शिक्षा और उस से जुड़े संवर्ग की सेवाओं से जुडी जानकारीयां ,आप तक आसानी से पहुंचाने का एक प्रयास है अध्यापक जगत
Thursday, June 30, 2016
M-शिक्षा मित्र अध्यापक संवर्ग के लिए नहीं हैं -सुरेश यादव रतलाम
यदि कोई अधिकारी अध्यापक संवर्ग /संविदा शाळा शिक्षक को मोबाईल पर M शिक्षा मित्र एप लोड करने का कहे तो उन श्रीमान से एक ही प्रश्न करे की ,क्या शिक्षक को मिलने वाला हर लाभ ,अध्यापक को अपने आप प्रदान किया जाता है ?
शासकीय शालाओ मे आहरण संवितरण कार्य के लिये प्रभावशाली की गई नवीन व्यवस्था के क्रियांवयन के सम्बन्ध मे
शासकीय शालाओ मे आहरण संवितरण कार्य के लिये प्रभावशाली की गई नवीन व्यवस्था के क्रियांवयन के सम्बन्ध मे अादेश की पीडीएफ कॉपी प्राप्त करने के लिए इस लिंक को ओपन करें
खत्म होगी आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति
नई दिल्ली। लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने संकेत दे दिए हैं कि नई शिक्षा नीति का स्वरूप कैसा होगा। बुधवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे के अहम बिंदू जारी कर दिए गए। केंद्र सरकार के ट्विटर हैंडल माईगोव इंडिया पर जारी करते हुए हालांकि यह साफ नहीं किया कि बिंदू कैसे तैयार किए गए। पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रह्माण्यम की अध्यक्षता में बनाई गई मसौदा समिति की रिपोर्ट की इसमें कोई चर्चा नहीं है। न ही यह बताया गया कि इसे जारी करने से पहले राज्यों से कोई चर्चा हुई या नहीं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी अहम बिंदू या 'इनपुट' में स्कूलों में छात्रों के सीखने के स्तर पर गंभीर चिंता जताई गई है। इसमें साफ तौर पर कहा गया कि आठवीं तक बच्चों को फेल नहीं करने की मौजूदा नीति को बदला जाएगा क्योंकि इससे छात्रों के अकादमिक प्रदर्शन पर गंभीर असर पड़ा है। इसे पांचवीं तक सीमित किया जाएगा। इसी तरह प्रस्ताव किया गया है कि आइएएस और आइपीएस की तरह शिक्षा व्यवस्था के लिए अलग अखिल भारतीय कैडर तैयार किया जाए जिसका नियंत्रण मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पास हो।
प्रस्ताव किया गया कि सभी राज्य छात्रों को पांचवीं तक की शिक्षा उनकी मातृभाषा अथवा स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में दें। इसी तरह अंग्रेजी के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे दूसरी भाषा का दर्जा देने की सिफारिश की गई है। व्यापक स्तर पर ओपन ऍानलाइन पाठ्यक्रम शुरू करने की जरूरत पर ध्यान देते हुए इस काम के लिए अलग से स्वायत्त संस्थान शुरू करने की सिफारिश की है। स्थानीय और राष्ट्रीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नियमित रूप से ऑनलाइन पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा।
इससे पहले मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रह्माण्यम की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी। मगर उनके अनुरोध के बावजूद एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी ने उनकी रिपोर्ट सार्वजनिक करने से इन्कार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि मसौदा तभी जारी होगा, जब राज्यों से एक बार फिर संपर्क कर लिया जाएगा। हालांकि बुधवार को जारी मसौदे में सुब्रह्माण्यम समिति की अधिकांश सिफारिशें शामिल कर ली गई हैं। मगर इसकी भाषा इस समिति की रिपोर्ट से पूरी तरह से अलग है।
स्त्रोत नईदुनिया
सातवां वेतनमान :- राज्य सरकार जल्द करेगी आयोग का गठन
भोपाल। केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी देने के बाद राज्य सरकार ने भी नए वेतन आयोग के गठन का मन बना लिया है। राज्य सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देने की तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया ने बताया कि केंद्र सरकार से वेतन आयोग की रिपोर्ट मिलते ही आयोग के गठन की कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि मलैया ने आयोग के गठन की समयसीमा नहीं बताई। उन्होंने ये जरूर कहा कि राज्य सरकार भी अपने कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देगी यह तय है। वित्त मंत्री ने कहा कि नीतिगत मामला होने से कैबिनेट में इस पर फैसला किया जाएगा।
जिस तारीख से केंद्र अपने कर्मचारियों को वेतन लाभ देगी, उसी तारीख से राज्य में भी नए वेतनमान का लाभ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक सरगर्मियां खत्म हो जाएं और केंद्र से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें मिल जाएं, इसके बाद एक्सपर्ट के साथ बैठकर सिफारिशों का परीक्षण कर आयोग के गठन का निर्णय लेंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी सूरत में राज्य के कर्मचारियों का नुकसान नहीं होने देंगे।
राज्य के कर्मचारियों को सातवां वेतनमान कब से मिलेगा, यह पूछने पर मलैया ने कहा कि केंद्रीय तिथि से ही दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों को छठवें वेतनमान का लाभ एक जनवरी 2006 से दिया है।
हालांकि इसकी अधिसूचना विधानसभा चुनाव के ठीक पहले 10 सितंबर 2008 को जारी हुई थी। सरकार ने एक सितंबर 2008 से छठां वेतनमान मूल वेतन में जोड़ा था और एक जनवरी 2006 से 31 अगस्त 2008 तक की एरियर्स राशि कर्मचारियों के खातों में जमा कराई थी।
स्त्रोत - नईदुनिया
Wednesday, June 29, 2016
केंद्रीय कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग का लाभ होगा, पढ़ें - क्या हैं आयोग की सिफारिशें
नई दिल्ली: कैबिनेट सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने वेतन आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद बुधवार को अपनी रिपोर्ट वित्तमंत्रालय को सौंप दी ।आइए देखें कि वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में क्या-क्या सिफारिशें की हैं। सूचना एवं प्रसारत मंत्रालय द्वारा 19 नवंबर 2015 को जारी प्रेस विज्ञप्ति में वेतन आयोग की सिफारिशों का जिक्र है।
सलाना 3% वेतन बढ़ाने की सिफारिश
वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी गई वेतन आयोग की रिपोर्ट में मौजूदा कर्मचारियों के मूल वेतन में 16%, भत्तों में 63% और पेंशन में 24% इजाफे की सिफारिश की गई है। न्यायमूर्ति एके माथुर की अगुवाई वाले इस सातवें वेतन आयोग ने सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18 हजार और अधिकतम 2.50 लाख रुपये तय करने की सिफारिश की है। इसके अलावा आयोग ने केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में सालाना तीन फीसदी वृद्धि की भी सिफारिश की है।
सातवें वेतन आयोग को सरकार की ओर से मंजूरी मिल गई है। सैलरी में बढ़ोतरी 20 से 25 फीसदी के बीच होगी। सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा वेतनमान देने की मंजूरी दी है। हममें से कुछ इस बात को लेकर खुश हैं कि उनकी या उनके पारिवारिक सदस्यों की महीनेवार आय में बेतहाशा वृद्धि होने जा रही है, जबकि कुछ इस बाबत रश्क में हैं कि सरकार अपने अंडर में काम करने वाले बाबुओं, अधिकारियों, निदेशकों आदि की सैलरी बेतहाशा बढ़ा देती है। लेकिन, क्या वाकई ये बढ़ोतरी बेतहाशा और बेलगाम होती है? क्या वाकई सरकार के अंडर में काम करने वाला हरेक कर्मी अब रुपयों के ढेर पर बैठा होगा? जबकि, गैर सरकारी कर्मी सालाना मुद्रास्फीति और नौकरी की असुरक्षा के तहत मरता-पिसता रहेगा?
यदि आप भी ऐसा ही सोचते रहे हैं.. तो आइए कुछ चीजें समझें जिन पर अक्सर लोग संशय में देखे जाते हैं :
1. किस व्यक्ति की सैलरी कितनी बढ़ेगी, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि वह कितने समय से उस नौकरी में है और किस ग्रेड पर है। साथ ही, जिस ग्रेड में वह है, उसमें वह कब से है कितने सालों से है। जरूरी नहीं है कि किसी एक पद वाले प्रत्येक व्यक्ति की सैलरी एकदम बराबर ही बढ़े। यह उसके नौकरी के टेन्यौर जैसी अन्य कई अहम बातों पर भी निर्भर करता है। यह बढ़ोतरी हरेक के लिए अलग अलग कैलकुलेशन पर होगी।
2. वह व्यक्ति जो सरकारी मकान में रह रहा है, उसकी महीनेवार ड्रॉ होने वाली सैलरी में होने वाला इजाफा उस व्यक्ति की तुलना में कम होगा जोकि सरकारी मकान में नहीं रह रहा है। सरकारी मकान सैलरी पर असर एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस के चलते पड़ेगा। जिस व्यक्ति ने रहने के लिए सरकार से हाउस लिया हुआ है जाहिर तौर पर उसकी सैलरी जो उसे महीनेवार मिलेगी, उसमें एचआरए का कंपोनेंट शामिल नहीं होगा।
3. इसी प्रकार से ट्रांसपोर्ट अलाउंस के चलते भी सैलरी पर असर पड़ेगा और इस मामले में भी कमोबेश एचआरए जैसा तर्क ही लागू होगा। डायरेक्टर या उससे ऊपर के ग्रेड के कर्मियों को यदि सरकार द्वारा घर से दफ्तर और दफ्तर से घर जाने के लिए गाड़ी दी जाती है तो उसके द्वारा हर महीने ड्रॉ की जाने वाली सैलरी के कंपोनेंट में ट्रांसपोर्ट कंपोनेंट में होने वाली वृद्धि शामिल नहीं होगी। जबकि जो व्यक्ति सरकारी गाड़ी का (यह सुविधा) नहीं कर रहा है तो उसे यह पैसा जरूर मिलेगा। तब निश्चित तौर पर उसकी महीनेवाल उठाई जाने वाली सैलरी अधिक बनेगी।
4. इसके अलावा एक बात यह भी है कि सैलरी का एक खास कंपोनेंट एचआरए इस बात से भी तय होता है कि आप किस शहर में रह रहे हैं। दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में एचआरए का प्रतिशत निश्चित तौर पर लखनऊ कानपुर से कम है। ऐसे में टायर टू और टायर 3 सिटीज़ के सरकारी कर्मियों की सैलरी में अन्य बातें समान होने के बावजूद इस एक कारण से ऊंच-नीच हो सकती है।
5. यदि 1 लाख रुपए महीने की सैलरी में वह 75 हजार रुपए महीने ड्रॉ करता था तो यह जरूरी नहीं है कि सैलरी 2 लाख रुपए महीने की सैलरी में वह 1 लाख 75 हजार रुपए ड्रॉ करेगा क्योंकि जिस हिसाब से उसकी सैलरी बढ़ेगी, उस हिसाब से वह बढ़े हुए टैक्स स्लैब में भी आएगा जिसके चलते उसकी इनकम टैक्स पहले की तुलना में अधिक कटेगा।
एक मोटा मोटी बात यह बता दें कि सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और भत्तों पर रिपोर्ट बनाने के लिए वेतन आयोग बनाया गया है। इसका काम हर दसवें साल में सरकारी कर्मियों की सैलरी और भत्तों की समीक्षा करके सिफारिशें सरकार को देना होता है जिसके आधार पर यह फैसला लिया जाता है कि उन्हें कितना इंक्रीमेंट दिया जाएगा।
उपर संक्षिप्त सिफारिश अक्षरश: दी गई है...
दिनांक 15-06-2016 से शालाओ की आहरण स्ंवितरण व्यवस्था मे परिवर्तन के सम्बन्ध मे
दिनांक 15-06-2016 से शालाओ की आहरण स्ंवितरण व्यवस्था मे परिवर्तन के सम्बन्ध मे जानकारी तत्काल उपलब्ध करवाने बाबाद
28 जून 2016 के अादेश की पीडीएफ कॉपी प्राप्त करने के करने के लिए इस लिंक को ओपन करें
संविदा अधीक्षक का संविदा शाला शिक्षक वर्ग-2 के पद पर संविलियन कर समान सुविधाऐं दिये जाने बावत 28 जून 2016
अादिम जाती कल्याण विभाग दवरा संचालित विभागीय छात्रावास व आश्रमों में पदस्थ संविदा अधीक्षक का संविदा शाला शिक्षक वर्ग-2 के पद पर संविलियन कर समान सुविधाऐं दिये जाने बावत अादेश ,अाज 28 जून 2016 को अादिवासी विकास विभाग द्वारा जारी किया गया ,अादेश मे 22 अगस्त 13 और 7 अगस्त 2014 के सरकारी अादेशो का हवाला देकर कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं।
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7वां वेतन आयोग : सैलरी बढ़ने को तर्कबुद्धि और तथ्यबुद्धि से देखिए..रविश कुमार (वरिष्ठ पत्रकार)
जब भी सरकारी कर्मचारियों का वेतन बढ़ने की बात होती है, उन्हें हिक़ारत की निगाह से देखा जाने लगता है। जैसे सरकार काम न करने वालों का कोई समूह हो। सुझाव दिया जाने लगता है कि इनकी संख्या सीमित हो और वेतन कम बढ़े। आलसी, जाहिल से लेकर मक्कार तक की छवि बनाई जाती है और इस सबके बीच वेतन बढ़ाने की घोषणा किसी अर्थक्रांति के आगमन के रूप में भी की जाने लगती है। कर्मचारी तमाम विश्लेषणों के अगले पैरे में सुस्त पड़ती भारत की महान अर्थव्यवस्था में जान लेने वाले एजेंट बन जाते हैं।
आज भी यही हो रहा है, पहले भी यही हो रहा था। एक तरफ सरकारी नौकरी के लिए सारा देश मरा जा रहा है। दूसरी तरफ उन्हीं सरकारी नौकरों के वेतन बढ़ने पर भी देश को मरने के लिए कहा जा रहा है। क्या सरकारी नौकरों को बोतल में बंद कर दिया जाए और कह दिया जाए कि तुम बिना हवा के जी सकते हो, क्योंकि तुम जनता के दिए टैक्स पर बोझ हो। यह बात वैसी है कि सरकारी नौकरी में सिर्फ कामचोरों की जमात पलती है, लेकिन भाई 'टेल मी, ऑनेस्टली', कॉरपोरेट के आंगन में कामचोर डेस्कटॉप के पीछे नहीं छिपे होते हैं...?
अगर नौकरशाही चोरों, कामचोरों की जमात है, तो इस देश के तमाम मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री से पूछा जाना चाहिए कि डियर, आप कैसे कह रहे हैं कि आपकी सरकार काम करती है। इस बात को कहने के लिए ही आप करोड़ों रुपये विज्ञापनबाज़ी में क्यों फूंक रहे हैं। आपके साथ कोई तो काम करता होगा, तभी तो नतीजे आते हैं। अगर कोई काम नहीं कर रहा, तो यह आप देखिए कि क्यों ऐसा है। बाहर आकर बताइे कि तमाम मंत्रालयों के चपरासी से लेकर अफसर तक समय पर आते हैं और काम करते हैं। इसका दावा तो आप लोग ही करते हैं न। तो क्यों नहीं भोंपू लेकर बताते हैं कि नौकरशाही का एक बड़ा हिस्सा आठ घंटे से ज़्यादा काम करता है। पुलिस से लेकर कई महकमे के लोग 14-15 घंटे काम करते हैं।
सरकार से बाहर के लोग सरकार की साइज़ को लेकर बहुत चिन्तित रहते हैं। वे इतना ही भारी बोझ हैं तो डियर सबको हटा दो। सिर्फ पीएमओ में पीएम रख दो और सीएमओ में सीएम, सबका काम हो जाएगा। जनता का दिया सारा टैक्स बच जाएगा। पिछले 20 साल से यह बकवास सुन रहा हूं। कितनी नौकरियां सरकार निकाल रही है, पहले यह बताइए। क्या यह तथ्य नहीं है कि सरकारी नौकरियों की संख्या घटी है। इसका असर काम पर पड़ता होगा कि नहीं। तमाम सरकारी विभागों में लोग ठेके पर रखे जा रहे हैं। ठेके के टीचर तमाम राज्यों में लाठी खा रहे हैं। क्या इनका भी वेतन बढ़ रहा है...? नौकरियां घटाने के बाद कर्मचारियों और अफ़सरों पर कितना दबाव बढ़ा है, क्या हम जानते हैं...?
इसके साथ-साथ वित्त विश्लेषक लिखने लगता है कि प्राइवेट सेक्टर में नर्स को जो मिलता है, उससे ज़्यादा सरकार अपनी नर्स को दे रही है। जनाब शिक्षित विश्लेषक, पता तो कीजिए कि प्राइवेट अस्पतालों में नर्सों की नौकरी की क्या शर्तें हैं। उन्हें क्यों कम वेतन दिया जा रहा है। उनकी कितनी हालत ख़राब है। अगर आप कम वेतन के समर्थक हैं तो अपनी सैलरी भी चौथाई कर दीजिए और बाकी को कहिए कि राष्ट्रवाद से पेट भर जाता है, सैलरी की क्या ज़रूरत है। कारपोरेट में सही है कि सैलरी ज्यादा है, लेकिन क्या सभी को लाखों रुपये पगार के मिल रहे हैं...? नौकरी नहीं देंगे, तो भाई, बेरोज़गारी प्रमोट होगी कि नहीं। सरकार का दायित्व बनता है कि सुरक्षित नौकरी दे और अपने नागरिकों का बोझ उठाए। उसे इसमें दिक्कत है तो बोझ को छोड़े और जाए।
नौकरशाही में कोई काम नहीं कर रहा है, तो यह सिस्टम की समस्या है। इसका सैलरी से क्या लेना-देना। उसके ऊपर बैठा नेता है, जो डीएम तक से पैसे वसूल कर लाने के लिए कहता है। जो लूट के हर तंत्र में शामिल है और आज भी हर राज्य में शामिल है। नहीं तो आप पिछले चार चुनावों में हुए खर्चे का अनुमान लगाकर देखिए। इनके पास कहां से इतना पैसा आ रहा है, वह भी सिर्फ फूंकने के लिए। ज़ाहिर है, एक हिस्सा तंत्र को कामचोर बनाता है, ताकि लूट कर राजनीति में फूंक सके। मगर एक हिस्सा काम भी तो करता है। हमारी चोर राजनीति इस सिस्टम को सड़ाकर रखती है, भ्रष्ट लोगों को शह देती है और उकसाकर रखती है। इसका संबंध उसके वेतन से नहीं है।
रहा सवाल कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए वेतन बढ़ाने की बात है तो सरकारी कर्मचारियों का वेतन ही क्यों बढ़ाया जा रहा है। एक लाख करोड़ से ज़्यादा किसानों के कर्ज़े माफ हो सकते थे। उनके अनाजों के दाम बढ़ाए जा सकते थे। किसान के हाथ में पैसा आएगा तो क्या भारत की महान अर्थव्यवस्था अंगड़ाई लेने से इंकार कर देगी...? ये विश्लेषक चाहते क्या हैं...? सरकार सरकारी कर्मचारी की सैलरी न बढ़ाए, किसानों और छात्रों के कर्ज़ माफ न करे, खरीद मूल्य न बढ़ाए तो उस पैसे का क्या करे सरकार...? पांच लाख करोड़ की ऋण छूट दी तो है उद्योगपतियों को। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो जनता के पैसे से चलने वाले सरकारी बैंकों के लाखों करोड़ क्यों पचा जाता है। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो क्यों सरकार से मदद मांगता है। अर्थव्यवस्था को दौड़ाकर दिखा दे न।
इसलिए इस वेतन वृद्धि को तर्क और तथ्य बुद्धि से देखिए। धारणाओं के कुचक्र से कोई लाभ नहीं है। प्राइवेट हो या सरकारी, हर तरह की नौकरियों में काम करने की औसत उम्र कम हो रही है, सुरक्षा घट रही है। इसका नागरिकों के सामाजिक जीवन से लेकर सेहत तक पर बुरा असर पड़ता है। लोग तनाव में ही दिखते हैं। उपभोग करने वाला वर्ग योग से तैयार नहीं होगा। काम करने के अवसर और उचित मज़दूरी से ही उसकी क्षमता बढ़ेगी।
लेखक (रविश कुमार ) वरिष्ठ पत्रकार है , स्त्रोतNDTV
मोदी कैबिनेट की आज हुई एक अहम बैठक में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया गया है
नई दिल्ली: मोदी कैबिनेट की आज हुई एक अहम बैठक में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट ने सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का फैसला किया है। यह बढ़ा वेतनमान 1 जनवरी 2016 से लागू होगा। आज के वेतन वृद्धि के ऐलान के बाद 50 लाख सरकारी कर्मचारी और 58 लाख पेंशनधारियों के हाथों में ज्यादा पैसा आएगा। कहा जा रहा है कि इस वेतन वृद्धि से रीयल एस्टेट सेक्टर और ऑटोमोबाइल सेक्टर में उछाल आएगा।
आरबीआई ने एक आकलन में अप्रैल में कहा था कि अगर आयोग की रिपोर्ट को ऐसे ही लागू किया गया तो 1.5 फीसदी महंगाई बढ़ जाएगी।
जानकारी के अनुसार इस कैबिनेट बैठक में शॉप एंड एस्टैब्लिसमैंट बिल पर चर्चा हुई है।
इस प्रस्ताव क फायदा 1 करोड़ से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों को मिलेगा। इससे पहले सातवें वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी कर्माचारियों की बेसिक सैलरी में 14.27 फीसदी बढ़ोत्तरी की सिफारिश की थी।
साथ ही आयोग ने एंट्री लेवल सैलरी 7,000 रुपये प्रति महीने से बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति महीने करने का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा है। नई सैलरी 1 जनवरी 2016 से लागू होगी जिसके चलते सरकारी कर्मचारियों को 6 महीने का एरियर भी मिलेगा।
इनकी बढ़ेगी सैलरी
-सातवें वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 14.27 फीसदी बढ़ोत्तरी की सिफारिश की थी।
-माना जा रहा है कि कैबिनेट बैसिक सैलरी में 18 से 20 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है।
-इसका फायदा 50 लाख सरकारी कर्मचारियों और 58 लाख पेंशनधारियों को मिलेगा।
-नई सैलरी 1 जनवरी 2016 से लागू होगी, यानी सरकारी कर्मचारियों को छह महीने का एरियर मिलेगा।
-कैबिनेट तय करेगी कि एरियर एक मुश्त दिया जाए या किश्तों में दिया जाए।
-सातवें वेतन आयोग ने इंट्री लेवल सैलरी 7,000 रू प्रति महीने से बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति महीने करने के प्रस्ताव सरकार के सामने रखा है।
-कैबिनेट सचिव की मौजूदा सैलरी 90,000 से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये करने की सिफारिश की है।
स्त्रोत NTDV
इनकी बढ़ेगी सैलरी
स्त्रोत NTDV
मप्र के खराब शैक्षणिक स्तर को अब सुधारेगा नीति आयोग
नईदिल्ली। मध्य प्रदेश के खराब शैक्षणिक स्तर को नीति आयोग अब दुरूस्त करेगा। आयोग ने इसे लेकर तेजी से कदम आगे बढ़ाया है। इसके तहत शैक्षणिक स्तर के पूरे प्लान को रिव्यू किया गया है। जिसमें स्कूलों में शिक्षकों की कमी सहित उनकी ट्रेनिंग आदि पर फोकस किया गया है। आयोग जल्द ही राज्य सरकार को इसे पूरा करने का एक टारगेट भी देगा। माना जा रहा है कि शैक्षणिक गुणवत्ता में मध्य प्रदेश के खराब परफार्मेंस के पीछे शिक्षकों की कमी ही सबसे बड़ी बजह है।
असर की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में शिक्षकों की सबसे अधिक कमी वाले में राज्यों में मप्र भी शामिल है। आयोग ने यह कदम देश में शैक्षणिक गुणवत्ता के स्तर में लगातार हो रही गिरावट के बाद उठाया है। जिसका आधार वर्ष 2014 की असर(एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशनल रिपोर्ट) की रिपोर्ट को बनाया है। जिसके तहत देश में शिक्षा स्तर काफी तेजी से नीचे गिर रहा है।
इनमें मप्र उन राज्यों में शुमार है, जहां यह गिरावट सबसे ज्यादा है। हालत यह है कि प्रदेश में कक्षा पांच में पढ़ने वाले छात्र को जोड़-घटाना तक नहीं आता है। वहीं कक्षा पांच का छात्र भी कक्षा दो की अंग्रेजी की किताब नहीं पढ़ पाता है। आयोग ने इन्ही सारे बिन्दुओं के आधार पर इस पूरे प्लान पर काम शुरू किया है। आयोग से जुड़े सूत्रों की मानें तो आयोग की टीम मध्य प्रदेश सहित देश के उन सभी राज्यों का जल्द दौरा करेगी। जहां शैक्षणिक गुणवत्ता की स्थिति काफी खराब है।
आयोग ने इस बिन्दुओं को किया है फोकस
शिक्षकों की कमी: -देश के जिन राज्यों में शिक्षकों की सबसे ज्यादा कमी है,उनमें मप्र भी शामिल है। यहां स्कूलों में शिक्षकों के 13 से 40 फीसदी तक पद खाली पड़े है। मप्र के अलावा जिन राज्यों में शिक्षकों की सबसे ज्यादा पद खाली है,उनमें झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार व पंजाब भी शामिल है।
ट्रेनिंग: -मप्र में शिक्षकों की समय-समय पर होने वाली ट्रेनिंग की हालत भी बदतर है। यहां सिर्फ सात फीसदी शिक्षक ही नौकरी में आने के बाद ट्रेनिंग ली है। इस मामले में देश के और भी जिन राज्यों की हालत बदतर है,उनमें हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शामिल है।
पढ़ाई का स्तर :- आयोग ने अपने रिव्यू में पढ़ाई के स्तर को भी शामिल किया है। इस दौरान रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि मप्र में कक्षा पांच के 69 फीसदी छात्र ऐसे है, जिन्हें जोड़-घटाना तक नहीं आता है। वहीं पांचवी के 66 फीसदी ऐसे छात्र हैजो कक्षा दो की भी अंग्रेजी की किताब नहीं पढ़ पाते है।
देश में शिक्षकों के 8.3 लाख पद खाली
आयोग के मुताबिक देश में शिक्षकों की भारी कमी है।मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में शिक्षकों के करीब 8.3लाख पद खाली है। यह स्थिति वर्ष 2015 में है। स्थिति यह है कि देश के करीब 65 लाख ऐसे स्कूल है,जहां एक शिक्षक के भरोसे स्कूल चल रहे है। केंद्र सरकार का जोर है कि इस स्थिति को बेहतर किया जाए।
स्त्रोत -नईदुनिया
Tuesday, June 28, 2016
एम. शिक्षा मित्र एप्प स्वीकार्य नही -जगदीश यादव
भोपाल - राज्य अध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश यादव ने एम्.शिक्षा मित्र का विरोध करते हुए कहा है कि एम. शिक्षा मित्र एप्प का प्रयोग केवल शिक्षा बिभाग में लागू किया जा रहा है, अन्य विभागों में नही, यदि ऑनलाइन उपस्थिति की ही बात है तो केवल शिक्षा विभाग में ही नवाचारी प्रयोग क्यों? जब तक शासन द्वारां अन्य विभागों पर इस एप्प के प्रयोग को लागू नहीं कर दिया जाता और मोबाइल, नेट डाटा पैक (मोबाइल भत्ता) की सुविधा प्रदान नहीं कर दी जाए तब तक इसे शिक्षा विभाग में कतई स्वीकार्य नही किया जाएगा।
राज्य अध्यापक संघ एम्.शिक्षा मित्र का पूर्णतः बहिष्कार करता है और माननीय मुख्यमंत्री महोदय एवं माननीय शिक्षामंत्री महोदय से मांग करता है कि एम् शिक्षा मित्र एप्प की केवल शिक्षा विभाग में अनिवार्यता को तत्काल निरस्त करते हुए समस्त विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों के साथ इसे लागू किया जाए अन्यथा शिक्षा विभाग में लागु किये जाने संबंधी निर्देश निरस्त कर तत्काल इसे रद्द किया जाए। प्रदेश के समस्त अध्यापक, संविदा शिक्षक, गुरुजियों एवं समस्त कर्मचारियों से अपील है कि एम्. शिक्षा मित्र एप्प का हर स्तर पर पुरजोर विरोध करें।
आपका- जगदीश यादव राज्य अध्यापक संघ म.प्र.
प्रवेश के लिए शासकीय स्कूलों में निजी स्कूलों सी कवायद
शाजापुर। जिले के सरकारी स्कूल अब प्राइवेट स्कूलों से प्रतिस्पर्धा करते दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, सरकारी स्कूलों में प्रवेश बढ़ाने के लिए इस बार शिक्षक और संस्था प्रमुख निजी स्कूलों की तरह प्रचार-प्रसार और कवायद कर रहे हैं। स्कूल प्रबंधन द्वारा जगह-जगह फ्लेक्स लगाने के साथ विज्ञापन किए जा रहे हैं और पर्चे बांटे जा रहे हैं। इसके अलावा स्कूलों द्वारा शिक्षकों की टीम बनाई गई है, जो घर-घर जाकर बच्चों और पालकों से संपर्क कर रहे हैं। इस दौरान पालकों और बच्चों को इस बार के बोर्ड परीक्षा के परिणाम के साथ स्कूलों में उपलब्ध सुविधा, सरकारी योजना, शिक्षकों के अनुभव के साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी देकर सरकारी स्कूलों में प्रवेश के लिए लुभा रहे हैं। विभाग ने 10 फीसदी प्रवेश बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
जानकारी के अनुसार स्कूलों में प्रवेश के लिए प्रचार-प्रसार अभियान कई वर्षों से आयोजित होता आ रहा है, किंतु इस बार करीब दो दर्जन स्कूलों ने इस अभियान को एक नया ही रूप दे दिया है। बीते वर्षों में गिनती के स्कूलों में ही अभियान को गंभीरता से लेने की जानकारी सामने आती रही हैं, किंतु इस बार बोर्ड परीक्षा के बेहतर परिणामों से शिक्षा विभाग में उत्साह और जोश का माहौल है। इसके चलते हर कोई इस बार प्रदेश में छाए जिले के नाम को बरकरार रखने के लिए जी-जान से जुट गया है। इसी का परिणाम में है कि इस बार 'स्कूल चलें हम' अभियान महज औपचारिकता न होकर हकीकत में अभियान के तौर पर ही चल रहा है। विभाग का अमला साधन, संसाधन के साथ तन-मन से स्कूलों में प्रवेश बढ़ाने में जुटे हैं। उल्लेखनीय है कि जिले के विद्यार्थियों ने इस बार हाई स्कूल और हायर सेकंडरी परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर प्रदेश की मेरिट सूची में स्थान बनाया और 10वीं में प्रदेश में पहले नंबर पर आकर 6 बच्चें मेरिट में रहे तो 12वीं के दो बच्चे भी मेरिट में आए। इन परिणामों के चलते पालकों और बच्चों की सरकारी स्कूलों के ढर्रे के प्रति बनी सोच में बदलाव आता दिखाई दे रहा है।
निजी स्कूलों को उठाना पड़ सकता है खामियाजा
प्रवेश को लेकर शिक्षा विभाग की सक्रियता का खामियाजा निजी स्कूलों को उठाना पड़ सकता है। इसका कारण सरकारी स्कूलों को सुधरता परिणाम और ढर्रा है। जिले के 41 स्कूलों को ई-शिक्षा से जोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही अन्य स्कूलों में भी पढ़ाई का स्तर उठाने के लिए तमाम कवायद की जा रही है। इनके अलावा प्रवेश के लिए किए जा रहे हाईटेक प्रचार-प्रसार से भी निजी स्कूलों में प्रवेश लेने की मंशा रखने वाले विद्यार्थी और उनके पालकों का झुकाव सरकारी स्कूलों की ओर बढ़ रहा है। इधर, प्रवेश बढ़ाने के लिए की जा रही कवायद से शिक्षकों को भी सफलता की प्रबल संभावना लग रही है। बताया जा रहा है कि व्यवस्थाओं में सुधार के चलते बेहतर शिक्षा पाने के लिए निजी विद्यालयों में पढ़ने से वंचित विद्यार्थियों का सपना अब शासकीय स्कूलों में पढ़ते हुए भी पूरा हो सकेगा। बहरहाल यदि शासकीय विद्यालयों में इसी प्रकार सुधार होता रहा तो पालकों की जेब पर पड़ने वाला भार कम होने के साथ निजी स्कूलों को यह सुधार भारी पढ़ सकता है।
यह विद्यालय प्रचार-प्रसार में आगे
शासकीय हाईस्कूल भरड़, गुलाना, मोहन बड़ोदिया, शासकीय कन्या विद्यालय अवंतिपुर बड़ोदिया, भ्याना, पलसावद, चौमा, शासकीय कन्या विद्यालय शुजालपुर मंडी, शासकीय विद्यालय पगरावदकलां, कड़वाला, मोहम्मदखेड़ा, अमलाय, केवड़ाखेड़ी, भैंसायागढ़ा और शासकीय स्कूल जामनेर आदि प्रवेश के लिए चलाए जा रहे अभियान में अन्य स्कूलों से आगे दिखाई दे रहे हैं। इन स्कूलों द्वारा प्रवेश के लिए स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं के साथ ही अन्य जानकारियां देने वाले विज्ञापन प्रकाशित कराने के साथ फ्लेक्स आदि लगाए गए हैं। इन विज्ञापन और फ्लेक्स में विद्यालय का गौरव बढ़ाने वाले विद्यार्थियों के फोटो सहित शासकीय विद्यालयों में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी है।
नवाचार और सख्ती से आया सुधार
कलेक्टर राजीव शर्मा के मार्गदर्शन और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए नवाचार के परिणामस्वरुप बोर्ड परीक्षा के बेहतर परिणाम ने शिक्षा विभाग में जोश भर दिया है। बता दें कि कलेक्टर श्री शर्मा ने सरकारी स्कूलों के ढर्रे में सुधार लाने के लिए ऑपरेशन द्रोणाचार्य चलाकर लापरवाह शिक्षकों पर लगाम कसी। इसके अलावा शिक्षकों की कमी से प्रभावित होती पढ़ाई को पटरी पर लाने के लिए ई-शिक्षा प्रारंभ की गई। इसमें विडियों कॉफ्रेसिंग के जरिए विद्यार्थियों पढ़ाया गया। इस सत्र से इस सेवा को और विस्तार दिया जा रहा है। कलेक्टर द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन और नवाचार में शिक्षा विभाग के साथ जिले के अन्य विभागों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शिक्षा विभाग सहित अन्य विभाग के अधिकारियों द्वारा स्कूलों का निरीक्षण किया गया तो ई-गर्वेनेंस के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पढ़ाई संभव हो सकी।
10 फीसदी प्रवेश बढ़ाने का लक्ष्य
इस बार बीते सालों की तुलना में 10 फीसदी प्रवेश बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ स्कूलों ने इसके लिए जबरदस्त प्रचार-प्रसार अभियान चला रखा है। कई स्कूलों ने तो लिंक से हटकर व्यक्तिगत रूप से हाईटेक तरीके अपनाकर प्रवेश बढ़ाने की जुगत लगाई है।
- विवेक दुबे, प्रभारी सहायक संचालक शिक्षा
इस प्रकर के सराहनीय कार्य अन्य जिलो मे भी शिक्षको द्वारा स्व प्रेरणा से किया जा रहा है।
स्त्रोत नईदुनिया
खुले में शौच करने वालो की फोटो,-राज्य अध्यापक संघ ने किया विरोध ज्ञापन सौपेंगे
प्रदेश उपाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी उचेहरा
सीईओ जिला पंचायत
30 जून को शिवराज कैबिनेट के बहुप्रतीक्षित विस्तार की संभावना,मंगलवार को कैबिनेट की बैठक नहीं होगी।
भोपाल - मंगलवार को प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक नहीं होगी। बैठक की नई तारीख तय नहीं हुई है, वहीं शिवराज कैबिनेट के प्रस्तावित विस्तार में नेता पुत्रों को लेने का दबाव बढ़ने लगा है। अपवादस्वरूप पहली बार के विधायकों को भी मौका मिल सकता है। 30 जून को बहुप्रतीक्षित विस्तार की संभावना है।
बताया जा रहा है कि राज्यपाल रामनरेश यादव बुखार से पीड़ित हैं, उन्हें रविवार को डाक्टरों ने डिस्चार्ज नहीं किया। उधर, सामान्य प्रशासन विभाग के स्तर पर तैयारियां हो चुकी हैं। एक घंटे की नोटिस पर शपथ का प्रारूप पत्र और आमंत्रण तैयार हो जाएंगे।
सूत्रों का कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग से मंत्रालय में कमरों की स्थिति को लेकर पिछले दिनों जानकारी मांगी गई थी। हालांकि, तब इसका उद्देश्य साफ नहीं किया था। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि बारिश की स्थिति को देखते हुए खुले में शपथ ग्रहण समारोह करने राजभवन में डोम तैयार कराना होगा। इसमें एक दिन का वक्त लग सकता है। राजभवन में डोम तैयार करने के लिए आदेश दिए जा सकते हैं।
अब केबिनेट बैठक मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद ही होने की संभावना है।
अध्यापक संवर्ग को अपनी स्थांतरण नीति के लिए केबिनेट बैठक की प्रतीक्षा है।
मंत्रिमंडल विस्तार पर कब-कब बोले सीएम
3 जून- राजधानी के चेतक बिज्र को सिक्स लेने करने के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा था कि जल्द ही हैप्पीनेस मंत्रालय का गठन होगा। इसके लिए अलग से मंत्री होगा।
12 जून- अजाक्स के सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद मीडिया से बोले मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द होगा।
17 जून- रीवा में भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी के दौरान बोले की इस माह के तक मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।
स्त्रोत - नईदुनिया
Monday, June 27, 2016
मानसून सत्र में " मोदी सरकार " पदोन्नति में आरक्षण बिल को पास करवाएगी
पदोन्नति में आरक्षण का रास्ता अब साफ़ होता नजर आ रहा है ,केंद्र सरकार मानसून सत्र में बकायदा एक कानून पास कर के, अब तक हुए सभी न्यायालयीन निर्णयों को शून्य करने जा रही है। उक्त आशय का बयान ,आज अमित शाह ने लखनऊ में , "जागरण फोराम " में दिया। गौरतलब है की वर्त्तमान केंद्र और राज्य सरकार इस मामले में बुरी तरह से उलझ गयी है। सामान्य और पिछड़ा वर्ग के संगठन पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है और अनुसूचित जाती और जन जाती के संगठन पदोन्नति में आरक्षण के पक्ष में मोर्चा खोले हुए है। कई राजनेतिक और सामजिक संगठन भी अपनी ताकत दिखा चुके हैं। असलियत में भाजपा का लक्ष्य उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव हैं जन्हा एक लाख से अधिक अधिकारी कर्मचारी न्यायालयीन निर्णयों के चलते पदावनत हो चुके है ,न्यायालयीन निर्णय शून्य होने से वे कर्मचारी अपने खोये पद पर वापस आ सकते हैं। इस प्रकार अनुसूचित जाती वर्ग की सहनुभूति भाजपा को मिलना तय हैं।
स्त्रोत मीडिया रिपोर्ट
खुशखबरी! सातवें वेतन आयोग पर कैबिनेट की बैठक में 29 जून को होगी चर्चा -NDTV
नई दिल्ली: देश में करीब 31 लाख से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी आई है। सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए कैबिनेट की बुधवार को होने वाली बैठक में यह मुद्दा रखा जाएगा। एनडीटीवी को सूत्रों से मिली खबर के अनुसार सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद इसे जल्द ही लागू कर दिया जाएगा। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि जुलाई में यह रिपोर्ट लागू कर दी जाएगी और जनवरी 2016 से कर्मचारियों को एरियर दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ महीनों से हर केंद्रीय कर्मचारी की जुबान पर एक ही सवाल है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट कब लागू होगी। कितना वेतन बढ़ेगा इस बात को लेकर भी असमंजस की स्थिति है।
बता दें कि सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने अपनी रिपोर्ट वित्तमंत्रालय को करीब 10 दिन पहले ही सौंप दी थी। इस समिति ने वेतन आयोग की रिपोर्ट पर अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट सौंपी थी। अब कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में एक नोट रखा जाएगा। अब यह साफ हो गया है कि जल्द ही केंद्रीय कर्मचारियों का इंतजार खत्म हो जाएगा और वेतन आयोग की रिपोर्ट कुछ संसोशनों के साथ लागू हो जाएगी। बात दें कि पिछले बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह मुद्दा लिस्ट में नहीं था।
कर्मचारी संगठनों से शुरू किया दबाव बनाना
इस बीच रेलवे के अलावा सीआरपीएफ, सरकारी डॉक्टरों के समूह ने वित्तमंत्री से मुलाकात कर वेतन आयोग की रिपोर्ट में कथित विसंगतियों को दूर कर इसे जल्द से जल्द लागू करने की मांग की है। कुछ सरकारी कर्मचारियों के संगठनों ने जल्द न लागू किए जाने पर हड़ताल पर जाने की धमकी दी है। (केंद्रीय कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग का लाभ अब कुछ ही दिनों में, पढ़ें - क्या हैं सिफारिशें )
सचिवों की समिति का महत्वपूर्ण सुझाव
बता दें कि वेतन आयोग की सिफारिशें वित्तमंत्रालय के पास हैं और पिछले बुधवार को अधिकार प्राप्त सचिवों की समिति ने वित्तमंत्रालय को इस आयोग की रिपोर्ट पर अपनी संस्तुति दे दी है। कहा जा रहा है कि इस समिति ने वेतन आयोग द्वारा दी गई सिफारिशों के आगे करीब 18-30 प्रतिशत वेतन वृद्धि की सिफारिश की है। (केंद्रीय कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले : सचिवों की समिति ने वेतन आयोग की सिफारिश से ज्यादा वेतन देने की बात कही!)
जानकारी के अनुसार, जहां वेतन आयोग ने कर्मचारियों के लिए न्यूनतम 18000 रुपये और अधिकतम 225000 रुपये (कैबिनेट सचिव और इस स्तर के अधिकारी के लिए 250000 रुपये) की सिफारिश की थी वहीं, सचिवों की अधिकार प्राप्त इस समिति ने इसमें 18-30 प्रतिशत की वृद्धि की बात कही है। यानी 18000 रुपये के स्थान पर करीब 27000 रुपये और 225000 के स्थान पर 325000 रुपये करने की सिफारिश की है।
1 जनवरी 2016 से लागू होगा वेतन आयोग
छठा वेतन आयोग 1 जनवरी, 2006 से लागू हुआ था और उम्मीद है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी, 2016 से लागू होंगी और कर्मचारियों को एरियर दिया जाएगा। आमतौर पर राज्यों द्वारा भी कुछ संशोधनों के साथ इन्हें अपनाया जाता है।स्त्रोत -NDTV
Sunday, June 26, 2016
संविलियन शिक्षा संघर्ष यात्रा सीधी से प्रारंभ -36 जिलो में जायेंगे
सीधी -25 जून से राज्य अध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश यादव और महासचिव दर्शन सिंह चौधरी द्वारा " संविलियन शिक्षा संघर्ष यात्रा " प्रारम्भ कर दी गयी है ,शिक्षा विभाग में संविलियन की मांग को लेकर किये जाने वाले विधासभा घेराव की तैयारियों को लेकर यह अभियान प्रारंभ किया गया है ,यात्रा दो चरणों में की जायेगी पहला चरण 25 जून से प्रारम्भ होकर 27 जून को समाप्त होगा ,दूसरा चरण 4 जुलाई से प्रारंभ होगा यात्रा के दौरान 36 जिलो के अध्यापको से सम्पर्क किया जाएगा ,यात्रा के दौरान ही वेतन मान के आदेश जारी भी हो जाते है तब भी 25 जुलाई का विधानसभा घेराव का कार्यक्रम याथावत रहेगा .
Saturday, June 25, 2016
आम अध्यापक की एकता विखंडित क्यों ?-राशी राठौर देवास
राशी राठौर -अक्सर आम अध्यापक अपने अधिकारों को प्राप्त ना कर पाने के लिए संघीय राजनीती को दोषी ठहराते रहे है। ये बात सही भी है। एकता के सूत्र मै बंध के किये गये प्रयास विफल नही होते। किन्तु क्या हम सभी आम अध्यापक जिनमै नेताजी शामिल नही है ,वो सब एक है ? हम आम अध्यापक भी तो स्वयं गुरू होते हुऐ भी उसी संघीय मानसिकता के गुलाम है। ये संघ आव्हान करेगा तो हम जायेंगे , वो संघ आव्हान करेगा तो हम नही जायेंगे। वर्तमान मै अध्यापक हित मै जारी भोपाल का क्रमिक अनशन इसी संघवाद से घिरे अध्यापको की मानसिकता को उजागर करती है। 14 दिन से घर परिवार छोड कर भोपाल मै अध्यापक बैठै है किन्तु आम अध्यापक हर उस आवाज का समर्थन करने की बजाय ,जो उसके हक के लिए उठती है, उस आवाज की पहचान करने मै लगा की आवाज कौन दे रहा है। क्या अब आम अध्यापक स्वयं संघवाद की ओछी मानसिकता से बंधा अनुभव नही करता। हम से तो बेहतर अतिथी शिक्षक है जो अध्यापक से संख्या मै एक तिहाई भी नही है किन्तु हर जगह उनकी संख्या अध्यापक से अधिक होती है। क्योंकि उन्हें हक लेना है वो किसी संघ के बन्धवा नही है। कई दिनों से लगत अनशन पर बैठे अध्यापको का साहस जवाब दे जाये या शरीर साथ छोड जाये पर किन्तु संघवाद की जडे इतनी गहराई तक अध्यापक के ह्रदय मै उतर गयी है की उसी आधार पर अनेक अध्यापक समस्याएं फल-फूल रही है।आम अध्यापक की मानसिकता भी किसी ना किसी संघो के पूर्वाग्रह से ग्रसित प्रतित होती है।वो तो सिर्फ अलादीन के जिन्न की तरह अपने आका के हुकम की तामील मै ही हाजरी दे सकते है। कौन है ये आका ? हमारे ही बीच के कुछ भाई बहन जो अपनी महत्वकांक्षा के चलते अध्यापको को एक नही होने देते। इस मानसिकता के साथ तो अध्यापक संघर्ष सफल कैसै होगा। आम अध्यापक को चाहिए की चेहरा नही उदेश्य पर ध्यान केन्द्रित कर अपना संघर्ष लडे। जो भी आवाज अध्यापक हित मै उठे उसका बिना किसी पूर्वाग्रह के सहयोग दे। ये अविस्मरणीय सत्य है की छोटे से संघ गुरूजी बिना किसी चयन प्रक्रिया से गुजरे एकता के बल पर संविदा बन गये, और अतिथी भी इसी तर्ज पर वेतन बढवाने, अनुभव के अंक लेने यहाँ तक की अब नियमितीकरण करवाने तक को आतुर है वो भी बिना किसी चयन प्रक्रिया से गुजरे, और एक अध्यापक है जिनको सरकार पिछले तीन साल मै छः बार छटवाँ देकर भी छका रही है।
लेखिका स्वयं अध्यापक है और यह उनके निजी विचार हैं ।
अतिथि शिक्षकों के विरुद्ध शासन द्वारा की गयी कार्यवाही निंदनीय- जगदीश यादव
सीधी -म.प्र.अतिथि शिक्षक संघ द्वारा अपनी न्यायोचित मांगों के समर्थन में किये जा रहे आंदोलन को लेकर म.प्र.शासन द्वारा अथिति शिक्षकों के साथ किये गए लाठी चार्ज एवं अमानवीय व्यवहार की राज्य अध्यापक संघ घोर निंदा करता है और अतिथि शिक्षकों की जायज मांगों हेतु नैतिक समर्थन प्रदान करता है। उक्ताशय के विचार प्रकट करते हुए प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश यादव ने कहा है कि म.प्र. में शिक्षित बेरोजगारी का फायदा उठाते हुए म.प्र.शासन शिक्षित युवाओं का शोषण कर रही है और जब शिक्षित युवा वर्ग अपने अधिकार और सुविधाओं हेतु शासन के विरुद्ध आवाज उठाते हैं तो शासन उसे दबाने की भरपूर कोशिश कर लाठी चार्ज कर पूर्णतः अमानवीय व्यवहार कर रही है। आज हुई शर्मनाक घटना की हम निंदा करते हैं और अतिथी शिक्षकों की न्यायोचित मांगों का पूर्णतः समर्थन करते हैं।।
आपका ,जगदीश यादव राज्य अध्यापक संघ म.प्र.।।
Friday, June 24, 2016
मप्र में शांतिपूर्ण विद्रोह जैसे हालात ? - वसुदेव शर्मा छिंदवाड़ा
वसुदेव शर्मा छिंदवाड़ा - स्कूलों में प्रवेसोत्सव मन चुका है, लेकिन शिक्षकों की उपस्थिति सामान्य से भी कम है। स्कूल जाने वाले शिक्षक भी बेमन से ही जा रहे हैं। सभी 51 जिलों में अध्यापकों के टेंट लगे हुए हैं। अध्यापकों के नेता जिलों में सभाएं कर शिक्षा विभाग में संविलियन की लड़ाई के लिए अध्यापकों को तैयार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की बार-बार की वादाखिलाफी से तंग अध्यापक इस बार आर-पार की मानसिकता बना चुके हैं, वे लगभग शांतिपूर्ण विद्रोह की मुद्रा में हैं। उन्हें शिक्षा मंत्री पर भरोसा नहीं हैं, मुख्यमंत्री भी उनका भरोसा तोड़ चुके हैं, इसीलिए इस बार सिर्फ आदेश पर ही बात बनेगी, ऐसा नहीं होने पर स्कूल तो नहीं ही खुलेंगे।
विद्रोह की मुद्रा में सिर्फ अध्यापक ही नहीं है, जिन स्कूलों में अध्यापक हैं, उन्हीं स्कूलों के अतिथि शिक्षकों ने भी आंखें तरेर दी हैं, इनकी संख्या भी एक लाख के आस-पास है। 24 को सुबह भोपाल पहुंचने वाली ट्रेनों से अतिथियों की भीड़ उतरेगी और शहाजहांनीपार्क से सरकार को चुनौती देंगे, ये भोपाल में तब तक रहेंगे, जब तक सरकार इनके भविष्य का फैसला नहीं कर देती।
विद्रोह की स्थिति सिर्फ स्कूलों में नहीं हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के संविदाकर्मी भी विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान अपनी ताकत का अहसास कराने के लिए भोपाल में डेरा डालने वाले हैं। इनकी संख्या भी दो लाख से ऊपर पहुंचती है।
सरकारों की लोकप्रिय ठेका प्रणाली के सताए यह कर्मचारी भले ही टुकड़ों टुकड़ों में लड़ रहे हों, लेकिन इनकी लड़ाई का मकसद एक ही है कि उस विनाशकारी ठेका प्रणाली को तत्काल बंद किया जाए, जिसने उन्हें जवानी में भुखमरी जैसे हालात में जीने को मजबूर कर दिया है। अध्यापक शिक्षा विभाग में संविलियन चाहते हैं। अतिथि शिक्षक स्कूलों मे स्थाई नौकरी चाहते हैं। अतिथि विद्वान कालेजों के प्राध्यापक बनना चाहते हैं। संविदा कर्मचारी स्थाई कर्मचारी बनना चाहते हैं।
मप्र में 10-15 साल से चल रहे यह कर्मचारी इस बार पहले से ज्यादा गुस्से में हैं और वे लगभग सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण विद्रोह कर चुके हैं, जब तक सरकार इनकी नौकरी में निश्चिंतता नहीं ला देती, तब तक यह लोग शायद ही मन लगाकर काम कर सकें, यह स्थिति भी तो विद्रोह जैसी ही है और इसके लिए वही नीतियां जिम्मेदार हैं, जिनसे कांग्रेस को भी प्यार है और मोदीजी की भाजपा को भी।
लेखक पत्रकार है और यह उनकी निजी रिपोर्ट है ।
अनारक्षित पदों पर पदोन्नति कर सकते हैं या नहीं-एटार्नी जनरल जनरल मुकुंद रोहतगी से सलाह मांगी
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर अब सरकार ने एटार्नी जनरल मुकुंद रोहतगी से सलाह मांगी है। सामान्य प्रशासन विभाग ने पत्र भेजकर पूछा है कि अनारक्षित पदों पर पदोन्न्ति कर सकते हैं या नहीं। एकल पद है तो उस पर पदोन्नति के लिए प्रक्रिया बढ़ा सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका की सुनवाई करते हुए यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा है, इसका मतलब क्या है। उधर, राज्य लोक सेवा आयोग ने पदोन्नतियों के लिए प्रस्तावित विभागीय पदोन्नति समितियों की बैठक पर स्थिति साफ होने तक रोक लगा दी है।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक सामान्य प्रशासन विभाग ने मुख्य सचिव अंटोनी डिसा की इजाजत लेकर मंगलवार को एटार्नी जनरल को पत्र भेजा। इसमें कहा गया कि पदोन्नति में आरक्षण नियम को निरस्त करने से पदोन्न्ति की प्रक्रिया पूरी तरह से रुक गई है। सेवानिवृत्त होने से कई पद खाली हैं।
वहीं, इनमें कई पद अनारक्षित वर्ग के लिए हैं। विभाग ने महाधिवक्ता कार्यालय से पदोन्नति करने और यथास्थिति को परिभाषित करने पत्र लिखा था, पर कार्यालय ने मार्गदर्शन देने की जगह सुप्रीम कोर्ट में मामले होने का हवाला देते हुए एटार्नी जनरल से सलाह लेने के लिए कहा था।
करीब 10 दिन पहले विभाग ने मुख्य सचिव को पत्र का प्रारूप बनाकर अनुमति के लिए भेजा था। सोमवार को अनुमति मिलने के बाद विभाग ने एटार्नी जनरल के ऑफिस पत्र भेजा है।
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर स्थिति साफ नहीं होने के मद्देनजर राज्य लोक सेवा आयोग ने पदोन्नति के प्रस्तावित सभी विभागीय पदोन्नति समिति की बैठकों पर रोक लगा दी है। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पदोन्नति में आरक्षण नियम को रद्द करने के फैसले पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश के मद्देनजर कोई भी विभाग विवाद में नहीं पड़ना चाहता है।
गृह, सामान्य प्रशासन 'कार्मिक" सहित कुछ विभागों ने पदोन्नति को लेकर मार्गदर्शन मांगा था, लेकिन विभाग ने भी इंकार कर दिया। दरअसल, पूरे मामले को लेकर असमंजस है, इसलिए सामान्य प्रशासन विभाग भी हाथ डालने से कतरा रहा है। वहीं, बिना मार्गदर्शन लिए वाणिज्य एवं उद्योग विभाग ने रजिस्टार फर्म्स एंड सोसायटी के एकल पद पर आलोक नागर की सशर्त पदोन्नति कर दी।
स्त्रोत -नईदुनिया
Thursday, June 23, 2016
डी. एल. एड. प्रवेश प्रक्रिया 2016-17 हेतु मोनिटरिंग विषयक
राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा डी. एल. एड. प्रवेश प्रक्रिया 2016-17 की मोनिटरिंग विषयक अादेश व समय सारनी एवं समिति के विस्तृत निर्देश जारी किए गए है। अादेश पीडीएफ मे प्राप्त करने के लिए इस लिंक को ओपन करे
राज्य अध्यापक संघ की संविलियन " शिक्षा संघर्ष अधिकार यात्रा " का आगाज 25 जून से 25 जुलाई को विधानसभा घेराव
भोपाल - राज्य अध्यापक संघ म.प्र. द्वारा शिक्षा विभाग में संविलियन, समान कार्य समान ( वेतन गणना पत्रक जारी होन के बाद भी यह कार्यक्रम यथावत रहेगा ), स्वेच्छिक स्थानांतरण नीति , बीमा, पेंशन व ग्रेच्युटी की मांग निराकरण हेतु दिनांक 25 जुलाई 2016 को आयोजित प्रांतीय महारैली व विधानसभा घेराव की तैयारियों को लेकर "संविलियन शिक्षा संघर्ष अधिकार यात्रा" का आगाज दिनांक 25 जून 2016 से प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश यादव व प्रांतीय महासचिव श्री दर्शन जी चौधरी के नेतृत्व में संपूर्ण प्रदेश में किया जा रहा है।
प्रथम चरण मे 25 जून - सीधी ,26 जून - रीवा ,27 जून-अनुपपुर ,शहडोल ,उमरिया ,
द्वितीय चरण मे 4 जुलाई - बुरहानपुर , खंडवा ,5 जुलाई - खरगोन,बड़वानी ,6 जुलाई - धार ,अलिराजपुर ,8 जुलाई- मंदसौर ,नीमच ,9 जुलाई - उज्जैन ,देवास ,10 जुलाई- इन्दोर ,सीहोर ,11 जुलाई -हरदा ,होशंगबाद ,12 जुलाई - भोपाल ,13 जुलाई- राजगढ़ ,गुना ,14 जुलाई -अशोकनगर ,शिवपुरी ,15 जुलाई-श्योपुर, मुरैना ,16 जुलाई -भिंड ,ग्वालियर ,17 जुलाई- दतिया , टिकमगढ ,18 जुलाई - छतरपुर, पन्ना ,19 जुलाई - दमोह ,सागर ,20 जुलाई - नरसिंहपूर ,रायसेन ,
पूर्व से प्रस्तावित नीलम पार्क भोपाल में आयोजित अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन, 10 जुलाई व 17 जुलाई को आयोजित ब्लाक, तहसील व जिला स्तरीय रैली व धरना प्रदर्शन कार्यक्रम यथावत जारी रहेगे।
सियाराम पटेल,
प्रदेश प्रभारी
आई टी सेल , राज्य अध्यापक संघ म.प्र.।।
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Thursday, June 30, 2016
M-शिक्षा मित्र अध्यापक संवर्ग के लिए नहीं हैं -सुरेश यादव रतलाम
यदि कोई अधिकारी अध्यापक संवर्ग /संविदा शाळा शिक्षक को मोबाईल पर M शिक्षा मित्र एप लोड करने का कहे तो उन श्रीमान से एक ही प्रश्न करे की ,क्या शिक्षक को मिलने वाला हर लाभ ,अध्यापक को अपने आप प्रदान किया जाता है ?
साथियों किसी भी अधिकारी के दबाव में न आयें ,यह योजना सिर्फ शिक्षा विभाग अंतर्गत कार्यरत शिक्षको और कर्मचारियों के लिए हैं ,सम्पूर्ण आदेश में कंही भी (आप आदेश का अवलोकन करें ) ," निकायो में कार्यरत अध्यापक संवर्ग " शब्द का उल्लेख नहीं है ,इस लिए कोई अधिकारी हम पर न तो स्मार्ट फोन लेने के लिए दबाव बना सकता है ,और न ही फोन नहीं लेने के कारण कोई भी अध्यापक संवर्ग का वेतन रोक सकता है।
सुरेश यादव कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ रतलाम
1 सितम्बर 15 का अादेश की पीडीएफ कॉपी प्राप्त करने के लिए इस लिंक को ओपन करें
25 मई 2016 का अादेश की पीडीएफ कॉपी प्राप्त करने के लिए इस लिंक को ओपन करें
शासकीय शालाओ मे आहरण संवितरण कार्य के लिये प्रभावशाली की गई नवीन व्यवस्था के क्रियांवयन के सम्बन्ध मे
शासकीय शालाओ मे आहरण संवितरण कार्य के लिये प्रभावशाली की गई नवीन व्यवस्था के क्रियांवयन के सम्बन्ध मे अादेश की पीडीएफ कॉपी प्राप्त करने के लिए इस लिंक को ओपन करें
खत्म होगी आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति
नई दिल्ली। लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने संकेत दे दिए हैं कि नई शिक्षा नीति का स्वरूप कैसा होगा। बुधवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे के अहम बिंदू जारी कर दिए गए। केंद्र सरकार के ट्विटर हैंडल माईगोव इंडिया पर जारी करते हुए हालांकि यह साफ नहीं किया कि बिंदू कैसे तैयार किए गए। पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रह्माण्यम की अध्यक्षता में बनाई गई मसौदा समिति की रिपोर्ट की इसमें कोई चर्चा नहीं है। न ही यह बताया गया कि इसे जारी करने से पहले राज्यों से कोई चर्चा हुई या नहीं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी अहम बिंदू या 'इनपुट' में स्कूलों में छात्रों के सीखने के स्तर पर गंभीर चिंता जताई गई है। इसमें साफ तौर पर कहा गया कि आठवीं तक बच्चों को फेल नहीं करने की मौजूदा नीति को बदला जाएगा क्योंकि इससे छात्रों के अकादमिक प्रदर्शन पर गंभीर असर पड़ा है। इसे पांचवीं तक सीमित किया जाएगा। इसी तरह प्रस्ताव किया गया है कि आइएएस और आइपीएस की तरह शिक्षा व्यवस्था के लिए अलग अखिल भारतीय कैडर तैयार किया जाए जिसका नियंत्रण मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पास हो।
प्रस्ताव किया गया कि सभी राज्य छात्रों को पांचवीं तक की शिक्षा उनकी मातृभाषा अथवा स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में दें। इसी तरह अंग्रेजी के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे दूसरी भाषा का दर्जा देने की सिफारिश की गई है। व्यापक स्तर पर ओपन ऍानलाइन पाठ्यक्रम शुरू करने की जरूरत पर ध्यान देते हुए इस काम के लिए अलग से स्वायत्त संस्थान शुरू करने की सिफारिश की है। स्थानीय और राष्ट्रीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नियमित रूप से ऑनलाइन पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा।
इससे पहले मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रह्माण्यम की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी। मगर उनके अनुरोध के बावजूद एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी ने उनकी रिपोर्ट सार्वजनिक करने से इन्कार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि मसौदा तभी जारी होगा, जब राज्यों से एक बार फिर संपर्क कर लिया जाएगा। हालांकि बुधवार को जारी मसौदे में सुब्रह्माण्यम समिति की अधिकांश सिफारिशें शामिल कर ली गई हैं। मगर इसकी भाषा इस समिति की रिपोर्ट से पूरी तरह से अलग है।
स्त्रोत नईदुनिया
सातवां वेतनमान :- राज्य सरकार जल्द करेगी आयोग का गठन
भोपाल। केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी देने के बाद राज्य सरकार ने भी नए वेतन आयोग के गठन का मन बना लिया है। राज्य सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देने की तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया ने बताया कि केंद्र सरकार से वेतन आयोग की रिपोर्ट मिलते ही आयोग के गठन की कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि मलैया ने आयोग के गठन की समयसीमा नहीं बताई। उन्होंने ये जरूर कहा कि राज्य सरकार भी अपने कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देगी यह तय है। वित्त मंत्री ने कहा कि नीतिगत मामला होने से कैबिनेट में इस पर फैसला किया जाएगा।
जिस तारीख से केंद्र अपने कर्मचारियों को वेतन लाभ देगी, उसी तारीख से राज्य में भी नए वेतनमान का लाभ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक सरगर्मियां खत्म हो जाएं और केंद्र से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें मिल जाएं, इसके बाद एक्सपर्ट के साथ बैठकर सिफारिशों का परीक्षण कर आयोग के गठन का निर्णय लेंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी सूरत में राज्य के कर्मचारियों का नुकसान नहीं होने देंगे।
राज्य के कर्मचारियों को सातवां वेतनमान कब से मिलेगा, यह पूछने पर मलैया ने कहा कि केंद्रीय तिथि से ही दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों को छठवें वेतनमान का लाभ एक जनवरी 2006 से दिया है।
हालांकि इसकी अधिसूचना विधानसभा चुनाव के ठीक पहले 10 सितंबर 2008 को जारी हुई थी। सरकार ने एक सितंबर 2008 से छठां वेतनमान मूल वेतन में जोड़ा था और एक जनवरी 2006 से 31 अगस्त 2008 तक की एरियर्स राशि कर्मचारियों के खातों में जमा कराई थी।
स्त्रोत - नईदुनिया
Wednesday, June 29, 2016
केंद्रीय कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग का लाभ होगा, पढ़ें - क्या हैं आयोग की सिफारिशें
नई दिल्ली: कैबिनेट सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने वेतन आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद बुधवार को अपनी रिपोर्ट वित्तमंत्रालय को सौंप दी ।आइए देखें कि वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में क्या-क्या सिफारिशें की हैं। सूचना एवं प्रसारत मंत्रालय द्वारा 19 नवंबर 2015 को जारी प्रेस विज्ञप्ति में वेतन आयोग की सिफारिशों का जिक्र है।
सलाना 3% वेतन बढ़ाने की सिफारिश
वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी गई वेतन आयोग की रिपोर्ट में मौजूदा कर्मचारियों के मूल वेतन में 16%, भत्तों में 63% और पेंशन में 24% इजाफे की सिफारिश की गई है। न्यायमूर्ति एके माथुर की अगुवाई वाले इस सातवें वेतन आयोग ने सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18 हजार और अधिकतम 2.50 लाख रुपये तय करने की सिफारिश की है। इसके अलावा आयोग ने केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में सालाना तीन फीसदी वृद्धि की भी सिफारिश की है।
सातवें वेतन आयोग को सरकार की ओर से मंजूरी मिल गई है। सैलरी में बढ़ोतरी 20 से 25 फीसदी के बीच होगी। सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा वेतनमान देने की मंजूरी दी है। हममें से कुछ इस बात को लेकर खुश हैं कि उनकी या उनके पारिवारिक सदस्यों की महीनेवार आय में बेतहाशा वृद्धि होने जा रही है, जबकि कुछ इस बाबत रश्क में हैं कि सरकार अपने अंडर में काम करने वाले बाबुओं, अधिकारियों, निदेशकों आदि की सैलरी बेतहाशा बढ़ा देती है। लेकिन, क्या वाकई ये बढ़ोतरी बेतहाशा और बेलगाम होती है? क्या वाकई सरकार के अंडर में काम करने वाला हरेक कर्मी अब रुपयों के ढेर पर बैठा होगा? जबकि, गैर सरकारी कर्मी सालाना मुद्रास्फीति और नौकरी की असुरक्षा के तहत मरता-पिसता रहेगा?
यदि आप भी ऐसा ही सोचते रहे हैं.. तो आइए कुछ चीजें समझें जिन पर अक्सर लोग संशय में देखे जाते हैं :
1. किस व्यक्ति की सैलरी कितनी बढ़ेगी, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि वह कितने समय से उस नौकरी में है और किस ग्रेड पर है। साथ ही, जिस ग्रेड में वह है, उसमें वह कब से है कितने सालों से है। जरूरी नहीं है कि किसी एक पद वाले प्रत्येक व्यक्ति की सैलरी एकदम बराबर ही बढ़े। यह उसके नौकरी के टेन्यौर जैसी अन्य कई अहम बातों पर भी निर्भर करता है। यह बढ़ोतरी हरेक के लिए अलग अलग कैलकुलेशन पर होगी।
2. वह व्यक्ति जो सरकारी मकान में रह रहा है, उसकी महीनेवार ड्रॉ होने वाली सैलरी में होने वाला इजाफा उस व्यक्ति की तुलना में कम होगा जोकि सरकारी मकान में नहीं रह रहा है। सरकारी मकान सैलरी पर असर एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस के चलते पड़ेगा। जिस व्यक्ति ने रहने के लिए सरकार से हाउस लिया हुआ है जाहिर तौर पर उसकी सैलरी जो उसे महीनेवार मिलेगी, उसमें एचआरए का कंपोनेंट शामिल नहीं होगा।
3. इसी प्रकार से ट्रांसपोर्ट अलाउंस के चलते भी सैलरी पर असर पड़ेगा और इस मामले में भी कमोबेश एचआरए जैसा तर्क ही लागू होगा। डायरेक्टर या उससे ऊपर के ग्रेड के कर्मियों को यदि सरकार द्वारा घर से दफ्तर और दफ्तर से घर जाने के लिए गाड़ी दी जाती है तो उसके द्वारा हर महीने ड्रॉ की जाने वाली सैलरी के कंपोनेंट में ट्रांसपोर्ट कंपोनेंट में होने वाली वृद्धि शामिल नहीं होगी। जबकि जो व्यक्ति सरकारी गाड़ी का (यह सुविधा) नहीं कर रहा है तो उसे यह पैसा जरूर मिलेगा। तब निश्चित तौर पर उसकी महीनेवाल उठाई जाने वाली सैलरी अधिक बनेगी।
4. इसके अलावा एक बात यह भी है कि सैलरी का एक खास कंपोनेंट एचआरए इस बात से भी तय होता है कि आप किस शहर में रह रहे हैं। दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में एचआरए का प्रतिशत निश्चित तौर पर लखनऊ कानपुर से कम है। ऐसे में टायर टू और टायर 3 सिटीज़ के सरकारी कर्मियों की सैलरी में अन्य बातें समान होने के बावजूद इस एक कारण से ऊंच-नीच हो सकती है।
5. यदि 1 लाख रुपए महीने की सैलरी में वह 75 हजार रुपए महीने ड्रॉ करता था तो यह जरूरी नहीं है कि सैलरी 2 लाख रुपए महीने की सैलरी में वह 1 लाख 75 हजार रुपए ड्रॉ करेगा क्योंकि जिस हिसाब से उसकी सैलरी बढ़ेगी, उस हिसाब से वह बढ़े हुए टैक्स स्लैब में भी आएगा जिसके चलते उसकी इनकम टैक्स पहले की तुलना में अधिक कटेगा।
एक मोटा मोटी बात यह बता दें कि सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और भत्तों पर रिपोर्ट बनाने के लिए वेतन आयोग बनाया गया है। इसका काम हर दसवें साल में सरकारी कर्मियों की सैलरी और भत्तों की समीक्षा करके सिफारिशें सरकार को देना होता है जिसके आधार पर यह फैसला लिया जाता है कि उन्हें कितना इंक्रीमेंट दिया जाएगा।
उपर संक्षिप्त सिफारिश अक्षरश: दी गई है...
दिनांक 15-06-2016 से शालाओ की आहरण स्ंवितरण व्यवस्था मे परिवर्तन के सम्बन्ध मे
दिनांक 15-06-2016 से शालाओ की आहरण स्ंवितरण व्यवस्था मे परिवर्तन के सम्बन्ध मे जानकारी तत्काल उपलब्ध करवाने बाबाद
28 जून 2016 के अादेश की पीडीएफ कॉपी प्राप्त करने के करने के लिए इस लिंक को ओपन करें
संविदा अधीक्षक का संविदा शाला शिक्षक वर्ग-2 के पद पर संविलियन कर समान सुविधाऐं दिये जाने बावत 28 जून 2016
अादिम जाती कल्याण विभाग दवरा संचालित विभागीय छात्रावास व आश्रमों में पदस्थ संविदा अधीक्षक का संविदा शाला शिक्षक वर्ग-2 के पद पर संविलियन कर समान सुविधाऐं दिये जाने बावत अादेश ,अाज 28 जून 2016 को अादिवासी विकास विभाग द्वारा जारी किया गया ,अादेश मे 22 अगस्त 13 और 7 अगस्त 2014 के सरकारी अादेशो का हवाला देकर कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं।
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7वां वेतन आयोग : सैलरी बढ़ने को तर्कबुद्धि और तथ्यबुद्धि से देखिए..रविश कुमार (वरिष्ठ पत्रकार)
जब भी सरकारी कर्मचारियों का वेतन बढ़ने की बात होती है, उन्हें हिक़ारत की निगाह से देखा जाने लगता है। जैसे सरकार काम न करने वालों का कोई समूह हो। सुझाव दिया जाने लगता है कि इनकी संख्या सीमित हो और वेतन कम बढ़े। आलसी, जाहिल से लेकर मक्कार तक की छवि बनाई जाती है और इस सबके बीच वेतन बढ़ाने की घोषणा किसी अर्थक्रांति के आगमन के रूप में भी की जाने लगती है। कर्मचारी तमाम विश्लेषणों के अगले पैरे में सुस्त पड़ती भारत की महान अर्थव्यवस्था में जान लेने वाले एजेंट बन जाते हैं।
आज भी यही हो रहा है, पहले भी यही हो रहा था। एक तरफ सरकारी नौकरी के लिए सारा देश मरा जा रहा है। दूसरी तरफ उन्हीं सरकारी नौकरों के वेतन बढ़ने पर भी देश को मरने के लिए कहा जा रहा है। क्या सरकारी नौकरों को बोतल में बंद कर दिया जाए और कह दिया जाए कि तुम बिना हवा के जी सकते हो, क्योंकि तुम जनता के दिए टैक्स पर बोझ हो। यह बात वैसी है कि सरकारी नौकरी में सिर्फ कामचोरों की जमात पलती है, लेकिन भाई 'टेल मी, ऑनेस्टली', कॉरपोरेट के आंगन में कामचोर डेस्कटॉप के पीछे नहीं छिपे होते हैं...?
अगर नौकरशाही चोरों, कामचोरों की जमात है, तो इस देश के तमाम मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री से पूछा जाना चाहिए कि डियर, आप कैसे कह रहे हैं कि आपकी सरकार काम करती है। इस बात को कहने के लिए ही आप करोड़ों रुपये विज्ञापनबाज़ी में क्यों फूंक रहे हैं। आपके साथ कोई तो काम करता होगा, तभी तो नतीजे आते हैं। अगर कोई काम नहीं कर रहा, तो यह आप देखिए कि क्यों ऐसा है। बाहर आकर बताइे कि तमाम मंत्रालयों के चपरासी से लेकर अफसर तक समय पर आते हैं और काम करते हैं। इसका दावा तो आप लोग ही करते हैं न। तो क्यों नहीं भोंपू लेकर बताते हैं कि नौकरशाही का एक बड़ा हिस्सा आठ घंटे से ज़्यादा काम करता है। पुलिस से लेकर कई महकमे के लोग 14-15 घंटे काम करते हैं।
सरकार से बाहर के लोग सरकार की साइज़ को लेकर बहुत चिन्तित रहते हैं। वे इतना ही भारी बोझ हैं तो डियर सबको हटा दो। सिर्फ पीएमओ में पीएम रख दो और सीएमओ में सीएम, सबका काम हो जाएगा। जनता का दिया सारा टैक्स बच जाएगा। पिछले 20 साल से यह बकवास सुन रहा हूं। कितनी नौकरियां सरकार निकाल रही है, पहले यह बताइए। क्या यह तथ्य नहीं है कि सरकारी नौकरियों की संख्या घटी है। इसका असर काम पर पड़ता होगा कि नहीं। तमाम सरकारी विभागों में लोग ठेके पर रखे जा रहे हैं। ठेके के टीचर तमाम राज्यों में लाठी खा रहे हैं। क्या इनका भी वेतन बढ़ रहा है...? नौकरियां घटाने के बाद कर्मचारियों और अफ़सरों पर कितना दबाव बढ़ा है, क्या हम जानते हैं...?
इसके साथ-साथ वित्त विश्लेषक लिखने लगता है कि प्राइवेट सेक्टर में नर्स को जो मिलता है, उससे ज़्यादा सरकार अपनी नर्स को दे रही है। जनाब शिक्षित विश्लेषक, पता तो कीजिए कि प्राइवेट अस्पतालों में नर्सों की नौकरी की क्या शर्तें हैं। उन्हें क्यों कम वेतन दिया जा रहा है। उनकी कितनी हालत ख़राब है। अगर आप कम वेतन के समर्थक हैं तो अपनी सैलरी भी चौथाई कर दीजिए और बाकी को कहिए कि राष्ट्रवाद से पेट भर जाता है, सैलरी की क्या ज़रूरत है। कारपोरेट में सही है कि सैलरी ज्यादा है, लेकिन क्या सभी को लाखों रुपये पगार के मिल रहे हैं...? नौकरी नहीं देंगे, तो भाई, बेरोज़गारी प्रमोट होगी कि नहीं। सरकार का दायित्व बनता है कि सुरक्षित नौकरी दे और अपने नागरिकों का बोझ उठाए। उसे इसमें दिक्कत है तो बोझ को छोड़े और जाए।
नौकरशाही में कोई काम नहीं कर रहा है, तो यह सिस्टम की समस्या है। इसका सैलरी से क्या लेना-देना। उसके ऊपर बैठा नेता है, जो डीएम तक से पैसे वसूल कर लाने के लिए कहता है। जो लूट के हर तंत्र में शामिल है और आज भी हर राज्य में शामिल है। नहीं तो आप पिछले चार चुनावों में हुए खर्चे का अनुमान लगाकर देखिए। इनके पास कहां से इतना पैसा आ रहा है, वह भी सिर्फ फूंकने के लिए। ज़ाहिर है, एक हिस्सा तंत्र को कामचोर बनाता है, ताकि लूट कर राजनीति में फूंक सके। मगर एक हिस्सा काम भी तो करता है। हमारी चोर राजनीति इस सिस्टम को सड़ाकर रखती है, भ्रष्ट लोगों को शह देती है और उकसाकर रखती है। इसका संबंध उसके वेतन से नहीं है।
रहा सवाल कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए वेतन बढ़ाने की बात है तो सरकारी कर्मचारियों का वेतन ही क्यों बढ़ाया जा रहा है। एक लाख करोड़ से ज़्यादा किसानों के कर्ज़े माफ हो सकते थे। उनके अनाजों के दाम बढ़ाए जा सकते थे। किसान के हाथ में पैसा आएगा तो क्या भारत की महान अर्थव्यवस्था अंगड़ाई लेने से इंकार कर देगी...? ये विश्लेषक चाहते क्या हैं...? सरकार सरकारी कर्मचारी की सैलरी न बढ़ाए, किसानों और छात्रों के कर्ज़ माफ न करे, खरीद मूल्य न बढ़ाए तो उस पैसे का क्या करे सरकार...? पांच लाख करोड़ की ऋण छूट दी तो है उद्योगपतियों को। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो जनता के पैसे से चलने वाले सरकारी बैंकों के लाखों करोड़ क्यों पचा जाता है। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो क्यों सरकार से मदद मांगता है। अर्थव्यवस्था को दौड़ाकर दिखा दे न।
इसलिए इस वेतन वृद्धि को तर्क और तथ्य बुद्धि से देखिए। धारणाओं के कुचक्र से कोई लाभ नहीं है। प्राइवेट हो या सरकारी, हर तरह की नौकरियों में काम करने की औसत उम्र कम हो रही है, सुरक्षा घट रही है। इसका नागरिकों के सामाजिक जीवन से लेकर सेहत तक पर बुरा असर पड़ता है। लोग तनाव में ही दिखते हैं। उपभोग करने वाला वर्ग योग से तैयार नहीं होगा। काम करने के अवसर और उचित मज़दूरी से ही उसकी क्षमता बढ़ेगी।
लेखक (रविश कुमार ) वरिष्ठ पत्रकार है , स्त्रोतNDTV
मोदी कैबिनेट की आज हुई एक अहम बैठक में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया गया है
नई दिल्ली: मोदी कैबिनेट की आज हुई एक अहम बैठक में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट ने सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का फैसला किया है। यह बढ़ा वेतनमान 1 जनवरी 2016 से लागू होगा। आज के वेतन वृद्धि के ऐलान के बाद 50 लाख सरकारी कर्मचारी और 58 लाख पेंशनधारियों के हाथों में ज्यादा पैसा आएगा। कहा जा रहा है कि इस वेतन वृद्धि से रीयल एस्टेट सेक्टर और ऑटोमोबाइल सेक्टर में उछाल आएगा।
आरबीआई ने एक आकलन में अप्रैल में कहा था कि अगर आयोग की रिपोर्ट को ऐसे ही लागू किया गया तो 1.5 फीसदी महंगाई बढ़ जाएगी।
जानकारी के अनुसार इस कैबिनेट बैठक में शॉप एंड एस्टैब्लिसमैंट बिल पर चर्चा हुई है।
इस प्रस्ताव क फायदा 1 करोड़ से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों को मिलेगा। इससे पहले सातवें वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी कर्माचारियों की बेसिक सैलरी में 14.27 फीसदी बढ़ोत्तरी की सिफारिश की थी।
साथ ही आयोग ने एंट्री लेवल सैलरी 7,000 रुपये प्रति महीने से बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति महीने करने का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा है। नई सैलरी 1 जनवरी 2016 से लागू होगी जिसके चलते सरकारी कर्मचारियों को 6 महीने का एरियर भी मिलेगा।
इनकी बढ़ेगी सैलरी
-सातवें वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 14.27 फीसदी बढ़ोत्तरी की सिफारिश की थी।
-माना जा रहा है कि कैबिनेट बैसिक सैलरी में 18 से 20 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है।
-इसका फायदा 50 लाख सरकारी कर्मचारियों और 58 लाख पेंशनधारियों को मिलेगा।
-नई सैलरी 1 जनवरी 2016 से लागू होगी, यानी सरकारी कर्मचारियों को छह महीने का एरियर मिलेगा।
-कैबिनेट तय करेगी कि एरियर एक मुश्त दिया जाए या किश्तों में दिया जाए।
-सातवें वेतन आयोग ने इंट्री लेवल सैलरी 7,000 रू प्रति महीने से बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति महीने करने के प्रस्ताव सरकार के सामने रखा है।
-कैबिनेट सचिव की मौजूदा सैलरी 90,000 से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये करने की सिफारिश की है।
स्त्रोत NTDV
इनकी बढ़ेगी सैलरी
स्त्रोत NTDV
मप्र के खराब शैक्षणिक स्तर को अब सुधारेगा नीति आयोग
नईदिल्ली। मध्य प्रदेश के खराब शैक्षणिक स्तर को नीति आयोग अब दुरूस्त करेगा। आयोग ने इसे लेकर तेजी से कदम आगे बढ़ाया है। इसके तहत शैक्षणिक स्तर के पूरे प्लान को रिव्यू किया गया है। जिसमें स्कूलों में शिक्षकों की कमी सहित उनकी ट्रेनिंग आदि पर फोकस किया गया है। आयोग जल्द ही राज्य सरकार को इसे पूरा करने का एक टारगेट भी देगा। माना जा रहा है कि शैक्षणिक गुणवत्ता में मध्य प्रदेश के खराब परफार्मेंस के पीछे शिक्षकों की कमी ही सबसे बड़ी बजह है।
असर की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में शिक्षकों की सबसे अधिक कमी वाले में राज्यों में मप्र भी शामिल है। आयोग ने यह कदम देश में शैक्षणिक गुणवत्ता के स्तर में लगातार हो रही गिरावट के बाद उठाया है। जिसका आधार वर्ष 2014 की असर(एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशनल रिपोर्ट) की रिपोर्ट को बनाया है। जिसके तहत देश में शिक्षा स्तर काफी तेजी से नीचे गिर रहा है।
इनमें मप्र उन राज्यों में शुमार है, जहां यह गिरावट सबसे ज्यादा है। हालत यह है कि प्रदेश में कक्षा पांच में पढ़ने वाले छात्र को जोड़-घटाना तक नहीं आता है। वहीं कक्षा पांच का छात्र भी कक्षा दो की अंग्रेजी की किताब नहीं पढ़ पाता है। आयोग ने इन्ही सारे बिन्दुओं के आधार पर इस पूरे प्लान पर काम शुरू किया है। आयोग से जुड़े सूत्रों की मानें तो आयोग की टीम मध्य प्रदेश सहित देश के उन सभी राज्यों का जल्द दौरा करेगी। जहां शैक्षणिक गुणवत्ता की स्थिति काफी खराब है।
आयोग ने इस बिन्दुओं को किया है फोकस
शिक्षकों की कमी: -देश के जिन राज्यों में शिक्षकों की सबसे ज्यादा कमी है,उनमें मप्र भी शामिल है। यहां स्कूलों में शिक्षकों के 13 से 40 फीसदी तक पद खाली पड़े है। मप्र के अलावा जिन राज्यों में शिक्षकों की सबसे ज्यादा पद खाली है,उनमें झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार व पंजाब भी शामिल है।
ट्रेनिंग: -मप्र में शिक्षकों की समय-समय पर होने वाली ट्रेनिंग की हालत भी बदतर है। यहां सिर्फ सात फीसदी शिक्षक ही नौकरी में आने के बाद ट्रेनिंग ली है। इस मामले में देश के और भी जिन राज्यों की हालत बदतर है,उनमें हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शामिल है।
पढ़ाई का स्तर :- आयोग ने अपने रिव्यू में पढ़ाई के स्तर को भी शामिल किया है। इस दौरान रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि मप्र में कक्षा पांच के 69 फीसदी छात्र ऐसे है, जिन्हें जोड़-घटाना तक नहीं आता है। वहीं पांचवी के 66 फीसदी ऐसे छात्र हैजो कक्षा दो की भी अंग्रेजी की किताब नहीं पढ़ पाते है।
देश में शिक्षकों के 8.3 लाख पद खाली
आयोग के मुताबिक देश में शिक्षकों की भारी कमी है।मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में शिक्षकों के करीब 8.3लाख पद खाली है। यह स्थिति वर्ष 2015 में है। स्थिति यह है कि देश के करीब 65 लाख ऐसे स्कूल है,जहां एक शिक्षक के भरोसे स्कूल चल रहे है। केंद्र सरकार का जोर है कि इस स्थिति को बेहतर किया जाए।
स्त्रोत -नईदुनिया
Tuesday, June 28, 2016
एम. शिक्षा मित्र एप्प स्वीकार्य नही -जगदीश यादव
भोपाल - राज्य अध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश यादव ने एम्.शिक्षा मित्र का विरोध करते हुए कहा है कि एम. शिक्षा मित्र एप्प का प्रयोग केवल शिक्षा बिभाग में लागू किया जा रहा है, अन्य विभागों में नही, यदि ऑनलाइन उपस्थिति की ही बात है तो केवल शिक्षा विभाग में ही नवाचारी प्रयोग क्यों? जब तक शासन द्वारां अन्य विभागों पर इस एप्प के प्रयोग को लागू नहीं कर दिया जाता और मोबाइल, नेट डाटा पैक (मोबाइल भत्ता) की सुविधा प्रदान नहीं कर दी जाए तब तक इसे शिक्षा विभाग में कतई स्वीकार्य नही किया जाएगा।
राज्य अध्यापक संघ एम्.शिक्षा मित्र का पूर्णतः बहिष्कार करता है और माननीय मुख्यमंत्री महोदय एवं माननीय शिक्षामंत्री महोदय से मांग करता है कि एम् शिक्षा मित्र एप्प की केवल शिक्षा विभाग में अनिवार्यता को तत्काल निरस्त करते हुए समस्त विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों के साथ इसे लागू किया जाए अन्यथा शिक्षा विभाग में लागु किये जाने संबंधी निर्देश निरस्त कर तत्काल इसे रद्द किया जाए। प्रदेश के समस्त अध्यापक, संविदा शिक्षक, गुरुजियों एवं समस्त कर्मचारियों से अपील है कि एम्. शिक्षा मित्र एप्प का हर स्तर पर पुरजोर विरोध करें।
आपका- जगदीश यादव राज्य अध्यापक संघ म.प्र.
प्रवेश के लिए शासकीय स्कूलों में निजी स्कूलों सी कवायद
शाजापुर। जिले के सरकारी स्कूल अब प्राइवेट स्कूलों से प्रतिस्पर्धा करते दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, सरकारी स्कूलों में प्रवेश बढ़ाने के लिए इस बार शिक्षक और संस्था प्रमुख निजी स्कूलों की तरह प्रचार-प्रसार और कवायद कर रहे हैं। स्कूल प्रबंधन द्वारा जगह-जगह फ्लेक्स लगाने के साथ विज्ञापन किए जा रहे हैं और पर्चे बांटे जा रहे हैं। इसके अलावा स्कूलों द्वारा शिक्षकों की टीम बनाई गई है, जो घर-घर जाकर बच्चों और पालकों से संपर्क कर रहे हैं। इस दौरान पालकों और बच्चों को इस बार के बोर्ड परीक्षा के परिणाम के साथ स्कूलों में उपलब्ध सुविधा, सरकारी योजना, शिक्षकों के अनुभव के साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी देकर सरकारी स्कूलों में प्रवेश के लिए लुभा रहे हैं। विभाग ने 10 फीसदी प्रवेश बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
जानकारी के अनुसार स्कूलों में प्रवेश के लिए प्रचार-प्रसार अभियान कई वर्षों से आयोजित होता आ रहा है, किंतु इस बार करीब दो दर्जन स्कूलों ने इस अभियान को एक नया ही रूप दे दिया है। बीते वर्षों में गिनती के स्कूलों में ही अभियान को गंभीरता से लेने की जानकारी सामने आती रही हैं, किंतु इस बार बोर्ड परीक्षा के बेहतर परिणामों से शिक्षा विभाग में उत्साह और जोश का माहौल है। इसके चलते हर कोई इस बार प्रदेश में छाए जिले के नाम को बरकरार रखने के लिए जी-जान से जुट गया है। इसी का परिणाम में है कि इस बार 'स्कूल चलें हम' अभियान महज औपचारिकता न होकर हकीकत में अभियान के तौर पर ही चल रहा है। विभाग का अमला साधन, संसाधन के साथ तन-मन से स्कूलों में प्रवेश बढ़ाने में जुटे हैं। उल्लेखनीय है कि जिले के विद्यार्थियों ने इस बार हाई स्कूल और हायर सेकंडरी परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर प्रदेश की मेरिट सूची में स्थान बनाया और 10वीं में प्रदेश में पहले नंबर पर आकर 6 बच्चें मेरिट में रहे तो 12वीं के दो बच्चे भी मेरिट में आए। इन परिणामों के चलते पालकों और बच्चों की सरकारी स्कूलों के ढर्रे के प्रति बनी सोच में बदलाव आता दिखाई दे रहा है।
निजी स्कूलों को उठाना पड़ सकता है खामियाजा
प्रवेश को लेकर शिक्षा विभाग की सक्रियता का खामियाजा निजी स्कूलों को उठाना पड़ सकता है। इसका कारण सरकारी स्कूलों को सुधरता परिणाम और ढर्रा है। जिले के 41 स्कूलों को ई-शिक्षा से जोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही अन्य स्कूलों में भी पढ़ाई का स्तर उठाने के लिए तमाम कवायद की जा रही है। इनके अलावा प्रवेश के लिए किए जा रहे हाईटेक प्रचार-प्रसार से भी निजी स्कूलों में प्रवेश लेने की मंशा रखने वाले विद्यार्थी और उनके पालकों का झुकाव सरकारी स्कूलों की ओर बढ़ रहा है। इधर, प्रवेश बढ़ाने के लिए की जा रही कवायद से शिक्षकों को भी सफलता की प्रबल संभावना लग रही है। बताया जा रहा है कि व्यवस्थाओं में सुधार के चलते बेहतर शिक्षा पाने के लिए निजी विद्यालयों में पढ़ने से वंचित विद्यार्थियों का सपना अब शासकीय स्कूलों में पढ़ते हुए भी पूरा हो सकेगा। बहरहाल यदि शासकीय विद्यालयों में इसी प्रकार सुधार होता रहा तो पालकों की जेब पर पड़ने वाला भार कम होने के साथ निजी स्कूलों को यह सुधार भारी पढ़ सकता है।
यह विद्यालय प्रचार-प्रसार में आगे
शासकीय हाईस्कूल भरड़, गुलाना, मोहन बड़ोदिया, शासकीय कन्या विद्यालय अवंतिपुर बड़ोदिया, भ्याना, पलसावद, चौमा, शासकीय कन्या विद्यालय शुजालपुर मंडी, शासकीय विद्यालय पगरावदकलां, कड़वाला, मोहम्मदखेड़ा, अमलाय, केवड़ाखेड़ी, भैंसायागढ़ा और शासकीय स्कूल जामनेर आदि प्रवेश के लिए चलाए जा रहे अभियान में अन्य स्कूलों से आगे दिखाई दे रहे हैं। इन स्कूलों द्वारा प्रवेश के लिए स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं के साथ ही अन्य जानकारियां देने वाले विज्ञापन प्रकाशित कराने के साथ फ्लेक्स आदि लगाए गए हैं। इन विज्ञापन और फ्लेक्स में विद्यालय का गौरव बढ़ाने वाले विद्यार्थियों के फोटो सहित शासकीय विद्यालयों में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी है।
नवाचार और सख्ती से आया सुधार
कलेक्टर राजीव शर्मा के मार्गदर्शन और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए नवाचार के परिणामस्वरुप बोर्ड परीक्षा के बेहतर परिणाम ने शिक्षा विभाग में जोश भर दिया है। बता दें कि कलेक्टर श्री शर्मा ने सरकारी स्कूलों के ढर्रे में सुधार लाने के लिए ऑपरेशन द्रोणाचार्य चलाकर लापरवाह शिक्षकों पर लगाम कसी। इसके अलावा शिक्षकों की कमी से प्रभावित होती पढ़ाई को पटरी पर लाने के लिए ई-शिक्षा प्रारंभ की गई। इसमें विडियों कॉफ्रेसिंग के जरिए विद्यार्थियों पढ़ाया गया। इस सत्र से इस सेवा को और विस्तार दिया जा रहा है। कलेक्टर द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन और नवाचार में शिक्षा विभाग के साथ जिले के अन्य विभागों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शिक्षा विभाग सहित अन्य विभाग के अधिकारियों द्वारा स्कूलों का निरीक्षण किया गया तो ई-गर्वेनेंस के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पढ़ाई संभव हो सकी।
10 फीसदी प्रवेश बढ़ाने का लक्ष्य
इस बार बीते सालों की तुलना में 10 फीसदी प्रवेश बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ स्कूलों ने इसके लिए जबरदस्त प्रचार-प्रसार अभियान चला रखा है। कई स्कूलों ने तो लिंक से हटकर व्यक्तिगत रूप से हाईटेक तरीके अपनाकर प्रवेश बढ़ाने की जुगत लगाई है।
- विवेक दुबे, प्रभारी सहायक संचालक शिक्षा
इस प्रकर के सराहनीय कार्य अन्य जिलो मे भी शिक्षको द्वारा स्व प्रेरणा से किया जा रहा है।
स्त्रोत नईदुनिया
खुले में शौच करने वालो की फोटो,-राज्य अध्यापक संघ ने किया विरोध ज्ञापन सौपेंगे
प्रदेश उपाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी उचेहरा
सीईओ जिला पंचायत
30 जून को शिवराज कैबिनेट के बहुप्रतीक्षित विस्तार की संभावना,मंगलवार को कैबिनेट की बैठक नहीं होगी।
भोपाल - मंगलवार को प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक नहीं होगी। बैठक की नई तारीख तय नहीं हुई है, वहीं शिवराज कैबिनेट के प्रस्तावित विस्तार में नेता पुत्रों को लेने का दबाव बढ़ने लगा है। अपवादस्वरूप पहली बार के विधायकों को भी मौका मिल सकता है। 30 जून को बहुप्रतीक्षित विस्तार की संभावना है।
बताया जा रहा है कि राज्यपाल रामनरेश यादव बुखार से पीड़ित हैं, उन्हें रविवार को डाक्टरों ने डिस्चार्ज नहीं किया। उधर, सामान्य प्रशासन विभाग के स्तर पर तैयारियां हो चुकी हैं। एक घंटे की नोटिस पर शपथ का प्रारूप पत्र और आमंत्रण तैयार हो जाएंगे।
सूत्रों का कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग से मंत्रालय में कमरों की स्थिति को लेकर पिछले दिनों जानकारी मांगी गई थी। हालांकि, तब इसका उद्देश्य साफ नहीं किया था। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि बारिश की स्थिति को देखते हुए खुले में शपथ ग्रहण समारोह करने राजभवन में डोम तैयार कराना होगा। इसमें एक दिन का वक्त लग सकता है। राजभवन में डोम तैयार करने के लिए आदेश दिए जा सकते हैं।
अब केबिनेट बैठक मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद ही होने की संभावना है।
अध्यापक संवर्ग को अपनी स्थांतरण नीति के लिए केबिनेट बैठक की प्रतीक्षा है।
मंत्रिमंडल विस्तार पर कब-कब बोले सीएम
3 जून- राजधानी के चेतक बिज्र को सिक्स लेने करने के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा था कि जल्द ही हैप्पीनेस मंत्रालय का गठन होगा। इसके लिए अलग से मंत्री होगा।
12 जून- अजाक्स के सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद मीडिया से बोले मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द होगा।
17 जून- रीवा में भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी के दौरान बोले की इस माह के तक मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।
स्त्रोत - नईदुनिया
Monday, June 27, 2016
मानसून सत्र में " मोदी सरकार " पदोन्नति में आरक्षण बिल को पास करवाएगी
पदोन्नति में आरक्षण का रास्ता अब साफ़ होता नजर आ रहा है ,केंद्र सरकार मानसून सत्र में बकायदा एक कानून पास कर के, अब तक हुए सभी न्यायालयीन निर्णयों को शून्य करने जा रही है। उक्त आशय का बयान ,आज अमित शाह ने लखनऊ में , "जागरण फोराम " में दिया। गौरतलब है की वर्त्तमान केंद्र और राज्य सरकार इस मामले में बुरी तरह से उलझ गयी है। सामान्य और पिछड़ा वर्ग के संगठन पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है और अनुसूचित जाती और जन जाती के संगठन पदोन्नति में आरक्षण के पक्ष में मोर्चा खोले हुए है। कई राजनेतिक और सामजिक संगठन भी अपनी ताकत दिखा चुके हैं। असलियत में भाजपा का लक्ष्य उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव हैं जन्हा एक लाख से अधिक अधिकारी कर्मचारी न्यायालयीन निर्णयों के चलते पदावनत हो चुके है ,न्यायालयीन निर्णय शून्य होने से वे कर्मचारी अपने खोये पद पर वापस आ सकते हैं। इस प्रकार अनुसूचित जाती वर्ग की सहनुभूति भाजपा को मिलना तय हैं।
स्त्रोत मीडिया रिपोर्ट
खुशखबरी! सातवें वेतन आयोग पर कैबिनेट की बैठक में 29 जून को होगी चर्चा -NDTV
नई दिल्ली: देश में करीब 31 लाख से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी आई है। सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए कैबिनेट की बुधवार को होने वाली बैठक में यह मुद्दा रखा जाएगा। एनडीटीवी को सूत्रों से मिली खबर के अनुसार सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद इसे जल्द ही लागू कर दिया जाएगा। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि जुलाई में यह रिपोर्ट लागू कर दी जाएगी और जनवरी 2016 से कर्मचारियों को एरियर दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ महीनों से हर केंद्रीय कर्मचारी की जुबान पर एक ही सवाल है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट कब लागू होगी। कितना वेतन बढ़ेगा इस बात को लेकर भी असमंजस की स्थिति है।
बता दें कि सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने अपनी रिपोर्ट वित्तमंत्रालय को करीब 10 दिन पहले ही सौंप दी थी। इस समिति ने वेतन आयोग की रिपोर्ट पर अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट सौंपी थी। अब कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में एक नोट रखा जाएगा। अब यह साफ हो गया है कि जल्द ही केंद्रीय कर्मचारियों का इंतजार खत्म हो जाएगा और वेतन आयोग की रिपोर्ट कुछ संसोशनों के साथ लागू हो जाएगी। बात दें कि पिछले बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह मुद्दा लिस्ट में नहीं था।
कर्मचारी संगठनों से शुरू किया दबाव बनाना
इस बीच रेलवे के अलावा सीआरपीएफ, सरकारी डॉक्टरों के समूह ने वित्तमंत्री से मुलाकात कर वेतन आयोग की रिपोर्ट में कथित विसंगतियों को दूर कर इसे जल्द से जल्द लागू करने की मांग की है। कुछ सरकारी कर्मचारियों के संगठनों ने जल्द न लागू किए जाने पर हड़ताल पर जाने की धमकी दी है। (केंद्रीय कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग का लाभ अब कुछ ही दिनों में, पढ़ें - क्या हैं सिफारिशें )
सचिवों की समिति का महत्वपूर्ण सुझाव
बता दें कि वेतन आयोग की सिफारिशें वित्तमंत्रालय के पास हैं और पिछले बुधवार को अधिकार प्राप्त सचिवों की समिति ने वित्तमंत्रालय को इस आयोग की रिपोर्ट पर अपनी संस्तुति दे दी है। कहा जा रहा है कि इस समिति ने वेतन आयोग द्वारा दी गई सिफारिशों के आगे करीब 18-30 प्रतिशत वेतन वृद्धि की सिफारिश की है। (केंद्रीय कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले : सचिवों की समिति ने वेतन आयोग की सिफारिश से ज्यादा वेतन देने की बात कही!)
जानकारी के अनुसार, जहां वेतन आयोग ने कर्मचारियों के लिए न्यूनतम 18000 रुपये और अधिकतम 225000 रुपये (कैबिनेट सचिव और इस स्तर के अधिकारी के लिए 250000 रुपये) की सिफारिश की थी वहीं, सचिवों की अधिकार प्राप्त इस समिति ने इसमें 18-30 प्रतिशत की वृद्धि की बात कही है। यानी 18000 रुपये के स्थान पर करीब 27000 रुपये और 225000 के स्थान पर 325000 रुपये करने की सिफारिश की है।
1 जनवरी 2016 से लागू होगा वेतन आयोग
छठा वेतन आयोग 1 जनवरी, 2006 से लागू हुआ था और उम्मीद है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी, 2016 से लागू होंगी और कर्मचारियों को एरियर दिया जाएगा। आमतौर पर राज्यों द्वारा भी कुछ संशोधनों के साथ इन्हें अपनाया जाता है।स्त्रोत -NDTV
Sunday, June 26, 2016
संविलियन शिक्षा संघर्ष यात्रा सीधी से प्रारंभ -36 जिलो में जायेंगे
सीधी -25 जून से राज्य अध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश यादव और महासचिव दर्शन सिंह चौधरी द्वारा " संविलियन शिक्षा संघर्ष यात्रा " प्रारम्भ कर दी गयी है ,शिक्षा विभाग में संविलियन की मांग को लेकर किये जाने वाले विधासभा घेराव की तैयारियों को लेकर यह अभियान प्रारंभ किया गया है ,यात्रा दो चरणों में की जायेगी पहला चरण 25 जून से प्रारम्भ होकर 27 जून को समाप्त होगा ,दूसरा चरण 4 जुलाई से प्रारंभ होगा यात्रा के दौरान 36 जिलो के अध्यापको से सम्पर्क किया जाएगा ,यात्रा के दौरान ही वेतन मान के आदेश जारी भी हो जाते है तब भी 25 जुलाई का विधानसभा घेराव का कार्यक्रम याथावत रहेगा .
Saturday, June 25, 2016
आम अध्यापक की एकता विखंडित क्यों ?-राशी राठौर देवास
राशी राठौर -अक्सर आम अध्यापक अपने अधिकारों को प्राप्त ना कर पाने के लिए संघीय राजनीती को दोषी ठहराते रहे है। ये बात सही भी है। एकता के सूत्र मै बंध के किये गये प्रयास विफल नही होते। किन्तु क्या हम सभी आम अध्यापक जिनमै नेताजी शामिल नही है ,वो सब एक है ? हम आम अध्यापक भी तो स्वयं गुरू होते हुऐ भी उसी संघीय मानसिकता के गुलाम है। ये संघ आव्हान करेगा तो हम जायेंगे , वो संघ आव्हान करेगा तो हम नही जायेंगे। वर्तमान मै अध्यापक हित मै जारी भोपाल का क्रमिक अनशन इसी संघवाद से घिरे अध्यापको की मानसिकता को उजागर करती है। 14 दिन से घर परिवार छोड कर भोपाल मै अध्यापक बैठै है किन्तु आम अध्यापक हर उस आवाज का समर्थन करने की बजाय ,जो उसके हक के लिए उठती है, उस आवाज की पहचान करने मै लगा की आवाज कौन दे रहा है। क्या अब आम अध्यापक स्वयं संघवाद की ओछी मानसिकता से बंधा अनुभव नही करता। हम से तो बेहतर अतिथी शिक्षक है जो अध्यापक से संख्या मै एक तिहाई भी नही है किन्तु हर जगह उनकी संख्या अध्यापक से अधिक होती है। क्योंकि उन्हें हक लेना है वो किसी संघ के बन्धवा नही है। कई दिनों से लगत अनशन पर बैठे अध्यापको का साहस जवाब दे जाये या शरीर साथ छोड जाये पर किन्तु संघवाद की जडे इतनी गहराई तक अध्यापक के ह्रदय मै उतर गयी है की उसी आधार पर अनेक अध्यापक समस्याएं फल-फूल रही है।आम अध्यापक की मानसिकता भी किसी ना किसी संघो के पूर्वाग्रह से ग्रसित प्रतित होती है।वो तो सिर्फ अलादीन के जिन्न की तरह अपने आका के हुकम की तामील मै ही हाजरी दे सकते है। कौन है ये आका ? हमारे ही बीच के कुछ भाई बहन जो अपनी महत्वकांक्षा के चलते अध्यापको को एक नही होने देते। इस मानसिकता के साथ तो अध्यापक संघर्ष सफल कैसै होगा। आम अध्यापक को चाहिए की चेहरा नही उदेश्य पर ध्यान केन्द्रित कर अपना संघर्ष लडे। जो भी आवाज अध्यापक हित मै उठे उसका बिना किसी पूर्वाग्रह के सहयोग दे। ये अविस्मरणीय सत्य है की छोटे से संघ गुरूजी बिना किसी चयन प्रक्रिया से गुजरे एकता के बल पर संविदा बन गये, और अतिथी भी इसी तर्ज पर वेतन बढवाने, अनुभव के अंक लेने यहाँ तक की अब नियमितीकरण करवाने तक को आतुर है वो भी बिना किसी चयन प्रक्रिया से गुजरे, और एक अध्यापक है जिनको सरकार पिछले तीन साल मै छः बार छटवाँ देकर भी छका रही है।
लेखिका स्वयं अध्यापक है और यह उनके निजी विचार हैं ।
अतिथि शिक्षकों के विरुद्ध शासन द्वारा की गयी कार्यवाही निंदनीय- जगदीश यादव
सीधी -म.प्र.अतिथि शिक्षक संघ द्वारा अपनी न्यायोचित मांगों के समर्थन में किये जा रहे आंदोलन को लेकर म.प्र.शासन द्वारा अथिति शिक्षकों के साथ किये गए लाठी चार्ज एवं अमानवीय व्यवहार की राज्य अध्यापक संघ घोर निंदा करता है और अतिथि शिक्षकों की जायज मांगों हेतु नैतिक समर्थन प्रदान करता है। उक्ताशय के विचार प्रकट करते हुए प्रांताध्यक्ष श्री जगदीश यादव ने कहा है कि म.प्र. में शिक्षित बेरोजगारी का फायदा उठाते हुए म.प्र.शासन शिक्षित युवाओं का शोषण कर रही है और जब शिक्षित युवा वर्ग अपने अधिकार और सुविधाओं हेतु शासन के विरुद्ध आवाज उठाते हैं तो शासन उसे दबाने की भरपूर कोशिश कर लाठी चार्ज कर पूर्णतः अमानवीय व्यवहार कर रही है। आज हुई शर्मनाक घटना की हम निंदा करते हैं और अतिथी शिक्षकों की न्यायोचित मांगों का पूर्णतः समर्थन करते हैं।।
आपका ,जगदीश यादव राज्य अध्यापक संघ म.प्र.।।
Friday, June 24, 2016
मप्र में शांतिपूर्ण विद्रोह जैसे हालात ? - वसुदेव शर्मा छिंदवाड़ा
वसुदेव शर्मा छिंदवाड़ा - स्कूलों में प्रवेसोत्सव मन चुका है, लेकिन शिक्षकों की उपस्थिति सामान्य से भी कम है। स्कूल जाने वाले शिक्षक भी बेमन से ही जा रहे हैं। सभी 51 जिलों में अध्यापकों के टेंट लगे हुए हैं। अध्यापकों के नेता जिलों में सभाएं कर शिक्षा विभाग में संविलियन की लड़ाई के लिए अध्यापकों को तैयार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की बार-बार की वादाखिलाफी से तंग अध्यापक इस बार आर-पार की मानसिकता बना चुके हैं, वे लगभग शांतिपूर्ण विद्रोह की मुद्रा में हैं। उन्हें शिक्षा मंत्री पर भरोसा नहीं हैं, मुख्यमंत्री भी उनका भरोसा तोड़ चुके हैं, इसीलिए इस बार सिर्फ आदेश पर ही बात बनेगी, ऐसा नहीं होने पर स्कूल तो नहीं ही खुलेंगे।
विद्रोह की मुद्रा में सिर्फ अध्यापक ही नहीं है, जिन स्कूलों में अध्यापक हैं, उन्हीं स्कूलों के अतिथि शिक्षकों ने भी आंखें तरेर दी हैं, इनकी संख्या भी एक लाख के आस-पास है। 24 को सुबह भोपाल पहुंचने वाली ट्रेनों से अतिथियों की भीड़ उतरेगी और शहाजहांनीपार्क से सरकार को चुनौती देंगे, ये भोपाल में तब तक रहेंगे, जब तक सरकार इनके भविष्य का फैसला नहीं कर देती।
विद्रोह की स्थिति सिर्फ स्कूलों में नहीं हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के संविदाकर्मी भी विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान अपनी ताकत का अहसास कराने के लिए भोपाल में डेरा डालने वाले हैं। इनकी संख्या भी दो लाख से ऊपर पहुंचती है।
सरकारों की लोकप्रिय ठेका प्रणाली के सताए यह कर्मचारी भले ही टुकड़ों टुकड़ों में लड़ रहे हों, लेकिन इनकी लड़ाई का मकसद एक ही है कि उस विनाशकारी ठेका प्रणाली को तत्काल बंद किया जाए, जिसने उन्हें जवानी में भुखमरी जैसे हालात में जीने को मजबूर कर दिया है। अध्यापक शिक्षा विभाग में संविलियन चाहते हैं। अतिथि शिक्षक स्कूलों मे स्थाई नौकरी चाहते हैं। अतिथि विद्वान कालेजों के प्राध्यापक बनना चाहते हैं। संविदा कर्मचारी स्थाई कर्मचारी बनना चाहते हैं।
मप्र में 10-15 साल से चल रहे यह कर्मचारी इस बार पहले से ज्यादा गुस्से में हैं और वे लगभग सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण विद्रोह कर चुके हैं, जब तक सरकार इनकी नौकरी में निश्चिंतता नहीं ला देती, तब तक यह लोग शायद ही मन लगाकर काम कर सकें, यह स्थिति भी तो विद्रोह जैसी ही है और इसके लिए वही नीतियां जिम्मेदार हैं, जिनसे कांग्रेस को भी प्यार है और मोदीजी की भाजपा को भी।
लेखक पत्रकार है और यह उनकी निजी रिपोर्ट है ।