Friday, October 14, 2016

एक राष्ट्र एक पाठ्यक्रम भारतीय शिक्षा के समग्र विकास में सहायक होगा -विजय तिवारी (सुवासरा मंदसौर )

विजय तिवारी -विषय अनुरूप एक राष्ट्र एक पाठ्यक्रम या शिक्षा पद्धति लागू होना चाहिए । वर्तमान में कई विकसित राष्ट्रों ने भी one nation one education की प्रणाली अपना क्र चल रहे हे ।। भारत जैसे विकासशील व्  विविधता वाले राष्ट्र के लिये यह अति आवश्यक हे ।। सम्पूर्ण देश में एक पद्धति लागू हो जाने से राष्ट्रिय बोर्ड व् राजकीय बोर्ड का भेद मिट जायेगा जिससे छात्र व पालको में कोर्स के प्रति होने वाला संशय भी समाप्त होगा की कोन सा कोर्स बहतर हे । ऐसा होने से प्रतेयक बच्चे तक सामान कोर्स पड़ने के लिये उपलब्ध होगा ।। आज जहाँ निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की बात हो रही की प्रत्येक बच्चे तक ज्ञान पहुचे तो इस प्रणाली से सर्वमान्य कोर्स प्रत्येक छात्र तक पहुचेगा ।। आज शिक्षा का विषय समवर्ती सूची में रखा गया हे ।परन्तु कोई भी राज्य अपने यहाँ होने वाले कुल शिक्षा खर्च का लगभग30% ही स्वयम् खर्च करती हे बाकि के लिये केंद्र पर ही निर्भर हे । इसलिये शिक्षा को केंद्र द्वारा पूर्णरूप हे अपने पास लेकर भारतीय शिक्षा में आ रही किसी भी प्रकार की विसंगति को दूर किया जा सकता हे ।। अब चाहे वह शिक्षको की भर्ती या विद्यालयो के सनरचनात्मक विकास ।। एक कोर्स होने से शासन द्वारा छापी जाने वाली पुस्तके व् सहायक सामग्री में आने वाला ख़र्च भी प्रति वर्ष नही होगा तथा  अशासकीय विद्द्यालयो में अध्ध्य्यन रत छात्रो को प्रति वर्ष महंगे कोर्स से भी मुक्ति मिलजायेगी ।। एक और महत्त्वपूर्ण बात की सामान शिक्षा पद्धति लागू होने से रास्ट्रीय स्तर पर होने वाली परीक्षाओ में सभी को सामान कोर्स से अवसर प्राप्त होगा ।यह भावना भी मिटेगी की CBSE कोर्स राज्यो के कोर्स से बहतर हे । अतः एक राष्ट्र एक पाठ्यक्रम भारतीय  शिक्षा के समग्र विकास में सहायक होने के साथ साथ राज्यो में व्याप्त विभिन्न विसङ्गतयो पर रोक लगाई जासकती हे ।।
लेखक स्वय अध्यापक  हैं और यह उनकी निजी राय है  "सरकारी विद्यालयों में राष्ट्रीय स्तर पर सामान पाठ्य क्रम होना क्यों आवश्यक है ? " विषय पर आप ने पक्ष में लिखा है आप के लेख  को द्वितीय स्थान पर चुना गया है।

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Friday, October 14, 2016

एक राष्ट्र एक पाठ्यक्रम भारतीय शिक्षा के समग्र विकास में सहायक होगा -विजय तिवारी (सुवासरा मंदसौर )

विजय तिवारी -विषय अनुरूप एक राष्ट्र एक पाठ्यक्रम या शिक्षा पद्धति लागू होना चाहिए । वर्तमान में कई विकसित राष्ट्रों ने भी one nation one education की प्रणाली अपना क्र चल रहे हे ।। भारत जैसे विकासशील व्  विविधता वाले राष्ट्र के लिये यह अति आवश्यक हे ।। सम्पूर्ण देश में एक पद्धति लागू हो जाने से राष्ट्रिय बोर्ड व् राजकीय बोर्ड का भेद मिट जायेगा जिससे छात्र व पालको में कोर्स के प्रति होने वाला संशय भी समाप्त होगा की कोन सा कोर्स बहतर हे । ऐसा होने से प्रतेयक बच्चे तक सामान कोर्स पड़ने के लिये उपलब्ध होगा ।। आज जहाँ निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की बात हो रही की प्रत्येक बच्चे तक ज्ञान पहुचे तो इस प्रणाली से सर्वमान्य कोर्स प्रत्येक छात्र तक पहुचेगा ।। आज शिक्षा का विषय समवर्ती सूची में रखा गया हे ।परन्तु कोई भी राज्य अपने यहाँ होने वाले कुल शिक्षा खर्च का लगभग30% ही स्वयम् खर्च करती हे बाकि के लिये केंद्र पर ही निर्भर हे । इसलिये शिक्षा को केंद्र द्वारा पूर्णरूप हे अपने पास लेकर भारतीय शिक्षा में आ रही किसी भी प्रकार की विसंगति को दूर किया जा सकता हे ।। अब चाहे वह शिक्षको की भर्ती या विद्यालयो के सनरचनात्मक विकास ।। एक कोर्स होने से शासन द्वारा छापी जाने वाली पुस्तके व् सहायक सामग्री में आने वाला ख़र्च भी प्रति वर्ष नही होगा तथा  अशासकीय विद्द्यालयो में अध्ध्य्यन रत छात्रो को प्रति वर्ष महंगे कोर्स से भी मुक्ति मिलजायेगी ।। एक और महत्त्वपूर्ण बात की सामान शिक्षा पद्धति लागू होने से रास्ट्रीय स्तर पर होने वाली परीक्षाओ में सभी को सामान कोर्स से अवसर प्राप्त होगा ।यह भावना भी मिटेगी की CBSE कोर्स राज्यो के कोर्स से बहतर हे । अतः एक राष्ट्र एक पाठ्यक्रम भारतीय  शिक्षा के समग्र विकास में सहायक होने के साथ साथ राज्यो में व्याप्त विभिन्न विसङ्गतयो पर रोक लगाई जासकती हे ।।
लेखक स्वय अध्यापक  हैं और यह उनकी निजी राय है  "सरकारी विद्यालयों में राष्ट्रीय स्तर पर सामान पाठ्य क्रम होना क्यों आवश्यक है ? " विषय पर आप ने पक्ष में लिखा है आप के लेख  को द्वितीय स्थान पर चुना गया है।

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