प्रगति पटेल "अंशु" -आज सबेरे सबेरे हमारे बगल में रहने वाले कक्का जी जो सभी समाचारों पर पैनी नजर रखते हैं अचानक आ गये और पूछने लगे कि ये संतान पालन अवकाश का क्या चक्कर है बड़ी खबरें आ रही हैं ।
हमने बताया- कि ये ऐसा अवकाश है जो महिला अध्यापकों को छोड़ कर सभी विभाग की महिला कर्मचारियों को दिया गया है जिसमें वह अपने 18 साल की आयु के बच्चों की देखभाल के लिए 2 वर्ष के लिए ले सकती हैं ।
कक्का जी कुछ सोचते हुए बोले-क्यों क्या अध्यापक महिलाओं के बच्चे अन्य से अलग है या शासन अध्यापक महिलाओं के बच्चों के लिए स्कूलों में कोई नयी केयरिग व्यवस्था शुरू करने जा रही है।
हमने कहा- ऐसा नहीं है ।
कक्का जी बोले-ऐसा नहीं है तो क्यों यह भेदभाव वैसे भी अध्यापकों को वेतन भी इतना नहीं मिलता कि वह बच्चों की देखभाल के लिए किसी को रख सकें ।
हमने कहा -शासन हम लोगों को पात्र नहीं समझती।
कक्का जी बोले-क्यों नहीं है पात्र जब हम अपात्रो को विधायक सांसद और सी एम बना सकते हैं तो इस अवकाश की पात्रतासभी महिला कर्मचारियों को होनी चाहिए ।
हमने कहा-हां सही है इसलिए तो हम सभी प्रयास रत हैं कि हमें भी यह अवकाश मिले ।
कक्का जी बोले - करते रहो प्रयास मिलेगा जरुर क्योंकि यह आदेश निकालने वालों को भी तो एक माँ ने ही जन्म दिया होगा तो उन्हें समझ में जरुर आयेगा - मां तो माँ होती है पगले।
लेखिका स्वयं अध्यापक है एवं यह इनके निजी विचार है ।
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