिया, सहरिया अथवा गैर PTG की जानकारी प्राप्त कर लें इसकी पुष्टि
अनुविभागीय अधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र/अधिकारिक रिकॉर्ड से करें|
धर्म – धर्म भरने के विकल्प: हिन्दू ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई , बौध , पारसी , जैन , अन्य।
मातृभाषा - मातृभाषा भरने के विकल्प : हिंदी, मराठी, संस्कृत, सिंधी, उर्दू, अंग्रेजी, अन्य।
व्यवसाय - व्यवसाय भरने के विकल्प – म.प्र भवन एवं संनिर्माण कर्मकार, किसान, मंदी हम्माल तुलावटी,
मृत/अपंग/सेवानिवृत शासकीय कर्मचारी, सरकारी सेवा, निजी सेवा, व्यापार, मजदूरी, अन्य |
कुल सदस्य - परिवार में कुलसदस्यों की संख्या अंकित करें |
नए सदस्य - नए सदस्य जो की जोड़े जाने हैं उनकी संख्या इस  में दर्ज करें |
यदि किसी नाम या पते आदि में वर्तनी(स्पेलिंग) में कोई त्रुटी हो तो उसे लाल स्याही से गोला लगा कर अंकित करें। इस जानकारी के आधार पर पोर्टल पर संशोधन किया जायेगा।
यदि बच्चों की सूची में नया नाम जोड़ना हो तो उसे लाल पेन से नीचे दिए गए स्थान में जानकारी अंकित करें |
आधार क्र. - यह जानकारी परिवार से आधार कार्ड प्राप्त कर 12 अंकों का आधार क्र.अंकित करें |
कक्षा - यदि बच्चा शाला में अध्यनरत है तो उसकी कक्षा लिखें |
शाला से सम्बंधित जानकारी के खंड 1 में यदि बच्चा शाला में अध्यनरत है तो (S) लिखें यदि बच्चा आंगनवाड़ी में अध्यनरत है तो (A) लिखें |
शाला से सम्बंधित जानकारी के खंड 2 में यदि बच्चा शाला में अध्यनरत है तो शाला का DISE कोड लिखें और यदि बच्चा आंगनवाड़ी में अध्यनरत है तो आंगनवाड़ी कोड लिखें |
सर्वे करते समय DISE कोड/आंगनवाडी कोड उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में प्रपत्र में शाला/आंगनवाडी का नाम लिख लें तदुपरांत सम्बंधित दल प्रभारी द्वारा जन शिक्षक/ आंगनवाड़ीकार्यकर्ता BRC की सहायता से शाला का DISE कोड खोज कर नाम के साथ प्रपत्र में अंकित करेंगे |
 अगर कोई बच्चा 5 साल से कम आयु का है तो उसके संबंध मे निम्न जानकारी लाल स्याही से प्रपत्र मे DISE/आंगनवाड़ी के कोड के बाद मे आवश्यक रूप से प्रत्येक  बच्चे के बारे मे अंकित की जाए |
 आयु 6 वर्ष या अधिक शाला से बाहर बच्चे की जानकारी- यदि बच्चा शाला से बाहर है एवं उसकी आयु 6 वर्ष या अधिक है तो बच्चे की जानकारी भरने हेतु खंड 1  में बच्चे के शाला से बाहर होने का कारण कोड इस प्रकार भरें |
(1)खेती के काम में या कृषि मजदूरी करना | (2)भाई बहनों या बच्चों की देखभाल | (3)जानवर चराना | (4)परिवार/आर्थिक स्थिति कमजोर | (5)शैक्षिक सुविधाओं का आभाव या अधिक दूरी | (6)सामाजिक सोच जिसके कारण माता पिता विशेषकर लड़कियों की शिक्षा के प्रति उदासीन हैं | (7)बच्चों की निःशक्त्ता या लम्बी बीमारी | (8)शाला का वातावरण अच्छा ना होना | (9)पलायन / लम्बे समय तक गाँव से बाहर रहना | (10)शाला में पढाई न होना | (11)बाल विवाह | (12)शिक्षक का व्यव्हार न होना | (13)अन्य
 शाला से बाहर बच्चे की जानकारी के खंड 2  में यदि बच्चा शाला त्यागी है तथा उसने कक्षा 3 में पढना छोड़ा है तो D3 अंकित करेंगे | यदि बच्चा अप्रवेशी(Never Enrolled) है तो N अंकित करेंगे |
बच्चे की निःशक्तता की जानकारी यदि बच्चा निःशक्त(CWSN) है तो के खंड 1 में निःशक्तता का प्रकार कोड भरें : (1) अन्धता / दृष्टि हीन - VI (2) कम दृष्टि(दृष्टि बाधित)- LV (3) कुष्ठरोग मुक्त (4)श्रवणबाधित/मूक/बधिर - HI (5) चलन निःशक्तता(अस्थिबाधित) - OH (6) मानसिक मंदता - MR (7) मानसिक रुग्णता - MI (8) बहुविकलांगता – MD (9)अधिगम निःशक्तता LD(लर्निंग Disability) सामान्य बच्चों को किसी विशेष कौशल को सीखने में समस्या होना (10)सेरेब्रल पाल्सी (CP - मस्तिष्क से किसी भाग के क्षतिग्रस्त होने से लकवाग्रस्त )  (11) अन्य - OT
 बच्चे की निःशक्तता की जानकारी के खंड 2 में निःशक्त्तता का प्रतिशत भरें | अधिकारिक रिकॉर्ड(चिकित्सा प्रमाण पत्र) से उसके पुष्टि कर जानकारी अंकित करें | यदि बच्चा 40% से कम अर्थात आंशिक रूप से भी विशेष आवश्यकता वाला है तो उसकी जानकारी भी आवश्यक रूप से भरें |
बच्चे की निःशक्तता की जानकारी के खंड 3 में बच्चे को दिए गए उपकरण/सुविधा की जानकारी भरने के कोड निम्न हैं :(1)ट्राई साइकिल (2)व्हीलचेयर (3)कैलीपर (4)क्रेचेज़ (5)करेक्टिव शूज (6)आर्टिफीशियल लिंब (7)श्रवण यन्त्र (8)चश्मा (9) ब्लाइंड स्टिक (10)लो विज़न किट (11)सेरेब्रल पॉलसी चेयर (12)सर्जरी (13)अन्य
 यदि कोई नाम विलोपित किया जाना अर्थात हटाया जाना है तो उसे नीले रंग से काटा जाए | तथा क्रॉस(X) का चिन्ह बनाएं| डुप्लीकेट/मृत/वास्तव में निवास न करने वाले सदस्य को विलोपित करने की कार्यवाही प्रपत्र में ही की जाए| इसको समग्र पोर्टल से हटाने की कार्यवाही पंचायत सचिव/ वार्ड प्रभारी के द्वारा की जाएगी एवं ग्राम/ वार्ड शिक्षा पंजी के अध्यतन की कार्यवाही ग्राम/ वार्ड शिक्षा प्रभारी द्वारा सुनिश्चित की जाएगी|
 यदि किसी परिवार में कोई नए सदस्य को जोड़ा है तो उसका प्रमाणीकरण हेतु कोई एक दस्तावेज (जन्म प्रमाण पत्र/ राशन कार्ड/आधार कार्ड/अंकसूची) आवश्यक रूप से प्राप्त किया जाए | इसको समग्र पोर्टल से जोड़ने की कार्यवाही पंचायत सचिव/वार्ड प्रभारी के माध्यम से दल प्रभारी द्वारा सुनिश्चित करायी जाएगी|
यदि कोई परिवार पूर्णरूपेंण छूटा हुआ है तो समग्र के निर्धारित प्रपत्र पर उस परिवार की जानकारी ली जाएगी | यह प्रपत्र सचिव ग्राम पंचायत द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा |
लेखक अज्ञात वाट्स ऐप पर प्राप्त 

नगरीय निकाय में कार्यरत अध्यापक संवर्ग की पदोन्नति होगी यथाशीघ्र - अजीत जाट जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ नरसिंहपुर


 नगरीय निकाय में कार्यरत अध्यापक संवर्ग की पदोन्नति  होगी यथाशीघ्र - अजीत जाट जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ नरसिंहपुर                      
दिनांक 28 अप्रैल 2016 को राज्य अध्यापक संघ नरसिंहपुर के  प्रतिनिधि मण्डल ने जिलाध्यक्ष श्री अजीत जाट के नेतृत्व में  सी एम ओ नगर पंचायत करेली से नगरीय निकाय में कार्यरत अध्यापक संवर्ग की पदोन्नति के सम्बन्ध में मुलाक़ात कर  चर्चा स्थानीय स्तर की समस्याओं को प्रमुख रूप से उठाते हुए अवगत कराया,  जिसमे 07 दिवस में उक्त पदोन्नति प्रक्रिया पूर्ण करने एवं स्थानीय समस्याओं का त्वरित निराकरण किये जाने सी एम ओ करेली ने आश्वासन दिया। प्रतिनिधि मण्डल में नितिन नारोलिया, अवधेश बजाज ,मुकेश नेमा, युसूफ खान आदि शामिल थे। राज्य अध्यापक संघ नरसिंहपुर के इस प्रयास एवं पहल की राज्य अध्यापक संघ परिवार मध्यप्रदेश प्रसंशा करते हुए श्री अजीत जाट एवं जिला कार्यकारिणी को  आत्मीय बधाई प्रेषित करता है।।  


Thursday, April 28, 2016

कैसे तलाश करें ,कैसे लाभ लें अध्यापक जगत ब्लॉग से और :- सुरेश यादव

साथियो मैं सोशल मिडिया  के माध्यम से आप के समक्ष अध्यापक संवर्ग के विषय में  Rajy Adhyapk Sangh Ratlam  की फेसबूक आईडी  और मेरे वाट्स ऐप नंबर 9926809650 के माध्यम से जानकारियों और सूचनाओं का आदान प्रदान करता रहा हूँ लेकिन इन माध्यमों की अपनी सीमाएं है इस लिए मैंने अध्यापक जगत ब्लॉग बनाया यह सुचनाओ के आदान प्रदान का बहुत ही सशक्त माध्यम है।  आप मेरे इस ब्लॉग पर जाकर अध्यापक संवर्ग से संबंधित आदेश प्राप्त कर सकते है और कई विषय विशेषज्ञ साथियो के लेख भी पढ  सकते है आप इस ब्लॉग को कैसे तालाश करें इस लिए यह लेख लिखा है। आप अपने ब्रॉउजर के अड्रेस बार  में www.adhyapkjagat.blogspot.in टाइप करे में इंजन या google पर जाकर adhyapkjagat टाइप करे इस प्रकार आप को हमारा ब्लॉग उपलब्ध हो जाएगा 

इसके बाद आप ब्लॉग में जाकर किसी भी विषय का चयन कर सकते  है यह विषय हमारे संगठन के पदाधिकारियों के फोटो के निचे ही ही अलग अलग उपलब्ध  हैं। आप विषय का चयन कर के संबंधित विषय पर हमारे लेख या आदेश प्राप्त कर सकते हैं

 आप इस ब्लॉग में हमारी  पाठक संख्या ज्ञात कर सकते है उसके निचे ,आप को ब्लॉग फॉलो करने का संकेत भी नजर आएगा यदि आप भी ब्लॉग संचालित करते है तो आप यन्ही  से हमारे ब्लॉग को फॉलो कर सकते है। आप को इसके बाद फिर से विषय सूचि उपलब्ध होगी।   




ब्लॉग के अंतिम हिस्से में आप को एक बार फिर से विषय सूची  उपलब्ध होगी यंहा पर आप को एक विशेष संकेत उपलब्ध होगा आप हमारे ब्लॉग को अपनी " ई मेल " के माध्यम से भी फॉलो कर सकते है आप को सिर्फ अपनी जीमेल या अन्य ई मेल की आई डी इस स्थान पर लिखनी है और अगले स्टेप का पालन करना है दो स्टेप के बाद आप हमारे हर अपडेट को या लेख को या आदेशों को अपने मोबाईल पर सीधे प्राप्त कर सखेंगे। धन्यवाद 




सुरेश यादव कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ रतलाम 9926809650 

Wednesday, April 27, 2016

निशक्त अध्यापक संवर्ग को वाहन भत्ता दिए जाने के सम्बन्ध 29 अक्टूबर 2009

निशक्त अध्यापक संवर्ग को वाहन भत्ता दिए जाने के सम्बन्ध   में  लोकशिक्षण संचलनालय का आदेश दिनाक 29 अक्टूबर 2009 
आदेश के लिए इस लिंक को ओपन करें

गणना पत्रक को लेकर अध्यापक समाज में इतनी व्याकुलता क्यों ? :- सुरेश यादव

गणना पत्रक को लेकर अध्यापक समाज में इतनी व्याकुलता क्यों ? गणना पत्रक जारी करना न करना सरकार की जिम्मेदारी है । अध्यापक संगठनो की जिम्मेदारी उसके बाद प्रारंभ होगी। आदेश का विश्लेषण करे,यदि कमी हो तो सुधार कराये ।आप को जानकारी होगी  की 25 फरवरी 2016 को, 1 जनवरी 2016 से वेतनमान प्रदान करने का आदेश जारी कर दिया गया है ।आदेश में स्पष्ठ है की जनवरी से मार्च तक का एरियर वित्त वर्ष 2016-17 में कभी भी और अप्रैल का वेतन मई से नगद भुगतान किया जाएगा । इस से स्पष्ठ होता  है की अप्रैल के बाद जब भी वेतन मिलेगा अप्रैल के वेतन का अंतर, नगद लाभ के रूप में  वेतन के साथ मिलेगा । अर्थात नगद लाभ 1 जनवरी 2016 से मिलना तय है । फिर इस विषय को लेकर व्याकुलता का कोई प्रश्न नहीं बनता । साथ ही सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक का न्यूनतम वेतन भी चिंता का विषय है ,सरकार यह नहीं देती है तो क्रमोन्नति - पदोन्नति  में तो अगले पद का वेतन देना ही होगा ,इस प्रकार एक और  विसंगति उत्पन्न होगी ,साथियो  शासन ने 25 फरवरी के आदेश में 6 टा वेतन मान देने का  कहा है,अर्थात 6 टे वेतन मान  के समस्त आदेश निर्देश का  पालन होगा  इस लिए में इस विषय पर 50-50 % का मत रखता  हूँ । 

  अध्यापक संवर्ग को  नविन वेतन मान का आदेश जारी होने के बाद गणना पत्रक में विलम्ब की समस्त जिम्मेदारी सरकार की है।  हमारे साथी अन्य व्यक्ति या संगठनों को जिम्मेदार ठहरा रहे है क्या यह उचित है ? साथियो अब  गणना  पत्रक  आ भी  जाए तब भी हमें नया वेतन मिलने में निश्चित रूप से लम्बा समय लगने वाला है क्योंकि  केबिनेट की जो संक्षेपिका लिक हुई थी उसमे  उल्लेख था की अब वेतन निर्धारण पत्रक सम्परीक्षा निधि कार्यालय जाएंगे ।  इस पूरी प्रक्रिया में लम्बा समय भी लगना तय है क्योकि यह कार्यालय संभागीय मुख्यालय पर होता है ,और एक संभाग में कितने DDO है आप कल्पना कीजिये।  
        आप सभी की चिंताओं के बारे में तो मेने अपनी  राय रख दी है लेकिन  मेरी फ़िक्र इस विषय को लेकर है  की  सेवा पुस्तिका में वेतन निर्धारण कब से किया जाएगा , आज तक जिस दिनाक से कर्मचारीयो को अंतरिम राहत मिलती है सेवा पुस्तिका में वेतन मान भी उसी दिंनाक से परिवर्तित होता है। इस बार भी ऐसा ही होना चाहिए ,यदि यह नहीं होता है तो हम ठगे जाएंगे और ठग होगी  सरकार , 2013 की अंतरिम राहत के आदेश अनुसार वेतन मान की गणना 1 अप्रैल  2007 की स्थिति से की जाना चाहिए। इसके साथ ही वेतन निर्धारण पत्रक सम्परीक्षा निधि कार्यालय जाएंगे  तो सभी का वेतन समान हो जाएगा । 

     असमान वेतन के कुछ प्रकरण या कारण  मेरे समक्ष आये है वे इस प्रकार हैं :-
( 1 ) परिवीक्षा अवधि की वेतन वृद्धि :- शासन उच्च न्यायालय के इस  निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायलय तक गया,अंत में न्यायालय  ने 2007 में वेतन वृद्धि में कटौती का कहा लेकिन 1998 से 2007 तक वसूली  नहीं करने के आदेश दिए , 2007 से समान स्थिति  करने के आदेश दिए परन्तु कुछ साथि 2007 के पश्चात भी इस वेतन में इसका लाभ ले रहे है।
( 2 ) स्वयं के व्यय पर डीएड / बीएड :-  स्वयं के व्यय पर डीएड / बीएड करने पर  कई साथी वेतन वृद्धि प्राप्त कर रहे है जबकि शासन  ने इस मामले पर रोक लगा  दी है। 

( 3 ) 2001 से वेतनमान की गणना :- 2001 से वेतनमान की गणना इस मामले में भी कई जगह पर अध्यापक साथियो ने लाभ ले लिया है परन्तु शासन ने इस पर भी रोक लगा दी है ।

( 4 ) गुरूजी को 1998 से शिक्षा कर्मी के समान वेतन मान :- गुरूजी को 1998 से शिक्षा कर्मी के समान वेतनमान इस मामले में भी न्यायलय ने अभ्यवें का निराकरण करने का आदेश   दिया गया  था परन्तु कई साथी इसका लाभ ले  चुके है सरकार द्वारा अपील की जा चुकी है और भुगतान रोक दि गयी है ।

( 5 ) संविदा शिक्षक को 3 वर्ष की एक वेतन वृद्धि :-  संविदा शिक्षक को 3 वर्ष की एक वेतन वृद्धि देने को लेकर एक फर्जी आदेश भी जारी हुआ था जीस पर प्रकरण  दर्ज है ,कुछ साथी न्यायलय भी गए सरकार ने देने से इंकार किया है । 

( 6 ) संविदा शिक्षक को देर से प्रशिक्षण प्राप्त करने पर भी 3 वर्ष बाद से अध्यापक  संवर्ग का वेतन :- कई जिलोन में  2006 व 2007  और उसके पश्चात  संविदा शाळा शिक्षकों को निर्धारित समय पश्चात प्रशिक्षण प्राप्त करने पर भी 3 वर्ष की सेवा उपरांत अध्यापक संवर्ग में सम्मिलित किया गया है ,जबकी यह आदेश सिर्फ वर्ष 2001 और 2003 में नियुक्त संविदा शिक्षकों के ही था की वे जुलाई 2011 तक प्रशिक्षण प्राप्त करते है तब भी उन्हें 1 अप्रैल 2007 से अध्यापक संवर्ग में माना  जाएगा और वेतन  प्रदान किया जाएगा। 
    


 मित्रो अभी भी कई साथियो ने इस प्रकार के आदेशो का लाभ लेकर ,वेतन प्राप्त किया है और लाभ ले रहे हैं ।परंतु आगामी वेतन निर्धारण के आदेश में स्पष्ठ उल्लेख है की ,हर अध्यापक का वेतन निर्धारण ,"संपरीक्षा निधि कार्यालय" तक जायेगा । अब तय है की वेतन एक समान  किया जाएगा ।में नहीं कह सकता की इस असमान वेतन की वसूली होगी या नहीं होगी लेकिन ,भविष्य में सभी अध्यापको का वेतन जरूर सामान हो जाएगा ।

साथियो इस लिए साथियो अपनी ऊर्जा को बचाएँ रखें असली लड़ाई तो गणना पत्रक जारी बाद  प्रारम्भ होगी । 
सुरेश यादव  ,कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ  
जिला रतलाम



      

Monday, April 25, 2016

मुख्यमंत्री शिवराज सिहं की घोषणा की वह अब सिर्फ और सिर्फ ढ़ोंग नजर आ रहा है:- डी के सिंगौर

     मुख्यमंत्री शिवराज सिहं  ने 24 दिसम्बर 2015 को मुम्बई से जिस अनोखे अंदाज और संवेदनशीलता दिखाते हुये अध्यापकों को छठवें वेतनमान का लाभ दिये जाने की घोषणा की वह अब सिर्फ और सिर्फ ढ़ोंग नजर आ रहा है।
     मुख्यमंत्री ने अपने पिताश्री की बीमारी के चलते नाटकीय ढंग से घोषणा करके अपने आप को बेहद संवेदनशील और अध्यापकों के प्रति सहानुभूति रखने वाला जता कर तत्काल में खुश करने की सफल कोशिश की लेकिन अब मुख्यमंत्री, मंत्री और अधिकारी सबकी चतुराई ही सामने आ रही है। अध्यापकों की उम्मीद से अच्छा देने की बात करके अध्यापक की हड़ताल रूकवा दी और दिया तो क्या, 2016 से छठंवा वेतनमान, जबकि अध्यापक मांग रहे थे 2015 से पूरा छठवां वेतनमान।
यही वेतनमान यदि 1 माह पहले दे देते तो कितना और बजट बढ़ जाता पर अध्यापकों की बात तो रह जाती। अध्यापकों ने फिर भी संतोष कर लिया, 1 जनवरी 2016 से छठवें वेतनमान का लाभ दिये जाने का 2 लाइन का आदेश देने में सरकार के अधिकारियों ने 2 माह लगा दिया वो भी अध्यापकों के हल्ला मचाने और सड़क में उतरने के बाद। एक कल्याणकारी राज्य की एक कल्याणकारी सरकार को क्या यह शोभा देता है कि वह अपने ही कर्मचारियों और खासकर शिक्षा जैसे उत्कृष्ट कार्य में लगे अध्यापकों के साथ छल करे।
   
  2013 की हड़ताल में यह करार हुआ था कि शिक्षक के समान पूरा वेतन 2016 में दिया जायेगा और नोटशीट भी बनी पर जब आर्डर जारी किया तो 2016 की जगह 2017 कर दिया। अब अध्यापकों ने 2017 की जगह 2015 में छठवां वेतनमान दिये जाने की मांग करके सरकार के सामने गुनाह कर लिया, जो 2017 में समायोजन के नियमों को ही बदल डाला। जो कि केबिनेट की संक्षेपिका से साफ उजागर हो गया कि लाभ देने की बजाय नेता और अधिकारियों ने अध्यापकों के साथ छल और चतुराई दिखाई है।
अध्यापक 2013 से छठवां वेतनमान की आस लगाये थे उस पर पानी फिर गया। अध्यापक मन मसोस कर रह गया, कहने को तो दर्जन भर अध्यापकों के संगठन हैं पर किसी ने भी अधिकारियों से अंतरिम राहत की परिभाषा नहीं पूछी। ये भी नहीं पूछा कि 2013 से 2015 तक जो दिया क्या वो छठवें वेतनमान का हिस्सा नहीं था। यदि नहीं था तो जो दिया वो पूरा वसूलते क्यों नहीं और यदि है तो 2013 से ही छठंवा वेतनमान क्यों नहीं देते। अब तक अंतरिम राहत कर्मचारियों को कब कब दी गई और उसका समायोजन अध्यापकों जैसा ही किया क्या कई संगठनों की चक्की में पिसता अध्यापक इस पर भी संतोष करके अब आगे बात चला दी कि 1 जनवरी 16 से ही सही पर विसंगति रहित गणना पत्रक ही जारी कर दिया जाये।

    अब गणना पत्रक के लिये अध्यापक सड़को पर हैं। जनता भी सोचती है अजीब संवर्ग बनाया है सरकार ने, जब से भर्ती हुये हैं जब देखो तब सड़को पर ही दिखाई देते हैं कभी वेतन बढ़ाने के लिये तो कभी वेतन पाने के लिये। सरकार देती 1 बार है और ढिढ़ोरा पीटती 10 बार है, जनता तो सोचती है दसों बार अध्यापकों को कुछ मिला। जब सरकार ने 2013 में शिक्षक के समान वेतन देने का नियम बना लिया तो फिर देती क्यों नहीं, जब छठवें वेतनमान का नगद लाभ अप्रैल 2016 से देने का आदेश कर दिया और अप्रैल माह खत्म होने को है तो अध्यापकों की चिंता जायज है। गणना पत्रक में लेट लतीफी सब सरकार के कूटनीतिज्ञ नेता और अधिकारियोें की चाल है जिससे एक तो अध्यापक संगठन आपस में लडे और कमजोर पडे़ और दूसरा अध्यापक इतने हताश हो जायें कि कहने लग जाये जो देना हो दे दो पर दे दो।
तीन साल से बेहिसाब वेतन विसंगति की मार झेल रहे अध्यापक अबकी बार विसंगति रहित आदेश ही चाहते हैं। सरकार के कूटनीतिज्ञ नेता और अधिकारियों को भी यही सलाह है, कि विसंगति रहित आदेश ही जारी कराया जाये। यदि 2013 के चार किस्तों के आदेश में यदि बड़ी विसगंतियां न रही होती तो 2017 तक तो कम से कम कोई आंदोलन खड़ा नहीं होता। वास्तव में विसंगति को लेकर ही अध्यापकों में आक्रोश पनपा, यदि फिर विसंगति रही तो अध्यापकों को एक बार फिर सड़कों में आने से कोई नहीं रोक सकता। यदि ऐसा हुआ तो फिर सरकार का दिया न दिया सब बराबर हो जायेगा। सरकार गौर करे कि विसंगति रहित आदेश में अध्यापक क्या चाहते हैं, बस यही कि सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापकों के प्रारभ्भिक वेतन की गणना क्रमशः 7440 और 10230 से हो, क्रमोन्नत और पदोन्नत अध्यापकों को न्याय मिले, वेतनमान के निर्धारण में वरिष्ठता का ध्यान हो।
इनमें कौन सी मांग नाजायज है। जो शिक्षकों के लिये है वहीं तो अध्यापक मांग रहे हैं। यहां पर अध्यापक संगठन जरूर एक गलती कर रहे हैं, मांग की जा रही है कि विसंगति रहित गणना पत्रक जारी किया जाये, अब जिसे हम अध्यापक विसंगति मानते हैं उसे सरकार नहीं मानती तो उसका क्या। सरकार तो अपने हर आदेश को विसंगति रहित ही मानती है तभी तो वो जारी होता है। गलती यह है कि किसी संगठन ने सार्वजनिक ढंग से ये मांग नहीं रखी कि गणना पत्रक जारी करने से पहले उसका अवलोकन कराया जाये ऐसी मांग संगठन का अधिकार भी है और इस मांग को मानना प्रजातांत्रिक सरकार का दायित्व भी है। अब चिंता की बात यह है कि समान कार्य समान वेतन के लिये ढाई हजार करोड़ का हिसाब बताने वाले अधिकारी और मंत्री सवा सौ करोड़ में कैसे शिक्षकों के समान वेतन देते हैं। डी के सिंगौर 
लेखक राज्य अध्यापक संघ के मंडला जिलाध्यक्ष हैं।

परमार्थ निकेतन एवं गंगा एक्शन परिवार का "शिक्षा क्रान्ति महाकुंभ" 5 मई को उज्जैन में

      परमार्थ निकेतन एवं गंगा एक्शन परिवार का "शिक्षा क्रान्ति महाकुंभ" 5 मई को उज्जैन में , स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज , सत्य मित्रानंद जी महाराज हरिद्वार , श्रीमती स्मृति ईरानी ,  श्री शिवराज सिंह चौहान  भी  आमंत्रित।   

     राज्य अध्यापक संघ मध्यप्रदेश की "शिक्षा क्रान्ति यात्रा" से प्रभावित् होकर देश के   संत , मनीषियों एवं महात्माओं ने सिंहस्थ के दौरान "शिक्षा क्रान्ति महाकुम्भ" पवित्र नगरी उज्जैन में आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह  "शिक्षा क्रान्ति महाकुम्भ " परमार्थ निकेतन एवं गंगा एक्शन परिवार के  स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा आयोजित किया गया है।  

"शिक्षा क्रान्ति महाकुम्भ "

 स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज , सत्य मित्रानंद जी महाराज  पूर्व शंकराचार्य, भारत माता मंदिर हरिद्वार ,माननीय श्रीमती स्मृति ईरानी  केंद्रीय मंत्री,  मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली  ,मान. श्री शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री , म.प्र. शासन भोपाल भी इस अवसर पर आमंत्रित किये गए है। 
              कार्यक्रम के प्रमुख सूत्रधार आचार्य डॉ. देवेंद्र जी शास्त्री श्री गजराज जी सिसोदिया हैं एवं   संपर्क सूत्र -  श्री जगदीश जी यादव   प्रांताध्यक्ष, राज्य अध्या. संघ म.प्र हैं। 
              "शिक्षा क्रान्ति महाकुम्भ "संत एवं माननीय अतिथियों की गरिमामय उपस्थिति में संपन्न होने जा रहा है। उक्त कार्यक्रम में पूरे दिन शिक्षा को लेकर देश के प्रमुख शिक्षाविदों एवं राज्य अध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश जी यादव, प्रांतीय महासचिव श्री दर्शन जी चौधरी सहित संघ के प्रमुख प्रदेश पदाधिकारियों द्वारा अपने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत करते हुए चिंतन किया जाएगा।
              इसी दौरान राज्य अध्यापक संघ म.प्र. द्वारा अध्यापक संवर्ग की प्रमुख समस्याओं सहित अनुकम्पा नियुक्ति में डी. एड./बी.एड.की शिथिलता संबंधी प्रावधान  एवं नियमित कर्मचारियों के समान पेंशन प्रदाय किये जाने की मांग करते  हुए समस्याएं यथाशीघ्र निराकृत किये जाने हेतु मांग की जायेगी। इसके पूर्व भी प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश यादव द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति एवं पेंशन के सम्बन्ध में पत्र प्रेषित करते हुए माननीय केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी जी से निवेदन कर प्रयास किये गए हैं।
       प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश यादव एवं समस्त प्रदेश कार्यकारिणीे रा.अ.सं. म.प्र. ने प्रदेश के समस्त अध्यापक, संविदा शिक्षक व गुरूजी भाई बहिनों का आहवान करते हुए "शिक्षा क्रान्ति महाकुम्भ" में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थिति प्रदान कर अपनी मांगों के निराकरण में सहभागिता के साथ कार्यक्रम को सफल बनाने एवं महाकुम्भ में धार्मिक संत समागम का पुण्य लाभ प्राप्त करने की अपील की है।

 
स्थान-  सिंहस्थ महाकुम्भ 
  राम राज्य गौशाला के पीछे, बड़नगर रोड उज्जैन.                              
  समय - प्रातः 11 बजे से   शाम 5 बजे तक





Sunday, April 24, 2016

भारत में दोयम दर्जे की शिक्षा प्रणाली बन्द होकर समान शिक्षा प्रणाली लागु हो -- एच एन नरवरिया

भारत में दोयम दर्जे की शिक्षा प्रणाली बन्द होकर समान शिक्षा प्रणाली लागु हो -- एच एन नरवरिया
    एक तरह के विद्यालय ,

                एक तरह के शिक्षक ,

                      एक तरह का पाठ्यक्रम हों

साथियो, जैसा की हम की हम जानते है भारत में जो शिक्षा नीति है वो बहुत ही दोषपूर्ण है
जिसमे अधिकारी के बच्चे अधिकारी , किसान मजदूर का बच्चा किसान मजदूर बनाने का षड्यंत्र किया जा रहा है ।
आज भारत में तीन तरह की शिक्षा प्रणाली है

आई सी इस सी ई बोर्ड
सी बी एस सी ई बोर्ड
और स्टेट बोर्ड
     हम देखते है जब बच्चे 15 वर्षो तक शिक्षा ग्रहण करते है तो एक बच्चा अंतरार्ष्ट्रीय स्तर का एक राष्ट्रीय स्तर का , और एक प्रदेश स्तर पर तैयार होता है जबकि 15 वर्ष का समय तीनो कोर्सो में लगता है । आई सी एस सी ई और , सी बी एस सी ई की संस्थाये लगभग 5% मात्र है जो महानगर और जिला स्तर पर है इनमे अधिकारियो, उद्योग पतियों जनप्रतिनिधि और सम्पन्न वर्ग के ही बच्चे पढ़ते है । और आगे चलकर ही इनके बच्चे ही डॉक्टर इंजीयर अधकारी, व्यवसायी, बनते है।
जबकि स्टेट बोर्ड के पढ़ने वाले बच्चे कर्मचारी और चपरासी बन पाते है ये संस्थाये 95 % ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित है 50% शाशन द्वारा और 45% प्राइवेट स्कूलो के माध्यम से स्थापित है इन संस्थाओ में पड़ने वाले बच्चे सिर्फ साक्षर होते है पास होते है और किसी भी क्षेत्र में योग्य नही माने जाते है ।
देश जब आजाद हुआ था तब 5 वीं पास बच्चे को भी देश भर का ज्ञान हो जाता था।
क्योंकि उस समय अधिकारी उद्योगपतियों और मजदूर के बच्चे एक सात पढ़ते थे उसी समय के पढ़े लिखे लोग आज हर क्षेत्र में नोकरी व्यवसाय, राजनीति में आगे नजर आते है और समाज उन्नति की और बढ़ ही रहा था तो शाशन सत्ता में बेठे लोगो ने सोचा यदि ये समान शिक्षा का सिलसिला ऐसा ही चलता रहा तो हमारी सत्ता एक दिन खत्म हो जायेगी , उन्होंने इस दूरगामी सोच को रखते हुए ग्रामीण गरीब माध्यम वर्गीय बचो को शिक्षा से वंचित करना का सडयंत्र रचा और शिक्षा का निजीकरण के तहत सामान शिक्षा प्रणाली को नेस्तनाबूत कर डाला , और शिक्षको को विभिन्न कार्यो में उलझा दिया गया  और उनका किस  प्रकार से शोषण किया जा सके वो सब किया गया जो उदाहरण के रूप में पैरा टीचर , शिक्षामित्र, शिक्षाकर्मी, संविदा शिक्षक, गुरूजी, अतिथि शिक्षको के नाम से कई प्रजाति का निर्माण कर उनको दी जानी वाली सुख सुविधाओ वेतन भत्तो में कटौती कर दी है , इस कारण आज भी ये वर्ग आंदोलित है ।
   आज सरकारी विद्यालयो में ड्रेस , मिड डे मील,स्कॉलर शिप, फीस किताबे सब दिया जा रहा पर शिक्षा नही दी जा रही है । गरीब किसान मजदूर का बच्चा इन स्कूलो में पड़ा कर अनपढ़ बना रहा है और मध्यम वर्गीय समाज अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के नाम पर  कमाई का 30 % हिस्सा इसमें खर्च कर रहा है । फिर भी उनके बच्चे शिक्षित नही हो पा रहे है , शाशन की गलत नीतियों के कारण आज शिक्षा माफिया माध्यम वर्गीय समाज को नोच नोच कर लूट रहे है और बच्चों को उनके लायक भी नही बना पा रहा है।
    इसलिए हम चाहते है की इन समस्याओ से मुक्ति पाना है तो ये उपाय कारगर होंगे औरभारतीय संबिधान अनुसार  समान अवसर प्राप्त  हो सकेंगे ।

"सभी निजी और सरकारी स्कूलो का राष्ट्रीय करण कर दिया जाये ।
एक शिक्षा बोर्ड हो
एक तरह का पाठ्यक्रम हो
और एक तरह के शिक्षक हो।"

और जनप्रतिनिधि (नेता )अधिकारी जो साशन के मद से 1 रु भी प्राप्त करता है तो उसके बच्चे को अनिवार्यतः सरकारी विद्यालयों में पढ़ाये तभी ये ववस्था में सुधार हो पायेगा , अगर ये नही कर सकते तो तो सभी अपने पदों से मुक्त हो जाये ,

    "साथियो इन सासकीय पदों में रहने वाले लोगों को साशन की सभी सुविधाये चाहिए , वाहन, आवास, चिकित्सा , खाना , साशन की और से वेतन भत्ते और रिटायर मेंट के बाद पेंशन चाहिए , पर शाशन द्वारा संचालित स्कूलो में इनके बच्चों को शिक्षा क्यों नही चाहिए?"

राष्ट्पति की हो चपरासी की संतान ।

              सबकी शिक्षा एक सामान ।।

                   एच एन नरवरिया
लेखक राज्य अध्यापक संघ की आई टी सेल के सदस्य है और मिडिया प्रभारी है ।
यह लेखक के निजी विचार है ।
                              

नविन पेंशन प्रणाली के संबंध में लगाई गयी आर टी आई :- सुरेश यादव

नविन पेंशन प्रणाली के संबंध में लगाई गयी आर टी आई :- सुरेश यादव 




Saturday, April 23, 2016

अध्यापक संवर्ग को से अंतरिम राहत की चार वार्षिक किश्तों मे से द्वितीय किश्त के भुगतान की स्वीकृति (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) दिनाक 04/02/2015

अध्यापक संवर्ग को दिनांक 01-09-2013 से अंतरिम राहत की चार वार्षिक किश्तों मे से द्वितीय  किश्त के भुगतान की स्वीकृति   (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) दिनाक 04/02/2015

 आदेश के लिए दी गयी लिंक को ओपन करें

अध्यापक संवर्ग को अंतरिम राहत की चार वार्षिक किश्तों मे से तृतीय किश्त के भुगतान की (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) दिनाक 25/02/2016

अध्यापक संवर्ग को दिनांक 01-09-2013 से अंतरिम राहत की चार वार्षिक किश्तों मे से तृतीय किश्त के भुगतान की स्वीकृति   (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) दिनाक 25/02/2016 

आदेश के लिए निचे दी गयी लिंक को ओपन करें

अध्यापक संवर्ग को दिनांक 01.01.2016 से छठवां वेतनमान स्वीकृत किए जाने बाबत (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) दिनाक 25/02/2016

अध्यापक संवर्ग को आदेश दिनांक 04.09.2013 के अनुक्रम में राज्य शासन द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार अध्यापक संवर्ग को दिनांक 01.01.2016 से निम्नानुसार छठवां वेतनमान स्वीकृत किया जाता है
आदेश के लिए निचे दी गयी लिंक को ओपन करें


मार्गदर्शन दिनांक 7 जून 2014 निरस्त करने बाबद

अध्‍यापक संवर्ग के वेतन का अलग-अलग गणना से भुगतान एवं अंतरि‍म राहत कि‍श्‍त में भी अलग-अलग सेवा गणना के संबंध में मार्गदर्शन दिनांक 7 जून 2014 निरस्त करने बाबद 
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अंतरिम राहत के निर्धारण के लिए स्प्ष्टीकरण (पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग) 20/10/2014

दि‍नांक 01-04-2013 से अध्‍यापक संवर्ग को दि‍ए गए वेतन बैण्‍ड एवं संवर्ग वेतन तथा दि‍नांक 01-08-2013 से चार वार्षिक कि‍श्‍तों में अंतरि‍म राहत के अंतर्गत वेतन नि‍यमन।
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अध्‍यापक संवर्ग को दि‍नांक 01-09-2014 से अंतरि‍त राहत ( पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ) द्वि‍तीय कि‍श्‍त के भुगतान की स्‍वीकृति‍ बाबत।

अध्‍यापक संवर्ग को दि‍नांक 01-09-2013 से अंतरि‍त राहत की चार वार्षिक कि‍श्‍तों में से प्रथम कि‍श्‍त के उपरांत द्वि‍तीय कि‍श्‍त के भुगतान की स्‍वीकृति‍ बाबत।

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संवि‍दा शाला शि‍क्षकों के मासि‍क संवि‍दा पारि‍श्रमि‍क में वृद्धि‍ करने के संबंध में 27/07/2011

संवि‍दा शाला शि‍क्षकों के मासि‍क संवि‍दा पारि‍श्रमि‍क में वृद्धि‍ करने के संबंध में 27/07/2011 
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संवि‍दा शाला शि‍क्षकों के मासि‍क संवि‍दा पारि‍श्रमि‍क में वृद्धि‍ करने के संबंध में 03/09/2011

संवि‍दा शाला शि‍क्षकों के मासि‍क संवि‍दा पारि‍श्रमि‍क में वृद्धि‍ करने के संबंध में 03/09/2011 आदेश प्राप्त करने के लिए इस लिंक को ओपन करें

अध्‍यापक संवर्ग को संशोधि‍त वेतनमान (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) 21/02/2013


अध्‍यापक संवर्ग को संशोधि‍त वेतनमान (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) 21/02/2013 
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अध्यापक संवर्ग के क्रमोन्‍नि‍त संवर्ग वेतन में संशोधन के संबंध में (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) 03/10/2013

अध्यापक संवर्ग के क्रमोन्‍नि‍त संवर्ग वेतन में संशोधन के संबंध में (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग )  03/10/2013
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अध्यापक संवर्ग की (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) अंतरिम राहत का आदेश 04/09/2013


अध्यापक संवर्ग की वेतन संरचना में परिवर्तन के संबध में (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) अंतरिम राहत का आदेश 04/09/2013 



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अध्‍यापक संवर्ग के वेतन एवं अंतरि‍म राहत कि‍श्‍त के संबंध में मार्गदर्शन 07/06/2014

अध्‍यापक संवर्ग के वेतन एवं अंतरि‍म राहत कि‍श्‍त के संबंध में मार्गदर्शन 07/06/2014
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अध्‍यापक संवर्ग के क्रमोन्‍नि‍त वेतन के संबंध में स्कुल शिक्षा विभाग का आदेश 22/07/2010


अध्‍यापक संवर्ग के क्रमोन्‍नि‍त वेतन  के संबंध में स्कुल शिक्षा विभाग का आदेश 22/07/2010


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अध्यापक संवर्ग को दिनांक 01.01.2016 से छठवां वेतनमान स्वीकृत किए जाने बाबत (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 25/02/2016

अध्यापक संवर्ग को दिनांक 01.01.2016 से छठवां वेतनमान स्वीकृत किए जाने बाबत (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 25/02/2016

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अध्‍यापक संवर्ग के क्रमोन्‍नि‍त संवर्ग वेतन में संशोधन के संबंध में (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 03/10/2013


ध्‍यापक संवर्ग के क्रमोन्‍नि‍त संवर्ग वेतन में संशोधन के संबंध में (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 03/10/2013 


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अध्‍यापक संवर्ग की वेतन संरचना में परि‍वर्तन के संबंध में अंतरिम राहत के आदेश (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 04/09/2013

अध्‍यापक संवर्ग की वेतन संरचना में परि‍वर्तन के संबंध में अंतरिम राहत के आदेश (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 04/09/2013
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Friday, April 22, 2016

अध्‍यापक संवर्ग को संशोधि‍त वेतनमान (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 21/02/2013

अध्‍यापक संवर्ग को संशोधि‍त वेतनमान दि‍ये जाने के संबंध में  (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) का आदेश दिनांक 21/02/2013
आदेश के लिए इस लिंक को ओपन करें

2007 में नया वेतनमान देने हेतु गणना पत्रक 03/09/2008

2007 में नया वेतनमान  देने  हेतु गणना  पत्रक 03/09/2008

आदेश के लिए इस लिंक को ओपन करें

2007 में नया वेतनमान देने का आदेश 28/06/2007





2007 में नया वेतनमान  देने का आदेश 

राज्य अध्यापक संघ के प्रतिनिधि मण्डल ने उच्च अधिकारियो, से मिलकर चर्चा की

राज्य अध्यापक संघ द्वारा पिछले 2 दिनों से लगातार 6वे वेतनमान की गणना पत्रक 【table】& तृतीय आई आर की के किश्त के आर्डर जारी करवाने के लिये लोक शिक्षण संचनालय. प्रमुख सचिव स्कुल शिक्षा विभाग . पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, वित्त विभाग के समस्त उच्च अधिकारियो, से मिलकर चर्चा की । साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय को भी अवगत कराया गया एवं वस्तुस्थित्ति को जानने का प्रयास किया गया, जिसमे श्री मोहंती जी उज्जैन प्रवास पर है सेक्शन से जानकारी मिली की ऊपर स्तर पर कार्यवाही हो रही है, लेकिन आर्डर कब जारी होंगे ये कोई भी संतोष जनक जवाब नही दे पा रहे है, तृतीय आई आर की किश्त के सम्बन्ध में नवागत सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग श्री रमेश थेटे ,से मिले किश्त की फाइल उनके पास प्रस्तुतिकरण हेतु है उन्होंने आवेदन को मार्क कर दिया है और कहा इसको में करवाता हूँ,, गौरतलब है की पिछले दिनों श्री मुरली धर पाटीदार जी & जगदीश यादव जी ,ने भी अधिकारियो से चर्चा की है और आज भी फोन पर सम्बंधित अधिकारियो से चर्चा की और इस हेतु राज्य अध्यापक संघ के प्रतिनिधि मण्डल को शासन से चर्चा हेतु भेजा जिसमे श्री एच एन नरवरिया, मीडिया प्रभारी, श्री शालिक राम चौधरी, वरिष्ट पदा धिकारी , श्री बी एल मालवीय , प्रान्त सचिव, आदि थे । 

   आर्डर जल्दी जारी करवाने लिए माननिय मुख्यमंत्री महोदय से शीघ ही चर्चा की जायेगी, यदि फिर भी आर्डर और गणना पत्रक में विसंगति पायी जाती है तो राज्य अध्यपाक संघ शीघ ही बैठक कर शिक्षा के व्यवसायीकरण  के साथ साथ इस मुद्दे पर आंदोलन का एलान करेगा ।


Thursday, April 21, 2016

शिक्षक की छवि धूमिल करने वाले समाचार पत्रो पर कार्य वाही हो :- राशी राठौर

सरकार की नजर मै शिक्षक से बडा फर्जीवाड़ा करने वाला कोई नही। शिक्षा विभाग मै कार्यरत हर कर्मचारी पर सरकार इस कदर शंका करती है जैसै स्टाम्प घोटाले से लेके व्यापम घोटाले तक सब कुछ शिक्षक ने ही किया हो। सरकार बार बार चना फुटाने खाने वाले बोल के जिन शिक्षको पर आरोप लगाती है उन आरोपो की हकीकत ये है की आज तक शिक्षा विभाग मै कार्यरत इन अध्यापको को शिक्षक कहलाने का भी हक नही दिया सरकार ने। फिर किस मुँह से अध्यापको की निष्ठा पर अंगूली उठायी जाती है ? शिक्षक ना हुआ जैसै किसान का बैल हो गया जिसे उठा के  कटाई, बुआई, बोझ ढोना हर जगह जोत दो।फिर कहो ये बैल कामचोर हो गया है। ग्रीष्मकालीन अवकाश हर बार प्रशिक्षण और अन्य कार्यों की भेंट चढ जाते है। इस बार भारत उदय या वी ई आर की भेंट चढा तो कोई अनोखी बात नही।समाज को लगता है मास्टर से ज्यादा मजे मै कोई नही। किन्तु सच तो मास्टर ही जानते है की उनको कितना आन्नद आ रहा है, बेचारा मास्टर गांव-खेडे मै बैठकर पांच हजार मै रोज घन्टी बजा रहा है। वी ई आर अपडेशन के मामले मै एक समाचार पत्र ने अध्यापक कर्तव्य निष्ठा पर किचड उछाला है। जब शिक्षक राष्टीय कार्यक्रम को अपने उदेश्य तक पहुचा सकते हे , अध्यापक निष्ठा से चुनाव संपन्न करवा सकते है, पोलीयो देश से मिटा सकते है, सही जनगणना कर सकते है तो, वी ई आर मै फर्जी कैसे हो गये ??? संबंधित समाचार पत्र ने निराधार आरोप लगाकर अध्यापक की छबि धूमिल की है। शिक्षकों को सोंपे गये हर कार्य कि मानीटरिंग जनशिक्षक से लेकर , बी आर सी, संकुल प्राचार्य,  बी ईओ, डीईओ, जिला कलेक्टर तक करते है। तो क्या ये माना जाये की इन सभी माननीय की कार्यशैली पर संबंधित समाचार पत्र प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। गुरूओ की निष्ठा पर निराधार आरोप लगाने वालो पर कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।
कु.राशी राठौर देवास
यह लेखिका के निजी विचार हैं, वे  स्वयं संविदा शाला शिक्षक हैं।

नियमो की आड़ में शिक्षक के अवकाश पर केंची:- सुरेश यादव

समाज में यह वातावरण बनाया गया  है की अध्यापन कार्य में लगे शिक्षको/अध्यापको को खूब अवकाश मिलते हैं। लेकिन नियमो में लगातार बदलाव कर के शिक्षको के अवकाश में लगातार काँट छाँट की जा रही है ।
साथियों आप जानते ही है की अध्यापन कार्य में लगे कर्मचारीयो - अधिकारियों  को ही समय समय पर विश्राम दिया जाता है। क्योकि अध्यापन का कार्य मानसिकश्रम  है ,और इस मानसिक कार्य को पूर्ण मनोयोग व कुशलता से करने के लिए अवकाश की आवश्यकता रहती है ।विश्राम की अवधि में अध्यापन कार्य में लगे कर्मचारी ,विश्राम कर के अपने आप को तरोताजा कर सकते हैं । वंही अवकाश की अवधी में कार्य करने पर अनुपातिक अर्जित अवकाश की पात्रता रहती थी ।जो हमारे अवकाश लेखा में दर्ज किये जाते थे ।
इसके अतिरिक्त 2008 तक विश्राम अवकाश संवर्ग के अधिकारियों -कर्मचारियों को 10 वार्षिक अर्जित अवकाश प्रदान किये जाते थे यह 31 मार्च को अवकाश लेखा में दर्ज किये जाते थे ,अब यह सुविधा 30 जून 2008 के आदेश से  समाप्त कर दी गयी है ।कार्यालयीन संवर्ग के अधिकारियो - कर्मचारीयो  10 वार्षिक अर्जित अवकाश अब भी प्रदान किये जा रहे  हैं।
साथियो 30 जून 2008 के वित्त विभाग के  आदेश कारण ग्रीष्म अवकाश 45 दिवस का कर दिया गया ।आम जन में यह भ्रान्ति है की अध्यापन कार्य करने वाले संवर्ग को ग्रीष्मावकाश,दीपावली,दशहरा ,शीतकालीन अवकाश , मिला कर बहुत सारे या 55-60  अवकाश मिलते है ।परन्तु वस्तवकिता यह है की कार्यालयीन संवर्ग और हमारे अवकाश का अंतर सिर्फ 20 का ही रह जाता है ।
साथियों में अपनी बात को दोहराता हूँ ,अब आप स्वयं तय करे की 20 दिवस के अंतर के कारण 10 वार्षिक अर्जित  अवकाश निरस्त करना क्या उचित है ? में यह प्रश्न आप के लिए छोड़ता हूँ । और आगे बढ़ते हुए कल जारी आदेश के विषय पर आता हूँ ,कल डीपीआई से पृष्ठांकित  आदेश में  यह निर्देश है की ,आवकाश संवर्ग के कर्मचारियों को जिलाधीश और विभागाध्यक्ष के आदेश पर रोकने पर ही अर्जित अवकाश की पात्रता रहेगी ।
इस प्रकार एक नया नियम बना कर  अर्जित अवकाश की पत्रता समाप्त कर दी गई । यदि आदेश जिलाधीश और विभागाध्यक्ष (विभागीय आयुक्त )द्वारा जारी नहीं किये जाते । तो विश्राम अवकाश के दौरान काम करने पर अर्जित अवकाश ,अवकाश लेखा में दर्ज नहीं होंगे ।
साथियो आप जानते ही है हम ग्रीष्मावकाश में आयोजित प्रशिक्षण ,सर्वे,जनगणना,मतदाता सूचि का कार्य या अन्य कार्य ,डाइट प्राचार्य,एस डी एम, डी पी सी,डी ई ओ के आदेश पर ही करते है । तो इस आवकाश अवधी में कार्य करने पर अर्जित अवकाश किस प्रकार दर्ज होंगे ,यह बड़ा प्रश्न है ।

साथियो हमारे अवकाश पर लगातार कैची चलती जा रही है तो क्यों न  अध्यापन कार्य में लगे कर्मचारीयो को अब कार्यालयीन संवर्ग ही माना जाए ।
सुरेश यादव कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ रतलाम ।

समान स्कूल प्रणाली एकमात्र विकल्प:-सियाराम पटेल

समान स्कूल प्रणाली एकमात्र विकल्प

देश के सारे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके, इसके लिए यह भी जरुरी है कि देश में कानून बनाकर पड़ोसी स्कूल पर आधारित समान स्कूल प्रणाली लागू की जाए। इसका मतलब यह है कि एक गांव या एक मोहल्ले के सारे बच्चे (अमीर या गरीब, लड़के या लड़की, किसी भी जाति या धर्म के) एक ही स्कूल में पढ़ेंगे। इस स्कूल में कोई फीस नहीं ली जाएगी और सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। यह जिम्मेदारी सरकार की होगी और शिक्षा के सारे खर्च सरकार द्वारा वहन किए जाएंगे। सामान्यत: स्कूल सरकारी होगें, किन्तु फीस न लेने वाले परोपकारी उद्देश्य से (न कि मुनाफा कमाने के उद्देश्य से) चलने वाले कुछ निजी स्कूल भी इसका हिस्सा हो सकते हैं। जब बिना भेदभाव के बड़े-छोटे, अमीर-गरीब परिवारों के बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ेगें तो अपने आप उन स्कूलों की उपेक्षा दूर होगी, उन पर सबका ध्यान होगा और उनका स्तर ऊपर उठेगा। भारत के सारे बच्चों को शिक्षति करने का कोई दूसरा उपाय नहीं है। दुनिया के मौजूदा विकसित देशों में कमोबेश इसी तरह की स्कूल व्यवस्था रही है और इसी तरह से वे सबको शिक्षति बनाने का लक्ष्य हासिल कर पाए हैं। समान स्कूल प्रणाली का प्रावधान किए बगैर शिक्षा अधिकार विधेयक महज एक छलावा है।
इस विधेयक में और कई कमियां हैं। यह सिर्फ 6 से 14 वर्ष की उम्र तक (कक्षा 1 से 8 तक) की शिक्षा का अधिकार देने की बात करता है। इसका मतलब है कि बहुसंख्यक बच्चे कक्षा 8 के बाद शिक्षा से वंचित रह जाएंगे। कक्षा 1 से पहले पू्र्व प्राथमिक शिक्षा भी महत्वपू्र्ण है। उसे अधिकार के दायरे से बाहर रखने का मतलब है सिर्फ साधन संपन्न बच्चों को ही केजी-1, केजी-2  आदि की शिक्षा पाने का अधिकार रहेगा। शुरुआत से ही भेदभाव की नींव इस विधेयक द्वारा डाली जा रही है।
शिक्षा अधिकार विधेयक में निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों का आरक्षण गरीब बच्चों के लिए करने का प्रावधान किया गया है और उनकी ट्यूशन फीस का भुगतान सरकार करेगी। किन्तु महंगे निजी स्कूलों में ट्यूशन फीस के अलावा कई तरह के अन्य शुल्क लिए जाते हैं, क्या उनका भुगतान गरीब परिवार कर सकेगें ? क्या ड्रेस, कापी-किताबों  आदि का भारी खर्च वे उठा पाएंगे ? क्या यह एक ढकोसला नहीं होगा ? फिर क्या इस प्रावधान से गरीब बच्चों की शिक्षा का सवाल हल हो जाएगा ? वर्तमान में देश में स्कूल आयु वर्ग के 19 करोड़ बच्चे हैं। इनमें से लगभग 4 करोड़ निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। मान लिया जाए कि इस विधेयक के पास होने के बाद निजी स्कूलों में और 25 प्रतिशत यानि 1 करोड़ गरीब बच्चों का दाखिला हो जाएगा, तो भी बाकी 14 करोड़ बच्चों का क्या होगा ? इसी प्रकार जब सरकार गरीब प्रतिभाशाली बच्चों के लिए नवोदय विद्यालय, कस्तूरबा कन्या विद्यालय, उत्कृष्ट विद्यालय और अब प्रस्तावित मॉडल स्कूल खोलती है, तो बाकी विशाल संख्या में बच्चे और ज्यादा उपेक्षति हो जाते है। ऐसी हालत में, देश के हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार देने की बात महज एक लफ्फाजी बनकर रह जाती है।  सियाराम पटेल  
लेखक आई टी सेल, राज्य अध्यापक संघ के सदस्य हैं और नरसिंपुर जिले के हैं।       

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Saturday, April 30, 2016

मण्डला जिले में शासकीय विद्यालयों के 41 विद्यार्थी IIT -JEE में चयनित

मण्डला जिले में  शासकीय विद्यालयों के 41 विद्यार्थी IIT -JEE में चयनित 

राष्ट्रिय स्तर पर इंजनियरिंग के लिए प्रख्यात IIT और NIT जैसे संस्थानों में चयन के लिए आयोजित होने वाली प्रतिष्ठित परीक्षा IIT -JEE  में मण्डला जिले की शासकिय शालाओ  मे  अध्ययनरत 41   छात्र छात्राओं ने सफलता प्राप्त  की है। मण्डला जिला  आदिवासी बाहुल्य जिला है और यंहा की  शिक्षा व्यवस्था के प्रबंधन का दायित्व आदिम जाती कल्याण विभाग के पास है ,जिले के पूर्व जिलाधीश लोकेश जाटव ,और सहायक आयुक्त आदिवासी विकास डॉ संतोष शुक्ला के सराहनीय प्रयासों से  इस अंचल  को इतनी बड़ी सफलता प्राप्त हुई है ,इस सफलता का श्रेय  " ज्ञानार्जन प्रोजेक्ट " को जाता है ,इस प्रोजेक्ट में  जिले के होनहार विद्यार्थियों का चयन कर के उन्हें विशेष  प्रशिक्षण दिया गया ,उन्हें परीक्षा के लिए आवेदन करवाने ,और  परीक्षा केंद्र तक लाने  ले जाने की व्यवस्था भी  आदिम जाती कल्याण विभाग द्वारा इसी प्रोजेक्ट  के माध्यम से की गयी थी । ज्ञानार्जन  के माध्यम से विभाग द्वारा शिक्षकों को भी इस परीक्षा को लेकर विशेष प्रशिक्षिण  दिया  गया और उनके प्रशिक्षण की सतत  निगरानी भी  की गयी । इस सफलता ने यह भ्रान्ति तोड़ दी है की शासकीय विद्यालयों में  उच्च स्तरीय अध्य्यपन अध्यापन नहीं होता है। इन विद्यार्थियों में राज्य अध्यापक संघ के जिलाध्यक्ष श्री डी के सिंगौर के विद्यालय शासकीय उच्त्तर माध्यमिक विद्यालय  बबलिया / खिन्हा  ( विकासखण्ड नारायणगंज )  के एक  भी एक छात्र का भी चयन हुआ है।  राज्य अध्यापक संघ के संरक्षक एवं सुसनेर विधायक श्री मुरलीधर पाटीदार ,प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश यादव ,महासचिव दर्शन सिंह चौधरी ने जिले के शिक्षकों और सफलता प्राप्त छात्र छात्राओं  को बधाई प्रेषित की है।

   पूर्व जिलाधीश श्री लोकेश जाटव के साथ श्री सिंगौर 
सहयक आयुक्त आदिवासी विकास डॉ संतोष शुक्ल के साथ श्री सिंगौर 


  

पिपरिया जिला होशंगाबाद में अध्यापकों का समस्या निवारण शिविर





विभागीय परामर्श दात्री की बैठक मंडला जिलाध्यक्ष ने ज्ञापन सौंपा

विभागीय परामर्श दात्री की बैठक कल DEO दफ्तर में संपन्न हुई मण्डला में शिक्षक और अध्यापकों की स्थापना AC के यहाँ है इसलिए DEO के यहाँ अध्यापकों के ज्यादा इश्यू नहीं रहते फिर भी राज्य अध्यापक संघ ने RMSA से पदोन्नति के लिए स्वीकृत ९२ पदों पर पदोन्नति की कार्रवाई की मांग की साथ ही मॉडल स्कूलों के पदों को वरिष्ठ अध्यापकों से भरने की मांग सहित अन्य मांगे रखी|




राज्य अध्यापक संघ नरसिंहपुर में DEO को सौंपा ज्ञापन


29 अप्रैल 2016, नरसिंहपुर अध्यापक संवर्ग की  सात सूत्रीय मांगों पदोन्नति, क्रमोन्नति, महिला मातृत्व अवकाश , नगरीय निकाय पदोन्नति, NSDL  PRAN KIT एवं कटौती सम्वन्धी समस्याओं के निराकरण के सम्वन्ध में कलेक्टर महोदय व मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत की ग्रामोदय से भारत उदय कार्यक्रम के तहत समाधान में व्यस्तता के चलते जिला शिक्षा अधिकारी नरसिंहपुर श्री जे.के.मेहर को राज्य अध्यापक संघ नरसिंहपुर द्वारा जिलाध्यक्ष श्री अजीत जाट, प्रांतीय प्रवक्ता नागेन्द्र त्रिपाठी, प्रदेश मीडिया प्रभारी सियाराम पटेल, प्रांतीय प्रतिनिधि कोमल सिंह पटेल के नेतृत्व में ज्ञापन सौपकर महत्वपूर्ण चर्चा की गयी। जिला शिक्षा अधिकारी महोदय द्वारा एक सप्ताह की समय सीमा में क्रमोन्नति सूची, अध्यापक संवर्ग से वरिष्ठ अध्यापक की प्रतीक्षा सूची से पदोन्नति व जल्द ही सहायक अध्यापक से अध्यापक संवर्ग (ग्रामीण) में  पदोन्नति , नगरीय निकाय हेतु यथाशीघ्र प्रक्रिया पूर्ण किये जाने हेतु आश्वासन प्रदान करते हुए निर्देश प्रदान किये। उक्त अवसर पर श्री एस. के. कोष्टी जिला परियोजना समन्वयक जिला शिक्षा केंद्र नरसिंहपुर, सियाराम पटेल ,महिला मोर्चा से श्रीमती प्रज्ञा तिवारी, श्रीमती मुक्ति राय, श्रीमती सुमित्रा ठाकुर, ब्लाक अध्यक्ष चावरपाठा गोविन्द बुन्देला, गोटेगांव रघुवीर पटेल, चीचली दौलत सिंह पटेल, नरसिंहपुर विवेक मिश्रा, जिला उपाध्यक्ष आशीष नामदेव, योगेंद्र झारिया, ब्रजेंद्र गुप्ता, संजय पराशर, राकेश पटेल, राकेश श्रीवास, रघुवीर साहू,  गौतम पठया, रोशन पाली, सुरेश मेहरा, हरभजन सिंह राठौर, ताराचंद चौधरी, राजेश कौरव, सतेंद्र कौरव, संजय अग्रवाल उपस्थित रहे।
           
                

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस , " मई दिवस " पर विशेष : -सुरेश यादव रतलाम

1 मई अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस जिसको " मई दिवस " के नाम से जाना जाता है, इसकी शुरुआत 1886 में शिकागो में उस समय शुरू हुई थी, जब मजदूर काम की अवधि आठ घंटे करने  और सप्ताह में एक दिन की छुट्टी  की मांग कर रहे थे कि। इस हड़ताल / प्रदर्शन के दौरान एक अज्ञात व्यक्ति ने बम फोड़ दिया और बाद में पुलिस फायरिंग में कुछ मजदूरों की मौत हो गई, साथ ही कुछ पुलिस अफसर भी मारे गए । और मजदूरों के हाथ में रखे सफ़ेद झंडे खून लाल हो गए तभी से लाल ध्वज  मजदूरों की एकता का प्रतिक हो गया।
इसके बाद 1889 में पेरिस में अंतरराष्ट्रीय महासभा की द्वितीय बैठक में " फ्रांस की क्रांति " को याद करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया कि ,1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाए, उसी वक्त से दुनिया के 80 देशों में " मई दिवस "  को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा।
भारत से संबंध
चेन्नई के मैरिना बीच पर मज़दूर दिवस

भारत में  मई दिवस सब से पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को मनाना शुरू किया गया था। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर स्वीकार कर  लिया गया था। इस की शुरूआत भारती मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। भारत में मद्रास के हाईकोर्ट के सामने एक बड़ी सभा  कर के और उसमे  संकल्प के पास करके यह सहमति बनाई गई कि ,इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये।  इस के पीछे तर्क था की  कि यह दिन अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के तौर पर प्रचलित  हो चुका था ।
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी ने कहा था कि " किसी देश की तरक्की उस देश के कामगारों और किसानों पर निर्भर करती है। उद्योगपति स्वय को मालिक या प्रबंधक समझने की बजाय अपने-आप को ट्रस्टी समझे ।"
गुरु नानक और भाई लालो
 गुरू नानक देव जी ने किसानों, मज़दूरों और कामगार के हक में आवाज़ उठाई थी और उस समय के अहंकारी और लुटेरे हाकिम ,ऊँट पालक की रोटी न खा कर उस का अहंकार तोड़ा और भाई लालो की काम की कमाई को सम्मान दिया  था। गुरू नानक देव जी ने " काम करना, नाम जपना, बाँट कर खाना और दसवंध निकालना " का संदेश दिया। गरीब मज़दूर और कामगार का राज स्थापित करने के लिए मनमुख से गुरमुख तक की यात्रा करने का संदेश दिया था इसके बाद 1 मई को भाई लालो दिवस के तौर पर भी  मनाया जाता है।

       लोकतन्त्रिक  ढांचो में तो सरकार भी लोगों द्वारा  चुनी जाती है ,जनता राजनीतिक लोगों को अपने देश की बागडोर ट्रस्टी के रूप में सौंपती हैं। राजनीतिज्ञ  देश का प्रबंधन करने के   लिए मज़दूरों, कामगारों और किसानों की बेहतरी, भलाई और विकास, शन्ति और कानूनी व्यवस्था बनाऐ रखने के लिए वचनबद्ध होते हैं। मज़दूरों और किसानों की बड़ी संख्या का शासन  प्रबंध में बड़ा योगदान है। सरकार का दायित्व है की  उद्योगपतियों और मज़दूरों के मध्य  सुखदायक, शन्ति व्यवस्था बना  कर  और पारिवारिक संबंध कायम करे।  झगड़े और टकराव की सूरत में समझौता और सुलह करवाने का प्रबंध करें , को श्रमिकों कामगारों के मामलों को    ट्रिब्यूनल के माध्यम से  पारदरशी ढंग के साथ नैसर्गिक  न्याय के  सिद्धांत के अनुसार सम्पन्न  करें।
        परन्तु वर्तमान में समाजवाद की आवाज कम ही सुनाई देती है। ऐसे हालात में " मई दिवस " की हालत क्या होगी, यह सवाल प्रासंगिक हो गया है। हम ऐतिहासिक दृष्टि से 'दुनिया के मजदूरों एक हो ' के नारे को देखें तो उस वक्त भी दुनिया के लोग दो खेमों में बंटे हुए थे। अमीर और गरीब देशों के बीच फर्क था। सारे देशों में कुशल और अकुशल श्रमिक एक साथ ट्रेड यूनियन में भागीदार नहीं थे।

     
प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सारे श्रमिक संगठन और इसके नेता अपने देश के झंडे के नीचे आ गए। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब सोवियत संघ संकट में था तब वहां यह नारा दिया गया कि मजदूर और समाजवाद अपनी-अपनी पैतृक भूमि को बचाएं। इसके बाद हम देखते हैं कि पश्चिमी देशों में कल्याणकारी राज्य आया और मई दिवस का पुनर्जागरण हुआ ।
  अब दुनिया बदल चुकी है। सोवियत संघ के टूटने के साथ ही पूंजीवाद का विकल्प दुनिया में खो गया है , औद्योगिक उत्पादन का तरीका बदल गया है । औद्योगिक उत्पादन तंत्र का विस्तार पूरी दुनिया में हो गया है । एक साथ काम करना और एक जगह करना महज एक सपना रह गया।
            दुनिया में सबसे बड़ा परिवर्तन यह आया है कि जो काम पहले 100 मजदूर मिलकर करते थे। वह काम अब एक रोबोट कर लेता है। उदाहरण के लिए टाटा की नैनो फैक्टरी में 4 करोड़ रु. के निवेश पर एक नौकरी निकलती है। यह काम भी मजदूर के लिए नहीं बल्कि तकनीकी रूप से उच्च शिक्षित लोगों के लिए है।
          सिंगुर या नंदीग्राम में प्रदर्शन क्यों होता है? क्योंकि स्थानीय लोगों यह पता है कि हमारे लिए या हमारे बच्चों के लिए कुछ नहीं है। तकनीक ने लोगों की आवश्यकता को कम कर दिया। इससे साधारण लोगों की जमीन खिसक गई , लोग बेरोजगार हैं, जिनके पास रोजगार है उसको यह डर सता रहा है कि कल यह  छीन न जाए।
       आईएमएफ और विश्व बैंक की नीतियों का हजारों नौजवान सड़क पर विरोध करते हैं लेकिन इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है ,की उनका रोजगार कैसे बचेगा। हम  शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े है ,लेकिन आईएमएफ और विश्व बैंक की नीतियों के कारण हमारे काम पर भी संकट उत्पन्न  हो गया है ,विद्यालयों और शिक्षकों के युक्तियुक्तदकरण  के रुप में  यह संकट हमें नजर आने लगा  है । " शिक्षा क्रांति यात्रा " हमे हमारे रोजगार पर खड़ा संकट बता रही है ,साथियो सचेत हो जाएँ  रोजगार को  बचाएं। सभी  साथियो को लाल सलाम ,कर्मचारी एकता जिंदाबाद ,मजदुर एकता जिंदाबाद। 

आप का  सुरेश यादव  कार्यकारी जिलाध्यक्ष 

राज्य अध्यापक संघ रतलाम 9926809650 


Friday, April 29, 2016

ग्राम / वार्ड शिक्षा रजिस्टर का परिवारवार सर्वेक्षण प्रपत्र भरने हेतु निर्देश


ग्राम / वार्ड शिक्षा रजिस्टर का परिवारवार सर्वेक्षण प्रपत्र भरने हेतु निर्देश
यह प्रपत्र घर घर जाकर परिवार के मुखिया या अन्य जिम्मेदार सदस्य से बातचीत कर भरा जाना चाहिए।
सर्वेक्षण के पूर्व आपको ग्राम/वार्ड शिक्षा रजिस्टर का परिवारवार सर्वेक्षण प्रपत्र उपलब्ध होगा जिसमें समग्र/शिक्षा पोर्टल से प्राप्त जानकारी पूर्व से ही मुद्रित होगी । घर घर संपर्क के दौरान केवल 0 से 18 वर्ष कीआयु के सदस्यों की जानकारी को ही अध्यतन करना है।
यदि प्रपत्र में पूर्व से अंकित जन्मतिथि या  अन्य  कोई जानकारी  गलत है तो इसमें लाल स्याही से गोला लगा कर प्रपत्र पर सही जन्मतिथि भरी जाए एवं इसकी पुष्टि जन्म प्रमाण पत्र / अधिकारिक रिकॉर्ड से की जाए।
सर्वप्रथम यह जानकारी प्राप्त करें की उक्त परिवार उस ग्राम/वार्ड में निवासरत है या नहीं।
निवासरत नहीं होने की स्थिति में इसमें नीली स्याही से गोला लगा कर अंकित करें। ऐसे परिवारों कोसमग्र से परिवार को विलोपित करने का दायित्व ग्राम पंचायत सचिव/वार्ड प्रभारीका होगा एवं प्रपत्र अंकित जानकारी को दल के सभी सदस्यों (विशेष रूप से आंगनवाडी एवं आशा कार्यकर्ता) से चर्चा कर अध्यतन/अपडेट करने का दायित्व दल प्रभारीका होगा।
यदि परिवार पलायनकर्ता है अर्थात दो माह से अधिक ग्राम से बाहर रोज़गार हेतुजाता हैं एवं बच्चों को साथ लेकरजाता हैं तो ऐसी स्थिति में पलायनके माह का विवरण लिखें |अगर परिवार बीपीएल नहीं है तो प्रपत्र मे अंकित करें। जांच होने के बाद परिवार को बीपीएल सूची से हटाने की कार्यवाही  संबंधित कार्यालय द्वारा की जाएगी।
बी.पी.एल - यदि परिवार बी.पी.एल(BPL) है तो उसके राशन कार्ड/पात्रता पर्ची/अन्य अधिकारिक रिकॉर्ड से उसके पुष्टि कर जानकारी अंकित करें ।
जाति - जाति वर्ग की जानकारी भरने के विकल्प– SC,ST, OBC, GEN है| यदि ST है तो बैगा, भारिया, सहरिया अथवा गैर PTG की जानकारी प्राप्त कर लें इसकी पुष्टि
अनुविभागीय अधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र/अधिकारिक रिकॉर्ड से करें|
धर्म – धर्म भरने के विकल्प: हिन्दू ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई , बौध , पारसी , जैन , अन्य।
मातृभाषा - मातृभाषा भरने के विकल्प : हिंदी, मराठी, संस्कृत, सिंधी, उर्दू, अंग्रेजी, अन्य।
व्यवसाय - व्यवसाय भरने के विकल्प – म.प्र भवन एवं संनिर्माण कर्मकार, किसान, मंदी हम्माल तुलावटी,
मृत/अपंग/सेवानिवृत शासकीय कर्मचारी, सरकारी सेवा, निजी सेवा, व्यापार, मजदूरी, अन्य |
कुल सदस्य - परिवार में कुलसदस्यों की संख्या अंकित करें |
नए सदस्य - नए सदस्य जो की जोड़े जाने हैं उनकी संख्या इस  में दर्ज करें |
यदि किसी नाम या पते आदि में वर्तनी(स्पेलिंग) में कोई त्रुटी हो तो उसे लाल स्याही से गोला लगा कर अंकित करें। इस जानकारी के आधार पर पोर्टल पर संशोधन किया जायेगा।
यदि बच्चों की सूची में नया नाम जोड़ना हो तो उसे लाल पेन से नीचे दिए गए स्थान में जानकारी अंकित करें |
आधार क्र. - यह जानकारी परिवार से आधार कार्ड प्राप्त कर 12 अंकों का आधार क्र.अंकित करें |
कक्षा - यदि बच्चा शाला में अध्यनरत है तो उसकी कक्षा लिखें |
शाला से सम्बंधित जानकारी के खंड 1 में यदि बच्चा शाला में अध्यनरत है तो (S) लिखें यदि बच्चा आंगनवाड़ी में अध्यनरत है तो (A) लिखें |
शाला से सम्बंधित जानकारी के खंड 2 में यदि बच्चा शाला में अध्यनरत है तो शाला का DISE कोड लिखें और यदि बच्चा आंगनवाड़ी में अध्यनरत है तो आंगनवाड़ी कोड लिखें |
सर्वे करते समय DISE कोड/आंगनवाडी कोड उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में प्रपत्र में शाला/आंगनवाडी का नाम लिख लें तदुपरांत सम्बंधित दल प्रभारी द्वारा जन शिक्षक/ आंगनवाड़ीकार्यकर्ता BRC की सहायता से शाला का DISE कोड खोज कर नाम के साथ प्रपत्र में अंकित करेंगे |
 अगर कोई बच्चा 5 साल से कम आयु का है तो उसके संबंध मे निम्न जानकारी लाल स्याही से प्रपत्र मे DISE/आंगनवाड़ी के कोड के बाद मे आवश्यक रूप से प्रत्येक  बच्चे के बारे मे अंकित की जाए |
 आयु 6 वर्ष या अधिक शाला से बाहर बच्चे की जानकारी- यदि बच्चा शाला से बाहर है एवं उसकी आयु 6 वर्ष या अधिक है तो बच्चे की जानकारी भरने हेतु खंड 1  में बच्चे के शाला से बाहर होने का कारण कोड इस प्रकार भरें |
(1)खेती के काम में या कृषि मजदूरी करना | (2)भाई बहनों या बच्चों की देखभाल | (3)जानवर चराना | (4)परिवार/आर्थिक स्थिति कमजोर | (5)शैक्षिक सुविधाओं का आभाव या अधिक दूरी | (6)सामाजिक सोच जिसके कारण माता पिता विशेषकर लड़कियों की शिक्षा के प्रति उदासीन हैं | (7)बच्चों की निःशक्त्ता या लम्बी बीमारी | (8)शाला का वातावरण अच्छा ना होना | (9)पलायन / लम्बे समय तक गाँव से बाहर रहना | (10)शाला में पढाई न होना | (11)बाल विवाह | (12)शिक्षक का व्यव्हार न होना | (13)अन्य
 शाला से बाहर बच्चे की जानकारी के खंड 2  में यदि बच्चा शाला त्यागी है तथा उसने कक्षा 3 में पढना छोड़ा है तो D3 अंकित करेंगे | यदि बच्चा अप्रवेशी(Never Enrolled) है तो N अंकित करेंगे |
बच्चे की निःशक्तता की जानकारी यदि बच्चा निःशक्त(CWSN) है तो के खंड 1 में निःशक्तता का प्रकार कोड भरें : (1) अन्धता / दृष्टि हीन - VI (2) कम दृष्टि(दृष्टि बाधित)- LV (3) कुष्ठरोग मुक्त (4)श्रवणबाधित/मूक/बधिर - HI (5) चलन निःशक्तता(अस्थिबाधित) - OH (6) मानसिक मंदता - MR (7) मानसिक रुग्णता - MI (8) बहुविकलांगता – MD (9)अधिगम निःशक्तता LD(लर्निंग Disability) सामान्य बच्चों को किसी विशेष कौशल को सीखने में समस्या होना (10)सेरेब्रल पाल्सी (CP - मस्तिष्क से किसी भाग के क्षतिग्रस्त होने से लकवाग्रस्त )  (11) अन्य - OT
 बच्चे की निःशक्तता की जानकारी के खंड 2 में निःशक्त्तता का प्रतिशत भरें | अधिकारिक रिकॉर्ड(चिकित्सा प्रमाण पत्र) से उसके पुष्टि कर जानकारी अंकित करें | यदि बच्चा 40% से कम अर्थात आंशिक रूप से भी विशेष आवश्यकता वाला है तो उसकी जानकारी भी आवश्यक रूप से भरें |
बच्चे की निःशक्तता की जानकारी के खंड 3 में बच्चे को दिए गए उपकरण/सुविधा की जानकारी भरने के कोड निम्न हैं :(1)ट्राई साइकिल (2)व्हीलचेयर (3)कैलीपर (4)क्रेचेज़ (5)करेक्टिव शूज (6)आर्टिफीशियल लिंब (7)श्रवण यन्त्र (8)चश्मा (9) ब्लाइंड स्टिक (10)लो विज़न किट (11)सेरेब्रल पॉलसी चेयर (12)सर्जरी (13)अन्य
 यदि कोई नाम विलोपित किया जाना अर्थात हटाया जाना है तो उसे नीले रंग से काटा जाए | तथा क्रॉस(X) का चिन्ह बनाएं| डुप्लीकेट/मृत/वास्तव में निवास न करने वाले सदस्य को विलोपित करने की कार्यवाही प्रपत्र में ही की जाए| इसको समग्र पोर्टल से हटाने की कार्यवाही पंचायत सचिव/ वार्ड प्रभारी के द्वारा की जाएगी एवं ग्राम/ वार्ड शिक्षा पंजी के अध्यतन की कार्यवाही ग्राम/ वार्ड शिक्षा प्रभारी द्वारा सुनिश्चित की जाएगी|
 यदि किसी परिवार में कोई नए सदस्य को जोड़ा है तो उसका प्रमाणीकरण हेतु कोई एक दस्तावेज (जन्म प्रमाण पत्र/ राशन कार्ड/आधार कार्ड/अंकसूची) आवश्यक रूप से प्राप्त किया जाए | इसको समग्र पोर्टल से जोड़ने की कार्यवाही पंचायत सचिव/वार्ड प्रभारी के माध्यम से दल प्रभारी द्वारा सुनिश्चित करायी जाएगी|
यदि कोई परिवार पूर्णरूपेंण छूटा हुआ है तो समग्र के निर्धारित प्रपत्र पर उस परिवार की जानकारी ली जाएगी | यह प्रपत्र सचिव ग्राम पंचायत द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा |
लेखक अज्ञात वाट्स ऐप पर प्राप्त 

नगरीय निकाय में कार्यरत अध्यापक संवर्ग की पदोन्नति होगी यथाशीघ्र - अजीत जाट जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ नरसिंहपुर


 नगरीय निकाय में कार्यरत अध्यापक संवर्ग की पदोन्नति  होगी यथाशीघ्र - अजीत जाट जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ नरसिंहपुर                      
दिनांक 28 अप्रैल 2016 को राज्य अध्यापक संघ नरसिंहपुर के  प्रतिनिधि मण्डल ने जिलाध्यक्ष श्री अजीत जाट के नेतृत्व में  सी एम ओ नगर पंचायत करेली से नगरीय निकाय में कार्यरत अध्यापक संवर्ग की पदोन्नति के सम्बन्ध में मुलाक़ात कर  चर्चा स्थानीय स्तर की समस्याओं को प्रमुख रूप से उठाते हुए अवगत कराया,  जिसमे 07 दिवस में उक्त पदोन्नति प्रक्रिया पूर्ण करने एवं स्थानीय समस्याओं का त्वरित निराकरण किये जाने सी एम ओ करेली ने आश्वासन दिया। प्रतिनिधि मण्डल में नितिन नारोलिया, अवधेश बजाज ,मुकेश नेमा, युसूफ खान आदि शामिल थे। राज्य अध्यापक संघ नरसिंहपुर के इस प्रयास एवं पहल की राज्य अध्यापक संघ परिवार मध्यप्रदेश प्रसंशा करते हुए श्री अजीत जाट एवं जिला कार्यकारिणी को  आत्मीय बधाई प्रेषित करता है।।  


Thursday, April 28, 2016

कैसे तलाश करें ,कैसे लाभ लें अध्यापक जगत ब्लॉग से और :- सुरेश यादव

साथियो मैं सोशल मिडिया  के माध्यम से आप के समक्ष अध्यापक संवर्ग के विषय में  Rajy Adhyapk Sangh Ratlam  की फेसबूक आईडी  और मेरे वाट्स ऐप नंबर 9926809650 के माध्यम से जानकारियों और सूचनाओं का आदान प्रदान करता रहा हूँ लेकिन इन माध्यमों की अपनी सीमाएं है इस लिए मैंने अध्यापक जगत ब्लॉग बनाया यह सुचनाओ के आदान प्रदान का बहुत ही सशक्त माध्यम है।  आप मेरे इस ब्लॉग पर जाकर अध्यापक संवर्ग से संबंधित आदेश प्राप्त कर सकते है और कई विषय विशेषज्ञ साथियो के लेख भी पढ  सकते है आप इस ब्लॉग को कैसे तालाश करें इस लिए यह लेख लिखा है। आप अपने ब्रॉउजर के अड्रेस बार  में www.adhyapkjagat.blogspot.in टाइप करे में इंजन या google पर जाकर adhyapkjagat टाइप करे इस प्रकार आप को हमारा ब्लॉग उपलब्ध हो जाएगा 

इसके बाद आप ब्लॉग में जाकर किसी भी विषय का चयन कर सकते  है यह विषय हमारे संगठन के पदाधिकारियों के फोटो के निचे ही ही अलग अलग उपलब्ध  हैं। आप विषय का चयन कर के संबंधित विषय पर हमारे लेख या आदेश प्राप्त कर सकते हैं

 आप इस ब्लॉग में हमारी  पाठक संख्या ज्ञात कर सकते है उसके निचे ,आप को ब्लॉग फॉलो करने का संकेत भी नजर आएगा यदि आप भी ब्लॉग संचालित करते है तो आप यन्ही  से हमारे ब्लॉग को फॉलो कर सकते है। आप को इसके बाद फिर से विषय सूचि उपलब्ध होगी।   




ब्लॉग के अंतिम हिस्से में आप को एक बार फिर से विषय सूची  उपलब्ध होगी यंहा पर आप को एक विशेष संकेत उपलब्ध होगा आप हमारे ब्लॉग को अपनी " ई मेल " के माध्यम से भी फॉलो कर सकते है आप को सिर्फ अपनी जीमेल या अन्य ई मेल की आई डी इस स्थान पर लिखनी है और अगले स्टेप का पालन करना है दो स्टेप के बाद आप हमारे हर अपडेट को या लेख को या आदेशों को अपने मोबाईल पर सीधे प्राप्त कर सखेंगे। धन्यवाद 




सुरेश यादव कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ रतलाम 9926809650 

Wednesday, April 27, 2016

निशक्त अध्यापक संवर्ग को वाहन भत्ता दिए जाने के सम्बन्ध 29 अक्टूबर 2009

निशक्त अध्यापक संवर्ग को वाहन भत्ता दिए जाने के सम्बन्ध   में  लोकशिक्षण संचलनालय का आदेश दिनाक 29 अक्टूबर 2009 
आदेश के लिए इस लिंक को ओपन करें

गणना पत्रक को लेकर अध्यापक समाज में इतनी व्याकुलता क्यों ? :- सुरेश यादव

गणना पत्रक को लेकर अध्यापक समाज में इतनी व्याकुलता क्यों ? गणना पत्रक जारी करना न करना सरकार की जिम्मेदारी है । अध्यापक संगठनो की जिम्मेदारी उसके बाद प्रारंभ होगी। आदेश का विश्लेषण करे,यदि कमी हो तो सुधार कराये ।आप को जानकारी होगी  की 25 फरवरी 2016 को, 1 जनवरी 2016 से वेतनमान प्रदान करने का आदेश जारी कर दिया गया है ।आदेश में स्पष्ठ है की जनवरी से मार्च तक का एरियर वित्त वर्ष 2016-17 में कभी भी और अप्रैल का वेतन मई से नगद भुगतान किया जाएगा । इस से स्पष्ठ होता  है की अप्रैल के बाद जब भी वेतन मिलेगा अप्रैल के वेतन का अंतर, नगद लाभ के रूप में  वेतन के साथ मिलेगा । अर्थात नगद लाभ 1 जनवरी 2016 से मिलना तय है । फिर इस विषय को लेकर व्याकुलता का कोई प्रश्न नहीं बनता । साथ ही सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक का न्यूनतम वेतन भी चिंता का विषय है ,सरकार यह नहीं देती है तो क्रमोन्नति - पदोन्नति  में तो अगले पद का वेतन देना ही होगा ,इस प्रकार एक और  विसंगति उत्पन्न होगी ,साथियो  शासन ने 25 फरवरी के आदेश में 6 टा वेतन मान देने का  कहा है,अर्थात 6 टे वेतन मान  के समस्त आदेश निर्देश का  पालन होगा  इस लिए में इस विषय पर 50-50 % का मत रखता  हूँ । 

  अध्यापक संवर्ग को  नविन वेतन मान का आदेश जारी होने के बाद गणना पत्रक में विलम्ब की समस्त जिम्मेदारी सरकार की है।  हमारे साथी अन्य व्यक्ति या संगठनों को जिम्मेदार ठहरा रहे है क्या यह उचित है ? साथियो अब  गणना  पत्रक  आ भी  जाए तब भी हमें नया वेतन मिलने में निश्चित रूप से लम्बा समय लगने वाला है क्योंकि  केबिनेट की जो संक्षेपिका लिक हुई थी उसमे  उल्लेख था की अब वेतन निर्धारण पत्रक सम्परीक्षा निधि कार्यालय जाएंगे ।  इस पूरी प्रक्रिया में लम्बा समय भी लगना तय है क्योकि यह कार्यालय संभागीय मुख्यालय पर होता है ,और एक संभाग में कितने DDO है आप कल्पना कीजिये।  
        आप सभी की चिंताओं के बारे में तो मेने अपनी  राय रख दी है लेकिन  मेरी फ़िक्र इस विषय को लेकर है  की  सेवा पुस्तिका में वेतन निर्धारण कब से किया जाएगा , आज तक जिस दिनाक से कर्मचारीयो को अंतरिम राहत मिलती है सेवा पुस्तिका में वेतन मान भी उसी दिंनाक से परिवर्तित होता है। इस बार भी ऐसा ही होना चाहिए ,यदि यह नहीं होता है तो हम ठगे जाएंगे और ठग होगी  सरकार , 2013 की अंतरिम राहत के आदेश अनुसार वेतन मान की गणना 1 अप्रैल  2007 की स्थिति से की जाना चाहिए। इसके साथ ही वेतन निर्धारण पत्रक सम्परीक्षा निधि कार्यालय जाएंगे  तो सभी का वेतन समान हो जाएगा । 

     असमान वेतन के कुछ प्रकरण या कारण  मेरे समक्ष आये है वे इस प्रकार हैं :-
( 1 ) परिवीक्षा अवधि की वेतन वृद्धि :- शासन उच्च न्यायालय के इस  निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायलय तक गया,अंत में न्यायालय  ने 2007 में वेतन वृद्धि में कटौती का कहा लेकिन 1998 से 2007 तक वसूली  नहीं करने के आदेश दिए , 2007 से समान स्थिति  करने के आदेश दिए परन्तु कुछ साथि 2007 के पश्चात भी इस वेतन में इसका लाभ ले रहे है।
( 2 ) स्वयं के व्यय पर डीएड / बीएड :-  स्वयं के व्यय पर डीएड / बीएड करने पर  कई साथी वेतन वृद्धि प्राप्त कर रहे है जबकि शासन  ने इस मामले पर रोक लगा  दी है। 

( 3 ) 2001 से वेतनमान की गणना :- 2001 से वेतनमान की गणना इस मामले में भी कई जगह पर अध्यापक साथियो ने लाभ ले लिया है परन्तु शासन ने इस पर भी रोक लगा दी है ।

( 4 ) गुरूजी को 1998 से शिक्षा कर्मी के समान वेतन मान :- गुरूजी को 1998 से शिक्षा कर्मी के समान वेतनमान इस मामले में भी न्यायलय ने अभ्यवें का निराकरण करने का आदेश   दिया गया  था परन्तु कई साथी इसका लाभ ले  चुके है सरकार द्वारा अपील की जा चुकी है और भुगतान रोक दि गयी है ।

( 5 ) संविदा शिक्षक को 3 वर्ष की एक वेतन वृद्धि :-  संविदा शिक्षक को 3 वर्ष की एक वेतन वृद्धि देने को लेकर एक फर्जी आदेश भी जारी हुआ था जीस पर प्रकरण  दर्ज है ,कुछ साथी न्यायलय भी गए सरकार ने देने से इंकार किया है । 

( 6 ) संविदा शिक्षक को देर से प्रशिक्षण प्राप्त करने पर भी 3 वर्ष बाद से अध्यापक  संवर्ग का वेतन :- कई जिलोन में  2006 व 2007  और उसके पश्चात  संविदा शाळा शिक्षकों को निर्धारित समय पश्चात प्रशिक्षण प्राप्त करने पर भी 3 वर्ष की सेवा उपरांत अध्यापक संवर्ग में सम्मिलित किया गया है ,जबकी यह आदेश सिर्फ वर्ष 2001 और 2003 में नियुक्त संविदा शिक्षकों के ही था की वे जुलाई 2011 तक प्रशिक्षण प्राप्त करते है तब भी उन्हें 1 अप्रैल 2007 से अध्यापक संवर्ग में माना  जाएगा और वेतन  प्रदान किया जाएगा। 
    


 मित्रो अभी भी कई साथियो ने इस प्रकार के आदेशो का लाभ लेकर ,वेतन प्राप्त किया है और लाभ ले रहे हैं ।परंतु आगामी वेतन निर्धारण के आदेश में स्पष्ठ उल्लेख है की ,हर अध्यापक का वेतन निर्धारण ,"संपरीक्षा निधि कार्यालय" तक जायेगा । अब तय है की वेतन एक समान  किया जाएगा ।में नहीं कह सकता की इस असमान वेतन की वसूली होगी या नहीं होगी लेकिन ,भविष्य में सभी अध्यापको का वेतन जरूर सामान हो जाएगा ।

साथियो इस लिए साथियो अपनी ऊर्जा को बचाएँ रखें असली लड़ाई तो गणना पत्रक जारी बाद  प्रारम्भ होगी । 
सुरेश यादव  ,कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ  
जिला रतलाम



      

Monday, April 25, 2016

मुख्यमंत्री शिवराज सिहं की घोषणा की वह अब सिर्फ और सिर्फ ढ़ोंग नजर आ रहा है:- डी के सिंगौर

     मुख्यमंत्री शिवराज सिहं  ने 24 दिसम्बर 2015 को मुम्बई से जिस अनोखे अंदाज और संवेदनशीलता दिखाते हुये अध्यापकों को छठवें वेतनमान का लाभ दिये जाने की घोषणा की वह अब सिर्फ और सिर्फ ढ़ोंग नजर आ रहा है।
     मुख्यमंत्री ने अपने पिताश्री की बीमारी के चलते नाटकीय ढंग से घोषणा करके अपने आप को बेहद संवेदनशील और अध्यापकों के प्रति सहानुभूति रखने वाला जता कर तत्काल में खुश करने की सफल कोशिश की लेकिन अब मुख्यमंत्री, मंत्री और अधिकारी सबकी चतुराई ही सामने आ रही है। अध्यापकों की उम्मीद से अच्छा देने की बात करके अध्यापक की हड़ताल रूकवा दी और दिया तो क्या, 2016 से छठंवा वेतनमान, जबकि अध्यापक मांग रहे थे 2015 से पूरा छठवां वेतनमान।
यही वेतनमान यदि 1 माह पहले दे देते तो कितना और बजट बढ़ जाता पर अध्यापकों की बात तो रह जाती। अध्यापकों ने फिर भी संतोष कर लिया, 1 जनवरी 2016 से छठवें वेतनमान का लाभ दिये जाने का 2 लाइन का आदेश देने में सरकार के अधिकारियों ने 2 माह लगा दिया वो भी अध्यापकों के हल्ला मचाने और सड़क में उतरने के बाद। एक कल्याणकारी राज्य की एक कल्याणकारी सरकार को क्या यह शोभा देता है कि वह अपने ही कर्मचारियों और खासकर शिक्षा जैसे उत्कृष्ट कार्य में लगे अध्यापकों के साथ छल करे।
   
  2013 की हड़ताल में यह करार हुआ था कि शिक्षक के समान पूरा वेतन 2016 में दिया जायेगा और नोटशीट भी बनी पर जब आर्डर जारी किया तो 2016 की जगह 2017 कर दिया। अब अध्यापकों ने 2017 की जगह 2015 में छठवां वेतनमान दिये जाने की मांग करके सरकार के सामने गुनाह कर लिया, जो 2017 में समायोजन के नियमों को ही बदल डाला। जो कि केबिनेट की संक्षेपिका से साफ उजागर हो गया कि लाभ देने की बजाय नेता और अधिकारियों ने अध्यापकों के साथ छल और चतुराई दिखाई है।
अध्यापक 2013 से छठवां वेतनमान की आस लगाये थे उस पर पानी फिर गया। अध्यापक मन मसोस कर रह गया, कहने को तो दर्जन भर अध्यापकों के संगठन हैं पर किसी ने भी अधिकारियों से अंतरिम राहत की परिभाषा नहीं पूछी। ये भी नहीं पूछा कि 2013 से 2015 तक जो दिया क्या वो छठवें वेतनमान का हिस्सा नहीं था। यदि नहीं था तो जो दिया वो पूरा वसूलते क्यों नहीं और यदि है तो 2013 से ही छठंवा वेतनमान क्यों नहीं देते। अब तक अंतरिम राहत कर्मचारियों को कब कब दी गई और उसका समायोजन अध्यापकों जैसा ही किया क्या कई संगठनों की चक्की में पिसता अध्यापक इस पर भी संतोष करके अब आगे बात चला दी कि 1 जनवरी 16 से ही सही पर विसंगति रहित गणना पत्रक ही जारी कर दिया जाये।

    अब गणना पत्रक के लिये अध्यापक सड़को पर हैं। जनता भी सोचती है अजीब संवर्ग बनाया है सरकार ने, जब से भर्ती हुये हैं जब देखो तब सड़को पर ही दिखाई देते हैं कभी वेतन बढ़ाने के लिये तो कभी वेतन पाने के लिये। सरकार देती 1 बार है और ढिढ़ोरा पीटती 10 बार है, जनता तो सोचती है दसों बार अध्यापकों को कुछ मिला। जब सरकार ने 2013 में शिक्षक के समान वेतन देने का नियम बना लिया तो फिर देती क्यों नहीं, जब छठवें वेतनमान का नगद लाभ अप्रैल 2016 से देने का आदेश कर दिया और अप्रैल माह खत्म होने को है तो अध्यापकों की चिंता जायज है। गणना पत्रक में लेट लतीफी सब सरकार के कूटनीतिज्ञ नेता और अधिकारियोें की चाल है जिससे एक तो अध्यापक संगठन आपस में लडे और कमजोर पडे़ और दूसरा अध्यापक इतने हताश हो जायें कि कहने लग जाये जो देना हो दे दो पर दे दो।
तीन साल से बेहिसाब वेतन विसंगति की मार झेल रहे अध्यापक अबकी बार विसंगति रहित आदेश ही चाहते हैं। सरकार के कूटनीतिज्ञ नेता और अधिकारियों को भी यही सलाह है, कि विसंगति रहित आदेश ही जारी कराया जाये। यदि 2013 के चार किस्तों के आदेश में यदि बड़ी विसगंतियां न रही होती तो 2017 तक तो कम से कम कोई आंदोलन खड़ा नहीं होता। वास्तव में विसंगति को लेकर ही अध्यापकों में आक्रोश पनपा, यदि फिर विसंगति रही तो अध्यापकों को एक बार फिर सड़कों में आने से कोई नहीं रोक सकता। यदि ऐसा हुआ तो फिर सरकार का दिया न दिया सब बराबर हो जायेगा। सरकार गौर करे कि विसंगति रहित आदेश में अध्यापक क्या चाहते हैं, बस यही कि सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापकों के प्रारभ्भिक वेतन की गणना क्रमशः 7440 और 10230 से हो, क्रमोन्नत और पदोन्नत अध्यापकों को न्याय मिले, वेतनमान के निर्धारण में वरिष्ठता का ध्यान हो।
इनमें कौन सी मांग नाजायज है। जो शिक्षकों के लिये है वहीं तो अध्यापक मांग रहे हैं। यहां पर अध्यापक संगठन जरूर एक गलती कर रहे हैं, मांग की जा रही है कि विसंगति रहित गणना पत्रक जारी किया जाये, अब जिसे हम अध्यापक विसंगति मानते हैं उसे सरकार नहीं मानती तो उसका क्या। सरकार तो अपने हर आदेश को विसंगति रहित ही मानती है तभी तो वो जारी होता है। गलती यह है कि किसी संगठन ने सार्वजनिक ढंग से ये मांग नहीं रखी कि गणना पत्रक जारी करने से पहले उसका अवलोकन कराया जाये ऐसी मांग संगठन का अधिकार भी है और इस मांग को मानना प्रजातांत्रिक सरकार का दायित्व भी है। अब चिंता की बात यह है कि समान कार्य समान वेतन के लिये ढाई हजार करोड़ का हिसाब बताने वाले अधिकारी और मंत्री सवा सौ करोड़ में कैसे शिक्षकों के समान वेतन देते हैं। डी के सिंगौर 
लेखक राज्य अध्यापक संघ के मंडला जिलाध्यक्ष हैं।

परमार्थ निकेतन एवं गंगा एक्शन परिवार का "शिक्षा क्रान्ति महाकुंभ" 5 मई को उज्जैन में

      परमार्थ निकेतन एवं गंगा एक्शन परिवार का "शिक्षा क्रान्ति महाकुंभ" 5 मई को उज्जैन में , स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज , सत्य मित्रानंद जी महाराज हरिद्वार , श्रीमती स्मृति ईरानी ,  श्री शिवराज सिंह चौहान  भी  आमंत्रित।   

     राज्य अध्यापक संघ मध्यप्रदेश की "शिक्षा क्रान्ति यात्रा" से प्रभावित् होकर देश के   संत , मनीषियों एवं महात्माओं ने सिंहस्थ के दौरान "शिक्षा क्रान्ति महाकुम्भ" पवित्र नगरी उज्जैन में आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह  "शिक्षा क्रान्ति महाकुम्भ " परमार्थ निकेतन एवं गंगा एक्शन परिवार के  स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा आयोजित किया गया है।  

"शिक्षा क्रान्ति महाकुम्भ "

 स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज , सत्य मित्रानंद जी महाराज  पूर्व शंकराचार्य, भारत माता मंदिर हरिद्वार ,माननीय श्रीमती स्मृति ईरानी  केंद्रीय मंत्री,  मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली  ,मान. श्री शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री , म.प्र. शासन भोपाल भी इस अवसर पर आमंत्रित किये गए है। 
              कार्यक्रम के प्रमुख सूत्रधार आचार्य डॉ. देवेंद्र जी शास्त्री श्री गजराज जी सिसोदिया हैं एवं   संपर्क सूत्र -  श्री जगदीश जी यादव   प्रांताध्यक्ष, राज्य अध्या. संघ म.प्र हैं। 
              "शिक्षा क्रान्ति महाकुम्भ "संत एवं माननीय अतिथियों की गरिमामय उपस्थिति में संपन्न होने जा रहा है। उक्त कार्यक्रम में पूरे दिन शिक्षा को लेकर देश के प्रमुख शिक्षाविदों एवं राज्य अध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश जी यादव, प्रांतीय महासचिव श्री दर्शन जी चौधरी सहित संघ के प्रमुख प्रदेश पदाधिकारियों द्वारा अपने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत करते हुए चिंतन किया जाएगा।
              इसी दौरान राज्य अध्यापक संघ म.प्र. द्वारा अध्यापक संवर्ग की प्रमुख समस्याओं सहित अनुकम्पा नियुक्ति में डी. एड./बी.एड.की शिथिलता संबंधी प्रावधान  एवं नियमित कर्मचारियों के समान पेंशन प्रदाय किये जाने की मांग करते  हुए समस्याएं यथाशीघ्र निराकृत किये जाने हेतु मांग की जायेगी। इसके पूर्व भी प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश यादव द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति एवं पेंशन के सम्बन्ध में पत्र प्रेषित करते हुए माननीय केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी जी से निवेदन कर प्रयास किये गए हैं।
       प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश यादव एवं समस्त प्रदेश कार्यकारिणीे रा.अ.सं. म.प्र. ने प्रदेश के समस्त अध्यापक, संविदा शिक्षक व गुरूजी भाई बहिनों का आहवान करते हुए "शिक्षा क्रान्ति महाकुम्भ" में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थिति प्रदान कर अपनी मांगों के निराकरण में सहभागिता के साथ कार्यक्रम को सफल बनाने एवं महाकुम्भ में धार्मिक संत समागम का पुण्य लाभ प्राप्त करने की अपील की है।

 
स्थान-  सिंहस्थ महाकुम्भ 
  राम राज्य गौशाला के पीछे, बड़नगर रोड उज्जैन.                              
  समय - प्रातः 11 बजे से   शाम 5 बजे तक





Sunday, April 24, 2016

भारत में दोयम दर्जे की शिक्षा प्रणाली बन्द होकर समान शिक्षा प्रणाली लागु हो -- एच एन नरवरिया

भारत में दोयम दर्जे की शिक्षा प्रणाली बन्द होकर समान शिक्षा प्रणाली लागु हो -- एच एन नरवरिया
    एक तरह के विद्यालय ,

                एक तरह के शिक्षक ,

                      एक तरह का पाठ्यक्रम हों

साथियो, जैसा की हम की हम जानते है भारत में जो शिक्षा नीति है वो बहुत ही दोषपूर्ण है
जिसमे अधिकारी के बच्चे अधिकारी , किसान मजदूर का बच्चा किसान मजदूर बनाने का षड्यंत्र किया जा रहा है ।
आज भारत में तीन तरह की शिक्षा प्रणाली है

आई सी इस सी ई बोर्ड
सी बी एस सी ई बोर्ड
और स्टेट बोर्ड
     हम देखते है जब बच्चे 15 वर्षो तक शिक्षा ग्रहण करते है तो एक बच्चा अंतरार्ष्ट्रीय स्तर का एक राष्ट्रीय स्तर का , और एक प्रदेश स्तर पर तैयार होता है जबकि 15 वर्ष का समय तीनो कोर्सो में लगता है । आई सी एस सी ई और , सी बी एस सी ई की संस्थाये लगभग 5% मात्र है जो महानगर और जिला स्तर पर है इनमे अधिकारियो, उद्योग पतियों जनप्रतिनिधि और सम्पन्न वर्ग के ही बच्चे पढ़ते है । और आगे चलकर ही इनके बच्चे ही डॉक्टर इंजीयर अधकारी, व्यवसायी, बनते है।
जबकि स्टेट बोर्ड के पढ़ने वाले बच्चे कर्मचारी और चपरासी बन पाते है ये संस्थाये 95 % ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित है 50% शाशन द्वारा और 45% प्राइवेट स्कूलो के माध्यम से स्थापित है इन संस्थाओ में पड़ने वाले बच्चे सिर्फ साक्षर होते है पास होते है और किसी भी क्षेत्र में योग्य नही माने जाते है ।
देश जब आजाद हुआ था तब 5 वीं पास बच्चे को भी देश भर का ज्ञान हो जाता था।
क्योंकि उस समय अधिकारी उद्योगपतियों और मजदूर के बच्चे एक सात पढ़ते थे उसी समय के पढ़े लिखे लोग आज हर क्षेत्र में नोकरी व्यवसाय, राजनीति में आगे नजर आते है और समाज उन्नति की और बढ़ ही रहा था तो शाशन सत्ता में बेठे लोगो ने सोचा यदि ये समान शिक्षा का सिलसिला ऐसा ही चलता रहा तो हमारी सत्ता एक दिन खत्म हो जायेगी , उन्होंने इस दूरगामी सोच को रखते हुए ग्रामीण गरीब माध्यम वर्गीय बचो को शिक्षा से वंचित करना का सडयंत्र रचा और शिक्षा का निजीकरण के तहत सामान शिक्षा प्रणाली को नेस्तनाबूत कर डाला , और शिक्षको को विभिन्न कार्यो में उलझा दिया गया  और उनका किस  प्रकार से शोषण किया जा सके वो सब किया गया जो उदाहरण के रूप में पैरा टीचर , शिक्षामित्र, शिक्षाकर्मी, संविदा शिक्षक, गुरूजी, अतिथि शिक्षको के नाम से कई प्रजाति का निर्माण कर उनको दी जानी वाली सुख सुविधाओ वेतन भत्तो में कटौती कर दी है , इस कारण आज भी ये वर्ग आंदोलित है ।
   आज सरकारी विद्यालयो में ड्रेस , मिड डे मील,स्कॉलर शिप, फीस किताबे सब दिया जा रहा पर शिक्षा नही दी जा रही है । गरीब किसान मजदूर का बच्चा इन स्कूलो में पड़ा कर अनपढ़ बना रहा है और मध्यम वर्गीय समाज अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के नाम पर  कमाई का 30 % हिस्सा इसमें खर्च कर रहा है । फिर भी उनके बच्चे शिक्षित नही हो पा रहे है , शाशन की गलत नीतियों के कारण आज शिक्षा माफिया माध्यम वर्गीय समाज को नोच नोच कर लूट रहे है और बच्चों को उनके लायक भी नही बना पा रहा है।
    इसलिए हम चाहते है की इन समस्याओ से मुक्ति पाना है तो ये उपाय कारगर होंगे औरभारतीय संबिधान अनुसार  समान अवसर प्राप्त  हो सकेंगे ।

"सभी निजी और सरकारी स्कूलो का राष्ट्रीय करण कर दिया जाये ।
एक शिक्षा बोर्ड हो
एक तरह का पाठ्यक्रम हो
और एक तरह के शिक्षक हो।"

और जनप्रतिनिधि (नेता )अधिकारी जो साशन के मद से 1 रु भी प्राप्त करता है तो उसके बच्चे को अनिवार्यतः सरकारी विद्यालयों में पढ़ाये तभी ये ववस्था में सुधार हो पायेगा , अगर ये नही कर सकते तो तो सभी अपने पदों से मुक्त हो जाये ,

    "साथियो इन सासकीय पदों में रहने वाले लोगों को साशन की सभी सुविधाये चाहिए , वाहन, आवास, चिकित्सा , खाना , साशन की और से वेतन भत्ते और रिटायर मेंट के बाद पेंशन चाहिए , पर शाशन द्वारा संचालित स्कूलो में इनके बच्चों को शिक्षा क्यों नही चाहिए?"

राष्ट्पति की हो चपरासी की संतान ।

              सबकी शिक्षा एक सामान ।।

                   एच एन नरवरिया
लेखक राज्य अध्यापक संघ की आई टी सेल के सदस्य है और मिडिया प्रभारी है ।
यह लेखक के निजी विचार है ।
                              

नविन पेंशन प्रणाली के संबंध में लगाई गयी आर टी आई :- सुरेश यादव

नविन पेंशन प्रणाली के संबंध में लगाई गयी आर टी आई :- सुरेश यादव 




Saturday, April 23, 2016

अध्यापक संवर्ग को से अंतरिम राहत की चार वार्षिक किश्तों मे से द्वितीय किश्त के भुगतान की स्वीकृति (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) दिनाक 04/02/2015

अध्यापक संवर्ग को दिनांक 01-09-2013 से अंतरिम राहत की चार वार्षिक किश्तों मे से द्वितीय  किश्त के भुगतान की स्वीकृति   (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) दिनाक 04/02/2015

 आदेश के लिए दी गयी लिंक को ओपन करें

अध्यापक संवर्ग को अंतरिम राहत की चार वार्षिक किश्तों मे से तृतीय किश्त के भुगतान की (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) दिनाक 25/02/2016

अध्यापक संवर्ग को दिनांक 01-09-2013 से अंतरिम राहत की चार वार्षिक किश्तों मे से तृतीय किश्त के भुगतान की स्वीकृति   (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) दिनाक 25/02/2016 

आदेश के लिए निचे दी गयी लिंक को ओपन करें

अध्यापक संवर्ग को दिनांक 01.01.2016 से छठवां वेतनमान स्वीकृत किए जाने बाबत (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) दिनाक 25/02/2016

अध्यापक संवर्ग को आदेश दिनांक 04.09.2013 के अनुक्रम में राज्य शासन द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार अध्यापक संवर्ग को दिनांक 01.01.2016 से निम्नानुसार छठवां वेतनमान स्वीकृत किया जाता है
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मार्गदर्शन दिनांक 7 जून 2014 निरस्त करने बाबद

अध्‍यापक संवर्ग के वेतन का अलग-अलग गणना से भुगतान एवं अंतरि‍म राहत कि‍श्‍त में भी अलग-अलग सेवा गणना के संबंध में मार्गदर्शन दिनांक 7 जून 2014 निरस्त करने बाबद 
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अंतरिम राहत के निर्धारण के लिए स्प्ष्टीकरण (पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग) 20/10/2014

दि‍नांक 01-04-2013 से अध्‍यापक संवर्ग को दि‍ए गए वेतन बैण्‍ड एवं संवर्ग वेतन तथा दि‍नांक 01-08-2013 से चार वार्षिक कि‍श्‍तों में अंतरि‍म राहत के अंतर्गत वेतन नि‍यमन।
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अध्‍यापक संवर्ग को दि‍नांक 01-09-2014 से अंतरि‍त राहत ( पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ) द्वि‍तीय कि‍श्‍त के भुगतान की स्‍वीकृति‍ बाबत।

अध्‍यापक संवर्ग को दि‍नांक 01-09-2013 से अंतरि‍त राहत की चार वार्षिक कि‍श्‍तों में से प्रथम कि‍श्‍त के उपरांत द्वि‍तीय कि‍श्‍त के भुगतान की स्‍वीकृति‍ बाबत।

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संवि‍दा शाला शि‍क्षकों के मासि‍क संवि‍दा पारि‍श्रमि‍क में वृद्धि‍ करने के संबंध में 27/07/2011

संवि‍दा शाला शि‍क्षकों के मासि‍क संवि‍दा पारि‍श्रमि‍क में वृद्धि‍ करने के संबंध में 27/07/2011 
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संवि‍दा शाला शि‍क्षकों के मासि‍क संवि‍दा पारि‍श्रमि‍क में वृद्धि‍ करने के संबंध में 03/09/2011

संवि‍दा शाला शि‍क्षकों के मासि‍क संवि‍दा पारि‍श्रमि‍क में वृद्धि‍ करने के संबंध में 03/09/2011 आदेश प्राप्त करने के लिए इस लिंक को ओपन करें

अध्‍यापक संवर्ग को संशोधि‍त वेतनमान (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) 21/02/2013


अध्‍यापक संवर्ग को संशोधि‍त वेतनमान (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) 21/02/2013 
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अध्यापक संवर्ग के क्रमोन्‍नि‍त संवर्ग वेतन में संशोधन के संबंध में (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) 03/10/2013

अध्यापक संवर्ग के क्रमोन्‍नि‍त संवर्ग वेतन में संशोधन के संबंध में (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग )  03/10/2013
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अध्यापक संवर्ग की (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) अंतरिम राहत का आदेश 04/09/2013


अध्यापक संवर्ग की वेतन संरचना में परिवर्तन के संबध में (नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ) अंतरिम राहत का आदेश 04/09/2013 



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अध्‍यापक संवर्ग के वेतन एवं अंतरि‍म राहत कि‍श्‍त के संबंध में मार्गदर्शन 07/06/2014

अध्‍यापक संवर्ग के वेतन एवं अंतरि‍म राहत कि‍श्‍त के संबंध में मार्गदर्शन 07/06/2014
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अध्‍यापक संवर्ग के क्रमोन्‍नि‍त वेतन के संबंध में स्कुल शिक्षा विभाग का आदेश 22/07/2010


अध्‍यापक संवर्ग के क्रमोन्‍नि‍त वेतन  के संबंध में स्कुल शिक्षा विभाग का आदेश 22/07/2010


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अध्यापक संवर्ग को दिनांक 01.01.2016 से छठवां वेतनमान स्वीकृत किए जाने बाबत (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 25/02/2016

अध्यापक संवर्ग को दिनांक 01.01.2016 से छठवां वेतनमान स्वीकृत किए जाने बाबत (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 25/02/2016

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अध्‍यापक संवर्ग के क्रमोन्‍नि‍त संवर्ग वेतन में संशोधन के संबंध में (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 03/10/2013


ध्‍यापक संवर्ग के क्रमोन्‍नि‍त संवर्ग वेतन में संशोधन के संबंध में (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 03/10/2013 


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अध्‍यापक संवर्ग की वेतन संरचना में परि‍वर्तन के संबंध में अंतरिम राहत के आदेश (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 04/09/2013

अध्‍यापक संवर्ग की वेतन संरचना में परि‍वर्तन के संबंध में अंतरिम राहत के आदेश (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 04/09/2013
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Friday, April 22, 2016

अध्‍यापक संवर्ग को संशोधि‍त वेतनमान (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) 21/02/2013

अध्‍यापक संवर्ग को संशोधि‍त वेतनमान दि‍ये जाने के संबंध में  (पंचायत एवं ग्रामीण वि‍कास वि‍भाग) का आदेश दिनांक 21/02/2013
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2007 में नया वेतनमान देने हेतु गणना पत्रक 03/09/2008

2007 में नया वेतनमान  देने  हेतु गणना  पत्रक 03/09/2008

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2007 में नया वेतनमान देने का आदेश 28/06/2007





2007 में नया वेतनमान  देने का आदेश 

राज्य अध्यापक संघ के प्रतिनिधि मण्डल ने उच्च अधिकारियो, से मिलकर चर्चा की

राज्य अध्यापक संघ द्वारा पिछले 2 दिनों से लगातार 6वे वेतनमान की गणना पत्रक 【table】& तृतीय आई आर की के किश्त के आर्डर जारी करवाने के लिये लोक शिक्षण संचनालय. प्रमुख सचिव स्कुल शिक्षा विभाग . पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, वित्त विभाग के समस्त उच्च अधिकारियो, से मिलकर चर्चा की । साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय को भी अवगत कराया गया एवं वस्तुस्थित्ति को जानने का प्रयास किया गया, जिसमे श्री मोहंती जी उज्जैन प्रवास पर है सेक्शन से जानकारी मिली की ऊपर स्तर पर कार्यवाही हो रही है, लेकिन आर्डर कब जारी होंगे ये कोई भी संतोष जनक जवाब नही दे पा रहे है, तृतीय आई आर की किश्त के सम्बन्ध में नवागत सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग श्री रमेश थेटे ,से मिले किश्त की फाइल उनके पास प्रस्तुतिकरण हेतु है उन्होंने आवेदन को मार्क कर दिया है और कहा इसको में करवाता हूँ,, गौरतलब है की पिछले दिनों श्री मुरली धर पाटीदार जी & जगदीश यादव जी ,ने भी अधिकारियो से चर्चा की है और आज भी फोन पर सम्बंधित अधिकारियो से चर्चा की और इस हेतु राज्य अध्यापक संघ के प्रतिनिधि मण्डल को शासन से चर्चा हेतु भेजा जिसमे श्री एच एन नरवरिया, मीडिया प्रभारी, श्री शालिक राम चौधरी, वरिष्ट पदा धिकारी , श्री बी एल मालवीय , प्रान्त सचिव, आदि थे । 

   आर्डर जल्दी जारी करवाने लिए माननिय मुख्यमंत्री महोदय से शीघ ही चर्चा की जायेगी, यदि फिर भी आर्डर और गणना पत्रक में विसंगति पायी जाती है तो राज्य अध्यपाक संघ शीघ ही बैठक कर शिक्षा के व्यवसायीकरण  के साथ साथ इस मुद्दे पर आंदोलन का एलान करेगा ।


Thursday, April 21, 2016

शिक्षक की छवि धूमिल करने वाले समाचार पत्रो पर कार्य वाही हो :- राशी राठौर

सरकार की नजर मै शिक्षक से बडा फर्जीवाड़ा करने वाला कोई नही। शिक्षा विभाग मै कार्यरत हर कर्मचारी पर सरकार इस कदर शंका करती है जैसै स्टाम्प घोटाले से लेके व्यापम घोटाले तक सब कुछ शिक्षक ने ही किया हो। सरकार बार बार चना फुटाने खाने वाले बोल के जिन शिक्षको पर आरोप लगाती है उन आरोपो की हकीकत ये है की आज तक शिक्षा विभाग मै कार्यरत इन अध्यापको को शिक्षक कहलाने का भी हक नही दिया सरकार ने। फिर किस मुँह से अध्यापको की निष्ठा पर अंगूली उठायी जाती है ? शिक्षक ना हुआ जैसै किसान का बैल हो गया जिसे उठा के  कटाई, बुआई, बोझ ढोना हर जगह जोत दो।फिर कहो ये बैल कामचोर हो गया है। ग्रीष्मकालीन अवकाश हर बार प्रशिक्षण और अन्य कार्यों की भेंट चढ जाते है। इस बार भारत उदय या वी ई आर की भेंट चढा तो कोई अनोखी बात नही।समाज को लगता है मास्टर से ज्यादा मजे मै कोई नही। किन्तु सच तो मास्टर ही जानते है की उनको कितना आन्नद आ रहा है, बेचारा मास्टर गांव-खेडे मै बैठकर पांच हजार मै रोज घन्टी बजा रहा है। वी ई आर अपडेशन के मामले मै एक समाचार पत्र ने अध्यापक कर्तव्य निष्ठा पर किचड उछाला है। जब शिक्षक राष्टीय कार्यक्रम को अपने उदेश्य तक पहुचा सकते हे , अध्यापक निष्ठा से चुनाव संपन्न करवा सकते है, पोलीयो देश से मिटा सकते है, सही जनगणना कर सकते है तो, वी ई आर मै फर्जी कैसे हो गये ??? संबंधित समाचार पत्र ने निराधार आरोप लगाकर अध्यापक की छबि धूमिल की है। शिक्षकों को सोंपे गये हर कार्य कि मानीटरिंग जनशिक्षक से लेकर , बी आर सी, संकुल प्राचार्य,  बी ईओ, डीईओ, जिला कलेक्टर तक करते है। तो क्या ये माना जाये की इन सभी माननीय की कार्यशैली पर संबंधित समाचार पत्र प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। गुरूओ की निष्ठा पर निराधार आरोप लगाने वालो पर कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।
कु.राशी राठौर देवास
यह लेखिका के निजी विचार हैं, वे  स्वयं संविदा शाला शिक्षक हैं।

नियमो की आड़ में शिक्षक के अवकाश पर केंची:- सुरेश यादव

समाज में यह वातावरण बनाया गया  है की अध्यापन कार्य में लगे शिक्षको/अध्यापको को खूब अवकाश मिलते हैं। लेकिन नियमो में लगातार बदलाव कर के शिक्षको के अवकाश में लगातार काँट छाँट की जा रही है ।
साथियों आप जानते ही है की अध्यापन कार्य में लगे कर्मचारीयो - अधिकारियों  को ही समय समय पर विश्राम दिया जाता है। क्योकि अध्यापन का कार्य मानसिकश्रम  है ,और इस मानसिक कार्य को पूर्ण मनोयोग व कुशलता से करने के लिए अवकाश की आवश्यकता रहती है ।विश्राम की अवधि में अध्यापन कार्य में लगे कर्मचारी ,विश्राम कर के अपने आप को तरोताजा कर सकते हैं । वंही अवकाश की अवधी में कार्य करने पर अनुपातिक अर्जित अवकाश की पात्रता रहती थी ।जो हमारे अवकाश लेखा में दर्ज किये जाते थे ।
इसके अतिरिक्त 2008 तक विश्राम अवकाश संवर्ग के अधिकारियों -कर्मचारियों को 10 वार्षिक अर्जित अवकाश प्रदान किये जाते थे यह 31 मार्च को अवकाश लेखा में दर्ज किये जाते थे ,अब यह सुविधा 30 जून 2008 के आदेश से  समाप्त कर दी गयी है ।कार्यालयीन संवर्ग के अधिकारियो - कर्मचारीयो  10 वार्षिक अर्जित अवकाश अब भी प्रदान किये जा रहे  हैं।
साथियो 30 जून 2008 के वित्त विभाग के  आदेश कारण ग्रीष्म अवकाश 45 दिवस का कर दिया गया ।आम जन में यह भ्रान्ति है की अध्यापन कार्य करने वाले संवर्ग को ग्रीष्मावकाश,दीपावली,दशहरा ,शीतकालीन अवकाश , मिला कर बहुत सारे या 55-60  अवकाश मिलते है ।परन्तु वस्तवकिता यह है की कार्यालयीन संवर्ग और हमारे अवकाश का अंतर सिर्फ 20 का ही रह जाता है ।
साथियों में अपनी बात को दोहराता हूँ ,अब आप स्वयं तय करे की 20 दिवस के अंतर के कारण 10 वार्षिक अर्जित  अवकाश निरस्त करना क्या उचित है ? में यह प्रश्न आप के लिए छोड़ता हूँ । और आगे बढ़ते हुए कल जारी आदेश के विषय पर आता हूँ ,कल डीपीआई से पृष्ठांकित  आदेश में  यह निर्देश है की ,आवकाश संवर्ग के कर्मचारियों को जिलाधीश और विभागाध्यक्ष के आदेश पर रोकने पर ही अर्जित अवकाश की पात्रता रहेगी ।
इस प्रकार एक नया नियम बना कर  अर्जित अवकाश की पत्रता समाप्त कर दी गई । यदि आदेश जिलाधीश और विभागाध्यक्ष (विभागीय आयुक्त )द्वारा जारी नहीं किये जाते । तो विश्राम अवकाश के दौरान काम करने पर अर्जित अवकाश ,अवकाश लेखा में दर्ज नहीं होंगे ।
साथियो आप जानते ही है हम ग्रीष्मावकाश में आयोजित प्रशिक्षण ,सर्वे,जनगणना,मतदाता सूचि का कार्य या अन्य कार्य ,डाइट प्राचार्य,एस डी एम, डी पी सी,डी ई ओ के आदेश पर ही करते है । तो इस आवकाश अवधी में कार्य करने पर अर्जित अवकाश किस प्रकार दर्ज होंगे ,यह बड़ा प्रश्न है ।

साथियो हमारे अवकाश पर लगातार कैची चलती जा रही है तो क्यों न  अध्यापन कार्य में लगे कर्मचारीयो को अब कार्यालयीन संवर्ग ही माना जाए ।
सुरेश यादव कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ रतलाम ।

समान स्कूल प्रणाली एकमात्र विकल्प:-सियाराम पटेल

समान स्कूल प्रणाली एकमात्र विकल्प

देश के सारे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके, इसके लिए यह भी जरुरी है कि देश में कानून बनाकर पड़ोसी स्कूल पर आधारित समान स्कूल प्रणाली लागू की जाए। इसका मतलब यह है कि एक गांव या एक मोहल्ले के सारे बच्चे (अमीर या गरीब, लड़के या लड़की, किसी भी जाति या धर्म के) एक ही स्कूल में पढ़ेंगे। इस स्कूल में कोई फीस नहीं ली जाएगी और सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। यह जिम्मेदारी सरकार की होगी और शिक्षा के सारे खर्च सरकार द्वारा वहन किए जाएंगे। सामान्यत: स्कूल सरकारी होगें, किन्तु फीस न लेने वाले परोपकारी उद्देश्य से (न कि मुनाफा कमाने के उद्देश्य से) चलने वाले कुछ निजी स्कूल भी इसका हिस्सा हो सकते हैं। जब बिना भेदभाव के बड़े-छोटे, अमीर-गरीब परिवारों के बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ेगें तो अपने आप उन स्कूलों की उपेक्षा दूर होगी, उन पर सबका ध्यान होगा और उनका स्तर ऊपर उठेगा। भारत के सारे बच्चों को शिक्षति करने का कोई दूसरा उपाय नहीं है। दुनिया के मौजूदा विकसित देशों में कमोबेश इसी तरह की स्कूल व्यवस्था रही है और इसी तरह से वे सबको शिक्षति बनाने का लक्ष्य हासिल कर पाए हैं। समान स्कूल प्रणाली का प्रावधान किए बगैर शिक्षा अधिकार विधेयक महज एक छलावा है।
इस विधेयक में और कई कमियां हैं। यह सिर्फ 6 से 14 वर्ष की उम्र तक (कक्षा 1 से 8 तक) की शिक्षा का अधिकार देने की बात करता है। इसका मतलब है कि बहुसंख्यक बच्चे कक्षा 8 के बाद शिक्षा से वंचित रह जाएंगे। कक्षा 1 से पहले पू्र्व प्राथमिक शिक्षा भी महत्वपू्र्ण है। उसे अधिकार के दायरे से बाहर रखने का मतलब है सिर्फ साधन संपन्न बच्चों को ही केजी-1, केजी-2  आदि की शिक्षा पाने का अधिकार रहेगा। शुरुआत से ही भेदभाव की नींव इस विधेयक द्वारा डाली जा रही है।
शिक्षा अधिकार विधेयक में निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों का आरक्षण गरीब बच्चों के लिए करने का प्रावधान किया गया है और उनकी ट्यूशन फीस का भुगतान सरकार करेगी। किन्तु महंगे निजी स्कूलों में ट्यूशन फीस के अलावा कई तरह के अन्य शुल्क लिए जाते हैं, क्या उनका भुगतान गरीब परिवार कर सकेगें ? क्या ड्रेस, कापी-किताबों  आदि का भारी खर्च वे उठा पाएंगे ? क्या यह एक ढकोसला नहीं होगा ? फिर क्या इस प्रावधान से गरीब बच्चों की शिक्षा का सवाल हल हो जाएगा ? वर्तमान में देश में स्कूल आयु वर्ग के 19 करोड़ बच्चे हैं। इनमें से लगभग 4 करोड़ निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। मान लिया जाए कि इस विधेयक के पास होने के बाद निजी स्कूलों में और 25 प्रतिशत यानि 1 करोड़ गरीब बच्चों का दाखिला हो जाएगा, तो भी बाकी 14 करोड़ बच्चों का क्या होगा ? इसी प्रकार जब सरकार गरीब प्रतिभाशाली बच्चों के लिए नवोदय विद्यालय, कस्तूरबा कन्या विद्यालय, उत्कृष्ट विद्यालय और अब प्रस्तावित मॉडल स्कूल खोलती है, तो बाकी विशाल संख्या में बच्चे और ज्यादा उपेक्षति हो जाते है। ऐसी हालत में, देश के हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार देने की बात महज एक लफ्फाजी बनकर रह जाती है।  सियाराम पटेल  
लेखक आई टी सेल, राज्य अध्यापक संघ के सदस्य हैं और नरसिंपुर जिले के हैं।