शिक्षा और उस से जुड़े संवर्ग की सेवाओं से जुडी जानकारीयां ,आप तक आसानी से पहुंचाने का एक प्रयास है अध्यापक जगत
Thursday, August 4, 2016
"शिक्षक दिवस 2016" के उपलक्ष्य मे विभिन्न कार्यक्रमो का आयोजन करने के सम्बन्ध में निर्देश जारी ,अध्यापक साथी अधिक संख्या में इन कार्यक्रमो में भाग लेवे
"शिक्षक दिवस 5 सितम्बर 2016" के उपलक्ष्य मे विभिन्न कार्यक्रमो का आयोजन करने के सम्बन्ध में निर्देश जारी किये गए है ,शिक्षा विभाग विभिन्न प्रतियोगिताएं करवा रहा है ,सभी अध्यापक साथी अधिक संख्या में इन कार्यक्रमो में भाग लेवे जिस से ,समाज में यह सन्देश जाए की अध्यापक संवर्ग अपने क्षेत्र में पारंगत है और उत्कृष्ट सेवा प्रदान कर अच्छे समाज का निर्माण कर रहा है।
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Thursday, August 4, 2016
"शिक्षक दिवस 2016" के उपलक्ष्य मे विभिन्न कार्यक्रमो का आयोजन करने के सम्बन्ध में निर्देश जारी ,अध्यापक साथी अधिक संख्या में इन कार्यक्रमो में भाग लेवे
"शिक्षक दिवस 5 सितम्बर 2016" के उपलक्ष्य मे विभिन्न कार्यक्रमो का आयोजन करने के सम्बन्ध में निर्देश जारी किये गए है ,शिक्षा विभाग विभिन्न प्रतियोगिताएं करवा रहा है ,सभी अध्यापक साथी अधिक संख्या में इन कार्यक्रमो में भाग लेवे जिस से ,समाज में यह सन्देश जाए की अध्यापक संवर्ग अपने क्षेत्र में पारंगत है और उत्कृष्ट सेवा प्रदान कर अच्छे समाज का निर्माण कर रहा है।
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1 comment:
शिक्षक:- (प्रभात प्रणय)
ReplyDelete
"शिष्ट, क्षमतावान, कर्मठ। जो रहे बस वो है शिक्षक।।
गोद में निर्माण जिसके और पलती है प्रलय भी,
कर्म के सौरभ से जिसके मात खाती है मलय भी।
मन मरूस्थल में सुमन तक जो खिलाना जानता है,
जो विषम झंझावतों से पार पाना जानता है।
विश्व का जो मित्र बनकर राम को करता निपुण है
और कभी सांदीपनि बन कृष्ण में भरता सगुण है।
विष्णु शर्मा बन कभी जो पांच तंत्रों को सिखाता,
भीम को बलराम बनकर जो अभय-निर्भय बनाता।
शिव बने वरदान में सोने की लंका तक थमा दे,
हाथ में देकर परशु जो शिष्य चिरजीवी बना दे।
जब कभी चाणक्य बनकर के शिखाऐं खोलता है
नंद का साम्राज्य तब-तब थरथराकर डोलता है।
भूमिका शिक्षक की क्या है जानने की बात है ये,
है महत्ता ज्ञान की ही मानने की बात है ये।
आइए मिलकर करें संकल्पना कल्याण की हम,
छोड़कर विध्वंस का पथ सोच लें निर्माण की हम।
पान करना हो गरल तो भी ऋचाऐं मांगलिक दें,
आइए निज देश को हम संस्कारित नागरिक दें।।"
(Y) मेरी यह कविता समर्पित है उन सभी शिक्षक मित्रों को जो शिक्षक का अर्थ और दायित्व समझते हैं।
शिक्षक:- (प्रभात प्रणय)
ReplyDelete"शिष्ट, क्षमतावान, कर्मठ। जो रहे बस वो है शिक्षक।।
गोद में निर्माण जिसके और पलती है प्रलय भी,
कर्म के सौरभ से जिसके मात खाती है मलय भी।
मन मरूस्थल में सुमन तक जो खिलाना जानता है,
जो विषम झंझावतों से पार पाना जानता है।
विश्व का जो मित्र बनकर राम को करता निपुण है
और कभी सांदीपनि बन कृष्ण में भरता सगुण है।
विष्णु शर्मा बन कभी जो पांच तंत्रों को सिखाता,
भीम को बलराम बनकर जो अभय-निर्भय बनाता।
शिव बने वरदान में सोने की लंका तक थमा दे,
हाथ में देकर परशु जो शिष्य चिरजीवी बना दे।
जब कभी चाणक्य बनकर के शिखाऐं खोलता है
नंद का साम्राज्य तब-तब थरथराकर डोलता है।
भूमिका शिक्षक की क्या है जानने की बात है ये,
है महत्ता ज्ञान की ही मानने की बात है ये।
आइए मिलकर करें संकल्पना कल्याण की हम,
छोड़कर विध्वंस का पथ सोच लें निर्माण की हम।
पान करना हो गरल तो भी ऋचाऐं मांगलिक दें,
आइए निज देश को हम संस्कारित नागरिक दें।।"
(Y) मेरी यह कविता समर्पित है उन सभी शिक्षक मित्रों को जो शिक्षक का अर्थ और दायित्व समझते हैं।