Thursday, November 24, 2016

अध्यापक संवर्ग के साथ मध्यप्रदेश शासन द्वारा हुए भेदभाव का वृत्तांत एक नजर में-सियाराम पटेल


समस्त सम्मानीय साथियों
सादर वंन्दन।
1995 से कार्यरत शिक्षाकर्मी संम्वर्ग या माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 1995 में हुई भर्ती प्रक्रिया को अमान्य करने के उपरान्त  1998 से माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पुनः 1998 से कार्यरत शिक्षाकर्मी संम्वर्ग के तहत कार्यरत साथियों की नियुक्ति उपरान्त अपने हक़ की लड़ाई जब से प्रारम्भ हुई तब से एक ही मांग रही कि *समान कार्य का समान वेतन एवं शिक्षा विभाग में संविलियन* और इसी प्रमुख मांग को लेकर हम सतत संघर्षरत भी रहे।
संघर्ष के चलते हमें 2007 में बड़ी  किंतु अधूरी सफलता मिली कि शिक्षाकर्मी पदनाम बदलते हुए हमें शिक्षा विभाग में प्रदाय पाँचवे वेतन के स्केल -
सहायक शिक्षक - 4000-100-6000
शिक्षक-
5000-150-8000
व्यख्याता-
5500-175-9000 के स्थान पर
अध्यापक संम्वर्ग का गठन करते हुए
सहायक अध्यापक-
3000-100-5000
अध्यापक-
4000-125-6500
वरिष्ठ अध्यापक -
5000-175-9000
नवीन वेतनमान निर्धारित करते हुए अध्यापक संवर्ग में संविलियन कर
1998 से 2007 तक 09 वर्ष की सेवावधि की गणना कर प्रति 03 वर्ष की सेवावधि की गणना कर 750 से अधिक लाभ न हो को ध्यान में रखते हुए वर्गवार सेवावधि गणना अनुसार
सहायक अध्यापक को 03 वेतन  के हिसाब- 3300
अध्यापक को 03 वेतनवृद्धि के हिसाब से 4250
वरिष्ठ अध्यापक को 02 वेतनवृद्धि के हिसाब से 5350 पर फिक्स किया गया।
तदुपरान्त 2013 में 6थ पे के नाम पर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों सहायक शिक्षक, शिक्षक एवं व्याख्याता को 2005- 2006 में लागू पाँचवे वेतन
सहायक शिक्षक - 4000-100-600
शिक्षक- 5000-150-8000
व्याख्याता - 5500 -175-9000 के तत्स्थानी मूलवेतन में 1.86 का गुणा कर +निर्धारित ग्रेड पे पर प्रचलित महंगाई भत्ता प्रदान कर 2006 से 6थ पे का निर्धारण कर  छटा वेतन प्रदाय करने के फार्मूले को छोड़ हमें हमारे तत्स्थानी मूल वेतन में 1.62 का गुणा कर प्राप्त होने वाले वर्गवार वेतन और सहायक शिक्षक , शिक्षक एवं व्याख्याता को प्राप्त 6थ पे के वेतन के अंतर की राशि को अंतरिम राहत की चार वार्षिक किस्तों के रूप में 2007 से 6थ पे लागु इस शर्त पर किया गया कि 2017 में अंतरिम राहत की किस्तों का समायोजन कर 2007 से गणना कर अध्यापक संवर्ग को छटा वेतन प्रदाय किया जाएगा।
2007 से इसीलिए अध्यापक संवर्ग का गठन 2007 में हुआ (नही तो 2006 से ही लागू होता)।
हमारे संघर्ष क़ि ये बहुत बड़ी किंतु अधूरी सफलता हमने प्राप्त की।
किंतु अब जब हमने अपने संघर्ष के बल पर 2016 में समान कार्य का समान वेतन की लड़ाई  जीत ली तो हमें वरिष्ठता अनुसार अर्थात
1998 (एवं2001, 2003 या इसके बाद वर्गवार नियुक्क्ति) प्राप्त साथियो के 2007 के वर्गवार तत्स्थानी मूल वेतन के 1.86 के गुणा अनुसार
सहायक अध्यापक - 3300x1.62=5350 यानि 8000+2400
अध्यापक - 4250x1.62= 6890 यानि 10070+3200
वरिष्ठ अध्यापक -
5300x1.62=8670 यानि 10890+3600  के अनुसार शुरुवात करते हुए 2007 से गणना करते हुए 6थ पे क्यों प्रदाय नही किया जा रहा है।
साथियों शासन द्वारा पुनः 2007, 2013 की तरह छलावा करते हुए हमें पुनः छलते हुए  अन्याय किया जा रहा है।
यदि हमें शासन वास्तव में समान कार्य का समान वेतन देना चाहता है तो 1998 के साथियों (सहित उसके पश्चात नियुक्त साथियों ) को   वर्गवार क्रमशः 2007 से छटे वेतन की गणना करते हुए 3 प्रतिशत वेतन वृद्धि के साथ  -
सहायक अध्यापक - 3300x1.62=5350 यानि 8000+2400
अध्यापक - 4250x1.62= 6890 यानि 10070+3200
वरिष्ठ अध्यापक -
8670x1.62 =10890+3600 कृमोन्नति प्राप्त वरिष्ठ अध्यापक को 4200 ग्रेड के साथ तत्स्थानी मूलवेतन पर वर्तमान महंगाई भत्ता सहित  प्रदान करेगा तो सही मायने में समान कार्य का समान वेतन की हमारी मांग पूरी होगी अन्यथा हम पूर्व की भाति ठगा महसूस करते रहेंगे चाहे कितना भी संघर्ष कर लें।
हमारे साथी कुछ जिलों में इस अनुसार फिक्सेशन जरूर करा रहे हैं पर जब तक वर्तमान जारी आदेश के तहत इस संबंध में मार्गदर्शन जारी नही होते हैं इस प्रकार के फिक्सेशन का कोई ओचित्य नही।
जागो साथियों जागो
आपका अपना साथी-
सियाराम पटेल
प्रदेश मीडिया प्रभारी
राज्य अध्यापक संघ म. प्र.

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Thursday, November 24, 2016

अध्यापक संवर्ग के साथ मध्यप्रदेश शासन द्वारा हुए भेदभाव का वृत्तांत एक नजर में-सियाराम पटेल


समस्त सम्मानीय साथियों
सादर वंन्दन।
1995 से कार्यरत शिक्षाकर्मी संम्वर्ग या माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 1995 में हुई भर्ती प्रक्रिया को अमान्य करने के उपरान्त  1998 से माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पुनः 1998 से कार्यरत शिक्षाकर्मी संम्वर्ग के तहत कार्यरत साथियों की नियुक्ति उपरान्त अपने हक़ की लड़ाई जब से प्रारम्भ हुई तब से एक ही मांग रही कि *समान कार्य का समान वेतन एवं शिक्षा विभाग में संविलियन* और इसी प्रमुख मांग को लेकर हम सतत संघर्षरत भी रहे।
संघर्ष के चलते हमें 2007 में बड़ी  किंतु अधूरी सफलता मिली कि शिक्षाकर्मी पदनाम बदलते हुए हमें शिक्षा विभाग में प्रदाय पाँचवे वेतन के स्केल -
सहायक शिक्षक - 4000-100-6000
शिक्षक-
5000-150-8000
व्यख्याता-
5500-175-9000 के स्थान पर
अध्यापक संम्वर्ग का गठन करते हुए
सहायक अध्यापक-
3000-100-5000
अध्यापक-
4000-125-6500
वरिष्ठ अध्यापक -
5000-175-9000
नवीन वेतनमान निर्धारित करते हुए अध्यापक संवर्ग में संविलियन कर
1998 से 2007 तक 09 वर्ष की सेवावधि की गणना कर प्रति 03 वर्ष की सेवावधि की गणना कर 750 से अधिक लाभ न हो को ध्यान में रखते हुए वर्गवार सेवावधि गणना अनुसार
सहायक अध्यापक को 03 वेतन  के हिसाब- 3300
अध्यापक को 03 वेतनवृद्धि के हिसाब से 4250
वरिष्ठ अध्यापक को 02 वेतनवृद्धि के हिसाब से 5350 पर फिक्स किया गया।
तदुपरान्त 2013 में 6थ पे के नाम पर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों सहायक शिक्षक, शिक्षक एवं व्याख्याता को 2005- 2006 में लागू पाँचवे वेतन
सहायक शिक्षक - 4000-100-600
शिक्षक- 5000-150-8000
व्याख्याता - 5500 -175-9000 के तत्स्थानी मूलवेतन में 1.86 का गुणा कर +निर्धारित ग्रेड पे पर प्रचलित महंगाई भत्ता प्रदान कर 2006 से 6थ पे का निर्धारण कर  छटा वेतन प्रदाय करने के फार्मूले को छोड़ हमें हमारे तत्स्थानी मूल वेतन में 1.62 का गुणा कर प्राप्त होने वाले वर्गवार वेतन और सहायक शिक्षक , शिक्षक एवं व्याख्याता को प्राप्त 6थ पे के वेतन के अंतर की राशि को अंतरिम राहत की चार वार्षिक किस्तों के रूप में 2007 से 6थ पे लागु इस शर्त पर किया गया कि 2017 में अंतरिम राहत की किस्तों का समायोजन कर 2007 से गणना कर अध्यापक संवर्ग को छटा वेतन प्रदाय किया जाएगा।
2007 से इसीलिए अध्यापक संवर्ग का गठन 2007 में हुआ (नही तो 2006 से ही लागू होता)।
हमारे संघर्ष क़ि ये बहुत बड़ी किंतु अधूरी सफलता हमने प्राप्त की।
किंतु अब जब हमने अपने संघर्ष के बल पर 2016 में समान कार्य का समान वेतन की लड़ाई  जीत ली तो हमें वरिष्ठता अनुसार अर्थात
1998 (एवं2001, 2003 या इसके बाद वर्गवार नियुक्क्ति) प्राप्त साथियो के 2007 के वर्गवार तत्स्थानी मूल वेतन के 1.86 के गुणा अनुसार
सहायक अध्यापक - 3300x1.62=5350 यानि 8000+2400
अध्यापक - 4250x1.62= 6890 यानि 10070+3200
वरिष्ठ अध्यापक -
5300x1.62=8670 यानि 10890+3600  के अनुसार शुरुवात करते हुए 2007 से गणना करते हुए 6थ पे क्यों प्रदाय नही किया जा रहा है।
साथियों शासन द्वारा पुनः 2007, 2013 की तरह छलावा करते हुए हमें पुनः छलते हुए  अन्याय किया जा रहा है।
यदि हमें शासन वास्तव में समान कार्य का समान वेतन देना चाहता है तो 1998 के साथियों (सहित उसके पश्चात नियुक्त साथियों ) को   वर्गवार क्रमशः 2007 से छटे वेतन की गणना करते हुए 3 प्रतिशत वेतन वृद्धि के साथ  -
सहायक अध्यापक - 3300x1.62=5350 यानि 8000+2400
अध्यापक - 4250x1.62= 6890 यानि 10070+3200
वरिष्ठ अध्यापक -
8670x1.62 =10890+3600 कृमोन्नति प्राप्त वरिष्ठ अध्यापक को 4200 ग्रेड के साथ तत्स्थानी मूलवेतन पर वर्तमान महंगाई भत्ता सहित  प्रदान करेगा तो सही मायने में समान कार्य का समान वेतन की हमारी मांग पूरी होगी अन्यथा हम पूर्व की भाति ठगा महसूस करते रहेंगे चाहे कितना भी संघर्ष कर लें।
हमारे साथी कुछ जिलों में इस अनुसार फिक्सेशन जरूर करा रहे हैं पर जब तक वर्तमान जारी आदेश के तहत इस संबंध में मार्गदर्शन जारी नही होते हैं इस प्रकार के फिक्सेशन का कोई ओचित्य नही।
जागो साथियों जागो
आपका अपना साथी-
सियाराम पटेल
प्रदेश मीडिया प्रभारी
राज्य अध्यापक संघ म. प्र.

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