Monday, July 18, 2016

सरकारी स्कूल के बच्चे अब अपने गांव का भूगोल किताबों में पढ़ेंगे

भोपाल.प्रदेश के सरकारी स्कूल के बच्चे अब अपने गांव का भूगोल किताबों में पढ़ेंगे। इसकी शुरुआत हरदा के छिदगांव तमोली जैसे छोटे से गांव में हो चुकी है। इस शुरूआत से एक IAS इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने पूरे 1 घंटे छात्रों के साथ जमीन पर बैठकर क्लास ली।
क्या है मामला...
-हरदा के छिदगांव तमोली में दो साल पहले अस्तित्व में आए मिडिल स्कूल में लगभग एक साल से पटवारी पवन बांके बच्चों को गांव का आयात, त्रिभुज, वर्ग वृत, नजरी नक्शा सहित जमीन से संबंधित जानकारियां बता रहे हैं।
-पटवारी की क्लास में केवल लड़के ही नहीं, बल्कि लड़कियां भी अपने गांव का भूगोल समझ रही हैं।
-इसके लिए अब कक्षा छठवीं, सातवीं और आठवीं के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। पूरे प्रदेश में इसे जल्द लागू किया जाएगा।
बच्चों के साथ पढ़ चुकी हैं IAS जिला पंचायत सीईओ
-छिदगांव तमोली समिति की वार्षिक आमसभा हुई थी। इसमें पंचायत हरदा में सीईओ एवं आईएएस अफसर षण्मुख प्रिया मिश्रा भी पहुंची थीं।
-उन्हें पता चला कि स्कूल में पटवारी गांव का भूगोल पढ़ा रहे हैं। वे भी स्कूल पहुंच गईं।
-उनका कहना है कि यह मेरे लिए अच्छा अनुभव था। आईएएस में आने के बाद जमीनों से संबंधित बेसिक जानकारी मुझे मिली। मैने करीब एक घंटा क्लास में छात्रा की तरह बिताया था।
स्कूल के बच्चों को पटवारी ने भूगोल पढ़ाना शुरू किया
-स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुरूप हमारी कोशिश मिडिल और हाईस्कूल के लिए गांव की ज्योग्राफी का पाठ्यक्रम जोड़ने की है।
-वैसे भी भू-राजस्व संहिता में अध्यापन कार्य का उल्लेख है, पर यह काम अभी तक नहीं हो रहा था। पूर्व राजस्व मंत्री रामपाल सिंह पटवारियों द्वारा बच्चों को भूगोल पढ़ाने पर सहमति दे चुके हैं।
- पिछले साल शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी अफसरों को अपने-अपने क्षेत्र के 

स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ाने की अपील की थी।
-इस पर छिदगांव तमोली की समिति ने अमल शुरू कर दिया था। गांव के सरकारी मिडिल स्कूल के बच्चों को पटवारी ने भूगोल पढ़ाना शुरू किया था।
30 दिन में 20 घंटे क्लास लेंगे पटवारी
-गांव की सोसायटी के अध्यक्ष अशोक गुर्जर के मुताबिक मोदी की अपील के बाद स्कूल के बच्चों व उनके 

पालकों की संयुक्त बैठक हुई।
-इसमें गांव का भूगोल बच्चों को कैसे समझाया जाए, इसमें किन बातों को शामिल किया जाए?
-इन मुद्दों पर गहन विचार मंथन के बाद सर्व सम्मति से पाठ्यक्रम तय किया। इसके लिए कक्षा 6,7 व 8 की सामाजिक विज्ञान व अन्य विषयों की सरकारी किताबों का भी सहारा लिया।
-इस दौरान ही तय हुआ कि पटवारी गांव की सरकारी स्कूल में 30 दिन में से कभी भी 20 घंटे बच्चों को गांव का भूगोल पढ़ाएगा।
-गुर्जर के मुताबिक गांव का भूगोल बच्चों को पढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। इसकी प्रति राज्य सरकार को भी भेजी गई है।

प्रस्तावित पाठ्यक्रम
कक्षा छटवीं :गांव का भूगोल- एक परिचय एवं आवश्यकता, बसाहट की इकाइयां-टोला, मोहल्ला, ग्राम पंचायत, गांव के प्रकार-राजस्व, वन, आबाद और वीरान गांव, सीमा चिन्ह-चांदे, मीनारे, त्रिमेंडी, चौमेंडी, रुढि चिन्ह गोहा आदि। ग्राम पंचायत क्षेत्र की प्रमुख फसलें एवं वनस्पति, शासकीय पट्टा, भूमि स्वामित्व, कृषि भूमि, गैर कृषि भूमि, व्यवसायिक भूमि, हल्का व खसरा आदि।

कक्षा सातवीं : गांव व ग्राम पंचायत की सीमाएं, नजरी व मानक नक्शा, जल स्रोतों की जानकारी, नदी, नाले, तालाब व नहरों का सीमांकन, क्षेत्रीय मिट्टी के प्रकार और उसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व। मिट्टी की जांच- नमूने लेने की विधियां व जांच का तरीका।

कक्षा आठवीं : भू अधिकार एवं शासकीय पट्टा अधिकार पत्र, जिम्मेदार संस्था अथवा विभाग, शासकीय कार्यालय से दस्तावेज की नकल प्राप्त करना, विधियां, संशोधन पंजी खसरा प्राप्त करना। भू मापन आवश्यकता तकनीक, उपकरण- कंपास, जरीब, टोपो शीट, टोटल मशीन आदि। भू अभिलेख सेटेलाइट नक्शा व कृषि संबंधी ऑन लाइन सुविधाएं, प्रोजेक्ट वर्क, भू मापन नजरी नक्शा बनाना।

पटवारी, अफसर नहीं दे सकेंगे लोगों को झांसा
-भू-राजस्व संहिता को समझना आसान नहीं होता है।
-यदि स्कूली जीवन में बच्चे पटवारी के कामकाज के तौर-तरीके को समझेंगे तो उन्हें कॉलेज की पढ़ाई के बाद खेती-किसानी के लिए केसीसी बनवाते समय
अनावश्यक पटवारियों या राजस्व अधिकारियों द्वारा जरूरी दस्तावेजों की कमी का हवाला देकर बरगलाया नहीं जा सकेगा। इस पहल से उनका पैसा व समय बचेगा।

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Monday, July 18, 2016

सरकारी स्कूल के बच्चे अब अपने गांव का भूगोल किताबों में पढ़ेंगे

भोपाल.प्रदेश के सरकारी स्कूल के बच्चे अब अपने गांव का भूगोल किताबों में पढ़ेंगे। इसकी शुरुआत हरदा के छिदगांव तमोली जैसे छोटे से गांव में हो चुकी है। इस शुरूआत से एक IAS इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने पूरे 1 घंटे छात्रों के साथ जमीन पर बैठकर क्लास ली।
क्या है मामला...
-हरदा के छिदगांव तमोली में दो साल पहले अस्तित्व में आए मिडिल स्कूल में लगभग एक साल से पटवारी पवन बांके बच्चों को गांव का आयात, त्रिभुज, वर्ग वृत, नजरी नक्शा सहित जमीन से संबंधित जानकारियां बता रहे हैं।
-पटवारी की क्लास में केवल लड़के ही नहीं, बल्कि लड़कियां भी अपने गांव का भूगोल समझ रही हैं।
-इसके लिए अब कक्षा छठवीं, सातवीं और आठवीं के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। पूरे प्रदेश में इसे जल्द लागू किया जाएगा।
बच्चों के साथ पढ़ चुकी हैं IAS जिला पंचायत सीईओ
-छिदगांव तमोली समिति की वार्षिक आमसभा हुई थी। इसमें पंचायत हरदा में सीईओ एवं आईएएस अफसर षण्मुख प्रिया मिश्रा भी पहुंची थीं।
-उन्हें पता चला कि स्कूल में पटवारी गांव का भूगोल पढ़ा रहे हैं। वे भी स्कूल पहुंच गईं।
-उनका कहना है कि यह मेरे लिए अच्छा अनुभव था। आईएएस में आने के बाद जमीनों से संबंधित बेसिक जानकारी मुझे मिली। मैने करीब एक घंटा क्लास में छात्रा की तरह बिताया था।
स्कूल के बच्चों को पटवारी ने भूगोल पढ़ाना शुरू किया
-स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुरूप हमारी कोशिश मिडिल और हाईस्कूल के लिए गांव की ज्योग्राफी का पाठ्यक्रम जोड़ने की है।
-वैसे भी भू-राजस्व संहिता में अध्यापन कार्य का उल्लेख है, पर यह काम अभी तक नहीं हो रहा था। पूर्व राजस्व मंत्री रामपाल सिंह पटवारियों द्वारा बच्चों को भूगोल पढ़ाने पर सहमति दे चुके हैं।
- पिछले साल शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी अफसरों को अपने-अपने क्षेत्र के 

स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ाने की अपील की थी।
-इस पर छिदगांव तमोली की समिति ने अमल शुरू कर दिया था। गांव के सरकारी मिडिल स्कूल के बच्चों को पटवारी ने भूगोल पढ़ाना शुरू किया था।
30 दिन में 20 घंटे क्लास लेंगे पटवारी
-गांव की सोसायटी के अध्यक्ष अशोक गुर्जर के मुताबिक मोदी की अपील के बाद स्कूल के बच्चों व उनके 

पालकों की संयुक्त बैठक हुई।
-इसमें गांव का भूगोल बच्चों को कैसे समझाया जाए, इसमें किन बातों को शामिल किया जाए?
-इन मुद्दों पर गहन विचार मंथन के बाद सर्व सम्मति से पाठ्यक्रम तय किया। इसके लिए कक्षा 6,7 व 8 की सामाजिक विज्ञान व अन्य विषयों की सरकारी किताबों का भी सहारा लिया।
-इस दौरान ही तय हुआ कि पटवारी गांव की सरकारी स्कूल में 30 दिन में से कभी भी 20 घंटे बच्चों को गांव का भूगोल पढ़ाएगा।
-गुर्जर के मुताबिक गांव का भूगोल बच्चों को पढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। इसकी प्रति राज्य सरकार को भी भेजी गई है।

प्रस्तावित पाठ्यक्रम
कक्षा छटवीं :गांव का भूगोल- एक परिचय एवं आवश्यकता, बसाहट की इकाइयां-टोला, मोहल्ला, ग्राम पंचायत, गांव के प्रकार-राजस्व, वन, आबाद और वीरान गांव, सीमा चिन्ह-चांदे, मीनारे, त्रिमेंडी, चौमेंडी, रुढि चिन्ह गोहा आदि। ग्राम पंचायत क्षेत्र की प्रमुख फसलें एवं वनस्पति, शासकीय पट्टा, भूमि स्वामित्व, कृषि भूमि, गैर कृषि भूमि, व्यवसायिक भूमि, हल्का व खसरा आदि।

कक्षा सातवीं : गांव व ग्राम पंचायत की सीमाएं, नजरी व मानक नक्शा, जल स्रोतों की जानकारी, नदी, नाले, तालाब व नहरों का सीमांकन, क्षेत्रीय मिट्टी के प्रकार और उसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व। मिट्टी की जांच- नमूने लेने की विधियां व जांच का तरीका।

कक्षा आठवीं : भू अधिकार एवं शासकीय पट्टा अधिकार पत्र, जिम्मेदार संस्था अथवा विभाग, शासकीय कार्यालय से दस्तावेज की नकल प्राप्त करना, विधियां, संशोधन पंजी खसरा प्राप्त करना। भू मापन आवश्यकता तकनीक, उपकरण- कंपास, जरीब, टोपो शीट, टोटल मशीन आदि। भू अभिलेख सेटेलाइट नक्शा व कृषि संबंधी ऑन लाइन सुविधाएं, प्रोजेक्ट वर्क, भू मापन नजरी नक्शा बनाना।

पटवारी, अफसर नहीं दे सकेंगे लोगों को झांसा
-भू-राजस्व संहिता को समझना आसान नहीं होता है।
-यदि स्कूली जीवन में बच्चे पटवारी के कामकाज के तौर-तरीके को समझेंगे तो उन्हें कॉलेज की पढ़ाई के बाद खेती-किसानी के लिए केसीसी बनवाते समय
अनावश्यक पटवारियों या राजस्व अधिकारियों द्वारा जरूरी दस्तावेजों की कमी का हवाला देकर बरगलाया नहीं जा सकेगा। इस पहल से उनका पैसा व समय बचेगा।

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