Saturday, June 4, 2016

संघर्षों के साये में असली आजादी पलती है : - सियाराम पटेल नरसिंहपुर

 

।। संघर्षों के  साये में असली आजादी पलती है  ।।           

प्रिय अध्यापक भाईयो और  बहिनों, 
सादर वंदे।                                  

      सरकार द्वारा हमेशा फूट डालो   और शासन करो की नीति अपनायी जा रही है। शासन द्वारा विभिन्न वर्गों में बांटा गया है यथा -  अध्यापक, संविदा शिक्षक, गुरूजी और अतिथि शिक्षक। सभी की  योग्यता समान  होने पर विभिन्न वर्ग भेदो में बांटा जाना और सेवा  शर्तों में भी असमानता रखा जाना इसी लक्ष्य व उदेश्य की पूर्ती करता   है। इन वर्गभेदों में इतनी असमानता रखी गयी है कि हम चाहकर भी एक नही हो सकते क्योंकि हर वर्ग को अपने हितों की  चिंता होना स्वभाविक है और इसी वर्ग भेद से शासन फुट डालने में    सफल होती है। जब भी हम संघर्ष और आंदोलन के माध्यम से अपने अधिकारों की पूर्ती हेतु एकजुट  होते हैं तो शासन इसी वर्गभेद का फायदा उठाते हुए किसी एक वर्ग   की मांग को विसंगति सहित आंशिक रूप से हल करती है,  जिससे अन्य वर्ग के साथियों का आक्रोश शासन के विरुद्ध न होकर अपने ही साथियों के विरुद्ध मुखर होता है। कुछ समय हम इसी आपसी विरोधाभास, अविस्वास व सेवाशर्तों  की असमानता के चलते विभिन्न संघो में विभाजित हो जाते हैं जिसका फायदा शासन वखूबी उठाता है और हम हाथ मलते और सिर धुनते रह जाते हैं।                                      
      इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी को अपने अधिकारों व हितों को  लेकर अपना पक्ष शासन के समक्ष   रखने हेतु अधिकार प्राप्त हैं, किन्तु कुछ समय से शासन ने अपने हितों की रक्षार्थ आवाज उठाने पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कर्मचारियों के आंदोलनों को अवैधानिक घोषित करना, एक से अधिक संघठन होने पर किसी भी एक संघ को अपने पक्ष में करते हुए दवाब खत्म किया जाने हेतु  फुट डालने का सबसे कारगर शस्त्र बना लिया है। अतएव सभी साथियों से अनुरोध है कि शासन की इस नीति को मुहतोड़ जवाब देने हेतु अपने आपसी मतभेद व मनभेद को दरकिनार करते हुए राज्य  अध्यापक संघ द्वारा म.प्र.शासन के विरुद्ध अध्यापक हित में आगाज किये गए आंदोलन में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करेंगे। राज्य अध्यापक संघ अल्पवेतन भोगी कर्मचारियों का मातृसंघ है जिसने कर्मचारी जगत में नए कीर्तिमान स्थापित कर सफलताएं प्राप्त की हैं। राज्य अध्यापक संघ किसी अन्य संघ के विरुद्ध टीका टिप्पणी किये वगैर सदैव अध्यापक हित में कार्य करने वाला संघ है। राज्य अध्यापक संघद् वारा 1 जून को छटे वेतन की गणना शीट की होली जलाते हुए   शासन को आगाह किया गया है कि यदि गणना शीट में व्याप्त।        
       विसंगतियां यथाशीघ्र दूर नही की गयी तो 15 जून 2016 से नवीन शैक्षणिक सत्र की शुरुवात के साथ ही तालाबंदी की जायेगी। यथाशीघ्र  आप सभी को आंदोलन की चरणबद्ध रणनीति से अवगत कराया जाएगा।।        
                    
"संघर्षों  के साये में असली आजादी पलती है "    
                                                              
सियाराम पटेल                                                                                                                  
आई टी सेल,  राज्य अध्यापक संघ  मध्यप्रदेश।।             
                   

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Saturday, June 4, 2016

संघर्षों के साये में असली आजादी पलती है : - सियाराम पटेल नरसिंहपुर

 

।। संघर्षों के  साये में असली आजादी पलती है  ।।           

प्रिय अध्यापक भाईयो और  बहिनों, 
सादर वंदे।                                  

      सरकार द्वारा हमेशा फूट डालो   और शासन करो की नीति अपनायी जा रही है। शासन द्वारा विभिन्न वर्गों में बांटा गया है यथा -  अध्यापक, संविदा शिक्षक, गुरूजी और अतिथि शिक्षक। सभी की  योग्यता समान  होने पर विभिन्न वर्ग भेदो में बांटा जाना और सेवा  शर्तों में भी असमानता रखा जाना इसी लक्ष्य व उदेश्य की पूर्ती करता   है। इन वर्गभेदों में इतनी असमानता रखी गयी है कि हम चाहकर भी एक नही हो सकते क्योंकि हर वर्ग को अपने हितों की  चिंता होना स्वभाविक है और इसी वर्ग भेद से शासन फुट डालने में    सफल होती है। जब भी हम संघर्ष और आंदोलन के माध्यम से अपने अधिकारों की पूर्ती हेतु एकजुट  होते हैं तो शासन इसी वर्गभेद का फायदा उठाते हुए किसी एक वर्ग   की मांग को विसंगति सहित आंशिक रूप से हल करती है,  जिससे अन्य वर्ग के साथियों का आक्रोश शासन के विरुद्ध न होकर अपने ही साथियों के विरुद्ध मुखर होता है। कुछ समय हम इसी आपसी विरोधाभास, अविस्वास व सेवाशर्तों  की असमानता के चलते विभिन्न संघो में विभाजित हो जाते हैं जिसका फायदा शासन वखूबी उठाता है और हम हाथ मलते और सिर धुनते रह जाते हैं।                                      
      इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी को अपने अधिकारों व हितों को  लेकर अपना पक्ष शासन के समक्ष   रखने हेतु अधिकार प्राप्त हैं, किन्तु कुछ समय से शासन ने अपने हितों की रक्षार्थ आवाज उठाने पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कर्मचारियों के आंदोलनों को अवैधानिक घोषित करना, एक से अधिक संघठन होने पर किसी भी एक संघ को अपने पक्ष में करते हुए दवाब खत्म किया जाने हेतु  फुट डालने का सबसे कारगर शस्त्र बना लिया है। अतएव सभी साथियों से अनुरोध है कि शासन की इस नीति को मुहतोड़ जवाब देने हेतु अपने आपसी मतभेद व मनभेद को दरकिनार करते हुए राज्य  अध्यापक संघ द्वारा म.प्र.शासन के विरुद्ध अध्यापक हित में आगाज किये गए आंदोलन में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करेंगे। राज्य अध्यापक संघ अल्पवेतन भोगी कर्मचारियों का मातृसंघ है जिसने कर्मचारी जगत में नए कीर्तिमान स्थापित कर सफलताएं प्राप्त की हैं। राज्य अध्यापक संघ किसी अन्य संघ के विरुद्ध टीका टिप्पणी किये वगैर सदैव अध्यापक हित में कार्य करने वाला संघ है। राज्य अध्यापक संघद् वारा 1 जून को छटे वेतन की गणना शीट की होली जलाते हुए   शासन को आगाह किया गया है कि यदि गणना शीट में व्याप्त।        
       विसंगतियां यथाशीघ्र दूर नही की गयी तो 15 जून 2016 से नवीन शैक्षणिक सत्र की शुरुवात के साथ ही तालाबंदी की जायेगी। यथाशीघ्र  आप सभी को आंदोलन की चरणबद्ध रणनीति से अवगत कराया जाएगा।।        
                    
"संघर्षों  के साये में असली आजादी पलती है "    
                                                              
सियाराम पटेल                                                                                                                  
आई टी सेल,  राज्य अध्यापक संघ  मध्यप्रदेश।।             
                   

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