Friday, May 27, 2016

एक -एक पैसा बचाएँ ,जल्दी बचत करना प्रारम्भ करें :- वसीम अहमद

जल्द से जल्द एक-एक पैसा जोड़ने की आदत डाल लेना माली हालत मजबूत करने का सबसे उम्दा तरीका है। ज्यादातर लोग इस तरीके से उतना धन नहीं जोड़ पाते, जितना वास्तव में उनकी क्षमता होती है। मसलन, एक-एक पैसा सहेजकर धन इकठ्ठा करने में वैसे लोगों को ज्यादा सफलता मिलती है, जिनके जीवन में धन उपार्जन की लंबी अवधि बाकी होती है। इस लिहाज से आप जितने कम उम्र के होंगे, पैसे जोड़ने की क्षमता उतनी ही अधिक होगी। मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने इसे दुनिया का आठवां अजूबा बताया था।

इरादे का पक्का होना पहली शर्त

ऐसे लोगों के लिए छोटी-छोटी बचत करके पैसे जुटाना समृद्धि का शानदार माध्यम साबित होता है, जो इरादों के पक्के होते हैं। ऐसी बचत मूल पूंजी के साथ-साथ उससे होने वाली आय को सहेजने के अलावा कुछ नहीं है। करियर की शुरुआत करने वाले ज्यादातर लोग बचत और निवेशक को लेकर कोताही बरतते हैं। असल में यह बिलकुल वैसा है कि जैसा कि हम युवावस्था में करते हैं। हर चीज में अनुशासन बरतना। माली हालत दुरूस्त रखने में भी इसकी खासी अहमियत होती है। हमें पक्के इरादे के साथ अपनी आय में से थोड़ी रकम बचानी चाहिए और भविष्य में फायदे के लिए उसका निवेश करना चाहिए।


जल्द शुरुआत से ज्यादा फायदा

सबसे अहम बात यह है कि एक-एक पैसा जोड़ने की आदत वैसे लोगों के ज्यादा काम आती है, जो इसकी शुरुआत जल्दी कर लेते है। इस मामले में देरी करने वाले नुकसान में रहते हैं। एक उदाहरण से समझें। मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने 65 वर्ष की उम्र तक हर महीने 1000 रुपए निवेश किया। इसका मतलब है कि यदि आप 25 वर्ष की उम्र से ऐसा करना शुरू करते हैं, तो आपके पास 40 साल का लंबा वक्त है। लेकिन यदि आप 35 वर्ष की उम्र से यह आदत डालते हैं, तो 30 वर्ष तक ही ऐसा कर पाएंगे। यदि आप 25 वर्ष की उम्र से हर महीने 1,000 रुपए निवेश करना शुरू करते हैं, तो 12 प्रतिशत सालाना ब्याज दर पर 65 साल की उम्र तक यह रकम 1.18 करोड़ रुपए हो जाएगी ,
जबकि आप ने पैसा बचाया है 4 लाख 80 हजार वाकई, यह 8वें अजूबे जैसा लगेगा ।यही आप 35 वर्ष की आयु से 1000 बचाएंगे और 12 प्रतिशत का रिटर्न होगा तब  आप के पास सिर्फ 35 लाख रूपये होंगे। 

बचत का निवेश, गैर-जरूरी खर्चों में कटौती जरूरी
अहमियत इस बात की है कि कुछ रकम बचाई जाए और फिर उसका निवेश किया जाए। सफल होने के लिए निवेश जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि बचत की अहमियत तभी है, जब वह भी आय का जरिया बन जाए। शुरुआती तौर पर वेतन मिलते ही उसके एक निश्चित हिस्से का निवेश करते जाएं। बचत की रकम पता करने के लिए बजट बनाएं, खास तौर पर खर्चों का। यह मुश्किल काम नजर आ सकता है, लेकिन 2-3 महीने ऐसा करने के बाद आपको पता चल जाएगा कि वेतन की रकम कहां खर्च हो रही है। अब गैर-जरूरी खर्चों में कटौती करें। इसे कम करके महीने में एक या दो मर्तबा किया जा सकता है।


कहां निवेश करें

सबसे जरूरी बात यह है कि आपको लंबी अवधि के निवेश की समझ होनी चाहिए। इनके विकल्पों पर गौर करें। बचत की रकम से वास्तबिक आय होनी चाहिए और इस मामले में इक्विटी को सबसे बेहतर माना जाता है। असल में इक्विटी ही निवेश का एकमात्र ऐसा जरिया है जहां फिक्स्ड रिटर्न वाले निवेश साधनों के मुकाबले रियल रिटर्न मिलता है। कारण यह है कि फिक्स्ड रिटर्न वाले निवेश के साधनों से होने वाली आय की तुलना यदि महंगाई की दर से की जाए तो ये नुकसान वाले जरिया नजर आने लगते हैं।
दरअसल, इक्विटी इन्वेस्टमेंट को सबसे ज्यादा रिटर्न वाला निवेश साधन माना जाता है। इसमें शेयर, डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड, सेक्टर इक्विटी फंड और इंडेक्स फंड जैसे माध्यम शामिल हैं। वर्ष 1990 से लेकर 2013 के बीच निफ्टी ने सालाना 17 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न दिया है। लेकिन इस मामले में यह भी ध्यान रखना होगा कि आय में उतार-चढ़ाव की गंुजाइश ज्यादा होती है। इसलिए कम जोखिम उठाने वाले निवेशकों के लिए बॉन्ड और डेट फंड भी हैं। सरकार और कंपनियों के बॉन्ड काफी अच्छे होते हैं। यह निवेश के सुरक्षित साधन होते हैं और इनमें पैसा लगाने से सालाना 8-12 प्रतिशत आय होती है। पीपीएफ, पीएफ और बैंक डिपॉजिट जैसे साधन सबसे अधिक सुरक्षित हैं, लेकिन इनसे कम रिटर्न मिलता है।


मजबूत बुनियाद

भविष्य में अपनी माली हालत ठीक रखने की योजना बनाना बहुत जरूरी है। अक्सर यह फाइनेंस से जुड़ा हुआ मामला होता है। योजना न बनाना विफल होने की तैयारी करने जैसा है। सबसे पहले हर महीने वेतन से कुछ रकम बचाएं और उसका निवेश करें। यदि आप नियमित तरीके से ऐसा नहीं कर सकते तो किसी म्युचुअल फंड का सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी सिप ले लें। ऐसा फंड लें, जिससे टैक्स में छूट मिलती हो। इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ईएलएसएस में पैसा लगाने से इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत छूट मिलती है। इस धारा के तहत किसी एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपए तक की बचत और निवेश पर टैक्स कटौती का लाभ मिलता है। याद रखें, शुरुआत बहुत जरूरी है। बचत और निवेश शुरू करें और पक्का करें कि इसमें कोताही नहीं बरतनी है, तभी लंबी अवधि में समृद्धि आएगी।

लेखक श्री वसीम अहमद ( रतलाम ) वित्तीय प्रबंधन  के जानकार है व  AMFI प्रमाणित वित्त  सलाहकार हैं .

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Friday, May 27, 2016

एक -एक पैसा बचाएँ ,जल्दी बचत करना प्रारम्भ करें :- वसीम अहमद

जल्द से जल्द एक-एक पैसा जोड़ने की आदत डाल लेना माली हालत मजबूत करने का सबसे उम्दा तरीका है। ज्यादातर लोग इस तरीके से उतना धन नहीं जोड़ पाते, जितना वास्तव में उनकी क्षमता होती है। मसलन, एक-एक पैसा सहेजकर धन इकठ्ठा करने में वैसे लोगों को ज्यादा सफलता मिलती है, जिनके जीवन में धन उपार्जन की लंबी अवधि बाकी होती है। इस लिहाज से आप जितने कम उम्र के होंगे, पैसे जोड़ने की क्षमता उतनी ही अधिक होगी। मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने इसे दुनिया का आठवां अजूबा बताया था।

इरादे का पक्का होना पहली शर्त

ऐसे लोगों के लिए छोटी-छोटी बचत करके पैसे जुटाना समृद्धि का शानदार माध्यम साबित होता है, जो इरादों के पक्के होते हैं। ऐसी बचत मूल पूंजी के साथ-साथ उससे होने वाली आय को सहेजने के अलावा कुछ नहीं है। करियर की शुरुआत करने वाले ज्यादातर लोग बचत और निवेशक को लेकर कोताही बरतते हैं। असल में यह बिलकुल वैसा है कि जैसा कि हम युवावस्था में करते हैं। हर चीज में अनुशासन बरतना। माली हालत दुरूस्त रखने में भी इसकी खासी अहमियत होती है। हमें पक्के इरादे के साथ अपनी आय में से थोड़ी रकम बचानी चाहिए और भविष्य में फायदे के लिए उसका निवेश करना चाहिए।


जल्द शुरुआत से ज्यादा फायदा

सबसे अहम बात यह है कि एक-एक पैसा जोड़ने की आदत वैसे लोगों के ज्यादा काम आती है, जो इसकी शुरुआत जल्दी कर लेते है। इस मामले में देरी करने वाले नुकसान में रहते हैं। एक उदाहरण से समझें। मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने 65 वर्ष की उम्र तक हर महीने 1000 रुपए निवेश किया। इसका मतलब है कि यदि आप 25 वर्ष की उम्र से ऐसा करना शुरू करते हैं, तो आपके पास 40 साल का लंबा वक्त है। लेकिन यदि आप 35 वर्ष की उम्र से यह आदत डालते हैं, तो 30 वर्ष तक ही ऐसा कर पाएंगे। यदि आप 25 वर्ष की उम्र से हर महीने 1,000 रुपए निवेश करना शुरू करते हैं, तो 12 प्रतिशत सालाना ब्याज दर पर 65 साल की उम्र तक यह रकम 1.18 करोड़ रुपए हो जाएगी ,
जबकि आप ने पैसा बचाया है 4 लाख 80 हजार वाकई, यह 8वें अजूबे जैसा लगेगा ।यही आप 35 वर्ष की आयु से 1000 बचाएंगे और 12 प्रतिशत का रिटर्न होगा तब  आप के पास सिर्फ 35 लाख रूपये होंगे। 

बचत का निवेश, गैर-जरूरी खर्चों में कटौती जरूरी
अहमियत इस बात की है कि कुछ रकम बचाई जाए और फिर उसका निवेश किया जाए। सफल होने के लिए निवेश जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि बचत की अहमियत तभी है, जब वह भी आय का जरिया बन जाए। शुरुआती तौर पर वेतन मिलते ही उसके एक निश्चित हिस्से का निवेश करते जाएं। बचत की रकम पता करने के लिए बजट बनाएं, खास तौर पर खर्चों का। यह मुश्किल काम नजर आ सकता है, लेकिन 2-3 महीने ऐसा करने के बाद आपको पता चल जाएगा कि वेतन की रकम कहां खर्च हो रही है। अब गैर-जरूरी खर्चों में कटौती करें। इसे कम करके महीने में एक या दो मर्तबा किया जा सकता है।


कहां निवेश करें

सबसे जरूरी बात यह है कि आपको लंबी अवधि के निवेश की समझ होनी चाहिए। इनके विकल्पों पर गौर करें। बचत की रकम से वास्तबिक आय होनी चाहिए और इस मामले में इक्विटी को सबसे बेहतर माना जाता है। असल में इक्विटी ही निवेश का एकमात्र ऐसा जरिया है जहां फिक्स्ड रिटर्न वाले निवेश साधनों के मुकाबले रियल रिटर्न मिलता है। कारण यह है कि फिक्स्ड रिटर्न वाले निवेश के साधनों से होने वाली आय की तुलना यदि महंगाई की दर से की जाए तो ये नुकसान वाले जरिया नजर आने लगते हैं।
दरअसल, इक्विटी इन्वेस्टमेंट को सबसे ज्यादा रिटर्न वाला निवेश साधन माना जाता है। इसमें शेयर, डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड, सेक्टर इक्विटी फंड और इंडेक्स फंड जैसे माध्यम शामिल हैं। वर्ष 1990 से लेकर 2013 के बीच निफ्टी ने सालाना 17 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न दिया है। लेकिन इस मामले में यह भी ध्यान रखना होगा कि आय में उतार-चढ़ाव की गंुजाइश ज्यादा होती है। इसलिए कम जोखिम उठाने वाले निवेशकों के लिए बॉन्ड और डेट फंड भी हैं। सरकार और कंपनियों के बॉन्ड काफी अच्छे होते हैं। यह निवेश के सुरक्षित साधन होते हैं और इनमें पैसा लगाने से सालाना 8-12 प्रतिशत आय होती है। पीपीएफ, पीएफ और बैंक डिपॉजिट जैसे साधन सबसे अधिक सुरक्षित हैं, लेकिन इनसे कम रिटर्न मिलता है।


मजबूत बुनियाद

भविष्य में अपनी माली हालत ठीक रखने की योजना बनाना बहुत जरूरी है। अक्सर यह फाइनेंस से जुड़ा हुआ मामला होता है। योजना न बनाना विफल होने की तैयारी करने जैसा है। सबसे पहले हर महीने वेतन से कुछ रकम बचाएं और उसका निवेश करें। यदि आप नियमित तरीके से ऐसा नहीं कर सकते तो किसी म्युचुअल फंड का सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी सिप ले लें। ऐसा फंड लें, जिससे टैक्स में छूट मिलती हो। इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ईएलएसएस में पैसा लगाने से इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत छूट मिलती है। इस धारा के तहत किसी एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपए तक की बचत और निवेश पर टैक्स कटौती का लाभ मिलता है। याद रखें, शुरुआत बहुत जरूरी है। बचत और निवेश शुरू करें और पक्का करें कि इसमें कोताही नहीं बरतनी है, तभी लंबी अवधि में समृद्धि आएगी।

लेखक श्री वसीम अहमद ( रतलाम ) वित्तीय प्रबंधन  के जानकार है व  AMFI प्रमाणित वित्त  सलाहकार हैं .

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