सुरेश यादव रतलाम - साथियो हमारे वेतन निर्धारण के लिए जारी आदेश को रोक दिया गया है संशोधन के बाद भी यदि आदेश जारी हो जाते हैं तो भी हमें अगली एक तारीख को यह वेतन नहीं मिल पाएगा , आप देखें की कंडिका 2.10 में लिखा में लिखा है की वेतन निर्धारण प्रकरणों का अनुमोदन स्थनीय संपरीक्षा निधि कार्यालय से करवाया जाएगा इस कार्यालय को ''स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय " भी कहा जाता है। यह वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाला कार्यालय है इसका मुख्यालय ग्वालियर में है। साथियो यह विभाग स्थानिय निकायों ,पंचायतो ,कृषि उपज मंडी ,विकास प्राधिकरण ,निगम - मंडलों , विश्वविद्यालयों को स्थानीय व्यवस्था से जो आय होती है उसका अंकेक्षण ( ऑडिट ) का कार्य करता है। इस कार्यालय के 7 क्षेत्रीय कार्यलय इंदौर ,रीवा ,उज्जैन ,सागर ,ग्वालिया (ग्वालियर-चंबल) ,भोपाल (भोपाल-नर्मदापुरम) ,में ही संचालित हैं ,साथ ही इनके कर्मचारी 11 जिला पंचायतों, और 150 नगरीय निकायो में कार्यरत हैं । इस कारण इतने वेतन निर्धारण प्रकरणों का अनुमोदन होने में लम्बा समय लग सकता है।
साथ ही हमारा वेतन निर्धारण का अनुमोदन ''स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय " कार्यालय से होगा , अभी कई साथियो के वेतन में भारी असमानता है की जो वेतन निर्धारण के बाद सामान हो जायेंगे और वसूली की जाएगी असमान वेतन के कुछ प्रकरण या मेरे समक्ष आये है वे इस प्रकार हैं :-
(A) परिवीक्षा अवधि की वेतन वृद्धि :- शासन उच्च न्यायालय के इस निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायलय तक गया,अंत में न्यायालय ने 2007 में वेतन वृद्धि में कटौती का कहा लेकिन 1998 से 2007 तक वसूली नहीं करने के आदेश दिए , 2007 से समान स्थिति करने के आदेश दिए परन्तु कुछ साथि 2007 के पश्चात भी इस वेतन में इसका लाभ ले रहे है।
( B ) स्वयं के व्यय पर डीएड / बीएड :- स्वयं के व्यय पर डीएड / बीएड करने पर कई साथी वेतन वृद्धि प्राप्त कर रहे है जबकि शासन ने इस मामले पर रोक लगा दी है।
( C ) 2001 से वेतनमान की गणना :- 2001 से वेतनमान की गणना इस मामले में भी कई जगह पर अध्यापक साथियो ने लाभ ले लिया है परन्तु शासन ने इस पर भी रोक लगा दी है ।
( D ) गुरूजी को 1998 से शिक्षा कर्मी के समान वेतन मान :- गुरूजी को 1998 से शिक्षा कर्मी के समान वेतनमान इस मामले में भी न्यायलय ने अभ्यवें का निराकरण करने का आदेश दिया गया था परन्तु कई साथी इसका लाभ ले चुके है सरकार द्वारा अपील की जा चुकी है और भुगतान रोक दि गयी है ।
( E ) संविदा शिक्षक को 3 वर्ष की एक वेतन वृद्धि :- संविदा शिक्षक को 3 वर्ष की एक वेतन वृद्धि देने को लेकर एक फर्जी आदेश भी जारी हुआ था जीस पर प्रकरण दर्ज है ,कुछ साथी न्यायलय भी गए सरकार ने देने से इंकार किया है ।
( F ) संविदा शिक्षक को देर से प्रशिक्षण प्राप्त करने पर भी 3 वर्ष बाद से अध्यापक संवर्ग का वेतन :- कई जिलो में 2006 व 2007 और उसके पश्चात संविदा शाळा शिक्षकों को निर्धारित समय पश्चात प्रशिक्षण प्राप्त करने पर भी 3 वर्ष की सेवा उपरांत अध्यापक संवर्ग में सम्मिलित किया गया है ,जबकी यह आदेश सिर्फ वर्ष 2001 और 2003 में नियुक्त संविदा शिक्षकों के ही था की वे जुलाई 2011 तक प्रशिक्षण प्राप्त करते है तब भी उन्हें 1 अप्रैल 2007 से अध्यापक संवर्ग में माना जाएगा और वेतन प्रदान किया जाएगा ।
इस प्रकार आदेश होने के बाद भी वेतन भुगतान में लम्बा समय लग सकता हैं।
(A) परिवीक्षा अवधि की वेतन वृद्धि :- शासन उच्च न्यायालय के इस निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायलय तक गया,अंत में न्यायालय ने 2007 में वेतन वृद्धि में कटौती का कहा लेकिन 1998 से 2007 तक वसूली नहीं करने के आदेश दिए , 2007 से समान स्थिति करने के आदेश दिए परन्तु कुछ साथि 2007 के पश्चात भी इस वेतन में इसका लाभ ले रहे है।
( C ) 2001 से वेतनमान की गणना :- 2001 से वेतनमान की गणना इस मामले में भी कई जगह पर अध्यापक साथियो ने लाभ ले लिया है परन्तु शासन ने इस पर भी रोक लगा दी है ।
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