Saturday, November 5, 2016

शासनाधीन कि‍ए गए 22 वि‍द्यालयों में शि‍क्षाकर्मी/जि‍लाध्‍यक्ष दर/अंशकालीन दर पर स्‍वीकृत पदों के स्‍थान पर नि‍यमि‍त पद स्‍वीकृत कि‍ए जाने संबंधी 18 जून 2015

18 जून 2015 को जारी स्कूल शिक्षा मंत्रालय का आदेश यह कह कर प्रचारित किया जा रहा है। प्रदेश के 22 विद्यालयो के शिक्षा कर्मीयो को 1998 से शिक्षा विभाग में समिलित कर के एरियर भी दिया जा रहा है। कई लोग तो संगठनो के नाम से बधाई सन्देश भी जारी करने लगे ।

यह बात बिलकुल सही है की शिक्षाकर्मी साथियो का ही ,शिक्षा विभाग में संविलियन किया गया है लेकिन यह एक अर्ध सत्य है।पुरे मामले की वास्तविकता कुछ और ही है।


सम्पूर्ण प्रकरण की स्थिति यह है की प्रदेश के 22 निजी /(अशासकीय या प्रायवेट ) विद्यालयो को शासन ने ,1998 से 2001 तक अपने अधीन लिया 1995 की निति के अनुसार । इसके बाद शैक्षणिक स्टाफ को शिक्षाकर्मी के समान और अन्य तृतीय - तृतीय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को जिलाधीश दर से वेतन दिया जाने लगा ( क्लेरिकल काम करने वाले हमारे साथी जिलाधीश दर को अच्छी तरह से समझते होंगे )


जबकि 1995 की अधिग्रहण निति के अनुसार सम्पूर्ण शैक्षणिक स्टाफ को शिक्षक संवर्ग (सहायक शिक्षक ,शिक्षक,व्यख्याता ) के सामान और अन्य कर्मचारियों को तृतीय - चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के समान वेतन भत्तों और अन्य सुविधाओं की पत्राता थी। परंतु शासन ने शिक्षको को शिक्षाकर्मी और तृतीय चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियो अंशकालिक के रूप में जिलाधिश दर प्रदान की । 


इस से क्षुब्ध हो कर वँहा के स्टाफ ने न्यायालय की शरण ली । न्ययालय ने 1995 की निति का पालन करने के निर्देश दिए ।परंतु शासन ने 2 बार अपील की जो ख़ारिज हो गयी ,अंततोगत्वा शासन ने अपनी गलती मानकर 1995 की निति का पालन किया है।व इन 22 निजी विद्यालयों में कार्यरत शैक्षणिक स्टाफ को अधिग्रहण की दिनांक से शिक्षक संवर्ग के समान (प्रधान्ध्यापक /प्राचार्य को छोड़कर ),व अन्य स्टाफ को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के सामान वेतन व भत्ते प्रादान कर दिये है व पूर्व बकाया का एरियर 5 सामान वर्षिक किश्तों में प्रदान कर दिया है। अन्य सुविधाएं भी प्रदान कर दी गयी है।


वास्तविकता यह है की ये शिक्षा कर्मी साथी हमारे साथ व् हमारे नियमो के अंतर्गत भर्ती शिक्षा कर्मी नाही है ,हो सकता है यंहा कार्यरत कर्मचारी 1995 से पूर्व कार्यरत हों । 
और अधिक जानकारी इन जिलो में कार्यरत हमारे साथी भली भाँति दे सकते है।में स्वयं मेरी जानकारी का उदाहरण देता हूँ में खातेगांव जिला देवास का मूल निवासी हूँ ,वँहा पर ठाकुर सावदेकर राव निजी महाविद्यालय था इसका अधिग्रहण शासन ने 1989 में किया और वँहा पर कार्यरत स्टाफ सहायक प्राध्यापक सहित को शासकिय अधिकारी कर्मचारी के रूप में वेतन भत्ते व सुविधाएं दी जाने लगी।

साथियो आज कल सोशल मिडिया का जामाना है अफवाहें बड़ी तेजी से फैलती है। हम शिक्षक है समाज के जिम्मेदार नगरिको में गणना होती है। कम से कम हम तो अफवाह न फैलाएं । मेरा दावा है की यदि हम इस आदेश को ही एक बार ढंग से पढ़ लें तो सम्पूर्ण स्थिति साफ हो जाती।
सुरेश यादव ,कार्यकारी जिलाध्यक्ष ,राज्य अध्यापक संघ रतलाम 9926809650

आदेश PDF में प्राप्त करने के लिए इस लिंक को ओपन करें








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Saturday, November 5, 2016

शासनाधीन कि‍ए गए 22 वि‍द्यालयों में शि‍क्षाकर्मी/जि‍लाध्‍यक्ष दर/अंशकालीन दर पर स्‍वीकृत पदों के स्‍थान पर नि‍यमि‍त पद स्‍वीकृत कि‍ए जाने संबंधी 18 जून 2015

18 जून 2015 को जारी स्कूल शिक्षा मंत्रालय का आदेश यह कह कर प्रचारित किया जा रहा है। प्रदेश के 22 विद्यालयो के शिक्षा कर्मीयो को 1998 से शिक्षा विभाग में समिलित कर के एरियर भी दिया जा रहा है। कई लोग तो संगठनो के नाम से बधाई सन्देश भी जारी करने लगे ।

यह बात बिलकुल सही है की शिक्षाकर्मी साथियो का ही ,शिक्षा विभाग में संविलियन किया गया है लेकिन यह एक अर्ध सत्य है।पुरे मामले की वास्तविकता कुछ और ही है।


सम्पूर्ण प्रकरण की स्थिति यह है की प्रदेश के 22 निजी /(अशासकीय या प्रायवेट ) विद्यालयो को शासन ने ,1998 से 2001 तक अपने अधीन लिया 1995 की निति के अनुसार । इसके बाद शैक्षणिक स्टाफ को शिक्षाकर्मी के समान और अन्य तृतीय - तृतीय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को जिलाधीश दर से वेतन दिया जाने लगा ( क्लेरिकल काम करने वाले हमारे साथी जिलाधीश दर को अच्छी तरह से समझते होंगे )


जबकि 1995 की अधिग्रहण निति के अनुसार सम्पूर्ण शैक्षणिक स्टाफ को शिक्षक संवर्ग (सहायक शिक्षक ,शिक्षक,व्यख्याता ) के सामान और अन्य कर्मचारियों को तृतीय - चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के समान वेतन भत्तों और अन्य सुविधाओं की पत्राता थी। परंतु शासन ने शिक्षको को शिक्षाकर्मी और तृतीय चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियो अंशकालिक के रूप में जिलाधिश दर प्रदान की । 


इस से क्षुब्ध हो कर वँहा के स्टाफ ने न्यायालय की शरण ली । न्ययालय ने 1995 की निति का पालन करने के निर्देश दिए ।परंतु शासन ने 2 बार अपील की जो ख़ारिज हो गयी ,अंततोगत्वा शासन ने अपनी गलती मानकर 1995 की निति का पालन किया है।व इन 22 निजी विद्यालयों में कार्यरत शैक्षणिक स्टाफ को अधिग्रहण की दिनांक से शिक्षक संवर्ग के समान (प्रधान्ध्यापक /प्राचार्य को छोड़कर ),व अन्य स्टाफ को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के सामान वेतन व भत्ते प्रादान कर दिये है व पूर्व बकाया का एरियर 5 सामान वर्षिक किश्तों में प्रदान कर दिया है। अन्य सुविधाएं भी प्रदान कर दी गयी है।


वास्तविकता यह है की ये शिक्षा कर्मी साथी हमारे साथ व् हमारे नियमो के अंतर्गत भर्ती शिक्षा कर्मी नाही है ,हो सकता है यंहा कार्यरत कर्मचारी 1995 से पूर्व कार्यरत हों । 
और अधिक जानकारी इन जिलो में कार्यरत हमारे साथी भली भाँति दे सकते है।में स्वयं मेरी जानकारी का उदाहरण देता हूँ में खातेगांव जिला देवास का मूल निवासी हूँ ,वँहा पर ठाकुर सावदेकर राव निजी महाविद्यालय था इसका अधिग्रहण शासन ने 1989 में किया और वँहा पर कार्यरत स्टाफ सहायक प्राध्यापक सहित को शासकिय अधिकारी कर्मचारी के रूप में वेतन भत्ते व सुविधाएं दी जाने लगी।

साथियो आज कल सोशल मिडिया का जामाना है अफवाहें बड़ी तेजी से फैलती है। हम शिक्षक है समाज के जिम्मेदार नगरिको में गणना होती है। कम से कम हम तो अफवाह न फैलाएं । मेरा दावा है की यदि हम इस आदेश को ही एक बार ढंग से पढ़ लें तो सम्पूर्ण स्थिति साफ हो जाती।
सुरेश यादव ,कार्यकारी जिलाध्यक्ष ,राज्य अध्यापक संघ रतलाम 9926809650

आदेश PDF में प्राप्त करने के लिए इस लिंक को ओपन करें








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