Saturday, June 4, 2016

आखिरकार वर्चस्व की लड़ाई में हार गया अध्यापक एक आम अध्यापक - मनीष पंवार झाबुआ

आखिरकार वर्चस्व की लड़ाई में हार गया अध्यापक एक आम अध्यापक  के वह सब सपने नेस्तनाबूद हो गए जो उसने गणना पत्रक को लेकर लगाये थे,सब सपने धूमिल हो गए जो उसने बंद आँखों से देखे थे में यह नहीं कहता हु की सपना नहीं देखना चाहिए परन्तु मेरे भाई लोगो ने उन तमाम नेताओ की बातो पर विस्वाश कर सपने देखे जो सिर्फ और सिर्फ अपनी रेटिंग बढ़ाने में लगे थे और यह सब हुआ आम अध्यपको की आम खीचतान और आपसी मतभेद से वो तमाम बाते तक कही गई सोशल मिडिया पर जो हम मुँह से बोलने में शर्म महसूस करे।परन्तु सब कहा गया लोगों ने शेयर किया और यह तमाम खीचतान की बाटे cid के माध्यम से प्रशासन तक पहुची और प्रशासन ने इसीका फायदा उठाया और जो हुआ सब आपके सामने हे। 2 लाख 80 हजार अध्यापक और तेरह संगठन तेरह संगठन के हवा हवाई नेता जो सिर्फ और सिर्फ अपने गणित ज्ञान में व्यस्त और इसी गणित में कैसे किस संगठन के नेता को निचा गिराये इन तमाम प्रयासों में ये यह सब भूल गए की अब जो होने वाला हे वो सब की ताबूत में आखरी कील ठोकने का काम करेगी अब अध्यापक सजग हो गया हे अब वो बहकाने में नहीं आएगा।मेरी उन तमाम साथियो से भी गुजारिश हे जो सिर्फ स्वार्थ शिद्धि और पाटीदार के विरोध में बोलते या लिखते रहते हे पाटीदार जी जो किया वह सबके सामने हे परन्तु सिर्फ पाटीदार जी का विरोध यह समझ से परे हे ,यह तो किस्मत की बात हे पाटीदार चुनाव जित गए और विधायक बन गए परन्तु हार जाते तो क्या होता इस पर किसी ने विचार नहीं किया ।में अब सभी साथियो से यही कहना चाहता हु की आपस के मतभेद और मनभेद खत्म करे सभी अपना अपना बेनर एक कोने में रखे और सिर्फ अध्यापक संघर्ष समिति बनाकर मैदान में उतर जावे ।अब अंतींम एवम् निर्णायक समय हे अगर हमने यह समय गवा दिया तो न संघ रहेंगे न इन संघो की राजनीति करने वाले नेता,इसलिए अपने अहम एवम् अपने स्वार्थ को तिलांजलि दे कर सिर्फ और सिर्फ अध्यापक हित की सोचे लाखो परिवार आपको दुआए देंगे।और उन तमाम साथियो से भी निवेदन करना चाहता हु की अपने अध्यापक होने के सबूत दे किसी भी ग्रुप में किसी भी प्रकार की अनर्गल बयान बाजी न करे एवम् शिष्टाचार एवम् शालीनता  का व्यवहार पेश करे ताकि सभी को यह अहसास हो की हम चाणक्य वंशज हे और समाज को एक नई दिशा देने का कार्य करते हे ।धन्यवाद मनीष पंवार झाबुआ 

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Saturday, June 4, 2016

आखिरकार वर्चस्व की लड़ाई में हार गया अध्यापक एक आम अध्यापक - मनीष पंवार झाबुआ

आखिरकार वर्चस्व की लड़ाई में हार गया अध्यापक एक आम अध्यापक  के वह सब सपने नेस्तनाबूद हो गए जो उसने गणना पत्रक को लेकर लगाये थे,सब सपने धूमिल हो गए जो उसने बंद आँखों से देखे थे में यह नहीं कहता हु की सपना नहीं देखना चाहिए परन्तु मेरे भाई लोगो ने उन तमाम नेताओ की बातो पर विस्वाश कर सपने देखे जो सिर्फ और सिर्फ अपनी रेटिंग बढ़ाने में लगे थे और यह सब हुआ आम अध्यपको की आम खीचतान और आपसी मतभेद से वो तमाम बाते तक कही गई सोशल मिडिया पर जो हम मुँह से बोलने में शर्म महसूस करे।परन्तु सब कहा गया लोगों ने शेयर किया और यह तमाम खीचतान की बाटे cid के माध्यम से प्रशासन तक पहुची और प्रशासन ने इसीका फायदा उठाया और जो हुआ सब आपके सामने हे। 2 लाख 80 हजार अध्यापक और तेरह संगठन तेरह संगठन के हवा हवाई नेता जो सिर्फ और सिर्फ अपने गणित ज्ञान में व्यस्त और इसी गणित में कैसे किस संगठन के नेता को निचा गिराये इन तमाम प्रयासों में ये यह सब भूल गए की अब जो होने वाला हे वो सब की ताबूत में आखरी कील ठोकने का काम करेगी अब अध्यापक सजग हो गया हे अब वो बहकाने में नहीं आएगा।मेरी उन तमाम साथियो से भी गुजारिश हे जो सिर्फ स्वार्थ शिद्धि और पाटीदार के विरोध में बोलते या लिखते रहते हे पाटीदार जी जो किया वह सबके सामने हे परन्तु सिर्फ पाटीदार जी का विरोध यह समझ से परे हे ,यह तो किस्मत की बात हे पाटीदार चुनाव जित गए और विधायक बन गए परन्तु हार जाते तो क्या होता इस पर किसी ने विचार नहीं किया ।में अब सभी साथियो से यही कहना चाहता हु की आपस के मतभेद और मनभेद खत्म करे सभी अपना अपना बेनर एक कोने में रखे और सिर्फ अध्यापक संघर्ष समिति बनाकर मैदान में उतर जावे ।अब अंतींम एवम् निर्णायक समय हे अगर हमने यह समय गवा दिया तो न संघ रहेंगे न इन संघो की राजनीति करने वाले नेता,इसलिए अपने अहम एवम् अपने स्वार्थ को तिलांजलि दे कर सिर्फ और सिर्फ अध्यापक हित की सोचे लाखो परिवार आपको दुआए देंगे।और उन तमाम साथियो से भी निवेदन करना चाहता हु की अपने अध्यापक होने के सबूत दे किसी भी ग्रुप में किसी भी प्रकार की अनर्गल बयान बाजी न करे एवम् शिष्टाचार एवम् शालीनता  का व्यवहार पेश करे ताकि सभी को यह अहसास हो की हम चाणक्य वंशज हे और समाज को एक नई दिशा देने का कार्य करते हे ।धन्यवाद मनीष पंवार झाबुआ 

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