Wednesday, July 27, 2016

95 हजार महिला अध्यापकों को नहीं मिलेगी चाइल्ड केयर लीव - सरकार दवरा ही अपने नियमो का उल्लंघन ,कथनी व करनी का अंतर उजागर

भोपाल, सौरभ खंडेलवाल। मप्र की 95 हजार महिला अध्यापकों को 730 दिन की चाइल्ड केयर लीव नहीं मिल सकेगी। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने असहमति जताते हुए इसे अव्यवहारिक माना है। सरकारी महिला कर्मचारियों के लिए चाइल्ड केयर लीव की शुस्र्आत 2015 में ही हुई थी, लेकिन महिला अध्यापकों को इससे वंचित रखा गया था। अध्यापकों की मांग के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने वित्त विभाग को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा था, लेकिन वित्त विभाग ने इसे मानने से इंकार कर दिया।

50 प्रतिशत महिलाएं

वित्त विभाग का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग में 50 प्रतिशत महिलाएं हैं, इसलिए यहां चाइल्ड केयर लीव देना अव्यवहारिक है। स्कूल शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एसआर मोहंती ने बताया कि हमने महिला अध्यापकों को चाइल्ड केयर लीव देने के लिए वित्त विभाग से बातचीत की थी, लेकिन वित्त विभाग इसके लिए राजी नहीं है। महिला अध्यापकों को 180 दिन का मातृत्व अवकाश मिलता रहेगा। स्कूल शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक महिला अध्यापकों को चाइल्ड केयर लीव देना इसलिए व्यवहारिक नहीं है, क्योंकि इससे स्कूलों में पढ़ाई बाधित होगी। पिछले कुछ दिनों से अध्यापक संगठन चाइल्ड केयर लीव देने की मांग कर रहे थे।
वित्त विभाग का मत नगरीय प्रशासन और पंचायत विभाग को भेजा
सूत्रों के मुताबिक वित्त विभाग के जवाब को स्कूल शिक्षा विभाग ने नगरीय प्रशासन और पंचायत विभाग को भेज दिया। प्रदेश के सभी अध्यापक नगरीय प्रशासन और पंचायत विभाग के हैं। इस संबंध में कोई भी आदेश ये विभाग ही जारी करेंगे।

कुछ अध्यापकों को मिल चुकी है चाइल्ड केयर लीव

2015 में चाइल्ड केयर लीव की अधिसूचना जारी होने के बाद स्पष्ट निर्देश नहीं होने से प्रदेश के कई जिलों में महिला अध्यापकों को चाइल्ड केयर लीव दी जा चुकी है। इसके बाद जब विभाग से अध्यापकों के संबंध में स्पष्ट निर्देश मांगा गया तो फिर यह लीव देना बंद कर दिया गया। चाइल्ड केयर लीव के तहत 18 साल तक के दो बच्चों की देखभाल के लिए महिला सरकारी कर्मचारी अपनी नौकरी के दौरान 730 दिन तक का अवकाश ले सकती हैं।
 
स्त्रोत नईदुनिया

 
 "  साथियों विधान सभा में दी गयी जानकारी और जवाब से सरकार की कथनी और करनी का अंतर उजागर होता है साथ ही ,अपने ही बनाये नियमो का उल्लंघन भी सपष्ट नजर आता है ,नियमो में सरकार कहती है की अध्यापक संवर्ग  को शिक्षक संवर्ग के सामान हर अवकाश की पात्रता है ,वन्ही व्यवहारिक रूप से यह लागू नहीं किया जाता है ,संतान देखभाल  अवकाश के नियमो में सपष्ट है की DDO की स्वीकृति के पश्चात ही अवकाश लिया जा सकता है ,तो पढाई प्रभावित होने का तर्क ,तर्क कम कुतर्क  ज्यादा लगता है .आदेश होने के  पश्चात्  बहनों  को न्यायलय की शरण में जाना चाहिये  "सुरेश यादव रतलाम 

                                



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Wednesday, July 27, 2016

95 हजार महिला अध्यापकों को नहीं मिलेगी चाइल्ड केयर लीव - सरकार दवरा ही अपने नियमो का उल्लंघन ,कथनी व करनी का अंतर उजागर

भोपाल, सौरभ खंडेलवाल। मप्र की 95 हजार महिला अध्यापकों को 730 दिन की चाइल्ड केयर लीव नहीं मिल सकेगी। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने असहमति जताते हुए इसे अव्यवहारिक माना है। सरकारी महिला कर्मचारियों के लिए चाइल्ड केयर लीव की शुस्र्आत 2015 में ही हुई थी, लेकिन महिला अध्यापकों को इससे वंचित रखा गया था। अध्यापकों की मांग के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने वित्त विभाग को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा था, लेकिन वित्त विभाग ने इसे मानने से इंकार कर दिया।

50 प्रतिशत महिलाएं

वित्त विभाग का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग में 50 प्रतिशत महिलाएं हैं, इसलिए यहां चाइल्ड केयर लीव देना अव्यवहारिक है। स्कूल शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एसआर मोहंती ने बताया कि हमने महिला अध्यापकों को चाइल्ड केयर लीव देने के लिए वित्त विभाग से बातचीत की थी, लेकिन वित्त विभाग इसके लिए राजी नहीं है। महिला अध्यापकों को 180 दिन का मातृत्व अवकाश मिलता रहेगा। स्कूल शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक महिला अध्यापकों को चाइल्ड केयर लीव देना इसलिए व्यवहारिक नहीं है, क्योंकि इससे स्कूलों में पढ़ाई बाधित होगी। पिछले कुछ दिनों से अध्यापक संगठन चाइल्ड केयर लीव देने की मांग कर रहे थे।
वित्त विभाग का मत नगरीय प्रशासन और पंचायत विभाग को भेजा
सूत्रों के मुताबिक वित्त विभाग के जवाब को स्कूल शिक्षा विभाग ने नगरीय प्रशासन और पंचायत विभाग को भेज दिया। प्रदेश के सभी अध्यापक नगरीय प्रशासन और पंचायत विभाग के हैं। इस संबंध में कोई भी आदेश ये विभाग ही जारी करेंगे।

कुछ अध्यापकों को मिल चुकी है चाइल्ड केयर लीव

2015 में चाइल्ड केयर लीव की अधिसूचना जारी होने के बाद स्पष्ट निर्देश नहीं होने से प्रदेश के कई जिलों में महिला अध्यापकों को चाइल्ड केयर लीव दी जा चुकी है। इसके बाद जब विभाग से अध्यापकों के संबंध में स्पष्ट निर्देश मांगा गया तो फिर यह लीव देना बंद कर दिया गया। चाइल्ड केयर लीव के तहत 18 साल तक के दो बच्चों की देखभाल के लिए महिला सरकारी कर्मचारी अपनी नौकरी के दौरान 730 दिन तक का अवकाश ले सकती हैं।
 
स्त्रोत नईदुनिया

 
 "  साथियों विधान सभा में दी गयी जानकारी और जवाब से सरकार की कथनी और करनी का अंतर उजागर होता है साथ ही ,अपने ही बनाये नियमो का उल्लंघन भी सपष्ट नजर आता है ,नियमो में सरकार कहती है की अध्यापक संवर्ग  को शिक्षक संवर्ग के सामान हर अवकाश की पात्रता है ,वन्ही व्यवहारिक रूप से यह लागू नहीं किया जाता है ,संतान देखभाल  अवकाश के नियमो में सपष्ट है की DDO की स्वीकृति के पश्चात ही अवकाश लिया जा सकता है ,तो पढाई प्रभावित होने का तर्क ,तर्क कम कुतर्क  ज्यादा लगता है .आदेश होने के  पश्चात्  बहनों  को न्यायलय की शरण में जाना चाहिये  "सुरेश यादव रतलाम 

                                



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