Thursday, April 21, 2016

नियमो की आड़ में शिक्षक के अवकाश पर केंची:- सुरेश यादव

समाज में यह वातावरण बनाया गया  है की अध्यापन कार्य में लगे शिक्षको/अध्यापको को खूब अवकाश मिलते हैं। लेकिन नियमो में लगातार बदलाव कर के शिक्षको के अवकाश में लगातार काँट छाँट की जा रही है ।
साथियों आप जानते ही है की अध्यापन कार्य में लगे कर्मचारीयो - अधिकारियों  को ही समय समय पर विश्राम दिया जाता है। क्योकि अध्यापन का कार्य मानसिकश्रम  है ,और इस मानसिक कार्य को पूर्ण मनोयोग व कुशलता से करने के लिए अवकाश की आवश्यकता रहती है ।विश्राम की अवधि में अध्यापन कार्य में लगे कर्मचारी ,विश्राम कर के अपने आप को तरोताजा कर सकते हैं । वंही अवकाश की अवधी में कार्य करने पर अनुपातिक अर्जित अवकाश की पात्रता रहती थी ।जो हमारे अवकाश लेखा में दर्ज किये जाते थे ।
इसके अतिरिक्त 2008 तक विश्राम अवकाश संवर्ग के अधिकारियों -कर्मचारियों को 10 वार्षिक अर्जित अवकाश प्रदान किये जाते थे यह 31 मार्च को अवकाश लेखा में दर्ज किये जाते थे ,अब यह सुविधा 30 जून 2008 के आदेश से  समाप्त कर दी गयी है ।कार्यालयीन संवर्ग के अधिकारियो - कर्मचारीयो  10 वार्षिक अर्जित अवकाश अब भी प्रदान किये जा रहे  हैं।
साथियो 30 जून 2008 के वित्त विभाग के  आदेश कारण ग्रीष्म अवकाश 45 दिवस का कर दिया गया ।आम जन में यह भ्रान्ति है की अध्यापन कार्य करने वाले संवर्ग को ग्रीष्मावकाश,दीपावली,दशहरा ,शीतकालीन अवकाश , मिला कर बहुत सारे या 55-60  अवकाश मिलते है ।परन्तु वस्तवकिता यह है की कार्यालयीन संवर्ग और हमारे अवकाश का अंतर सिर्फ 20 का ही रह जाता है ।
साथियों में अपनी बात को दोहराता हूँ ,अब आप स्वयं तय करे की 20 दिवस के अंतर के कारण 10 वार्षिक अर्जित  अवकाश निरस्त करना क्या उचित है ? में यह प्रश्न आप के लिए छोड़ता हूँ । और आगे बढ़ते हुए कल जारी आदेश के विषय पर आता हूँ ,कल डीपीआई से पृष्ठांकित  आदेश में  यह निर्देश है की ,आवकाश संवर्ग के कर्मचारियों को जिलाधीश और विभागाध्यक्ष के आदेश पर रोकने पर ही अर्जित अवकाश की पात्रता रहेगी ।
इस प्रकार एक नया नियम बना कर  अर्जित अवकाश की पत्रता समाप्त कर दी गई । यदि आदेश जिलाधीश और विभागाध्यक्ष (विभागीय आयुक्त )द्वारा जारी नहीं किये जाते । तो विश्राम अवकाश के दौरान काम करने पर अर्जित अवकाश ,अवकाश लेखा में दर्ज नहीं होंगे ।
साथियो आप जानते ही है हम ग्रीष्मावकाश में आयोजित प्रशिक्षण ,सर्वे,जनगणना,मतदाता सूचि का कार्य या अन्य कार्य ,डाइट प्राचार्य,एस डी एम, डी पी सी,डी ई ओ के आदेश पर ही करते है । तो इस आवकाश अवधी में कार्य करने पर अर्जित अवकाश किस प्रकार दर्ज होंगे ,यह बड़ा प्रश्न है ।

साथियो हमारे अवकाश पर लगातार कैची चलती जा रही है तो क्यों न  अध्यापन कार्य में लगे कर्मचारीयो को अब कार्यालयीन संवर्ग ही माना जाए ।
सुरेश यादव कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ रतलाम ।

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Thursday, April 21, 2016

नियमो की आड़ में शिक्षक के अवकाश पर केंची:- सुरेश यादव

समाज में यह वातावरण बनाया गया  है की अध्यापन कार्य में लगे शिक्षको/अध्यापको को खूब अवकाश मिलते हैं। लेकिन नियमो में लगातार बदलाव कर के शिक्षको के अवकाश में लगातार काँट छाँट की जा रही है ।
साथियों आप जानते ही है की अध्यापन कार्य में लगे कर्मचारीयो - अधिकारियों  को ही समय समय पर विश्राम दिया जाता है। क्योकि अध्यापन का कार्य मानसिकश्रम  है ,और इस मानसिक कार्य को पूर्ण मनोयोग व कुशलता से करने के लिए अवकाश की आवश्यकता रहती है ।विश्राम की अवधि में अध्यापन कार्य में लगे कर्मचारी ,विश्राम कर के अपने आप को तरोताजा कर सकते हैं । वंही अवकाश की अवधी में कार्य करने पर अनुपातिक अर्जित अवकाश की पात्रता रहती थी ।जो हमारे अवकाश लेखा में दर्ज किये जाते थे ।
इसके अतिरिक्त 2008 तक विश्राम अवकाश संवर्ग के अधिकारियों -कर्मचारियों को 10 वार्षिक अर्जित अवकाश प्रदान किये जाते थे यह 31 मार्च को अवकाश लेखा में दर्ज किये जाते थे ,अब यह सुविधा 30 जून 2008 के आदेश से  समाप्त कर दी गयी है ।कार्यालयीन संवर्ग के अधिकारियो - कर्मचारीयो  10 वार्षिक अर्जित अवकाश अब भी प्रदान किये जा रहे  हैं।
साथियो 30 जून 2008 के वित्त विभाग के  आदेश कारण ग्रीष्म अवकाश 45 दिवस का कर दिया गया ।आम जन में यह भ्रान्ति है की अध्यापन कार्य करने वाले संवर्ग को ग्रीष्मावकाश,दीपावली,दशहरा ,शीतकालीन अवकाश , मिला कर बहुत सारे या 55-60  अवकाश मिलते है ।परन्तु वस्तवकिता यह है की कार्यालयीन संवर्ग और हमारे अवकाश का अंतर सिर्फ 20 का ही रह जाता है ।
साथियों में अपनी बात को दोहराता हूँ ,अब आप स्वयं तय करे की 20 दिवस के अंतर के कारण 10 वार्षिक अर्जित  अवकाश निरस्त करना क्या उचित है ? में यह प्रश्न आप के लिए छोड़ता हूँ । और आगे बढ़ते हुए कल जारी आदेश के विषय पर आता हूँ ,कल डीपीआई से पृष्ठांकित  आदेश में  यह निर्देश है की ,आवकाश संवर्ग के कर्मचारियों को जिलाधीश और विभागाध्यक्ष के आदेश पर रोकने पर ही अर्जित अवकाश की पात्रता रहेगी ।
इस प्रकार एक नया नियम बना कर  अर्जित अवकाश की पत्रता समाप्त कर दी गई । यदि आदेश जिलाधीश और विभागाध्यक्ष (विभागीय आयुक्त )द्वारा जारी नहीं किये जाते । तो विश्राम अवकाश के दौरान काम करने पर अर्जित अवकाश ,अवकाश लेखा में दर्ज नहीं होंगे ।
साथियो आप जानते ही है हम ग्रीष्मावकाश में आयोजित प्रशिक्षण ,सर्वे,जनगणना,मतदाता सूचि का कार्य या अन्य कार्य ,डाइट प्राचार्य,एस डी एम, डी पी सी,डी ई ओ के आदेश पर ही करते है । तो इस आवकाश अवधी में कार्य करने पर अर्जित अवकाश किस प्रकार दर्ज होंगे ,यह बड़ा प्रश्न है ।

साथियो हमारे अवकाश पर लगातार कैची चलती जा रही है तो क्यों न  अध्यापन कार्य में लगे कर्मचारीयो को अब कार्यालयीन संवर्ग ही माना जाए ।
सुरेश यादव कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ रतलाम ।

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