भोपाल। पदोन्न्ति में आरक्षण के मामले में सामान्य वर्ग के कर्मचारियों का संगठन "सपाक्स" व आरक्षित वर्ग का संगठन "अजाक्स" आमने-सामने आ गए हैं। अजाक्स ने जहां हाईकोर्ट में केस हारने के लिए अफसरों को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं सपाक्स ने कहा है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में
पहल कर जल्द सुनवाई का आग्रह करे।
दोनों संगठनों ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी-अपनी बात रखी है। अजाक्स के महासचिव एसएल सूर्यवंशी ने बताया कि पदोन्न्ति मामले में अफसरों ने मुख्यमंत्री को गुमराह किया है।
हाईकोर्ट में टीआरआई (ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट की आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन) की रिपोर्ट को प्रस्तुत नहीं किया गया। जिस कारण आरक्षित वर्ग केस हार गया। उन्होंने बताया कि 29 सितंबर 2012 को सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब प्रस्तुत किया था। इसमें यह रिपोर्ट दी गई थी, लेकिन सरकारी वकील ने सुनवाई के दौरान इसे कोर्ट को नहीं सौंपा। सूर्यवंशी ने बताया कि 2014 में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मामले की सक्रिय पैरवी करने और कोर्ट को मांगी गई जानकारी देने की मांग की थी, लेकिन सरकार की ओर से महाधिवक्ता और अतिरिक्त
महाधिवक्ता कोर्ट में पेश ही नहीं हुए।
उन्होंने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि इस वर्ग को 56 विभागों में 36 फीसदी के अनुपात में 3 फीसदी ही यह लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि यह वर्ग पदोन्न्ति में आरक्षण मामले में सरकार से बेहद नाराज है और 12 जून को सामूहिक शक्ति प्रदर्शन कर सरकार को अहसास कराना चाहता है कि उपेक्षा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उल्लेखनीय है कि संघ रविवार को टीटीनगर दशहरा मैदान में सभा कर रहा है। संघ दशहरा मैदान से आंबेडकर चौराहा (बोर्ड ऑफिस) तक रैली भी निकालेगा।
मांगों का संवैधानिक आधार नहीं
इधर सामान्य वर्ग के कर्मचारियों का संगठन सपाक्स के अध्यक्ष डॉ. आनंद सिंह कुशवाह ने कहना है कि अजाक्स ऐसी मांगों को पूरा कराना चाहता है, जिनका संवैधानिक आधार नहीं है। संघ संवैधानिक व्यवस्था की गलत व्याख्या कर रहा है। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट का फैसला संविधान की मूल भावना के अनुरूप है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट नहीं ले जाना चाहिए था। ऐसा करके सरकार ने सामान्य वर्ग के साथ पक्षपात किया है।
जिससे इस वर्ग में तीखी प्रतिक्रिया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्ग संघर्ष की स्थिति निर्मित हो गई है। डॉ. कुशवाह ने बताया कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट में लगाई एसएलपी वापस लेकर हाईकोर्ट के फैसले का पालन करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो सामान्य वर्ग के कर्मचारी भी अपने हक के लिए सड़क पर उतरेंगे। उन्होंने बताया कि शनिवार को गुजराती समाज भवन में बैठक बुलाई गई है। यहां सद्बुद्धि महायज्ञ भी किया जाएगा।
(यह पोस्ट एक समाचार है)
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