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Sunday, June 19, 2016
एम्-शिक्षा मित्र के सम्बन्ध में अध्यापको को खुला ख़त -मनीष शंकर तिवारी नरसिंहपुर
सम्मानीय साथियो
सादर वंदे
एंड्राइड मोबाइल के दौर में एप्प का अपना महत्व हो गया है। एप्प के निर्माण से निर्माणकर्ता को रॉयल्टी का लाभ प्राप्त होता है, जबकि एप्प के जिम्मेदार को एप्प से अनेक फायदे होते हैं।
वर्तमान में मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग द्वारा भी मोबाइल शिक्षा मित्र नामक एक एप्प तैयार किया गया है, जिसमे GPS आधारित उपस्थिति प्रणाली से शिक्षा विभाग के सेवकों की उपस्थिति सुनिश्चित किये जाने का फरमान शिक्षा विभाग द्वारा विगत 2 वर्षों से जारी किया जा रहा है।
इस तकनीकी आधारित उपस्थिति प्रणाली पर विचार करने पर कुछ संशय और सवाल जो उमड़ रहे हैं वो आपके समक्ष रखना चाहता हूँ।
*कृपया अपना अभिमत अवश्य रखें*
1. किसी भी एप्प को डाउनलोड करते वक़्त उसकी Term & Condition को accept करने का option भी आता है। जिसका उपयोग या दुरूपयोग करने हेतु एप्प का मालिक स्वतंत्र होता है। चूंकि यह एप्प GPS आधारित है, जिसमें उपस्थिति देने वाले की भौगोलिक उपस्थिति एप्प में दर्ज हो जाती है, जबकि TRAI के नियमानुसार भारत देश में किसी भी मोबाइल उपयोगकर्ता की भौगोलिक उपस्थिति की जानकारी गंभीर आपराधिक स्थिति के अतिरिक्त कानूनन असंवैधानिक है।
2. तकनीक के इस दौर हैकिंग जैसे साइबर क्राइम जिनमे देश और प्रदेश की महत्वपूर्ण वेबसाइट्स को हैक कर लिया जाता है, तो क्या गारंटी है कि 8 किलोमीटर के दायरे मुख्यालय बना कर निवासरत महिला सेवकों के लिए यह एप्प उनकी सुरक्षा और संरक्षा के लिए मुसीबत न बने।
3. किसी भी नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों की उपस्थिति लेने पर होने वाले व्यय की जिम्मेदारी नियोक्ता की होती आई है न कि स्वयं कर्मचारी की। साथ ही सूबे के शिक्षा विभाग द्वारा अपने कर्मचारियों की उपस्थिति के अनेक तरीके जैसे उपस्थिति पंजी, थंब मशीन, बायो मेट्रिक मशीन और एम् शिक्षा मित्र वर्तमान में प्रचलित हैं। इन सभी तरीकों में पूर्णतः सुरक्षित और संवैधानिक कोई एक तरीका अंतिम रूप से क्यों नही लागु किया जा रहा है?
4. डेटा नेटवर्क न होने पर, या मोबाइल गम हो जाने पर, या अन्य कोई विपत्ति अकस्मात आने पर GPS आधारित उपस्थिति को अंतिम रूप से कैसे वैधानिकता दी जा सकती है?
5. नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों की उपस्थिती तय करने उपस्थिति पंजी या अन्य जिस डिवाइस का उपयोग किया जाता है उस एक डिवाइस पर सभी कर्मचारी सामूहिक रूप से अपनी उपस्थिति देते हैं, इस तरह उपस्थिति देने पर होने वाला व्यय नगण्य होता है। जबकि एंड्राइड मोबाइल फोन के द्वारा प्रत्येक कर्मचारी को अलग अलग डिवाइस क्रय करना होगी और इसमें प्रतिमाह 30 का डेटा पैक (वर्तमान में 30 दिन का डेटा पैक उपलब्ध नही है) कराना होगा, जिसका व्यय अधिकतम एवम् अनुत्पादक होगा।
6. भारत संचार निगम लिमिटेड द्वारा क्लोज यूजर ग्रुप सिम की व्यवस्था की गई है अतः विभाग को अपने कर्मचारियों के लिए यह सिम निशुल्क प्रतिमाह के डेटा पैक के साथ उपलब्ध कराना चाहिए, यदि विभाग की मंशा वास्तव में सच्ची है तो।
7. जैसा कि दावा किया जा रहा है कि यह एप्प शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की विभिन्न जानकारियां उप्लब्ध करायेगा तो एजुकेशन पोर्टल का क्या कार्य होगा?
8. यदि एम् शिक्षा मित्र ही पूर्ण सुरक्षित, संरक्षित और संवैधानिक उपस्थिति प्रणाली है तो इसे मध्य प्रदेश के सभी विभागों में अभी तक लागु क्यों नहीं किया गया है? और उपस्थिति पंजी संधारण सहित विभिन्न उपस्थिति प्रणालियों पर तत्काल प्रभाव से रोक क्यों नही लगाई जा रही है।
9. यदि अध्यापकों के आंदोलनों को रोकने और कुछ कामचोर कर्मचारियों के लिए इसतरह की प्रणाली का उपयोग विभाग आवश्यक समझता है तो पहले विभाग को अपने कर्मचारियों को पूर्ण सुविधाये प्रदान क्यों नहीं करता?
मुख्यालय पर शिक्षक आवास उपलब्ध कराये जाएं।ताकि समय पर उपस्थिति दर्ज हो जाये।
संविदा भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जाये और न्यूनतम वेतन 25000 रु निर्धारित किया जाये।
साथ ही अध्यापकों को शिक्षा विभाग के नियमित कर्मचारियों की तरह पूर्ण सुविधाये दी जाएं तो अध्यापक आंदोलन स्वतः रुक जायेंगे।
और कामचोर कर्मचारियों के प्रति कठोर कार्यवाही की जावे ताकि कोई अन्य कर्मचारी गलती न कर सके।
अंततः निष्कर्ष यही है कि जब तक शासन और प्रशासन हम सबको इन बिन्दुओ के आधार पर संतुष्ट नही करता है तब तक अपनी उपस्थिति पूर्व प्रणाली के आधार पर ही दर्ज कराएं। किसी दबाव में न आकर समूह बद्ध होकर विचार और निर्णय करें।
धन्यवाद
मनीष शंकर तिवारी
अध्यापक
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सही कहा सर ये नियम सभी विभागों मे एक सामान लगने चाहिये
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