Friday, May 27, 2016

सिर्फ गणना पत्रक को लेकर बेजा बेसब्री क्या ये कुछ ज्यादा नासमझी नहीं है ? : - डी के सिंगौर मंडला

सिर्फ गणना पत्रक को लेकर बेजा बेसब्री और उसको लेकर सोशल मीडिया में तरह तरह से टिप्पण , क्या ये कुछ ज्यादा नासमझी नहीं है ?  जबकि जनवरी 16  से  ही उस गणना पत्रक से लाभ मिलना तय है , कारण जो भी हो पर बताया तो गया था सिंहस्थ के बाद जारी होगा क्या सिहंस्थ समाप्त होने के 10 दिन तक शांत रहकर इन्तजार नही किया जा सकता।  इस दौरान चर्चा करके जारी कराने का प्रयास ज्यादा उचित नहीं होता।  सिर्फ गणना पत्रक जारी कराने के लिए सडको पर आना ठीक है ? जबकि हम ये जानते है कि उसमें विसंगति की आशंका  है और उसको लेकर अध्यापकों को फिर से सडकों पर आना होगा।  क्या हम अपनी उर्जा को बचा कर नही रख सकते थे जब विसंगति को लेकर फिर सडकों पर उतरेंगें तो पब्लिक क्या सोचेगी ये पहलू भी देखना क्या जरूरी नही है ?  इसमें संगठन के पदाधिकारियों से ज्यादा दोष एक आम अध्यापक का नजर नही आ रहा जो सोशल मीडिया का भरपूर दुरपयोग कर संगठन के लोगो पर गणना पत्रक जारी कराने का अनावश्यक प्रेशर  बना रहा है।  लोगों ने कविताएँ तक रच डाली आज एक जिम्मेदार अध्यापक की टिप्पण ने ,यह टिपण्णी   लिखने को मजबूर कर दिया जब उन्होंने  लिखा कि "श्रेय के चक्कर मॆ संघों की आपसी खींचातानी मॆ गणना पत्रक फटा ??  डा धर्मेन्द्र जैन अमोल ने बताया है कि विश्वस्त सूत्रों के अनुसार कल उस पर टेप आदि लगा कर जारी होने की सम्भावना है ।" मेरा विचार है कि अध्यापक को  अपनी  उर्जा का सही सदुपयोग करना  चाहिए क्योकि अभी  7 th  पे और शिक्षक बनने की लड़ाई बाकी है समान कार्य समान वेतन की लड़ाई तो 6 th  पे में पहले ही तब्दील हो चुकी है।
डी के सिंगौर मंडला
उक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं।

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Friday, May 27, 2016

सिर्फ गणना पत्रक को लेकर बेजा बेसब्री क्या ये कुछ ज्यादा नासमझी नहीं है ? : - डी के सिंगौर मंडला

सिर्फ गणना पत्रक को लेकर बेजा बेसब्री और उसको लेकर सोशल मीडिया में तरह तरह से टिप्पण , क्या ये कुछ ज्यादा नासमझी नहीं है ?  जबकि जनवरी 16  से  ही उस गणना पत्रक से लाभ मिलना तय है , कारण जो भी हो पर बताया तो गया था सिंहस्थ के बाद जारी होगा क्या सिहंस्थ समाप्त होने के 10 दिन तक शांत रहकर इन्तजार नही किया जा सकता।  इस दौरान चर्चा करके जारी कराने का प्रयास ज्यादा उचित नहीं होता।  सिर्फ गणना पत्रक जारी कराने के लिए सडको पर आना ठीक है ? जबकि हम ये जानते है कि उसमें विसंगति की आशंका  है और उसको लेकर अध्यापकों को फिर से सडकों पर आना होगा।  क्या हम अपनी उर्जा को बचा कर नही रख सकते थे जब विसंगति को लेकर फिर सडकों पर उतरेंगें तो पब्लिक क्या सोचेगी ये पहलू भी देखना क्या जरूरी नही है ?  इसमें संगठन के पदाधिकारियों से ज्यादा दोष एक आम अध्यापक का नजर नही आ रहा जो सोशल मीडिया का भरपूर दुरपयोग कर संगठन के लोगो पर गणना पत्रक जारी कराने का अनावश्यक प्रेशर  बना रहा है।  लोगों ने कविताएँ तक रच डाली आज एक जिम्मेदार अध्यापक की टिप्पण ने ,यह टिपण्णी   लिखने को मजबूर कर दिया जब उन्होंने  लिखा कि "श्रेय के चक्कर मॆ संघों की आपसी खींचातानी मॆ गणना पत्रक फटा ??  डा धर्मेन्द्र जैन अमोल ने बताया है कि विश्वस्त सूत्रों के अनुसार कल उस पर टेप आदि लगा कर जारी होने की सम्भावना है ।" मेरा विचार है कि अध्यापक को  अपनी  उर्जा का सही सदुपयोग करना  चाहिए क्योकि अभी  7 th  पे और शिक्षक बनने की लड़ाई बाकी है समान कार्य समान वेतन की लड़ाई तो 6 th  पे में पहले ही तब्दील हो चुकी है।
डी के सिंगौर मंडला
उक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं।

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