Monday, June 6, 2016

मेडिक्लेम और क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी लेते समय इन बातो का ध्यान रखें - वसीम अहमद ( रतलाम )

        स्वास्‍थ्‍य हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण विषय है। आप किसी भी उम्र या लिंग के हों आपके लिए स्वास्‍थ्‍य का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है आज के इस आधुनिक युग में जब कि जीवन इतना अप्रत्याशित है। बीमारियों की बात करें तो हर साल नयी बीमारियों की संख्या बढ़ जाती है और ऐसे में स्वास्‍थ्‍य बीमा योजना लेना एक उचित निर्णय है  हमारा स्वास्‍थ्‍य इसलिए सुरक्षा और सावधानी का विषय बन गया है। आपको स्वास्‍थ्‍य बीमा महंगा लग सकता है लेकिन यह सुरक्षित भविष्य का एक अच्छा विकल्प है । स्वास्‍थ्‍य बीमा योजना सामान्यत: 3 महीने से कम उम्र के बच्चों से लेकर 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए होता है। अपने खर्चे को देखते हुए आप फैमिली फ्लोटर या व्यक्तिगत स्वास्‍थ्‍य बीमा भी करा सकते हैं ।
         आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों का प्रीमियम चुकाने पर इनकम टैक्स से छूट मिलती है। इसके तहत खुद के, जीवनसाथी, आप पर आश्रित बच्चों और अपने माता-पिता के लिए ली गई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर एक साल में अधिकतम 15,000 रुपए तक के प्रीमियम भुगतान पर टैक्स छूट प्राप्त है। अगर आप अपने माता-पिता का भी हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम चुका रहे हैं, चाहे वे आप पर आश्रित हों या नहीं, तो आपको अतिरिक्त 15,000 रुपए यानी कुल 30,000 रुपए पर छूट मिलेगी। वरिष्ठ नागरिकों के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम में छूट 20,000 रुपए तक है। अगर आपके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं, तो आपको कुल 35,000 रुपए और यदि आप भी वरिष्ठ नागरिक हैं, तो हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर कुल 40,000 रुपए पर इनकम टैक्स से छूट मिलेगी।
     
 हेल्थ इंश्योरेंश दो प्रकार के होते है सामान्य  और क्रिटिकल इलनेस
सामन्य पॉलिसी 

      एक बुनियादी स्वास्‍थ्‍य बीमा चिकित्सा का शुल्क‍, दवाओं का खर्च, चिकित्सा जाँच, अस्पताल के कमरे और दूसरे खर्च को कवर करता है । आपकी ज़रूरतों के अनुसार यह आपको सुरक्षा प्रदान करता है ,इनसे गंभीर बीमारियों और हृदय के दौरे जैसी समस्याओं को कवर मिलता है । बहुत सी बीमा कंपनियां गंभीर बीमारियों की स्थिति के लिए योजनाएं देती हैं ।डायबिटीज़ और कैंसर जैसी बीमारियों को कवर करने के लिए कुछ विस्तृत रूप से बीमा योजनाएं दी जाती हैं । ऐसी योजनाएं सर्जिकल चिकित्सा‍ और अस्पाताल में भर्ती करने के खर्च को भी कवर करती हैं ।

क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी 
       
 हॉस्पिटल और हेल्थकेयर के खर्च आजकल बढ़ते ही जा रहे हैं। इसके चलते ये सुविधाएं आम आदमी के दायरे से बाहर होती जा रही हैं। खासतौर पर हार्ट अटैक, आर्टरी की बीमारियां, किडनी फेल्यूअर, कैंसर या स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारी होने पर इलाज का खर्च बहुत ज्यादा हो जाता है। कोई भी इस तरह की गंभीर बीमारी होने पर न सिर्फ परिवार की आय बंद हो जाती है, बल्कि लाइफ स्टाइल में भी कई बदलाव आते हैं। कई लोगों का तो शरीर ही काम करना बंद कर देता है। कई बार इन बीमारियों के इलाज का खर्च इतना ज्यादा होता है कि यह हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से भी कवर नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की तरफ से दी जाने वाली क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस (गंभीर बीमारियों का इंश्योरेंस) पॉलिसी बहुत काम आती है।

मेडिक्लेम और क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में अंतर     मेडिक्लेम पॉलिसी एक तरह हॉस्पिटल के खर्च उठाने वाली पॉलिसी है। इसमें ग्राहक के चुने हुए सम इंश्योर्ड के हिसाब से हॉस्पिटल में हुए इलाज का खर्च मिलता है। मतलब 2 लॉख की पॉलिसी ली है तो आपको उतना खर्च मिलेगा। क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में मरीज अगर पहले से तय बीमारी की शर्तों को पूरा करता है तो उसको इंश्योरेंस का सारा पैसा इकट्ठा मिल जाता है। इसका हॉस्पिटल के खर्च और इलाज से लेना देना नहीं है। इस पैसे को ग्राहक किसी भी तरह उपयोग कर सकता है। सीधे शब्दों में किसी को अगर कोई गंभीर बीमारी हो गई है तो इंश्योरेंस कंपनी सम अश्योर्ड का पूरा पैसा मरीज को दे देगी। मरीज अपने हिसाब से उस पैसे का उपयोग कर सकता है।
     मेडिक्लेम पॉलिसी में कई तरह की बीमारियों का इलाज होता है। जबकि क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में कुछ गंभीर बीमारियां तय हैं इन्हीं का इंश्योरेंस होता है। इसमें कैंसर, आर्टरी बायपास सर्जरी, पहला हार्ट अटैक, किडनी फैल्युअर, बड़े अंगों का ट्रांसप्लांट, स्केलेरोसिस, स्ट्रोक अरोटा ग्राफ्ट सर्जरी, लकवा, ब्रेन ट्यूमर, कोमा, अंधापन, पार्किनसंस और अल्जाइमर जैसी बीमारियां शामिल हैं। अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनियां कई तरह की दूसरी बीमारियों को भी कवर करती हैं। इस पॉलिसी में क्लैम लेने के लिए हॉस्पिटल में भर्ती होना जरूरी नहीं है। अधिकतर इंश्योरेंस कंपनियां बीमारी का पता चलते ही क्लैम दे देती हैं। मेडिक्लेम में कंपनी नेटवर्क हॉस्पिटल में कैशलेस की सुविधा देती है। वहीं बिना नेटवर्क वाले हॉस्पिटल में इलाज के खर्च को रिइंबर्स किया जाता है।
मेडिक्लेम में पॉलिसी में 3 महीने का वेटिंग पीरियड रहता है जबकि क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में 30 दिन का होता है।
 क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
        पॉलिसी में इंट्री की उम्र जितनी ज्यादा होगी आपके लिए ये उतना फायदेमंद होगा। इससे आपको अधिक उम्र में भी पॉलिसी खरीदने की सुविधा मिलती है।
      इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय पॉलिसी रिन्यूअल की उम्र को भी देखें। ये उम्र जितनी ज्यादा होगी आपको उतना फायदा होगा। अगर कोई कंपनी रिन्यूवल की उम्र साठ साल या कम रखती है तो शायद वो पॉलिसी कई लोगों के काम न आएं क्योंकि कई गंभीर बीमारियां इस उम्र के बाद भी होती हैं।
          क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी का सम इंश्योर्ड ( बिमा राशि ) आपकी सालाना कुल आय का डेढ़ से 2 गुना होना चाहिए। मतलब अगर आपकी सालाना आय 4 लाख है तो आप कम से कम 6 लाख या 8 लाख की पॉलिसी लें।   इस तरह की पॉलिसी में एक सर्वाइवल पीरियड भी रहता है। मतलब बीमारी होने के बाद कितने दिन जीवित रहने पर क्लैम मिलेगा। सामन्य तौर पर अलग अलग कंपनियों में ये समय 1 से 6 महीने का होता है।

क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में टैक्स छूट का फायदा भी मिलता है।

     
      पॉलिसी में फ्री लुक पीरियड जितना ज्यादा होगा उतना ही अच्छा रहेगा। अगर आपको पॉलिसी पसंद नहीं आती है तो इस समय में आप पॉलिसी लौटा सकते हैं।क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में जितनी ज्यादा बीमारियां कवर होंगी उतना ही पॉलिसी लेने वाले के लिए फायदेमंद रहता है।

इस पॉलिसी का कवर वेटिंग पीरियड खत्म होने के बाद ही शुरू होता है। वेटिंग पीरियड जितना कम होगा उतना ही अच्छा रहता है। कई कंपनियों में 4 साल तक का वेटिंग पीरियड होता है।

  कौन सी चीजें पॉलिसी में शामिल नहीं होतीं
       हर क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस पॉलिसी सभी गंभीर बीमारियों को कवर नहीं करती हैं। कई बीमारियां पॉलिसी से बाहर भी होती हैं आमतौर पर सारी बड़ी बीमारियां इसमें कवर होती हैं। लेकिन कुछ सामन्य चीजें जो पॉलिसी से बाहर होती हैं। इसका मतलब ये होने पर क्लैम की रकम नहीं मिलेगी।

बिना मेडिकल के आधार पर ये बातें बाहर रहती हैं।

युद्ध या युद्घ की स्थिति
कानून तोड़ना (आत्महत्या भी शामिल)
खतरनाक गतिविधी में शामिल होना (जैसे की मिलिट्री एक्सरसाइज और खेल गतिविधि)
इन आधार पर होने वाली बीमारियों पर क्लेम नहीं मिलेगा
अत्यधिक शराब पीना और नशा मुक्ति कार्यक्रम का हिस्सा बनने पर
जन्मजात और जेनेटिक बीमारियां
कोई भी बीमारी जो एचआईवी संक्रमण से जुड़ी हो या एड्स
कोई भी इलाज जो गर्भावस्था से जुड़ा हो। इसमें गर्भपात और बच्चे के जन्म देने जिसमें सिजेरियन डिलेवरी भी शामिल है।


ध्यान रखें

आजकल की लाइफस्टाइल को देखते हुए कई तरह की बीमारियों के होने का खतरा पैदा हो गया है। कई बीमारियां जो पहले बुढ़ापे में होती थी आजकल युवाओं में भी हो रही हैं। इसका कारण ज्यादा काम के घंटे, तनाव, एक्सरसाइज का अभाव, खानेपान की अनियमित आदतें, जंक फूड, शराब और धूम्रपान है। आज की तनावभरी लाइफस्टाइल में मेडिक्लेम के साथ क्रिटिकल इलनेस कवर भी बहुत जरूरी है। ये पॉलिसी सभी जनरल इंश्योरेंस कंपनियां बेचती हैं। आज कल कई कम्पनी आप को मेडिक्लेम में दोनों तरह की  बिमा योजना साथ में भी उपलब्ध करवा रहे हैं। इस लिए सोच समझ कर ही स्वास्थ्य  बिमा पॉलिसी खरीदे। 

लेखक  श्री  वसीम  अहमद  (  रतलाम  )  वित्तीय  प्रबंधन   के  जानकार  है  व   AMFI  प्रमाणित वित्त   सलाहकार  हैं 

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Monday, June 6, 2016

मेडिक्लेम और क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी लेते समय इन बातो का ध्यान रखें - वसीम अहमद ( रतलाम )

        स्वास्‍थ्‍य हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण विषय है। आप किसी भी उम्र या लिंग के हों आपके लिए स्वास्‍थ्‍य का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है आज के इस आधुनिक युग में जब कि जीवन इतना अप्रत्याशित है। बीमारियों की बात करें तो हर साल नयी बीमारियों की संख्या बढ़ जाती है और ऐसे में स्वास्‍थ्‍य बीमा योजना लेना एक उचित निर्णय है  हमारा स्वास्‍थ्‍य इसलिए सुरक्षा और सावधानी का विषय बन गया है। आपको स्वास्‍थ्‍य बीमा महंगा लग सकता है लेकिन यह सुरक्षित भविष्य का एक अच्छा विकल्प है । स्वास्‍थ्‍य बीमा योजना सामान्यत: 3 महीने से कम उम्र के बच्चों से लेकर 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए होता है। अपने खर्चे को देखते हुए आप फैमिली फ्लोटर या व्यक्तिगत स्वास्‍थ्‍य बीमा भी करा सकते हैं ।
         आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों का प्रीमियम चुकाने पर इनकम टैक्स से छूट मिलती है। इसके तहत खुद के, जीवनसाथी, आप पर आश्रित बच्चों और अपने माता-पिता के लिए ली गई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर एक साल में अधिकतम 15,000 रुपए तक के प्रीमियम भुगतान पर टैक्स छूट प्राप्त है। अगर आप अपने माता-पिता का भी हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम चुका रहे हैं, चाहे वे आप पर आश्रित हों या नहीं, तो आपको अतिरिक्त 15,000 रुपए यानी कुल 30,000 रुपए पर छूट मिलेगी। वरिष्ठ नागरिकों के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम में छूट 20,000 रुपए तक है। अगर आपके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं, तो आपको कुल 35,000 रुपए और यदि आप भी वरिष्ठ नागरिक हैं, तो हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर कुल 40,000 रुपए पर इनकम टैक्स से छूट मिलेगी।
     
 हेल्थ इंश्योरेंश दो प्रकार के होते है सामान्य  और क्रिटिकल इलनेस
सामन्य पॉलिसी 

      एक बुनियादी स्वास्‍थ्‍य बीमा चिकित्सा का शुल्क‍, दवाओं का खर्च, चिकित्सा जाँच, अस्पताल के कमरे और दूसरे खर्च को कवर करता है । आपकी ज़रूरतों के अनुसार यह आपको सुरक्षा प्रदान करता है ,इनसे गंभीर बीमारियों और हृदय के दौरे जैसी समस्याओं को कवर मिलता है । बहुत सी बीमा कंपनियां गंभीर बीमारियों की स्थिति के लिए योजनाएं देती हैं ।डायबिटीज़ और कैंसर जैसी बीमारियों को कवर करने के लिए कुछ विस्तृत रूप से बीमा योजनाएं दी जाती हैं । ऐसी योजनाएं सर्जिकल चिकित्सा‍ और अस्पाताल में भर्ती करने के खर्च को भी कवर करती हैं ।

क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी 
       
 हॉस्पिटल और हेल्थकेयर के खर्च आजकल बढ़ते ही जा रहे हैं। इसके चलते ये सुविधाएं आम आदमी के दायरे से बाहर होती जा रही हैं। खासतौर पर हार्ट अटैक, आर्टरी की बीमारियां, किडनी फेल्यूअर, कैंसर या स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारी होने पर इलाज का खर्च बहुत ज्यादा हो जाता है। कोई भी इस तरह की गंभीर बीमारी होने पर न सिर्फ परिवार की आय बंद हो जाती है, बल्कि लाइफ स्टाइल में भी कई बदलाव आते हैं। कई लोगों का तो शरीर ही काम करना बंद कर देता है। कई बार इन बीमारियों के इलाज का खर्च इतना ज्यादा होता है कि यह हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से भी कवर नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की तरफ से दी जाने वाली क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस (गंभीर बीमारियों का इंश्योरेंस) पॉलिसी बहुत काम आती है।

मेडिक्लेम और क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में अंतर     मेडिक्लेम पॉलिसी एक तरह हॉस्पिटल के खर्च उठाने वाली पॉलिसी है। इसमें ग्राहक के चुने हुए सम इंश्योर्ड के हिसाब से हॉस्पिटल में हुए इलाज का खर्च मिलता है। मतलब 2 लॉख की पॉलिसी ली है तो आपको उतना खर्च मिलेगा। क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में मरीज अगर पहले से तय बीमारी की शर्तों को पूरा करता है तो उसको इंश्योरेंस का सारा पैसा इकट्ठा मिल जाता है। इसका हॉस्पिटल के खर्च और इलाज से लेना देना नहीं है। इस पैसे को ग्राहक किसी भी तरह उपयोग कर सकता है। सीधे शब्दों में किसी को अगर कोई गंभीर बीमारी हो गई है तो इंश्योरेंस कंपनी सम अश्योर्ड का पूरा पैसा मरीज को दे देगी। मरीज अपने हिसाब से उस पैसे का उपयोग कर सकता है।
     मेडिक्लेम पॉलिसी में कई तरह की बीमारियों का इलाज होता है। जबकि क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में कुछ गंभीर बीमारियां तय हैं इन्हीं का इंश्योरेंस होता है। इसमें कैंसर, आर्टरी बायपास सर्जरी, पहला हार्ट अटैक, किडनी फैल्युअर, बड़े अंगों का ट्रांसप्लांट, स्केलेरोसिस, स्ट्रोक अरोटा ग्राफ्ट सर्जरी, लकवा, ब्रेन ट्यूमर, कोमा, अंधापन, पार्किनसंस और अल्जाइमर जैसी बीमारियां शामिल हैं। अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनियां कई तरह की दूसरी बीमारियों को भी कवर करती हैं। इस पॉलिसी में क्लैम लेने के लिए हॉस्पिटल में भर्ती होना जरूरी नहीं है। अधिकतर इंश्योरेंस कंपनियां बीमारी का पता चलते ही क्लैम दे देती हैं। मेडिक्लेम में कंपनी नेटवर्क हॉस्पिटल में कैशलेस की सुविधा देती है। वहीं बिना नेटवर्क वाले हॉस्पिटल में इलाज के खर्च को रिइंबर्स किया जाता है।
मेडिक्लेम में पॉलिसी में 3 महीने का वेटिंग पीरियड रहता है जबकि क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में 30 दिन का होता है।
 क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
        पॉलिसी में इंट्री की उम्र जितनी ज्यादा होगी आपके लिए ये उतना फायदेमंद होगा। इससे आपको अधिक उम्र में भी पॉलिसी खरीदने की सुविधा मिलती है।
      इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय पॉलिसी रिन्यूअल की उम्र को भी देखें। ये उम्र जितनी ज्यादा होगी आपको उतना फायदा होगा। अगर कोई कंपनी रिन्यूवल की उम्र साठ साल या कम रखती है तो शायद वो पॉलिसी कई लोगों के काम न आएं क्योंकि कई गंभीर बीमारियां इस उम्र के बाद भी होती हैं।
          क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी का सम इंश्योर्ड ( बिमा राशि ) आपकी सालाना कुल आय का डेढ़ से 2 गुना होना चाहिए। मतलब अगर आपकी सालाना आय 4 लाख है तो आप कम से कम 6 लाख या 8 लाख की पॉलिसी लें।   इस तरह की पॉलिसी में एक सर्वाइवल पीरियड भी रहता है। मतलब बीमारी होने के बाद कितने दिन जीवित रहने पर क्लैम मिलेगा। सामन्य तौर पर अलग अलग कंपनियों में ये समय 1 से 6 महीने का होता है।

क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में टैक्स छूट का फायदा भी मिलता है।

     
      पॉलिसी में फ्री लुक पीरियड जितना ज्यादा होगा उतना ही अच्छा रहेगा। अगर आपको पॉलिसी पसंद नहीं आती है तो इस समय में आप पॉलिसी लौटा सकते हैं।क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में जितनी ज्यादा बीमारियां कवर होंगी उतना ही पॉलिसी लेने वाले के लिए फायदेमंद रहता है।

इस पॉलिसी का कवर वेटिंग पीरियड खत्म होने के बाद ही शुरू होता है। वेटिंग पीरियड जितना कम होगा उतना ही अच्छा रहता है। कई कंपनियों में 4 साल तक का वेटिंग पीरियड होता है।

  कौन सी चीजें पॉलिसी में शामिल नहीं होतीं
       हर क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस पॉलिसी सभी गंभीर बीमारियों को कवर नहीं करती हैं। कई बीमारियां पॉलिसी से बाहर भी होती हैं आमतौर पर सारी बड़ी बीमारियां इसमें कवर होती हैं। लेकिन कुछ सामन्य चीजें जो पॉलिसी से बाहर होती हैं। इसका मतलब ये होने पर क्लैम की रकम नहीं मिलेगी।

बिना मेडिकल के आधार पर ये बातें बाहर रहती हैं।

युद्ध या युद्घ की स्थिति
कानून तोड़ना (आत्महत्या भी शामिल)
खतरनाक गतिविधी में शामिल होना (जैसे की मिलिट्री एक्सरसाइज और खेल गतिविधि)
इन आधार पर होने वाली बीमारियों पर क्लेम नहीं मिलेगा
अत्यधिक शराब पीना और नशा मुक्ति कार्यक्रम का हिस्सा बनने पर
जन्मजात और जेनेटिक बीमारियां
कोई भी बीमारी जो एचआईवी संक्रमण से जुड़ी हो या एड्स
कोई भी इलाज जो गर्भावस्था से जुड़ा हो। इसमें गर्भपात और बच्चे के जन्म देने जिसमें सिजेरियन डिलेवरी भी शामिल है।


ध्यान रखें

आजकल की लाइफस्टाइल को देखते हुए कई तरह की बीमारियों के होने का खतरा पैदा हो गया है। कई बीमारियां जो पहले बुढ़ापे में होती थी आजकल युवाओं में भी हो रही हैं। इसका कारण ज्यादा काम के घंटे, तनाव, एक्सरसाइज का अभाव, खानेपान की अनियमित आदतें, जंक फूड, शराब और धूम्रपान है। आज की तनावभरी लाइफस्टाइल में मेडिक्लेम के साथ क्रिटिकल इलनेस कवर भी बहुत जरूरी है। ये पॉलिसी सभी जनरल इंश्योरेंस कंपनियां बेचती हैं। आज कल कई कम्पनी आप को मेडिक्लेम में दोनों तरह की  बिमा योजना साथ में भी उपलब्ध करवा रहे हैं। इस लिए सोच समझ कर ही स्वास्थ्य  बिमा पॉलिसी खरीदे। 

लेखक  श्री  वसीम  अहमद  (  रतलाम  )  वित्तीय  प्रबंधन   के  जानकार  है  व   AMFI  प्रमाणित वित्त   सलाहकार  हैं 

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