Friday, September 23, 2016

अध्यापकों की तिरंगा रैली को मिल रहा व्यापक समर्थन- वासुदेव शर्मा छिंदवाड़ा


वासुदेव शर्मा-25 सितंबर को जिला मुख्यालयों में होने वाली तिरंगा रैली में हिस्सेदारी की होड़ अध्यापकों के बीच शुरू हो गई है। मिल रही जानकारियों के आधार पर कहें तो यह आंदोलन 100 प्रतिशत भागीदारी के साथ ऐतिहासिक होने वाला है यानि अपने-अपने जिलों में साढ़े तीन लाख अध्यापक तिरंगा रैली का हिस्सा बनेंगे। तीन दिन के अल्पसमय में प्रदेश के ज्यादातर जिलों में बैठकें कर अध्यापक संघर्ष समिति का गठन कर लिया गया है, जो यह बताता है कि इस बार अध्यापक शिक्षा विभाग में संविलियन की लड़ाई को जीतने के लिए लडऩे वाला है और इसके लिए वह किसी भी सीमा तक जा भी सकता है। अध्यापकों की एकजुटता का संदेश दूसरे अल्पवेतन भोगी कर्मचारियों एवं उनके संगठनों के बीच भी जा चुका है, इन संगठनों के नेता भी चाहते हैं कि प्रदेश में सरकार द्वारा सताए जा रहे कर्मचारियों का निर्णायक आंदोलन हो और उसके साथ एकजुटता व्यक्त की जानी चाहिए।

तिरंगा रैली को संविदा कर्मचारी संघ का समर्थन
संविदा कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रमेश राठौर ने अध्यापक संगठनों की हाल ही में बनी एकजुटता को सराहते हुए कहा कि इनकी मांगेें जायज हैं और उन्हें सरकार को तत्काल पूरा करना चाहिए। 25 सितंबर को जिला मुख्यालयों पर होने वाली तिरंगा रैली के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हुए राठौर ने कहा कि हमारा संगठन अध्यापकों के साथ है और उनकी तिरंगा रैली को समर्थन करता है। उन्होंने हमें भरोसा दिलाया कि उनके संगठन के जिला पदाधिकारी 25 सितंबर को अध्यापकों की तिरंगा रैली का हिस्सा बनकर समर्थन करेंगे। गौरतलब है कि सरकार ने कुछ ही महीनों में 4 हजार से अधिक संविदा कर्मचारियों की छटंनी कर दी है, जिन विभागों में छंटनी की गई है उनमें स्वास्थ्य विभाग, कौशल विकास विभाग शामिल हैं। इस छंटनी के बाद प्रदेश के संविदा कर्मचारी डरे हुए है। वे अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर निर्णायक लड़ाई लडऩा चाहते हैं, इसके लिए 4 अक्टूबर को भोपाल में रैली भी करने वाले हैं।

अतिथि शिक्षक संघ भी तिरंगा रैली के साथ

अतिथि शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष जगदीश शास्त्री ने भी अध्यापकों की तिरंगा रैली के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए समर्थन देने की बात कही है। शास्त्री उन शिक्षकों के नेता हैं, जो उन्हीं स्कूलों में पढ़ाते हैं, जहां अध्यापक पढ़ाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने स्कूलों में शिक्षाकर्मी भर्ती किए थे और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अतिथि शिक्षक। दोनों ही मुख्यमंत्रियों की व्यवस्थाओं ने शिक्षकों के शोषण का रास्ता तैयार किया है, इसके बाद भी दोनों की व्यवस्था में अंतर है। दिग्विजय सिंह ने   शिक्षाकर्मियों को नियमित होने का अधिकार दिया था, लेकिन शिवराज सिंह ने अतिथि शिक्षकों को 40 मिनट के पीरियड के बाद नौकरी से बाहर कर देने और फिर 40 मिनट के लिए रख लेने की व्यवस्था बनाई है, ऐसी व्यवस्था दुनिया के किसी भी देश के किसी भी स्कूल में नहीं है। अतिथि शिक्षकों के लिए बनाई गई इस व्यवस्था से दुखी जगदीश शास्त्री कहते हैं कि जीतने का रास्ता अध्यापकों के आंदोलनों से निकलता है, तब हमें भी जीतने की राह मिल जाएगी, इसीलिए हम पूरी तरह अध्यापकों के साथ है और उनकी तिरंगा रैली का समर्थन करते हैं। ( लेखक वरिष्ठ पत्रकार है और यह उनके निजी विचार है )

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Friday, September 23, 2016

अध्यापकों की तिरंगा रैली को मिल रहा व्यापक समर्थन- वासुदेव शर्मा छिंदवाड़ा


वासुदेव शर्मा-25 सितंबर को जिला मुख्यालयों में होने वाली तिरंगा रैली में हिस्सेदारी की होड़ अध्यापकों के बीच शुरू हो गई है। मिल रही जानकारियों के आधार पर कहें तो यह आंदोलन 100 प्रतिशत भागीदारी के साथ ऐतिहासिक होने वाला है यानि अपने-अपने जिलों में साढ़े तीन लाख अध्यापक तिरंगा रैली का हिस्सा बनेंगे। तीन दिन के अल्पसमय में प्रदेश के ज्यादातर जिलों में बैठकें कर अध्यापक संघर्ष समिति का गठन कर लिया गया है, जो यह बताता है कि इस बार अध्यापक शिक्षा विभाग में संविलियन की लड़ाई को जीतने के लिए लडऩे वाला है और इसके लिए वह किसी भी सीमा तक जा भी सकता है। अध्यापकों की एकजुटता का संदेश दूसरे अल्पवेतन भोगी कर्मचारियों एवं उनके संगठनों के बीच भी जा चुका है, इन संगठनों के नेता भी चाहते हैं कि प्रदेश में सरकार द्वारा सताए जा रहे कर्मचारियों का निर्णायक आंदोलन हो और उसके साथ एकजुटता व्यक्त की जानी चाहिए।

तिरंगा रैली को संविदा कर्मचारी संघ का समर्थन
संविदा कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रमेश राठौर ने अध्यापक संगठनों की हाल ही में बनी एकजुटता को सराहते हुए कहा कि इनकी मांगेें जायज हैं और उन्हें सरकार को तत्काल पूरा करना चाहिए। 25 सितंबर को जिला मुख्यालयों पर होने वाली तिरंगा रैली के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हुए राठौर ने कहा कि हमारा संगठन अध्यापकों के साथ है और उनकी तिरंगा रैली को समर्थन करता है। उन्होंने हमें भरोसा दिलाया कि उनके संगठन के जिला पदाधिकारी 25 सितंबर को अध्यापकों की तिरंगा रैली का हिस्सा बनकर समर्थन करेंगे। गौरतलब है कि सरकार ने कुछ ही महीनों में 4 हजार से अधिक संविदा कर्मचारियों की छटंनी कर दी है, जिन विभागों में छंटनी की गई है उनमें स्वास्थ्य विभाग, कौशल विकास विभाग शामिल हैं। इस छंटनी के बाद प्रदेश के संविदा कर्मचारी डरे हुए है। वे अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर निर्णायक लड़ाई लडऩा चाहते हैं, इसके लिए 4 अक्टूबर को भोपाल में रैली भी करने वाले हैं।

अतिथि शिक्षक संघ भी तिरंगा रैली के साथ

अतिथि शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष जगदीश शास्त्री ने भी अध्यापकों की तिरंगा रैली के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए समर्थन देने की बात कही है। शास्त्री उन शिक्षकों के नेता हैं, जो उन्हीं स्कूलों में पढ़ाते हैं, जहां अध्यापक पढ़ाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने स्कूलों में शिक्षाकर्मी भर्ती किए थे और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अतिथि शिक्षक। दोनों ही मुख्यमंत्रियों की व्यवस्थाओं ने शिक्षकों के शोषण का रास्ता तैयार किया है, इसके बाद भी दोनों की व्यवस्था में अंतर है। दिग्विजय सिंह ने   शिक्षाकर्मियों को नियमित होने का अधिकार दिया था, लेकिन शिवराज सिंह ने अतिथि शिक्षकों को 40 मिनट के पीरियड के बाद नौकरी से बाहर कर देने और फिर 40 मिनट के लिए रख लेने की व्यवस्था बनाई है, ऐसी व्यवस्था दुनिया के किसी भी देश के किसी भी स्कूल में नहीं है। अतिथि शिक्षकों के लिए बनाई गई इस व्यवस्था से दुखी जगदीश शास्त्री कहते हैं कि जीतने का रास्ता अध्यापकों के आंदोलनों से निकलता है, तब हमें भी जीतने की राह मिल जाएगी, इसीलिए हम पूरी तरह अध्यापकों के साथ है और उनकी तिरंगा रैली का समर्थन करते हैं। ( लेखक वरिष्ठ पत्रकार है और यह उनके निजी विचार है )

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