Friday, September 23, 2016

अध्यापक अब नहीं रुकने वाले - महेश देवड़ा (कुक्षी)


महेश  देवड़ा  (कुक्षी) -ये आश्वासन ये समाचार पत्रों की खबरेे अब अध्यापक इनसे नहीं बहलता साहेब । आदेश कीजिये और अपनी बातों का मान रखिये । और 7440 दे भी रहे तो कोई अहसान नहीं कर रहे वो तो हमारा हक़ है और लेके रहेंगे । पर ख्याल ये हो की इससे तिरंगा रैली रुक जाएगी तो ग़लतफ़हमी दूर कीजिये । लाल घाटी का दमन कोई अध्यापक भुला नहीं साहब हाथ में तिरंगा लिए हमारी बहनों पर लाठियों के वार और सड़कों पर घसीटा जाना , अपने ही प्रदेश की राजधानी जाते अध्यापको को आतंकवादियों की तरह घरों से रास्तो से गिरफ़्तारी का वो मंजर आज भी खून में उबाल ले आता है । उस एक लाल घाटी का मंजर 51 जिलों में दिखाई देगा । गणना पत्रक तो छोटी बात है साहब आप तो सांतवें और संविलियन का हिसाब लगाइये । अब तो लड़ाई संविलियन पर ही रुकेगी ।
जिस तेजी से समाचार पत्रों में खबर लगवाते है माननीय उतनी संजीदगी अगर अपनी घोषणा के आदेश में दिखाते तो अब तक तो आदेश जारी हो जाता । और ये अध्यापक प्रेम हमेशा किसी आंदोलन के पहले ही क्यों उमड़ता है सोचने वाली बात है ।साथियो किसी समाचार से भ्रमित न हो अगर अपना हक चाहिए तो 25 को अध्यापक एकता का वो नजारा हो हर जिले में की सियासतदानों को वास्तव में चाणक्य की याद आ जाये । हमारा भविष्य का आंदोलन , सांतवां वेतन और शिक्षा विभाग में संविलियन सब कुछ 25 की सफलता पर निर्भर है।  अपनी पूरी ताकत लगा दो । वेतन भत्तों के लिए बहुत लड़ लिए साथियों , अबके चोट स्वाभिमान पर हुई है तो अब अध्यापक आत्मसम्मान के लिए मैदान में है । और ये आत्मसम्मान असमानता, भेदभाव और शोषण से मुक्ति पाकर ही बना रहेगा । दिखा दो सरकार को कि हम आपस में कितना भी लड़ ले पर जरुरत पड़ने पर हम पहले भी एक थे आज भी एक है और आगे भी एक होंगे ।
अध्यापक संयुक्त संघर्ष समिति ,जय अध्यापक एक
(लेखक स्वय अध्यापक हैं और यह उनके निजी विचार हैं )

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Friday, September 23, 2016

अध्यापक अब नहीं रुकने वाले - महेश देवड़ा (कुक्षी)


महेश  देवड़ा  (कुक्षी) -ये आश्वासन ये समाचार पत्रों की खबरेे अब अध्यापक इनसे नहीं बहलता साहेब । आदेश कीजिये और अपनी बातों का मान रखिये । और 7440 दे भी रहे तो कोई अहसान नहीं कर रहे वो तो हमारा हक़ है और लेके रहेंगे । पर ख्याल ये हो की इससे तिरंगा रैली रुक जाएगी तो ग़लतफ़हमी दूर कीजिये । लाल घाटी का दमन कोई अध्यापक भुला नहीं साहब हाथ में तिरंगा लिए हमारी बहनों पर लाठियों के वार और सड़कों पर घसीटा जाना , अपने ही प्रदेश की राजधानी जाते अध्यापको को आतंकवादियों की तरह घरों से रास्तो से गिरफ़्तारी का वो मंजर आज भी खून में उबाल ले आता है । उस एक लाल घाटी का मंजर 51 जिलों में दिखाई देगा । गणना पत्रक तो छोटी बात है साहब आप तो सांतवें और संविलियन का हिसाब लगाइये । अब तो लड़ाई संविलियन पर ही रुकेगी ।
जिस तेजी से समाचार पत्रों में खबर लगवाते है माननीय उतनी संजीदगी अगर अपनी घोषणा के आदेश में दिखाते तो अब तक तो आदेश जारी हो जाता । और ये अध्यापक प्रेम हमेशा किसी आंदोलन के पहले ही क्यों उमड़ता है सोचने वाली बात है ।साथियो किसी समाचार से भ्रमित न हो अगर अपना हक चाहिए तो 25 को अध्यापक एकता का वो नजारा हो हर जिले में की सियासतदानों को वास्तव में चाणक्य की याद आ जाये । हमारा भविष्य का आंदोलन , सांतवां वेतन और शिक्षा विभाग में संविलियन सब कुछ 25 की सफलता पर निर्भर है।  अपनी पूरी ताकत लगा दो । वेतन भत्तों के लिए बहुत लड़ लिए साथियों , अबके चोट स्वाभिमान पर हुई है तो अब अध्यापक आत्मसम्मान के लिए मैदान में है । और ये आत्मसम्मान असमानता, भेदभाव और शोषण से मुक्ति पाकर ही बना रहेगा । दिखा दो सरकार को कि हम आपस में कितना भी लड़ ले पर जरुरत पड़ने पर हम पहले भी एक थे आज भी एक है और आगे भी एक होंगे ।
अध्यापक संयुक्त संघर्ष समिति ,जय अध्यापक एक
(लेखक स्वय अध्यापक हैं और यह उनके निजी विचार हैं )

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