Tuesday, December 13, 2016

अध्यापक संवर्ग के हितार्थ एक अदद संघर्ष की दरकार- सियाराम पटेल नरसिंहपुर

1998 से एवं उसके पश्चात वर्तमान 2013 तक नियुक्त अल्वेतन भोगी संविदा शिक्षक/ अध्यापक संवर्ग के तहत कार्यरत प्रदेश की युवा पीढ़ी के भविष्य निर्माण हेतु वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान रखते हुए एक निस्वार्थ निर्णायक अदद संघर्ष की दरकार है। विगत 02 वर्ष से अपने भविष्य निर्माण हेतु हम सभी प्रयासरत हैं पर क्या वास्तव में हम अपने 18 वर्षों के भीषण संघर्ष उपरान्त भी दो बार गणना शीट जारी होने उपरान्त भी अपने संम्वर्ग का क्या सही फैसला कराने में सफल हुए? यदि हुए हों तो कृपया तर्कसम्मत उत्तर प्रदान करें, यदि सफल नही हुए हों तो बिलकुल भी उत्तर न दें। वर्तमान में हम जिस संम्वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं उसका यदि वास्तविक हल या निराकरण न हो तब तक हम स्वागत सत्कार और अन्य ओपचारिक्ताओं से दूर ही रहें, क्योंकि जिनके समर्थन से आज हम यथास्थान हैं उनके वास्तविक हित व भविष्य के लिए वास्तविक संघर्ष करते हुए लाभ न दिलाये पाए तो हम अपने पद और जीवन से भी न्याय नही कर पाएंगे दिखावे स्वरूप जरूर आत्मसंतुष्ट हो सकते हैं, किंतु आत्मसंतुष्टि प्राप्त नही कर पाएंगे कभी। क्योंकि आजकल नेतृत्व सोशल मीडिया के विरोध से झुक जाता पर वास्तविक अध्यापक पीड़ा से नही क्यों? इसीलिए आज अध्यापक संवर्ग के वास्तविक हित में एक अदद निर्णायक रणनीति, नेतृत्व व संघर्ष की महती आवश्यकता है जो आज सर्वहित कर सके, बाकि जो प्रयास हैं वो बेमानी ही होंगे क्योंकि नेतृत्व की भूमिका पर ही निर्णय निर्भर करता है, पर कितना भी प्रयास कर लें जब तक एक निर्णायक अदद  संघर्ष नही होगा तब तक अल्पवेतन भोगी कर्मियों के भविष्य निर्माण की वास्तविक कल्पना बेमानी होगी।आपका  साथी-सियाराम पटेल, नरसिंहपुर।

No comments:

Post a Comment

Comments system

Tuesday, December 13, 2016

अध्यापक संवर्ग के हितार्थ एक अदद संघर्ष की दरकार- सियाराम पटेल नरसिंहपुर

1998 से एवं उसके पश्चात वर्तमान 2013 तक नियुक्त अल्वेतन भोगी संविदा शिक्षक/ अध्यापक संवर्ग के तहत कार्यरत प्रदेश की युवा पीढ़ी के भविष्य निर्माण हेतु वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान रखते हुए एक निस्वार्थ निर्णायक अदद संघर्ष की दरकार है। विगत 02 वर्ष से अपने भविष्य निर्माण हेतु हम सभी प्रयासरत हैं पर क्या वास्तव में हम अपने 18 वर्षों के भीषण संघर्ष उपरान्त भी दो बार गणना शीट जारी होने उपरान्त भी अपने संम्वर्ग का क्या सही फैसला कराने में सफल हुए? यदि हुए हों तो कृपया तर्कसम्मत उत्तर प्रदान करें, यदि सफल नही हुए हों तो बिलकुल भी उत्तर न दें। वर्तमान में हम जिस संम्वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं उसका यदि वास्तविक हल या निराकरण न हो तब तक हम स्वागत सत्कार और अन्य ओपचारिक्ताओं से दूर ही रहें, क्योंकि जिनके समर्थन से आज हम यथास्थान हैं उनके वास्तविक हित व भविष्य के लिए वास्तविक संघर्ष करते हुए लाभ न दिलाये पाए तो हम अपने पद और जीवन से भी न्याय नही कर पाएंगे दिखावे स्वरूप जरूर आत्मसंतुष्ट हो सकते हैं, किंतु आत्मसंतुष्टि प्राप्त नही कर पाएंगे कभी। क्योंकि आजकल नेतृत्व सोशल मीडिया के विरोध से झुक जाता पर वास्तविक अध्यापक पीड़ा से नही क्यों? इसीलिए आज अध्यापक संवर्ग के वास्तविक हित में एक अदद निर्णायक रणनीति, नेतृत्व व संघर्ष की महती आवश्यकता है जो आज सर्वहित कर सके, बाकि जो प्रयास हैं वो बेमानी ही होंगे क्योंकि नेतृत्व की भूमिका पर ही निर्णय निर्भर करता है, पर कितना भी प्रयास कर लें जब तक एक निर्णायक अदद  संघर्ष नही होगा तब तक अल्पवेतन भोगी कर्मियों के भविष्य निर्माण की वास्तविक कल्पना बेमानी होगी।आपका  साथी-सियाराम पटेल, नरसिंहपुर।

No comments:

Post a Comment