Thursday, April 21, 2016

शिक्षक की छवि धूमिल करने वाले समाचार पत्रो पर कार्य वाही हो :- राशी राठौर

सरकार की नजर मै शिक्षक से बडा फर्जीवाड़ा करने वाला कोई नही। शिक्षा विभाग मै कार्यरत हर कर्मचारी पर सरकार इस कदर शंका करती है जैसै स्टाम्प घोटाले से लेके व्यापम घोटाले तक सब कुछ शिक्षक ने ही किया हो। सरकार बार बार चना फुटाने खाने वाले बोल के जिन शिक्षको पर आरोप लगाती है उन आरोपो की हकीकत ये है की आज तक शिक्षा विभाग मै कार्यरत इन अध्यापको को शिक्षक कहलाने का भी हक नही दिया सरकार ने। फिर किस मुँह से अध्यापको की निष्ठा पर अंगूली उठायी जाती है ? शिक्षक ना हुआ जैसै किसान का बैल हो गया जिसे उठा के  कटाई, बुआई, बोझ ढोना हर जगह जोत दो।फिर कहो ये बैल कामचोर हो गया है। ग्रीष्मकालीन अवकाश हर बार प्रशिक्षण और अन्य कार्यों की भेंट चढ जाते है। इस बार भारत उदय या वी ई आर की भेंट चढा तो कोई अनोखी बात नही।समाज को लगता है मास्टर से ज्यादा मजे मै कोई नही। किन्तु सच तो मास्टर ही जानते है की उनको कितना आन्नद आ रहा है, बेचारा मास्टर गांव-खेडे मै बैठकर पांच हजार मै रोज घन्टी बजा रहा है। वी ई आर अपडेशन के मामले मै एक समाचार पत्र ने अध्यापक कर्तव्य निष्ठा पर किचड उछाला है। जब शिक्षक राष्टीय कार्यक्रम को अपने उदेश्य तक पहुचा सकते हे , अध्यापक निष्ठा से चुनाव संपन्न करवा सकते है, पोलीयो देश से मिटा सकते है, सही जनगणना कर सकते है तो, वी ई आर मै फर्जी कैसे हो गये ??? संबंधित समाचार पत्र ने निराधार आरोप लगाकर अध्यापक की छबि धूमिल की है। शिक्षकों को सोंपे गये हर कार्य कि मानीटरिंग जनशिक्षक से लेकर , बी आर सी, संकुल प्राचार्य,  बी ईओ, डीईओ, जिला कलेक्टर तक करते है। तो क्या ये माना जाये की इन सभी माननीय की कार्यशैली पर संबंधित समाचार पत्र प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। गुरूओ की निष्ठा पर निराधार आरोप लगाने वालो पर कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।
कु.राशी राठौर देवास
यह लेखिका के निजी विचार हैं, वे  स्वयं संविदा शाला शिक्षक हैं।

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Thursday, April 21, 2016

शिक्षक की छवि धूमिल करने वाले समाचार पत्रो पर कार्य वाही हो :- राशी राठौर

सरकार की नजर मै शिक्षक से बडा फर्जीवाड़ा करने वाला कोई नही। शिक्षा विभाग मै कार्यरत हर कर्मचारी पर सरकार इस कदर शंका करती है जैसै स्टाम्प घोटाले से लेके व्यापम घोटाले तक सब कुछ शिक्षक ने ही किया हो। सरकार बार बार चना फुटाने खाने वाले बोल के जिन शिक्षको पर आरोप लगाती है उन आरोपो की हकीकत ये है की आज तक शिक्षा विभाग मै कार्यरत इन अध्यापको को शिक्षक कहलाने का भी हक नही दिया सरकार ने। फिर किस मुँह से अध्यापको की निष्ठा पर अंगूली उठायी जाती है ? शिक्षक ना हुआ जैसै किसान का बैल हो गया जिसे उठा के  कटाई, बुआई, बोझ ढोना हर जगह जोत दो।फिर कहो ये बैल कामचोर हो गया है। ग्रीष्मकालीन अवकाश हर बार प्रशिक्षण और अन्य कार्यों की भेंट चढ जाते है। इस बार भारत उदय या वी ई आर की भेंट चढा तो कोई अनोखी बात नही।समाज को लगता है मास्टर से ज्यादा मजे मै कोई नही। किन्तु सच तो मास्टर ही जानते है की उनको कितना आन्नद आ रहा है, बेचारा मास्टर गांव-खेडे मै बैठकर पांच हजार मै रोज घन्टी बजा रहा है। वी ई आर अपडेशन के मामले मै एक समाचार पत्र ने अध्यापक कर्तव्य निष्ठा पर किचड उछाला है। जब शिक्षक राष्टीय कार्यक्रम को अपने उदेश्य तक पहुचा सकते हे , अध्यापक निष्ठा से चुनाव संपन्न करवा सकते है, पोलीयो देश से मिटा सकते है, सही जनगणना कर सकते है तो, वी ई आर मै फर्जी कैसे हो गये ??? संबंधित समाचार पत्र ने निराधार आरोप लगाकर अध्यापक की छबि धूमिल की है। शिक्षकों को सोंपे गये हर कार्य कि मानीटरिंग जनशिक्षक से लेकर , बी आर सी, संकुल प्राचार्य,  बी ईओ, डीईओ, जिला कलेक्टर तक करते है। तो क्या ये माना जाये की इन सभी माननीय की कार्यशैली पर संबंधित समाचार पत्र प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। गुरूओ की निष्ठा पर निराधार आरोप लगाने वालो पर कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।
कु.राशी राठौर देवास
यह लेखिका के निजी विचार हैं, वे  स्वयं संविदा शाला शिक्षक हैं।

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