विजय तिवारी - माननीय हाईकोर्ट इलाहबाद के यह निर्णय कि सभी शासकीय सेवक व् जनप्रतिनिधि अपने बच्चों को शासकीय विद्यालयो में ही पढ़ाये ।। के पीछे एक व्यापक सोच हे । अब यही निर्णय सुप्रीम कोर्ट को भी देना चाहिए और समस्त देश में लागू करवाना चाहिये ।। यदि इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय की व्यापकता को देखे तो यह पाएंगे की भारतीय संस्कृति "गुरुर देवो म्हेश्वरः " वाली रही जहाँ गुरु की अपनी प्रतिष्ठा और सम्मान सदैव ही रहा हे ।। यदि सांसद विधायक व् उच्च अधिकारी अपने बच्चों को इन शासकीय विद्द्यालयो में भेजते हे तो ।जो शिक्षिकिय प्रतिष्ठा आज जन मानस के बीच कम हो रही हे उसमे स्वतः वृद्धि होगी ।। इस निर्णय का दूसरा और गम्भीर पहलू यह भी हे की वर्तमान में बढ़ रही शिक्षा की व्यवसायीकरण को रोकना हे । आज यदि सर्वे कराया जाए तो अधिकाँश उच्च श्रेणी के विद्यालय जिन्हें इंटर नेशनल स्कूल भी कहा जाता हे । इन्ही जनप्रतिनिधियो या अधिकारियो के ही हे । जो पूर्णरूपेण मात्र धन कमाने में लगे हुए हे । जिनका शिक्षा के द्वारा होने वाला सर्वांगीण विकास से कोई लेना देना नही हे ।। यदि इलाहबाद हाईकोर्ट का निर्णय मान्य हो तो इस बढ़ती व्यवसायीकरण पर भी नियंत्रण किया जा सकता हे ।।
इस निर्णय का एक और व्यापक और सकारात्मक पहलू यह भी हे की शासकीय विद्यालयो के मूलभूत सुविधओं का विकास करना यदि उक्त लोगो के बच्चे शासकीय विद्यालयो में अध्ययन करेंगे तो वहा आवश्यक शिक्षक , फर्नीचर , सुविधा सम्पन्न शौचालय खेल का मैदान व् सामान और स्वच्छ वातावरण का निर्माण पर ये स्वयम् जोर देकर कराएँगे ।। जिसका आज अधिकांश विद्यालयोमे आभाव इन्ही की भरष्टाचारि के कारण नही हो पा रहा हे ।।
इस निर्णय का विशेष पहलू की यह निर्णय लागू होने से जो गरीब बच्चे शिक्षक या सुविधाओ के अभाव में वांछित शिक्षा नही प्राप्त क्र पा रहे हे इस निर्णय के क्रियान्वित होने के वाद अपनी क्षमता को विकसित क्र सकेंगे ।। हमारे शासकीय विद्यालयो में पढ़ाने वाले शिक्षक प्राइवेट स्कूल के शिक्षक से कहि अधिक योग्यता वाले हे और सरकार द्वारा आयोजित व्यापम TET जैसी परीक्षाओ को पास कर व् पूर्ण ट्रेंड हो के अपनी सेवाये दे रहे हे ।
अतः इलाहावाद हाईकोर्ट का निर्णय के पीछे इक व्यापक और सकारात्म सोच हे । जिसका सकारात्मक लाभ सम्पूर्ण समाज को होगा ।।
इस निर्णय का एक और व्यापक और सकारात्मक पहलू यह भी हे की शासकीय विद्यालयो के मूलभूत सुविधओं का विकास करना यदि उक्त लोगो के बच्चे शासकीय विद्यालयो में अध्ययन करेंगे तो वहा आवश्यक शिक्षक , फर्नीचर , सुविधा सम्पन्न शौचालय खेल का मैदान व् सामान और स्वच्छ वातावरण का निर्माण पर ये स्वयम् जोर देकर कराएँगे ।। जिसका आज अधिकांश विद्यालयोमे आभाव इन्ही की भरष्टाचारि के कारण नही हो पा रहा हे ।।
इस निर्णय का विशेष पहलू की यह निर्णय लागू होने से जो गरीब बच्चे शिक्षक या सुविधाओ के अभाव में वांछित शिक्षा नही प्राप्त क्र पा रहे हे इस निर्णय के क्रियान्वित होने के वाद अपनी क्षमता को विकसित क्र सकेंगे ।। हमारे शासकीय विद्यालयो में पढ़ाने वाले शिक्षक प्राइवेट स्कूल के शिक्षक से कहि अधिक योग्यता वाले हे और सरकार द्वारा आयोजित व्यापम TET जैसी परीक्षाओ को पास कर व् पूर्ण ट्रेंड हो के अपनी सेवाये दे रहे हे ।
अतः इलाहावाद हाईकोर्ट का निर्णय के पीछे इक व्यापक और सकारात्म सोच हे । जिसका सकारात्मक लाभ सम्पूर्ण समाज को होगा ।।
लेखक सवयं अध्यापक है और यह इनके निजी विचार है -यह लेख बुधवार और गुरूवार को शिक्षा विमर्श में चर्चा के विषय
' माननीय ईलाहबाद उच्च न्यायालय का आदेश जिसमे प्रत्येक लोकसेवक "अफसर ,कर्मचारी ,विधायक और सांसद " को अपने बच्चों को शासकीय विद्यालयों में पढ़ाने का आदेश ' यह लेख दुसरे स्थान के लिए चुना गया है .
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