विष्णु पाटीदार - आज का विषय प्राथमिक शालाओं में गिरती छात्र संख्या के कारण बंद होते प्राथमिक विद्यालय और अतिशेष होते शिक्षक एवं माध्यमिक विद्यालय में नवीन पद संरचना का प्रभाव और प्रथम राष्ट्र भाषा को अन्तिम क्रम पर रखना सही है
सर्वप्रथम तो प्राथमिक विद्यालयों में गिरती छात्र संख्या का मुख्य कारण शासकीय शालाओं के शिक्षकों को पढ़ाने का कार्य छोड़कर बाकी सारे कार्य करवाया जाना जैसे - बीएलओ, पोलियो की दवा, मध्याह्न भोजन, समय समय पर सर्वे कार्य करवाना निःशुल्क पाठ्य पुस्तक, साईकिल वितरण, गणवेश वितरण और भी अन्य समसामयिक कार्य की वजह से शिक्षक अपना मूल कार्य पढ़ाना तो कर हीं नहीं पाता इसलिए जनता में यह संदेश जाता है कि सरकारी स्कूल में तो पढ़ाई बिल्कुल नहीं होती तथा दूसरा कारण यह कि अंग्रेजी माध्यम में बच्चों को पढ़ाने का भूत सभी पर सवार है तो पालक अपने बच्चों को निजी विद्यालय में भर्ती करवाते है जिससे सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होती चली जा रही है अगर ऐसे ही छात्र संख्या का स्तर गिरता रहा तो आने वाले वर्षों में सारे सरकारी स्कूल बंद हो जायेंगे और सारे शिक्षक अतिशेष हो जायेंगे ।
माध्यमिक शालाओं में आरटीई नार्मस् के हिसाब से सभी विद्यालयों में 100 से कम दर्ज संख्या रह जाएगी और साईंस, संस्कृत और हिंदी के सारे शिक्षक अतिशेष हो जायेंगे तथा राष्ट्र भाषा हिन्दी को अंतिम स्थान पर रखना इस देश का दुर्भाग्य है साथ ही सारे प्रधानाध्यापक भी अतिशेष हो जायेंगे । इसका नतीजा यह होगा कि सरकार के शिक्षकों की संख्या अतिशेष रहेगी तो नई भर्ती करने का तो सवाल हीं पैदा नहीं होता । इसका प्रभाव हाईस्कूल एवं हायरसेकेण्डरी पर भी पड़ेगा । जब स्कूलों में बच्चे नहीं होंगे तो स्कूल बंद करना हीं पड़ेगा ।( लेखक स्वय अध्यापक है और यह उनके निजी विचार हैं ,शुक्रवार और शनिवार का विषय था प्राथमिक शालाओ में गिरती छात्र संख्या ,के कारण बंद होते विद्यालय और अतिशेष होते शिक्षक ,एवं माध्यमिक विद्यालय मे नविन पद संरचना का प्रभाव और प्रथम (राष्ट्र) भाषा को अंतिम क्रम पर रखना कितना सही है। इस विषय पर आप का लेख द्वितीय स्थान पर चयनित किया गया है )
सर्वप्रथम तो प्राथमिक विद्यालयों में गिरती छात्र संख्या का मुख्य कारण शासकीय शालाओं के शिक्षकों को पढ़ाने का कार्य छोड़कर बाकी सारे कार्य करवाया जाना जैसे - बीएलओ, पोलियो की दवा, मध्याह्न भोजन, समय समय पर सर्वे कार्य करवाना निःशुल्क पाठ्य पुस्तक, साईकिल वितरण, गणवेश वितरण और भी अन्य समसामयिक कार्य की वजह से शिक्षक अपना मूल कार्य पढ़ाना तो कर हीं नहीं पाता इसलिए जनता में यह संदेश जाता है कि सरकारी स्कूल में तो पढ़ाई बिल्कुल नहीं होती तथा दूसरा कारण यह कि अंग्रेजी माध्यम में बच्चों को पढ़ाने का भूत सभी पर सवार है तो पालक अपने बच्चों को निजी विद्यालय में भर्ती करवाते है जिससे सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होती चली जा रही है अगर ऐसे ही छात्र संख्या का स्तर गिरता रहा तो आने वाले वर्षों में सारे सरकारी स्कूल बंद हो जायेंगे और सारे शिक्षक अतिशेष हो जायेंगे ।
माध्यमिक शालाओं में आरटीई नार्मस् के हिसाब से सभी विद्यालयों में 100 से कम दर्ज संख्या रह जाएगी और साईंस, संस्कृत और हिंदी के सारे शिक्षक अतिशेष हो जायेंगे तथा राष्ट्र भाषा हिन्दी को अंतिम स्थान पर रखना इस देश का दुर्भाग्य है साथ ही सारे प्रधानाध्यापक भी अतिशेष हो जायेंगे । इसका नतीजा यह होगा कि सरकार के शिक्षकों की संख्या अतिशेष रहेगी तो नई भर्ती करने का तो सवाल हीं पैदा नहीं होता । इसका प्रभाव हाईस्कूल एवं हायरसेकेण्डरी पर भी पड़ेगा । जब स्कूलों में बच्चे नहीं होंगे तो स्कूल बंद करना हीं पड़ेगा ।( लेखक स्वय अध्यापक है और यह उनके निजी विचार हैं ,शुक्रवार और शनिवार का विषय था प्राथमिक शालाओ में गिरती छात्र संख्या ,के कारण बंद होते विद्यालय और अतिशेष होते शिक्षक ,एवं माध्यमिक विद्यालय मे नविन पद संरचना का प्रभाव और प्रथम (राष्ट्र) भाषा को अंतिम क्रम पर रखना कितना सही है। इस विषय पर आप का लेख द्वितीय स्थान पर चयनित किया गया है )
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