अरविन्द रावल- मध्यप्रदेश सरकार के माननीय मुख्यमंत्रीजी और शिक्षा मन्त्रीजी से निवेदन हे कि प्रदेश के शिक्षको को ड्रेस एप्रिन पहनाने या एम शिक्षा मित्र के माध्यम से अंगूठा लगवाने से पहले प्रदेश के ग्रामीण अंचल के गरीब वर्ग के बच्चों की हालत पर भी एक नज़र जरूर ध्यानपूर्वक डाले। प्रदेश सरकार प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक के बच्चों को निशुल्क किताबे निशुल्क गणवेश और मध्यान भोजन तो देती हे लेकिन इसके बाद की बच्चे की स्थिति पर शायद सरकार का ध्यान अभी तक गया नही हे। माननीय मुख्यमंत्रीजी एवम् शिक्षा मन्त्रीजी प्रदेश में आज भी ग्रामीण क्षेत्रो के गरीब वर्ग के मासूम बच्चे अपनी आर्थिक स्थिति ठीक नही होने की वजह से नंगे पैर आग उगलती गर्मी में स्कुल आते हे। इतना ही नही कड़कड़ाती सर्दी में भी तन पर शर्ट या फ्राक पहनकर गरीब बच्चे कपकपाते हुए स्कुल आते हे। माननीय महोदय आप बहुत संवेदनशील हे आप इन गरीब बच्चों के दर्द को समझ सकते हे की कितनी पीड़ा होती होंगी सर्दी गर्मी में इन बच्चों को स्वेटर और चप्पल के अभाव में।
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Monday, July 18, 2016
शिक्षको को एप्रिन नही बच्चों को स्वेटर व् चप्पल दे सरकार - अरविन्द रावल झाबुआ
आसानी से नज़र रखी जा सकती हे । सरकार शिक्षा से राजनीतिक दखलअंदाजी खत्म कर दे और शासन थोड़ी कसावट लाये तो बिना खर्च किये भी शिक्षक की नियमितता और निरक्षण किया जा सकता हे।माननीय महोदय मेरा एक बार पुन निवेदन हे कि शिक्षको की नियमितता पर अनावश्यक खर्च करने की बजाय सरकार उक्त राशि से प्रदेश के गरीब बच्चों के लिए चप्पल व् स्वेटर देने की योजना लागु करे ताकि कोई मासूम आने वाली सर्दी व् गर्मी में अपनी बदकिस्मती को कोसे नही।
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Monday, July 18, 2016
शिक्षको को एप्रिन नही बच्चों को स्वेटर व् चप्पल दे सरकार - अरविन्द रावल झाबुआ
अरविन्द रावल- मध्यप्रदेश सरकार के माननीय मुख्यमंत्रीजी और शिक्षा मन्त्रीजी से निवेदन हे कि प्रदेश के शिक्षको को ड्रेस एप्रिन पहनाने या एम शिक्षा मित्र के माध्यम से अंगूठा लगवाने से पहले प्रदेश के ग्रामीण अंचल के गरीब वर्ग के बच्चों की हालत पर भी एक नज़र जरूर ध्यानपूर्वक डाले। प्रदेश सरकार प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक के बच्चों को निशुल्क किताबे निशुल्क गणवेश और मध्यान भोजन तो देती हे लेकिन इसके बाद की बच्चे की स्थिति पर शायद सरकार का ध्यान अभी तक गया नही हे। माननीय मुख्यमंत्रीजी एवम् शिक्षा मन्त्रीजी प्रदेश में आज भी ग्रामीण क्षेत्रो के गरीब वर्ग के मासूम बच्चे अपनी आर्थिक स्थिति ठीक नही होने की वजह से नंगे पैर आग उगलती गर्मी में स्कुल आते हे। इतना ही नही कड़कड़ाती सर्दी में भी तन पर शर्ट या फ्राक पहनकर गरीब बच्चे कपकपाते हुए स्कुल आते हे। माननीय महोदय आप बहुत संवेदनशील हे आप इन गरीब बच्चों के दर्द को समझ सकते हे की कितनी पीड़ा होती होंगी सर्दी गर्मी में इन बच्चों को स्वेटर और चप्पल के अभाव में।
माननीय महोदय मेरा इतना भर निवेदन हे की सरकार शिक्षको की नियमितता के लिए एम शिक्षा मित्र ऐप और ड्रेशकोड व् एप्रिन लागु करने जा रही हे माननीय महोदय यदि आपकी सरकार इन योजनाओ को लागु न करके इस पर व्यय होने वाली राशि से सरकारी स्कुल में पड़ने वाले गरीब मासूम बच्चों को चप्पल व् स्वेटर का शासन स्तर से इंतज़ाम किया जाता हे तो यह एक बहुत बड़ा परोपकारी कार्य होगा और आपकी सरकार का यह नेक कार्य देश की केंद्र व् राज्य सरकारो के लिए प्रेरणा दायक भी सिद्ध होगा।
माननीय मुख्यमंत्रीजी और शिक्षामंत्रीजी शिक्षको की नियमितता और निरीक्षण के लिए तो पहले से ही जिले व् ब्लाक स्तर पर कई अधिकारी नियुक्त हे । ऊपर से उपरोक्त योजनाओ को लागु कर धन खर्च करने से क्या मतलब ? यदि इन योजना को लागु ही करना हे तो फिर जिले व् ब्लाक में बेठे शिक्षको के इन अधिकारियो का क्या आचित्य हे ? महोदय शिक्षको पर तो बिना खर्च के
आसानी से नज़र रखी जा सकती हे । सरकार शिक्षा से राजनीतिक दखलअंदाजी खत्म कर दे और शासन थोड़ी कसावट लाये तो बिना खर्च किये भी शिक्षक की नियमितता और निरक्षण किया जा सकता हे।माननीय महोदय मेरा एक बार पुन निवेदन हे कि शिक्षको की नियमितता पर अनावश्यक खर्च करने की बजाय सरकार उक्त राशि से प्रदेश के गरीब बच्चों के लिए चप्पल व् स्वेटर देने की योजना लागु करे ताकि कोई मासूम आने वाली सर्दी व् गर्मी में अपनी बदकिस्मती को कोसे नही।
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