Saturday, June 4, 2016

मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय परिवार के सामने होंगे चार ऑप्शन -सैयद शाहिद मीर


           आज में जिस मुद्दे पर बात कर रहा हु वह बहुत ही अहम् और मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय  परिवारो के भविष्य से जुड़ा है । अगर इस मुद्दे पर आज विचार नहीं किया गया तो मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय परिवार को या तो परिवार बढ़ाने के लिए विचार करना पड़ेगा या फिर गरीबी का कूपन बनवाने  के किये लाइनों में लगना पड़ेगा जो बनवाना उनके लिए सम्भव नहीं होगा।
          जी हां ये मुद्दा है शिक्षा का। आज कल हर आदमी अपना पेट काटकर अपने बच्चों को शिक्षा दें रहा है। दोस्तों में एक स्कूल संचालक होने के साथ साथ पिता भी हु। में पिता होने व स्कूल संचालक होने के नाते पालको की आर्थिक व मानसिक परिस्थिति महसूस कर सकता हु।  एक और सरकार शिक्षा के निजीकरण में देश का भविष्य देख रही है तो वहीँमध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय  परिवार सरकारी व निजी स्कूलो के बीच पिसता नज़र आ रहा है। गरीबो के लिए आरटीई नियम लागू करने के साथ ही निजी स्कूलो की प्रारम्भिक कक्षा की फ़ीस पौने चार हज़ार रूपये कर दी है। इसका असर यह हो रहा है की वे छोटे स्कूल जिनकी फ़ीस हज़ार या दो हज़ार रूपये साल हुआ करती थी वे बढ़कर चार हज़ार रूपये से शुरू हो गई। और क्यों न हो सरकार खुद निशुल्क बच्चे पढ़ाने के एवज में ये शुल्क दे रही है। सरकार आरटीई के नियमो में जो शक्ति दिखा रही है उससे देश के कई मध्यमवर्गीय व् छोटे स्कूल बंद हो जायेंगे। जिसका खामियाज़ा भविष्य में  मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय  परिवार को भुगतना पड़ सकता है।मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय परिवार  जिनकी मासिक आय 5 हज़ार से 15 हज़ार रूपये है वे अपने बच्चों को जैसे तैसे 12 वी तो करा लेंगे लेकिन उच्च शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के लिये सोचना पडेगा। उन्हें मजबूरन प्लेन यानी सामान्य कोर्स से डिग्री हासिल करना होगी जो भविष्य में किसी काम की नहीं रहेंगी। अगर बच्चे को उच्च शिक्षा दिला भी दी तो वह उसकी शादी करने या खुद का मकान बनाने का सपना पूरा नहीं कर पाएंगा। एक तरफ महंगाई तो दूसरी तरफ न मिलने वाली नौकरी आने वाली पीढ़ी पर क्या असर दिखाने वाली है उसका अंदाज़ा लगाना अभी सम्भव नहीं है। यानि अब रोटी कपड़ा और मकान के साथ शिक्षा को भी जोड़ लिया जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
ये हो सकता है इसका हल
          सरकारी स्कूलो में पहले भी पढाई होती थी और आज भी। लेकिन सरकार ने शिक्षको को कोल्हू का बैल बना कर उन्हें उनके मूल उद्देश्य से भटका दिया है। अब वे पढ़ाते कम है और सर्वे करते ज्यादा नज़र आते है। सरकार सर्वे कार्य के लिए एक सर्वे विभाग बनाये और शिक्षको को इस कार्य से मुक्त रखे। वही पालक भी सरकारी स्कूलो में अपना भरोसा जताते हुए समय समय पर बच्चे की रिपोर्ट लेने जाए और शिक्षको का भरोसा हासिल करे। वहीँ सामाजिक संस्थाये भी अपने स्तर पर स्कूलो को गोद लेकर उसका संचालन करे।  हम समय पर नहीं जागे तो मध्यमवर्गीय परिवार शिक्षा से वंचित  हो सकता है। 
ये तो मेरा विचार व् सुझाव है आपका क्या विचार व् सुझाव है वह जरूर सोचे और किसी न किसी तरह सरकार तक पहुचाये ताकि आने वाला कल सुखद व विकासशील साबित हो सके।  अभी नहीं जागे तो भविष्य में आपके सामने ये चार  ऑप्शन होंगे।
         पहला  बच्चे की पढाई दूसरा अपना घर तीसरा बच्चों की शादी और चौथा बुढ़ापे के लिए जमा पूंजी। मर्ज़ी आपकी सोच आपकी ये देश भी हमारा है और बच्चे भी। इनमे से आप किसे चुनना पसन्द करेंगे । चारो या कोई एक ।
        अभी नहीं जागे तो भविष्य में किसी को दोष देने लायक भी नहीं रहेंगे हम। जागिए और अपने साथ ही देश के हीत में सोचिये।(सैयद शाहिद मीर )

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Saturday, June 4, 2016

मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय परिवार के सामने होंगे चार ऑप्शन -सैयद शाहिद मीर


           आज में जिस मुद्दे पर बात कर रहा हु वह बहुत ही अहम् और मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय  परिवारो के भविष्य से जुड़ा है । अगर इस मुद्दे पर आज विचार नहीं किया गया तो मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय परिवार को या तो परिवार बढ़ाने के लिए विचार करना पड़ेगा या फिर गरीबी का कूपन बनवाने  के किये लाइनों में लगना पड़ेगा जो बनवाना उनके लिए सम्भव नहीं होगा।
          जी हां ये मुद्दा है शिक्षा का। आज कल हर आदमी अपना पेट काटकर अपने बच्चों को शिक्षा दें रहा है। दोस्तों में एक स्कूल संचालक होने के साथ साथ पिता भी हु। में पिता होने व स्कूल संचालक होने के नाते पालको की आर्थिक व मानसिक परिस्थिति महसूस कर सकता हु।  एक और सरकार शिक्षा के निजीकरण में देश का भविष्य देख रही है तो वहीँमध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय  परिवार सरकारी व निजी स्कूलो के बीच पिसता नज़र आ रहा है। गरीबो के लिए आरटीई नियम लागू करने के साथ ही निजी स्कूलो की प्रारम्भिक कक्षा की फ़ीस पौने चार हज़ार रूपये कर दी है। इसका असर यह हो रहा है की वे छोटे स्कूल जिनकी फ़ीस हज़ार या दो हज़ार रूपये साल हुआ करती थी वे बढ़कर चार हज़ार रूपये से शुरू हो गई। और क्यों न हो सरकार खुद निशुल्क बच्चे पढ़ाने के एवज में ये शुल्क दे रही है। सरकार आरटीई के नियमो में जो शक्ति दिखा रही है उससे देश के कई मध्यमवर्गीय व् छोटे स्कूल बंद हो जायेंगे। जिसका खामियाज़ा भविष्य में  मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय  परिवार को भुगतना पड़ सकता है।मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय परिवार  जिनकी मासिक आय 5 हज़ार से 15 हज़ार रूपये है वे अपने बच्चों को जैसे तैसे 12 वी तो करा लेंगे लेकिन उच्च शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के लिये सोचना पडेगा। उन्हें मजबूरन प्लेन यानी सामान्य कोर्स से डिग्री हासिल करना होगी जो भविष्य में किसी काम की नहीं रहेंगी। अगर बच्चे को उच्च शिक्षा दिला भी दी तो वह उसकी शादी करने या खुद का मकान बनाने का सपना पूरा नहीं कर पाएंगा। एक तरफ महंगाई तो दूसरी तरफ न मिलने वाली नौकरी आने वाली पीढ़ी पर क्या असर दिखाने वाली है उसका अंदाज़ा लगाना अभी सम्भव नहीं है। यानि अब रोटी कपड़ा और मकान के साथ शिक्षा को भी जोड़ लिया जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
ये हो सकता है इसका हल
          सरकारी स्कूलो में पहले भी पढाई होती थी और आज भी। लेकिन सरकार ने शिक्षको को कोल्हू का बैल बना कर उन्हें उनके मूल उद्देश्य से भटका दिया है। अब वे पढ़ाते कम है और सर्वे करते ज्यादा नज़र आते है। सरकार सर्वे कार्य के लिए एक सर्वे विभाग बनाये और शिक्षको को इस कार्य से मुक्त रखे। वही पालक भी सरकारी स्कूलो में अपना भरोसा जताते हुए समय समय पर बच्चे की रिपोर्ट लेने जाए और शिक्षको का भरोसा हासिल करे। वहीँ सामाजिक संस्थाये भी अपने स्तर पर स्कूलो को गोद लेकर उसका संचालन करे।  हम समय पर नहीं जागे तो मध्यमवर्गीय परिवार शिक्षा से वंचित  हो सकता है। 
ये तो मेरा विचार व् सुझाव है आपका क्या विचार व् सुझाव है वह जरूर सोचे और किसी न किसी तरह सरकार तक पहुचाये ताकि आने वाला कल सुखद व विकासशील साबित हो सके।  अभी नहीं जागे तो भविष्य में आपके सामने ये चार  ऑप्शन होंगे।
         पहला  बच्चे की पढाई दूसरा अपना घर तीसरा बच्चों की शादी और चौथा बुढ़ापे के लिए जमा पूंजी। मर्ज़ी आपकी सोच आपकी ये देश भी हमारा है और बच्चे भी। इनमे से आप किसे चुनना पसन्द करेंगे । चारो या कोई एक ।
        अभी नहीं जागे तो भविष्य में किसी को दोष देने लायक भी नहीं रहेंगे हम। जागिए और अपने साथ ही देश के हीत में सोचिये।(सैयद शाहिद मीर )

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