Friday, October 7, 2016

इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला बिल्कुल उचित ,निजी विद्यालयों की मनमानी खत्म होगी सरकारी विद्यालयों और शिक्षकों की दशा सुधरेगी -रूपेश सराठे (होशंगाबाद )

रूपेश सराठे - इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला बिल्कुल उचित है। इससे निजी विद्यालयों की मनमानी खत्म हो जायेगी और सरकारी विद्यालयों और शिक्षकों की दशा और दिशा दोनों में सुधार हो जायेगा।क्योंकि जब सभी लोकसेवकों और जनप्रितिनिधियों के बच्चे एक ही स्थान पर पढ़ेंगे तो उनके बेहतर अध्यापन हेतु वे विद्यालयों और शिक्षकों के प्रति वे बहुत गम्भीरता से प्रयासरत रहेंगे।जिससे सरकारी विद्यालयों में व्याप्त भौतिक एवं शैक्षिक समस्याएं अतिशीघ्र ही दूर हो जाएंगी। जब सभी लोगों के बच्चे एक साथ पढ़ेंगे तो सामाजिक भेदभाव में भी कमी आएगी जिससे समाज में समरसता का माहौल बनेगा जो सभी के लिए सुखद होगा। अभीशिक्षकों से जो गैर शैक्षणिक कार्य करवाये जा रहे हैं उन पर स्वतः रोक लग जाएगी। आज जो अधिकारीगण अनाप शनाप आदेश निकाल रहा हैं अपने वातानुकूलित कार्यालयों में बैठकर उन पर भी लगाम स्वतः लग जाएगी। जैसा कि शासन कि सोच बन गई है कि सरकारी शिक्षक काम नहीं करते वह भी बदल जायेगी।और यदि कुछ अपवाद स्परूप हमारे साथी यदि काम नहीं कर रहे हैं वे भी स्वतः सुधर जायेंगे। अतः मेरे मतानुसार माननीय सर्वोच्च न्यायालय को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को पूरे भारत में लागू कर  देना सर्वथा उचित रहेगा।
 

लेखक सवयं अध्यापक है और यह इनके निजी विचार है -यह लेख बुधवार और गुरूवार को शिक्षा विमर्श में चर्चा के विषय '  माननीय ईलाहबाद उच्च न्यायालय का आदेश जिसमे प्रत्येक लोकसेवक "अफसर ,कर्मचारी ,विधायक और सांसद " को अपने बच्चों को शासकीय विद्यालयों में पढ़ाने का आदेश  ' में संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर चुना गया है ' 



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Friday, October 7, 2016

इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला बिल्कुल उचित ,निजी विद्यालयों की मनमानी खत्म होगी सरकारी विद्यालयों और शिक्षकों की दशा सुधरेगी -रूपेश सराठे (होशंगाबाद )

रूपेश सराठे - इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला बिल्कुल उचित है। इससे निजी विद्यालयों की मनमानी खत्म हो जायेगी और सरकारी विद्यालयों और शिक्षकों की दशा और दिशा दोनों में सुधार हो जायेगा।क्योंकि जब सभी लोकसेवकों और जनप्रितिनिधियों के बच्चे एक ही स्थान पर पढ़ेंगे तो उनके बेहतर अध्यापन हेतु वे विद्यालयों और शिक्षकों के प्रति वे बहुत गम्भीरता से प्रयासरत रहेंगे।जिससे सरकारी विद्यालयों में व्याप्त भौतिक एवं शैक्षिक समस्याएं अतिशीघ्र ही दूर हो जाएंगी। जब सभी लोगों के बच्चे एक साथ पढ़ेंगे तो सामाजिक भेदभाव में भी कमी आएगी जिससे समाज में समरसता का माहौल बनेगा जो सभी के लिए सुखद होगा। अभीशिक्षकों से जो गैर शैक्षणिक कार्य करवाये जा रहे हैं उन पर स्वतः रोक लग जाएगी। आज जो अधिकारीगण अनाप शनाप आदेश निकाल रहा हैं अपने वातानुकूलित कार्यालयों में बैठकर उन पर भी लगाम स्वतः लग जाएगी। जैसा कि शासन कि सोच बन गई है कि सरकारी शिक्षक काम नहीं करते वह भी बदल जायेगी।और यदि कुछ अपवाद स्परूप हमारे साथी यदि काम नहीं कर रहे हैं वे भी स्वतः सुधर जायेंगे। अतः मेरे मतानुसार माननीय सर्वोच्च न्यायालय को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को पूरे भारत में लागू कर  देना सर्वथा उचित रहेगा।
 

लेखक सवयं अध्यापक है और यह इनके निजी विचार है -यह लेख बुधवार और गुरूवार को शिक्षा विमर्श में चर्चा के विषय '  माननीय ईलाहबाद उच्च न्यायालय का आदेश जिसमे प्रत्येक लोकसेवक "अफसर ,कर्मचारी ,विधायक और सांसद " को अपने बच्चों को शासकीय विद्यालयों में पढ़ाने का आदेश  ' में संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर चुना गया है ' 



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