Wednesday, August 3, 2016

माँ होकर भी, ममता से क्यो वंचित ? - '' कविता '' सुनिल भारी (कन्नौद)


मप्र शासन मे " चाइल्ड केयर लीव " के लाभ से वंचित शिक्षिकाओ (अध्यापक बहनो)की मनोदशा को दर्शाती कन्नौद, जिला देवास के ,अध्यापक कवि सुनिल भारी की  एक रचना....
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

शिक्षिका की ममता , खुद की गाथा यूं कहती है,
माँ होकर भी, ममता से क्यो वंचित रहती है,
जो कर्तव्य की प्रतिमा सी,शिक्षक धर्म निभाती है,
नन्हे लाल को पलने मे सुलाकर विद्यालय जाती है
कैसे निष्ठुर बन जाती ,छोड़कर अपने लाल को,
किस हाल मे होगा,सोचा करती अपने गोपाल को,
चिंता करती, कितना जागा कितना सोया होगा,
कब प्यास लगी होगी, कितनी बार वह रोया होगा,
रोते रोते सोया, वह पलना शायद ही सूखा होगा,
मध्याह्न भोजन यहाँ , वह वहां भूखा ही होगा,
वह शिक्षिका है, राष्ट्रनिर्मात्री भी कहलाती है,
बेटे को याद करते, अक्सर आँखे भर जाती है,
ममता से गहरा सागर क्या, ऊँचा आकाश नही,
क्यो शिक्षिका को चाइल्डकेयर अवकाश नही,
पूरा हक दो पालनपोषण का,खुद के लाल का,
जरूर मिले, चाइल्ड केयर लीव दो साल का,
यह एक अनमोल तोहफा दे दो, सुनो जी सरकार,
राखी पर बहिना को दे दो यह सुंदर सा उपहार,
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सुनिल भारी (कन्नौद)
जिला देवास,मप्र

9098004500


1 comment:

  1. "जो भरा नहीं है भावों से जिसमें बहती रसधार नहीं. वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें शिक्षक को प्यार नहीं."

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Wednesday, August 3, 2016

माँ होकर भी, ममता से क्यो वंचित ? - '' कविता '' सुनिल भारी (कन्नौद)


मप्र शासन मे " चाइल्ड केयर लीव " के लाभ से वंचित शिक्षिकाओ (अध्यापक बहनो)की मनोदशा को दर्शाती कन्नौद, जिला देवास के ,अध्यापक कवि सुनिल भारी की  एक रचना....
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शिक्षिका की ममता , खुद की गाथा यूं कहती है,
माँ होकर भी, ममता से क्यो वंचित रहती है,
जो कर्तव्य की प्रतिमा सी,शिक्षक धर्म निभाती है,
नन्हे लाल को पलने मे सुलाकर विद्यालय जाती है
कैसे निष्ठुर बन जाती ,छोड़कर अपने लाल को,
किस हाल मे होगा,सोचा करती अपने गोपाल को,
चिंता करती, कितना जागा कितना सोया होगा,
कब प्यास लगी होगी, कितनी बार वह रोया होगा,
रोते रोते सोया, वह पलना शायद ही सूखा होगा,
मध्याह्न भोजन यहाँ , वह वहां भूखा ही होगा,
वह शिक्षिका है, राष्ट्रनिर्मात्री भी कहलाती है,
बेटे को याद करते, अक्सर आँखे भर जाती है,
ममता से गहरा सागर क्या, ऊँचा आकाश नही,
क्यो शिक्षिका को चाइल्डकेयर अवकाश नही,
पूरा हक दो पालनपोषण का,खुद के लाल का,
जरूर मिले, चाइल्ड केयर लीव दो साल का,
यह एक अनमोल तोहफा दे दो, सुनो जी सरकार,
राखी पर बहिना को दे दो यह सुंदर सा उपहार,
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सुनिल भारी (कन्नौद)
जिला देवास,मप्र

9098004500


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  1. "जो भरा नहीं है भावों से जिसमें बहती रसधार नहीं. वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें शिक्षक को प्यार नहीं."

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