Saturday, October 1, 2016

कम सुविधाओ एवं शोषण के बीच हमारे शिक्षक साथियो के कठिन परिश्रम से शिक्षा के स्तर को ऊँचा किया - रकीब खान

रकीब खान - वाजपयी सरकार ने 2003-04 मे  संविधान मे शंषोधन करके देश मे पेंशन बंद करवाने के साथ स्थाई पदो के .साथ कई विभागो मे अस्थाई पदो पर भर्ती के लिए कानून बनाया जिससे  मध्य प्रदेश मे स्थाई शिक्षको की भर्ती को खत्म कर अस्थाई शिक्षा कर्मी , एवं संविदा शिक्षको की भर्ती शुरू की जिनको BED, DED, धारी कुशल कर्मचारी होने के बावजूद भी एक अकुशल मज्दूर के बराबर अल्प वेतन पर रखा जाता  हे  साथ मे स्थाई कर्मचारियो के समान भत्ते (आवास , यात्रा आदि ) , पेंशंन (2004 से पहले )  तथा वेतन मान आदि से भी महरूम रखा जाता है जिस कारण इनका अधिकाश समय अपने हक़ को पाने की लड़ाई मे रैली ,धरना,  सभा आदि मे चला जाता है , साथ ही एक ही शाला मै एक ही कार्य को करने वाले LDT का वेतन जहाँ 40हज़ार के पार है वही उसी कार्य को ईमान दारी से करने वाले सहायक अध्यापक का वेतन मात्र 15 हज़ार ही है साथ ही ग्रेड पेय मे भी ज़मींन आसमान का अंतर है यही हाल अन्य वर्गो (1 व 2) का भी है इस कारण  अस्थाई पदो पर नियुक्त अध्यापक साथियो मे हीन भावना के साथ  सरकार एवं व्यवस्था  के प्रति रोष भी उत्पन्न होता है जिसका प्राभाव कक्षा मे भी पड़ता है साथ ही अल्प वेतन पर नियुक्त कर इनसे अन्य गैर शैक्षणिक कार्य (बी.एल.ओ. ,  SDM. कार्यालय मे अन्य निर्वाचन कार्य , मध्यान भोजन जानकारी , छात्रव्रत्ति, सायकिल आदि ) लिए जाते है , लगातार एसे कार्यो मे नियुक्ति से एक शिक्षक की अपने विषय पर एवं छात्रो पर पकड़ कमज़ोर हो जाती है साथ ही शिक्षक अधिकारियो का भी दबाव भी इनही पर होता है , जिससे इनमे मानसिक परेशानी के साथ ही अवसाद की स्तथि भी आ जाती है एसे मामले मे कई अध्यापक साथी आत्महत्या जेसे कठोर कदम भी उठा चुके  है !
जिससे अध्यापक एवं शिक्षा जगत पर एक विक्राल दुषप्रभाव पड़ता है , साथ यदि शिक्षक अपने हक़ के लिए धरना रैली जागरूकता लाता है तो मीडिया उसे कवरेज नही देता और यदि  एक शिक्षक शाला मे किसी उत्पाती छात्र को मार दे तो न्यूज पेपर मे ये खबर बड़ी बड़ी हेड लाईन मे छपती है जग हसाई होती है ,  जिससे समाज मे अध्यापको के प्रति गलत संदेश जाता है साथ ही शिक्षक छात्रो पर पड़ाई के लिए दबाव भी नही बना सकता है  इनही सभी कारणो से छात्र शासकीय शालाओ मे पड़ाई मे विशेष रुची नही ले पाते एवं दिनो दिन पड़ाई का स्तर समाज मे गिरता जा रहा है ,
लेकिन फिर भी कम सुविधाओ एवं शोषण के बीच हमारे शिक्षक साथियो के कठिन परिश्रम से बलीदान से ईमान दारी से किए गऐ शिक्षणीय कार्य से सत्र 2015-16 का कक्षा 10वी एवं 12 वी का बोर्ड परीक्षा परीणाम निजी शालाओ से अच्छा रहा है जिसके लिए समस्त अध्यापक बधाई के पात्र है धन्य वाद | 
( लेखक स्वय अध्यापक  है और यह उनके निजी  विचार हैं " १९९८ के बाद नियुक्त शिक्षको का शिक्षा पर और स्वय उनके जिवन  पर प्रभाव " विषय पर  2 दिवसीय  विमर्श  में सयुक्त रूप से  दुसरे स्थान पर इस रचना को रखा गया )
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Saturday, October 1, 2016

कम सुविधाओ एवं शोषण के बीच हमारे शिक्षक साथियो के कठिन परिश्रम से शिक्षा के स्तर को ऊँचा किया - रकीब खान

रकीब खान - वाजपयी सरकार ने 2003-04 मे  संविधान मे शंषोधन करके देश मे पेंशन बंद करवाने के साथ स्थाई पदो के .साथ कई विभागो मे अस्थाई पदो पर भर्ती के लिए कानून बनाया जिससे  मध्य प्रदेश मे स्थाई शिक्षको की भर्ती को खत्म कर अस्थाई शिक्षा कर्मी , एवं संविदा शिक्षको की भर्ती शुरू की जिनको BED, DED, धारी कुशल कर्मचारी होने के बावजूद भी एक अकुशल मज्दूर के बराबर अल्प वेतन पर रखा जाता  हे  साथ मे स्थाई कर्मचारियो के समान भत्ते (आवास , यात्रा आदि ) , पेंशंन (2004 से पहले )  तथा वेतन मान आदि से भी महरूम रखा जाता है जिस कारण इनका अधिकाश समय अपने हक़ को पाने की लड़ाई मे रैली ,धरना,  सभा आदि मे चला जाता है , साथ ही एक ही शाला मै एक ही कार्य को करने वाले LDT का वेतन जहाँ 40हज़ार के पार है वही उसी कार्य को ईमान दारी से करने वाले सहायक अध्यापक का वेतन मात्र 15 हज़ार ही है साथ ही ग्रेड पेय मे भी ज़मींन आसमान का अंतर है यही हाल अन्य वर्गो (1 व 2) का भी है इस कारण  अस्थाई पदो पर नियुक्त अध्यापक साथियो मे हीन भावना के साथ  सरकार एवं व्यवस्था  के प्रति रोष भी उत्पन्न होता है जिसका प्राभाव कक्षा मे भी पड़ता है साथ ही अल्प वेतन पर नियुक्त कर इनसे अन्य गैर शैक्षणिक कार्य (बी.एल.ओ. ,  SDM. कार्यालय मे अन्य निर्वाचन कार्य , मध्यान भोजन जानकारी , छात्रव्रत्ति, सायकिल आदि ) लिए जाते है , लगातार एसे कार्यो मे नियुक्ति से एक शिक्षक की अपने विषय पर एवं छात्रो पर पकड़ कमज़ोर हो जाती है साथ ही शिक्षक अधिकारियो का भी दबाव भी इनही पर होता है , जिससे इनमे मानसिक परेशानी के साथ ही अवसाद की स्तथि भी आ जाती है एसे मामले मे कई अध्यापक साथी आत्महत्या जेसे कठोर कदम भी उठा चुके  है !
जिससे अध्यापक एवं शिक्षा जगत पर एक विक्राल दुषप्रभाव पड़ता है , साथ यदि शिक्षक अपने हक़ के लिए धरना रैली जागरूकता लाता है तो मीडिया उसे कवरेज नही देता और यदि  एक शिक्षक शाला मे किसी उत्पाती छात्र को मार दे तो न्यूज पेपर मे ये खबर बड़ी बड़ी हेड लाईन मे छपती है जग हसाई होती है ,  जिससे समाज मे अध्यापको के प्रति गलत संदेश जाता है साथ ही शिक्षक छात्रो पर पड़ाई के लिए दबाव भी नही बना सकता है  इनही सभी कारणो से छात्र शासकीय शालाओ मे पड़ाई मे विशेष रुची नही ले पाते एवं दिनो दिन पड़ाई का स्तर समाज मे गिरता जा रहा है ,
लेकिन फिर भी कम सुविधाओ एवं शोषण के बीच हमारे शिक्षक साथियो के कठिन परिश्रम से बलीदान से ईमान दारी से किए गऐ शिक्षणीय कार्य से सत्र 2015-16 का कक्षा 10वी एवं 12 वी का बोर्ड परीक्षा परीणाम निजी शालाओ से अच्छा रहा है जिसके लिए समस्त अध्यापक बधाई के पात्र है धन्य वाद | 
( लेखक स्वय अध्यापक  है और यह उनके निजी  विचार हैं " १९९८ के बाद नियुक्त शिक्षको का शिक्षा पर और स्वय उनके जिवन  पर प्रभाव " विषय पर  2 दिवसीय  विमर्श  में सयुक्त रूप से  दुसरे स्थान पर इस रचना को रखा गया )
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