Wednesday, July 27, 2016

अध्यापक हित में एक चिंतन -सियाराम पटेल नरसिंहपुर

सियाराम पटेल - अध्यापक हितेषी सभी संघठन जो एकता की बात तो करते हैं पर वास्तव में क्या एकता के सच्चे हितेषी हैं, यदि एकता या अध्यापक हितेषी हैं तो-

*किसी संघठन विशेष या उसके नेतृत्व पर आपसी छीटाकशी क्यों ?
*यदि कोई संघ अध्यापक संघर्ष के लिए योजना या रणनीति की घोषणा करता है तो शेष दूसरे संघ आरोप प्रत्यारोप करने लगते हैं क्यों ?
*क्या हमारी वास्तविक लड़ाई शासन से है या आपसी ?
*क्या हम शासन से लड़ रहे हैं या आपस में  ?
*क्या सभी संघों का मुख्य उद्देश्य अध्यापक हित है या वर्चस्व की लड़ाई या स्वहित ?
*सभी अध्यापक हितेषी संघ बड़े जोर शोर से अध्यापक हित में संघर्ष व एक लक्ष्य की बात तो करते हैं, पर वास्तव में सभी सही दिशा में अग्रसर हैं क्या ?

सभी ज्येष्ठ, श्रेष्ठ विद्वान जनों से उपरोक्त कुछ प्रश्नों पर चिंतन करते हुए अनुरोध है कि हम एकता की ओर कदम बढ़ाने का प्रयास करें। यदि एकता नही भी होती है तो न सही, पर जब लक्ष्य एक है तो उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु शासन से अपने अपने स्तर से ईमानदारी से संघर्ष करें न कि अपने वर्चस्व की लड़ाई हेतु आपसी संघर्ष।

    अध्यापक हितेषी प्रदेश के सभी ज्येष्ठ, श्रेष्ठ व विद्वत अध्यापक भाईयों व बहिनों से विनम्र आग्रह है कि घर बैठकर सोशल मीडिया पर टीका टिप्पणी करने की बजाय आपकी आस्था जिस किसी भी संघ या नेतृत्व में हो उस पर भरोसा करते हुए आह्वान पर संघर्ष में अपना सहयोग अवश्य प्रदान करें।

    मैं संघ विशेष का निष्ठावान कार्यकर्त्ता होने के कारण ये नही कहता हूँ कि राज्य अध्यापक संघ म.प्र. ही सर्वश्रेष्ठ है और दुसरे अन्य संघ श्रेष्ठ नही हैं। मेरा आग्रह तो बस इतना है कि केवल घर बैठे सोशल मीडिया पर टीका टिप्पणी करने से जंग नही जीती जाती, जंग तो जंग ए मैदान में संघर्ष से ही जीती जाती हैं।
   

    आशा है कि सभी सोशल मीडिया के जागरूक , निष्ठावान, संघर्षशील,  कर्मठ व जुझारू साथी एक दूसरे पर टीका टिप्पणी करने की बजाय अध्यापक संवर्ग की लड़ाई व लक्ष्य प्राप्ति में अपना अमूल्य सहयोग पूर्ण निष्ठा सहित प्रदान करेंगे।

यह लेखक के  निजी विचार है 



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Wednesday, July 27, 2016

अध्यापक हित में एक चिंतन -सियाराम पटेल नरसिंहपुर

सियाराम पटेल - अध्यापक हितेषी सभी संघठन जो एकता की बात तो करते हैं पर वास्तव में क्या एकता के सच्चे हितेषी हैं, यदि एकता या अध्यापक हितेषी हैं तो-

*किसी संघठन विशेष या उसके नेतृत्व पर आपसी छीटाकशी क्यों ?
*यदि कोई संघ अध्यापक संघर्ष के लिए योजना या रणनीति की घोषणा करता है तो शेष दूसरे संघ आरोप प्रत्यारोप करने लगते हैं क्यों ?
*क्या हमारी वास्तविक लड़ाई शासन से है या आपसी ?
*क्या हम शासन से लड़ रहे हैं या आपस में  ?
*क्या सभी संघों का मुख्य उद्देश्य अध्यापक हित है या वर्चस्व की लड़ाई या स्वहित ?
*सभी अध्यापक हितेषी संघ बड़े जोर शोर से अध्यापक हित में संघर्ष व एक लक्ष्य की बात तो करते हैं, पर वास्तव में सभी सही दिशा में अग्रसर हैं क्या ?

सभी ज्येष्ठ, श्रेष्ठ विद्वान जनों से उपरोक्त कुछ प्रश्नों पर चिंतन करते हुए अनुरोध है कि हम एकता की ओर कदम बढ़ाने का प्रयास करें। यदि एकता नही भी होती है तो न सही, पर जब लक्ष्य एक है तो उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु शासन से अपने अपने स्तर से ईमानदारी से संघर्ष करें न कि अपने वर्चस्व की लड़ाई हेतु आपसी संघर्ष।

    अध्यापक हितेषी प्रदेश के सभी ज्येष्ठ, श्रेष्ठ व विद्वत अध्यापक भाईयों व बहिनों से विनम्र आग्रह है कि घर बैठकर सोशल मीडिया पर टीका टिप्पणी करने की बजाय आपकी आस्था जिस किसी भी संघ या नेतृत्व में हो उस पर भरोसा करते हुए आह्वान पर संघर्ष में अपना सहयोग अवश्य प्रदान करें।

    मैं संघ विशेष का निष्ठावान कार्यकर्त्ता होने के कारण ये नही कहता हूँ कि राज्य अध्यापक संघ म.प्र. ही सर्वश्रेष्ठ है और दुसरे अन्य संघ श्रेष्ठ नही हैं। मेरा आग्रह तो बस इतना है कि केवल घर बैठे सोशल मीडिया पर टीका टिप्पणी करने से जंग नही जीती जाती, जंग तो जंग ए मैदान में संघर्ष से ही जीती जाती हैं।
   

    आशा है कि सभी सोशल मीडिया के जागरूक , निष्ठावान, संघर्षशील,  कर्मठ व जुझारू साथी एक दूसरे पर टीका टिप्पणी करने की बजाय अध्यापक संवर्ग की लड़ाई व लक्ष्य प्राप्ति में अपना अमूल्य सहयोग पूर्ण निष्ठा सहित प्रदान करेंगे।

यह लेखक के  निजी विचार है 



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