Tuesday, June 28, 2016

प्रवेश के लिए शासकीय स्कूलों में निजी स्कूलों सी कवायद

शाजापुर। जिले के सरकारी स्कूल अब प्राइवेट स्कूलों से प्रतिस्पर्धा करते दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, सरकारी स्कूलों में प्रवेश बढ़ाने के लिए इस बार शिक्षक और संस्था प्रमुख निजी स्कूलों की तरह प्रचार-प्रसार और कवायद कर रहे हैं। स्कूल प्रबंधन द्वारा जगह-जगह फ्लेक्स लगाने के साथ विज्ञापन किए जा रहे हैं और पर्चे बांटे जा रहे हैं। इसके अलावा स्कूलों द्वारा शिक्षकों की टीम बनाई गई है, जो घर-घर जाकर बच्चों और पालकों से संपर्क कर रहे हैं। इस दौरान पालकों और बच्चों को इस बार के बोर्ड परीक्षा के परिणाम के साथ स्कूलों में उपलब्ध सुविधा, सरकारी योजना, शिक्षकों के अनुभव के साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी देकर सरकारी स्कूलों में प्रवेश के लिए लुभा रहे हैं। विभाग ने 10 फीसदी प्रवेश बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
जानकारी के अनुसार स्कूलों में प्रवेश के लिए प्रचार-प्रसार अभियान कई वर्षों से आयोजित होता आ रहा है, किंतु इस बार करीब दो दर्जन स्कूलों ने इस अभियान को एक नया ही रूप दे दिया है। बीते वर्षों में गिनती के स्कूलों में ही अभियान को गंभीरता से लेने की जानकारी सामने आती रही हैं, किंतु इस बार बोर्ड परीक्षा के बेहतर परिणामों से शिक्षा विभाग में उत्साह और जोश का माहौल है। इसके चलते हर कोई इस बार प्रदेश में छाए जिले के नाम को बरकरार रखने के लिए जी-जान से जुट गया है। इसी का परिणाम में है कि इस बार 'स्कूल चलें हम' अभियान महज औपचारिकता न होकर हकीकत में अभियान के तौर पर ही चल रहा है। विभाग का अमला साधन, संसाधन के साथ तन-मन से स्कूलों में प्रवेश बढ़ाने में जुटे हैं। उल्लेखनीय है कि जिले के विद्यार्थियों ने इस बार हाई स्कूल और हायर सेकंडरी परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर प्रदेश की मेरिट सूची में स्थान बनाया और 10वीं में प्रदेश में पहले नंबर पर आकर 6 बच्चें मेरिट में रहे तो 12वीं के दो बच्चे भी मेरिट में आए। इन परिणामों के चलते पालकों और बच्चों की सरकारी स्कूलों के ढर्रे के प्रति बनी सोच में बदलाव आता दिखाई दे रहा है।
निजी स्कूलों को उठाना पड़ सकता है खामियाजा
प्रवेश को लेकर शिक्षा विभाग की सक्रियता का खामियाजा निजी स्कूलों को उठाना पड़ सकता है। इसका कारण सरकारी स्कूलों को सुधरता परिणाम और ढर्रा है। जिले के 41 स्कूलों को ई-शिक्षा से जोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही अन्य स्कूलों में भी पढ़ाई का स्तर उठाने के लिए तमाम कवायद की जा रही है। इनके अलावा प्रवेश के लिए किए जा रहे हाईटेक प्रचार-प्रसार से भी निजी स्कूलों में प्रवेश लेने की मंशा रखने वाले विद्यार्थी और उनके पालकों का झुकाव सरकारी स्कूलों की ओर बढ़ रहा है। इधर, प्रवेश बढ़ाने के लिए की जा रही कवायद से शिक्षकों को भी सफलता की प्रबल संभावना लग रही है। बताया जा रहा है कि व्यवस्थाओं में सुधार के चलते बेहतर शिक्षा पाने के लिए निजी विद्यालयों में पढ़ने से वंचित विद्यार्थियों का सपना अब शासकीय स्कूलों में पढ़ते हुए भी पूरा हो सकेगा। बहरहाल यदि शासकीय विद्यालयों में इसी प्रकार सुधार होता रहा तो पालकों की जेब पर पड़ने वाला भार कम होने के साथ निजी स्कूलों को यह सुधार भारी पढ़ सकता है।
यह विद्यालय प्रचार-प्रसार में आगे
शासकीय हाईस्कूल भरड़, गुलाना, मोहन बड़ोदिया, शासकीय कन्या विद्यालय अवंतिपुर बड़ोदिया, भ्याना, पलसावद, चौमा, शासकीय कन्या विद्यालय शुजालपुर मंडी, शासकीय विद्यालय पगरावदकलां, कड़वाला, मोहम्मदखेड़ा, अमलाय, केवड़ाखेड़ी, भैंसायागढ़ा और शासकीय स्कूल जामनेर आदि प्रवेश के लिए चलाए जा रहे अभियान में अन्य स्कूलों से आगे दिखाई दे रहे हैं। इन स्कूलों द्वारा प्रवेश के लिए स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं के साथ ही अन्य जानकारियां देने वाले विज्ञापन प्रकाशित कराने के साथ फ्लेक्स आदि लगाए गए हैं। इन विज्ञापन और फ्लेक्स में विद्यालय का गौरव बढ़ाने वाले विद्यार्थियों के फोटो सहित शासकीय विद्यालयों में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी है।
नवाचार और सख्ती से आया सुधार
कलेक्टर राजीव शर्मा के मार्गदर्शन और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए नवाचार के परिणामस्वरुप बोर्ड परीक्षा के बेहतर परिणाम ने शिक्षा विभाग में जोश भर दिया है। बता दें कि कलेक्टर श्री शर्मा ने सरकारी स्कूलों के ढर्रे में सुधार लाने के लिए ऑपरेशन द्रोणाचार्य चलाकर लापरवाह शिक्षकों पर लगाम कसी। इसके अलावा शिक्षकों की कमी से प्रभावित होती पढ़ाई को पटरी पर लाने के लिए ई-शिक्षा प्रारंभ की गई। इसमें विडियों कॉफ्रेसिंग के जरिए विद्यार्थियों पढ़ाया गया। इस सत्र से इस सेवा को और विस्तार दिया जा रहा है। कलेक्टर द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन और नवाचार में शिक्षा विभाग के साथ जिले के अन्य विभागों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शिक्षा विभाग सहित अन्य विभाग के अधिकारियों द्वारा स्कूलों का निरीक्षण किया गया तो ई-गर्वेनेंस के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पढ़ाई संभव हो सकी।
10 फीसदी प्रवेश बढ़ाने का लक्ष्य
इस बार बीते सालों की तुलना में 10 फीसदी प्रवेश बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ स्कूलों ने इसके लिए जबरदस्त प्रचार-प्रसार अभियान चला रखा है। कई स्कूलों ने तो लिंक से हटकर व्यक्तिगत रूप से हाईटेक तरीके अपनाकर प्रवेश बढ़ाने की जुगत लगाई है।
- विवेक दुबे, प्रभारी सहायक संचालक शिक्षा
इस प्रकर के सराहनीय  कार्य अन्य  जिलो मे भी शिक्षको द्वारा स्व प्रेरणा से किया जा रहा है।
स्त्रोत  नईदुनिया 








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Tuesday, June 28, 2016

प्रवेश के लिए शासकीय स्कूलों में निजी स्कूलों सी कवायद

शाजापुर। जिले के सरकारी स्कूल अब प्राइवेट स्कूलों से प्रतिस्पर्धा करते दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, सरकारी स्कूलों में प्रवेश बढ़ाने के लिए इस बार शिक्षक और संस्था प्रमुख निजी स्कूलों की तरह प्रचार-प्रसार और कवायद कर रहे हैं। स्कूल प्रबंधन द्वारा जगह-जगह फ्लेक्स लगाने के साथ विज्ञापन किए जा रहे हैं और पर्चे बांटे जा रहे हैं। इसके अलावा स्कूलों द्वारा शिक्षकों की टीम बनाई गई है, जो घर-घर जाकर बच्चों और पालकों से संपर्क कर रहे हैं। इस दौरान पालकों और बच्चों को इस बार के बोर्ड परीक्षा के परिणाम के साथ स्कूलों में उपलब्ध सुविधा, सरकारी योजना, शिक्षकों के अनुभव के साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी देकर सरकारी स्कूलों में प्रवेश के लिए लुभा रहे हैं। विभाग ने 10 फीसदी प्रवेश बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
जानकारी के अनुसार स्कूलों में प्रवेश के लिए प्रचार-प्रसार अभियान कई वर्षों से आयोजित होता आ रहा है, किंतु इस बार करीब दो दर्जन स्कूलों ने इस अभियान को एक नया ही रूप दे दिया है। बीते वर्षों में गिनती के स्कूलों में ही अभियान को गंभीरता से लेने की जानकारी सामने आती रही हैं, किंतु इस बार बोर्ड परीक्षा के बेहतर परिणामों से शिक्षा विभाग में उत्साह और जोश का माहौल है। इसके चलते हर कोई इस बार प्रदेश में छाए जिले के नाम को बरकरार रखने के लिए जी-जान से जुट गया है। इसी का परिणाम में है कि इस बार 'स्कूल चलें हम' अभियान महज औपचारिकता न होकर हकीकत में अभियान के तौर पर ही चल रहा है। विभाग का अमला साधन, संसाधन के साथ तन-मन से स्कूलों में प्रवेश बढ़ाने में जुटे हैं। उल्लेखनीय है कि जिले के विद्यार्थियों ने इस बार हाई स्कूल और हायर सेकंडरी परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर प्रदेश की मेरिट सूची में स्थान बनाया और 10वीं में प्रदेश में पहले नंबर पर आकर 6 बच्चें मेरिट में रहे तो 12वीं के दो बच्चे भी मेरिट में आए। इन परिणामों के चलते पालकों और बच्चों की सरकारी स्कूलों के ढर्रे के प्रति बनी सोच में बदलाव आता दिखाई दे रहा है।
निजी स्कूलों को उठाना पड़ सकता है खामियाजा
प्रवेश को लेकर शिक्षा विभाग की सक्रियता का खामियाजा निजी स्कूलों को उठाना पड़ सकता है। इसका कारण सरकारी स्कूलों को सुधरता परिणाम और ढर्रा है। जिले के 41 स्कूलों को ई-शिक्षा से जोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही अन्य स्कूलों में भी पढ़ाई का स्तर उठाने के लिए तमाम कवायद की जा रही है। इनके अलावा प्रवेश के लिए किए जा रहे हाईटेक प्रचार-प्रसार से भी निजी स्कूलों में प्रवेश लेने की मंशा रखने वाले विद्यार्थी और उनके पालकों का झुकाव सरकारी स्कूलों की ओर बढ़ रहा है। इधर, प्रवेश बढ़ाने के लिए की जा रही कवायद से शिक्षकों को भी सफलता की प्रबल संभावना लग रही है। बताया जा रहा है कि व्यवस्थाओं में सुधार के चलते बेहतर शिक्षा पाने के लिए निजी विद्यालयों में पढ़ने से वंचित विद्यार्थियों का सपना अब शासकीय स्कूलों में पढ़ते हुए भी पूरा हो सकेगा। बहरहाल यदि शासकीय विद्यालयों में इसी प्रकार सुधार होता रहा तो पालकों की जेब पर पड़ने वाला भार कम होने के साथ निजी स्कूलों को यह सुधार भारी पढ़ सकता है।
यह विद्यालय प्रचार-प्रसार में आगे
शासकीय हाईस्कूल भरड़, गुलाना, मोहन बड़ोदिया, शासकीय कन्या विद्यालय अवंतिपुर बड़ोदिया, भ्याना, पलसावद, चौमा, शासकीय कन्या विद्यालय शुजालपुर मंडी, शासकीय विद्यालय पगरावदकलां, कड़वाला, मोहम्मदखेड़ा, अमलाय, केवड़ाखेड़ी, भैंसायागढ़ा और शासकीय स्कूल जामनेर आदि प्रवेश के लिए चलाए जा रहे अभियान में अन्य स्कूलों से आगे दिखाई दे रहे हैं। इन स्कूलों द्वारा प्रवेश के लिए स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं के साथ ही अन्य जानकारियां देने वाले विज्ञापन प्रकाशित कराने के साथ फ्लेक्स आदि लगाए गए हैं। इन विज्ञापन और फ्लेक्स में विद्यालय का गौरव बढ़ाने वाले विद्यार्थियों के फोटो सहित शासकीय विद्यालयों में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी है।
नवाचार और सख्ती से आया सुधार
कलेक्टर राजीव शर्मा के मार्गदर्शन और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए नवाचार के परिणामस्वरुप बोर्ड परीक्षा के बेहतर परिणाम ने शिक्षा विभाग में जोश भर दिया है। बता दें कि कलेक्टर श्री शर्मा ने सरकारी स्कूलों के ढर्रे में सुधार लाने के लिए ऑपरेशन द्रोणाचार्य चलाकर लापरवाह शिक्षकों पर लगाम कसी। इसके अलावा शिक्षकों की कमी से प्रभावित होती पढ़ाई को पटरी पर लाने के लिए ई-शिक्षा प्रारंभ की गई। इसमें विडियों कॉफ्रेसिंग के जरिए विद्यार्थियों पढ़ाया गया। इस सत्र से इस सेवा को और विस्तार दिया जा रहा है। कलेक्टर द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन और नवाचार में शिक्षा विभाग के साथ जिले के अन्य विभागों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शिक्षा विभाग सहित अन्य विभाग के अधिकारियों द्वारा स्कूलों का निरीक्षण किया गया तो ई-गर्वेनेंस के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पढ़ाई संभव हो सकी।
10 फीसदी प्रवेश बढ़ाने का लक्ष्य
इस बार बीते सालों की तुलना में 10 फीसदी प्रवेश बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ स्कूलों ने इसके लिए जबरदस्त प्रचार-प्रसार अभियान चला रखा है। कई स्कूलों ने तो लिंक से हटकर व्यक्तिगत रूप से हाईटेक तरीके अपनाकर प्रवेश बढ़ाने की जुगत लगाई है।
- विवेक दुबे, प्रभारी सहायक संचालक शिक्षा
इस प्रकर के सराहनीय  कार्य अन्य  जिलो मे भी शिक्षको द्वारा स्व प्रेरणा से किया जा रहा है।
स्त्रोत  नईदुनिया 








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