Monday, September 19, 2016

" अब एक है हम " लेकिन चिंतन और प्रशिक्षण से ही सफल हो पायेंगे हम - राशी राठौर (देवास)


राशी राठौर ( देवास ) - सभी संघो के एकता के सूत्र मे बंधने पर सभी अध्यापकों में एक नवीन ऊर्जा का संचार हुआ है। नमन है ऐसे महान व्यक्तियों के महान व्यक्तित्व को जिन्होंने अध्यापक हित में वो कर दिखाया जो सालो से नही हो पाया। एकता की शक्ति का अदभुत और अद्वितीय प्रयास के लिए तैयार है  हम , क्योंकि "अब एक है हम "। हमारे हक की जंग को अंजाम देने के लिए जरूरी है कि हर जिले के संविदा शिक्षको जिनकी संविदा अवधी पूर्ण हो गयी है। उनका भी अतिशीघ्र संविलियन कराया जाये, ताकी वो भी अध्यापक हित के लिए होने वाले महायज्ञ मे आहूति दे सके, और हमारे  साथ बढचढ कर हिस्सा ले अपनी भूमिका निभा सके।
       
परंतु क्या एक होने मात्र से हमे सफलता प्रॉप्त हो जायेंगी यह बड़ा प्रश्न है ? क्योकि हमारा मुकाबला उस सरकार से है जो विगत 13 वर्षों  से सत्ता पर काबिज है । जो अपने अधीनस्थ कर्मचारियो के  बड़े से बड़े अंदोलन को आसानी से कुचल सकती है । आजकल के लोकतंत्र में सत्ताएं अपने विरुद्ध उठने वाली हर आवाज को बड़ी आसानी से दबा और कुचल रही है ।आप सभी जानते है की , सरकार डरती है तो अपनी बदनामी से और हार से,सरकार ने जनमानस को अपनी बात प्रबलता से पहुँचा दी है,अब  आमजन यह समझता है कि अध्यापक तो नियमित शिक्षक के समान हो गए है और हम पूर्ण  पूर्ण कर्मचारी बन गए हैं ।
         लेकिन अभी किसी साथी ने बताया था कि सरकार ने अध्यापक बना कर हमारी किन किन सुविधाओं में कमी की है ,यह बात हमारे अधिकांश साथियो को भी पता नहीं है ,हम अध्ययन और अध्यापन के व्यवसाय से तो जुड़े है लेकिन हम अपनी रोजी रोटी के विषय में अध्ययन नहीं करते ,बस यंही हम सरकार के सामने कंमजोर साबित हो जाते है      अध्यापको के पास सफल आन्दोलनों का लम्बा अनुभव है कुशल नेतृत्व है ,जो एक बडा  अन्दोलन खड़ा कर सकता  है , हमें अपनी पिछली सफलता और असफलताओं से सीखना होगा ,मुद्दों पर गंभीर चर्चा करनी चाहिए , गहन चिंतन - मनन  होना चाहिए । 
      इसके लिए  एक  सुनियोजित कार्य्रकम और प्रशिक्षण के माध्यम से अध्यापको को प्रशिक्षित  किया जाये,सोश्यल मिडिया और आई टी का भरपूर उपयोग किया जाये  ,जिस से हम अपनी बात, व मुद्दे जिसका सीधा प्रभाव शिक्षा और आम जनता  पर हो रहा है ,अपने साथियों और आम जन तक आसानी से पहुंचा सकें । इस प्रकार हम सरकार के कूप्रचार का मुकाबला कर सकेंगे   और जनता का नैतिक समर्थन प्राप्त कर  सकेंगे । निश्चित ही आने वाले चुनावी समय के दबाव में हम सफलता अर्जित कर सकेंगे  और शिक्षा विभाग को बचा पाएंगे ।( विचारक स्वयं अध्यापक है और यह उनके निजी विचार है )

2 comments:

  1. राशी जी आपकी सोच को प्रणाम ।सभी अध्यापक नेताओं को इसपर चिंतन कर अमल करना चाहिए।अध्यापक एकता जिंदाबाद।

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  2. राशी जी आपकी सोच को प्रणाम ।सभी अध्यापक नेताओं को इसपर चिंतन कर अमल करना चाहिए।अध्यापक एकता जिंदाबाद।

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Monday, September 19, 2016

" अब एक है हम " लेकिन चिंतन और प्रशिक्षण से ही सफल हो पायेंगे हम - राशी राठौर (देवास)


राशी राठौर ( देवास ) - सभी संघो के एकता के सूत्र मे बंधने पर सभी अध्यापकों में एक नवीन ऊर्जा का संचार हुआ है। नमन है ऐसे महान व्यक्तियों के महान व्यक्तित्व को जिन्होंने अध्यापक हित में वो कर दिखाया जो सालो से नही हो पाया। एकता की शक्ति का अदभुत और अद्वितीय प्रयास के लिए तैयार है  हम , क्योंकि "अब एक है हम "। हमारे हक की जंग को अंजाम देने के लिए जरूरी है कि हर जिले के संविदा शिक्षको जिनकी संविदा अवधी पूर्ण हो गयी है। उनका भी अतिशीघ्र संविलियन कराया जाये, ताकी वो भी अध्यापक हित के लिए होने वाले महायज्ञ मे आहूति दे सके, और हमारे  साथ बढचढ कर हिस्सा ले अपनी भूमिका निभा सके।
       
परंतु क्या एक होने मात्र से हमे सफलता प्रॉप्त हो जायेंगी यह बड़ा प्रश्न है ? क्योकि हमारा मुकाबला उस सरकार से है जो विगत 13 वर्षों  से सत्ता पर काबिज है । जो अपने अधीनस्थ कर्मचारियो के  बड़े से बड़े अंदोलन को आसानी से कुचल सकती है । आजकल के लोकतंत्र में सत्ताएं अपने विरुद्ध उठने वाली हर आवाज को बड़ी आसानी से दबा और कुचल रही है ।आप सभी जानते है की , सरकार डरती है तो अपनी बदनामी से और हार से,सरकार ने जनमानस को अपनी बात प्रबलता से पहुँचा दी है,अब  आमजन यह समझता है कि अध्यापक तो नियमित शिक्षक के समान हो गए है और हम पूर्ण  पूर्ण कर्मचारी बन गए हैं ।
         लेकिन अभी किसी साथी ने बताया था कि सरकार ने अध्यापक बना कर हमारी किन किन सुविधाओं में कमी की है ,यह बात हमारे अधिकांश साथियो को भी पता नहीं है ,हम अध्ययन और अध्यापन के व्यवसाय से तो जुड़े है लेकिन हम अपनी रोजी रोटी के विषय में अध्ययन नहीं करते ,बस यंही हम सरकार के सामने कंमजोर साबित हो जाते है      अध्यापको के पास सफल आन्दोलनों का लम्बा अनुभव है कुशल नेतृत्व है ,जो एक बडा  अन्दोलन खड़ा कर सकता  है , हमें अपनी पिछली सफलता और असफलताओं से सीखना होगा ,मुद्दों पर गंभीर चर्चा करनी चाहिए , गहन चिंतन - मनन  होना चाहिए । 
      इसके लिए  एक  सुनियोजित कार्य्रकम और प्रशिक्षण के माध्यम से अध्यापको को प्रशिक्षित  किया जाये,सोश्यल मिडिया और आई टी का भरपूर उपयोग किया जाये  ,जिस से हम अपनी बात, व मुद्दे जिसका सीधा प्रभाव शिक्षा और आम जनता  पर हो रहा है ,अपने साथियों और आम जन तक आसानी से पहुंचा सकें । इस प्रकार हम सरकार के कूप्रचार का मुकाबला कर सकेंगे   और जनता का नैतिक समर्थन प्राप्त कर  सकेंगे । निश्चित ही आने वाले चुनावी समय के दबाव में हम सफलता अर्जित कर सकेंगे  और शिक्षा विभाग को बचा पाएंगे ।( विचारक स्वयं अध्यापक है और यह उनके निजी विचार है )

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  1. राशी जी आपकी सोच को प्रणाम ।सभी अध्यापक नेताओं को इसपर चिंतन कर अमल करना चाहिए।अध्यापक एकता जिंदाबाद।

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  2. राशी जी आपकी सोच को प्रणाम ।सभी अध्यापक नेताओं को इसपर चिंतन कर अमल करना चाहिए।अध्यापक एकता जिंदाबाद।

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