आपसी सामंजस्य और भेदभाव को भूलते हुए, सर्वहिताय सहयोग की भावना को सर्वोपरि रखते हुए शासन के विरुद्ध अपनी बात पुरजोर तरीके से रखते हुए सकारात्मक प्रयास हेतु पहल होनी चाहिए ये हमारा मूल लक्ष्य है। अभी 1995 से लेकर 2016 कुल इक्कीस वर्ष हो चुके 1995 से 1998 की सेवावधि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत निरस्त, 1998 से 2007 की सेवावधि 2007 के दौरान अध्यापक संवर्ग की ,गठन प्रक्रिया के दौरान 9 वर्ष की सेवावधि की गणना के तहत सहायक अध्यापक को प्रति 3 वर्ष की गणना के आधार पर 1 वेतनवृद्धि अर्थात कुल 100 के मान से 3यानि 300, अध्यापक व वरिष्ठ अध्यापक को 2 वेतनवृद्धि अर्थात कृमशः 250 व 350 या अधिकतम 400 के मैं से नियमानुसार फॉर्मूला आधारित लाभअर्थात मूलवेतन का 10 प्रतिशत लाभ प्रदान करते हुए पाँचवे के स्थान पर चतुर्थ वेतनमान के समकक्ष (09 वर्ष में) और 2007 से 2013 के आदेश अनुसार पुनः 2007 से 2017 में 10 वर्ष पश्चात 2017 में आई आर सहित छटे के नाम से पाँचवा वेतनमान 2015 तक (कुल 09 वर्ष तक) तथा 2017 के स्थान पर छटे के स्थान पर 2016 में विसंगतिपूर्ण छटा वेतन की गणना कर जनवरी 2017 तक समय व्यतीत किया जा सके इसीलिए दोनों बार गणना शीट विसंगतिपूर्ण और इसके संशोधन के नाम पर जनवरी 2016 से दिसंबर 2016/31 मार्च 2017 तक की अवधि पूर्ण की जा सके जिससे 10 वर्ष पूर्ण होते ही वेतन rewise और जनवरी 2016/ अप्रैल 2017 को वेतन rewise कर छटा लागु की स्थिति निर्मित कर छटा प्रदाय किया जाए और जब छटा 2016/2017 को सातवा स्वभाविक 2026/2027 को मिलेगा। साथ ही हीनता की भावना का आधार लेते हुए सहायक शिक्षक को शिक्षक, और ततपश्चात इसी क्रम में शिक्षा विभाग के सभी उच्च पद समाप्त तो फिर जब पद ही नही तो काहे का विभाग और काहे का संविलियन।
जागो अध्यापक जागो..
अभी नही तो कभी नही की तर्ज पर अपने हित हेतु हम जागृत नही और अपना व परिवार का भविष्य निर्माण नही कर सकते तो राष्ट्र का निर्माण कैसे संभव और जब राष्ट्र का निर्माण नही तो हम राष्ट्र निर्माता शिक्षक कैसे होंगे? शासन की नीति और उसके व्यापक दूरगामी परिणाम क्या होंगे जब 4500 से 5000 शालाएं शिक्षकविहीन फिर भी मध्यप्रदेश शिक्षा में अन्य विकसित प्रदेशों की तुलना में अव्वल तो इन आंकड़ों की जादूगरी को समझिये की मध्यप्रदेश में आंकड़ों की बाजीगरीका अव्वल होना क्या प्रदर्शित करता? कभी कोई मोहरा तो कभी कोई।
संकेत ही काफी है मेरे विषय को आप तक पहुचाने के लिए।
जागो अध्यापक जागो..
अभी नही तो कभी नही की तर्ज पर अपने हित हेतु हम जागृत नही और अपना व परिवार का भविष्य निर्माण नही कर सकते तो राष्ट्र का निर्माण कैसे संभव और जब राष्ट्र का निर्माण नही तो हम राष्ट्र निर्माता शिक्षक कैसे होंगे? शासन की नीति और उसके व्यापक दूरगामी परिणाम क्या होंगे जब 4500 से 5000 शालाएं शिक्षकविहीन फिर भी मध्यप्रदेश शिक्षा में अन्य विकसित प्रदेशों की तुलना में अव्वल तो इन आंकड़ों की जादूगरी को समझिये की मध्यप्रदेश में आंकड़ों की बाजीगरीका अव्वल होना क्या प्रदर्शित करता? कभी कोई मोहरा तो कभी कोई।
संकेत ही काफी है मेरे विषय को आप तक पहुचाने के लिए।
आपका साथी-
सियाराम पटेल, नरसिंहपुर
प्रदेश मीडिया प्रभारी
राज्य अध्यापक संघ मध्यप्रदेश।
सियाराम पटेल, नरसिंहपुर
प्रदेश मीडिया प्रभारी
राज्य अध्यापक संघ मध्यप्रदेश।
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