Wednesday, May 25, 2016

पदोन्न्ति अब आरक्षण नियम के चक्कर में उलझ गई है।

 भोपाल मंत्रालय में सेक्शन ऑफिसर से लेकर अपर सचिव तक होने वाली पदोन्न्ति अब आरक्षण के चक्कर में उलझ गई है। 30 मई को अपर सचिव का एक पद खाली होगा। इनके स्थान पर पदोन्न्ति के लिए करीब एक माह पहले विभागीय पदोन्न्ति समिति की बैठक भी हो चुकी है, लेकिन पदोन्न्ति आदेश को लेकर असमंजस की स्थिति है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय में करीब 55 पदोन्न्तियां होनी हैं।

इसके लिए विभागीय पदोन्न्ति समिति की बैठक भी हो चुकी हैं। जिन लोगों को पदोन्न्त करने पर सहमति बनी है वे अब सामान्य प्रशासन विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, पर ठोस जवाब नहीं मिल रहा है। विभाग ने महाधिवक्ता कार्यालय से पदोन्न्ति आदेश निकालने को लेकर सलाह मांगी है।

दरअसल, पदोन्न्ति में आरक्षण नियम को हाईकोर्ट द्वारा रद्द करने और सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश को लेकर असमंजस है। इसे साफ करने के लिए विभाग ने महाधिवक्ता कार्यालय से कानूनी राय मांगी है। सूत्रों का कहना है कि विधिक सलाह मिलने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग सभी के लिए दिशानिर्देश जारी कर सकता है

मप्र पदोन्न्ति नियम 2002 के तहत पिछले 14 साल में सभी वर्ग के लगभग ढाई लाख अधिकारी-कर्मचारी पदोन्नत हुए हैं। इनमें लगभग 45 हजार अधिकारी-कर्मचारी अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के हैं, जो हाईकोर्ट के इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि सरकार हाईकोर्ट के फैसले से पड़ने वाले असर के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट गई है।

पदोन्न्ति में आरक्षण के खिलाफ 28 अलग-अलग याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल को फैसला सुनाया है। जिसमें "मप्र पदोन्न्ति नियम 2002" के सेक्शन 5(1) को निरस्त कर दिया है। वहीं 2002 से अब तक इस नियम के तहत किए गए प्रमोशन निरस्त कर दिए हैं। यह फैसला आने के बाद कर्मचारी और अधिकारी संगठनों में खलबली मच गई है।


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Wednesday, May 25, 2016

पदोन्न्ति अब आरक्षण नियम के चक्कर में उलझ गई है।

 भोपाल मंत्रालय में सेक्शन ऑफिसर से लेकर अपर सचिव तक होने वाली पदोन्न्ति अब आरक्षण के चक्कर में उलझ गई है। 30 मई को अपर सचिव का एक पद खाली होगा। इनके स्थान पर पदोन्न्ति के लिए करीब एक माह पहले विभागीय पदोन्न्ति समिति की बैठक भी हो चुकी है, लेकिन पदोन्न्ति आदेश को लेकर असमंजस की स्थिति है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय में करीब 55 पदोन्न्तियां होनी हैं।

इसके लिए विभागीय पदोन्न्ति समिति की बैठक भी हो चुकी हैं। जिन लोगों को पदोन्न्त करने पर सहमति बनी है वे अब सामान्य प्रशासन विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, पर ठोस जवाब नहीं मिल रहा है। विभाग ने महाधिवक्ता कार्यालय से पदोन्न्ति आदेश निकालने को लेकर सलाह मांगी है।

दरअसल, पदोन्न्ति में आरक्षण नियम को हाईकोर्ट द्वारा रद्द करने और सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश को लेकर असमंजस है। इसे साफ करने के लिए विभाग ने महाधिवक्ता कार्यालय से कानूनी राय मांगी है। सूत्रों का कहना है कि विधिक सलाह मिलने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग सभी के लिए दिशानिर्देश जारी कर सकता है

मप्र पदोन्न्ति नियम 2002 के तहत पिछले 14 साल में सभी वर्ग के लगभग ढाई लाख अधिकारी-कर्मचारी पदोन्नत हुए हैं। इनमें लगभग 45 हजार अधिकारी-कर्मचारी अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के हैं, जो हाईकोर्ट के इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि सरकार हाईकोर्ट के फैसले से पड़ने वाले असर के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट गई है।

पदोन्न्ति में आरक्षण के खिलाफ 28 अलग-अलग याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल को फैसला सुनाया है। जिसमें "मप्र पदोन्न्ति नियम 2002" के सेक्शन 5(1) को निरस्त कर दिया है। वहीं 2002 से अब तक इस नियम के तहत किए गए प्रमोशन निरस्त कर दिए हैं। यह फैसला आने के बाद कर्मचारी और अधिकारी संगठनों में खलबली मच गई है।


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