Thursday, June 9, 2016

वेतन मान की गणना का आदेश स्थगित होने के बाद अब क्या ? - सुरेश यादव

    सुरेश यादव  रतलाम -  अध्यापकों को 6 टा वेतनमान प्रदान करने के  गणना पत्रक ( पंचायत एवं ग्रामीण  विकास विभाग के पत्र ,एफ-131/2013/22/पं -2 ,भोपाल  दिनांक 31 मई 2016 )  के पालन पर आगामी आदेश पर रोक लग गयी है । गणना पत्रक  के स्थगन पर  तीन प्रमुख बहस चल रहीं हैं। 

        स्थगन हुआ है निरस्त नहीं हुआ ,निश्चित रूप से रोक लगायी गयी है तो जब तक यह रोक नहीं हटाई जाएगी तब तक अध्यापकों को लाभ प्राप्त नहीं होगा ,और जब लागू करने का आदेश होगा तो निश्चित रूप से कुछ सुधार भी होगा ।
        दूसरी चर्चा यह चल रही है की , पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आदेश को स्कुल शिक्षा विभाग ने कैसे स्थगित किया  ? हमारे लिए स्कुल शिक्षा विभाग नोडल विभाग है ,हमारे सभी आदेशो की फ़ाइल स्कूल शिक्षा विभाग से ही प्रारम्भ  होती  है ।इस  लिए यह विभाग इस आदेश पर रोक लगा सकता है।
        तीसरी चर्चा है की इस रोकने वाले आदेश में विसंगति का कोई उल्लेख नहीं है, वास्तविकता यह है की आदेश का विसंगतियों के कारण पुरजोर विरोध हुआ है इसी लिए इस आदेश के पालन को रोका  गया है । सब ठीक होता तो आदेश रोका ही क्यों जाता  ।
      साथियों असलियत यह है की सरकार द्वारा 25 फरवरी 2016 ( पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का पत्र क्रमांक एफ़ -1-31/2013/22/ पं-2 भोपाल दिनाक 25 फरवरी 2016 
) को जारी आदेश  पर स्थगन नहीं किया  गया है । सरकार ने 31 मई 2016 को जारी वेतन निर्धारण के लिए जारी आदेश पर ही रोक लगाईं है ।
       मेरे मतानुसार 31 मई 2016 के आदेश में सिर्फ इतना सा ही संशोधन कर दिया जाए की , आदेश का परिशिष्ट 1, "गणना पत्रक" परिरिष्ठ 2 " उदाहरण " को हटा देवे और ।
        
 आदेश की कंडिका " 2.4 " जो सेवा की गणना करने का कहती है इसमें सिर्फ इतना सुधार कर दिया जाए या जोड़ दिया जाए की ," वेतन मान की काल्पनिक गणना 1 अप्रैल 2007 से की जायेगी और 1 सितम्बर 2013 से सेवा पुस्तिका में दर्ज कर के नगद लाभ एक जनवरी 2016 से  प्रदान किया जाएगा ।" 2013 से वेतन मान निर्धारण के कारण हमें 7 वें वेतन मान के लिए अनावश्यक  संघर्ष नहीं करना होगा ,क्योकि आप भी जानते हैं की 7 वे वेतन मान पर वेतन निर्धारण 31 दिसंबर 15 की स्थिति में किया जाएगा । 31 दिसंबर 15 और 1 जनवरी 2016 की स्थिति काफी अंतर आसकता  है। 

        साथ ही कंडिका "2.5"  जो पदोन्नति में सेवा की गणना करने का कहती है उसे वलोपित कर दिया जाये ।क्योकि काल्पनिक वेतन की गणना ही 1 अप्रैल 2007 से की जाये तो इस कंडिका की आवश्यकता  ही नहीं है  ।
       साथियों इस प्रकार वेतन निर्धारण होने पर राज्य शासन  पर कुल 125 करोड़ प्रतिमाह का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा । जबकि सरकार ने अभी 1125 करोड़ का वित्तीय भार का आकलन किया है यह  वित्तीय भार तीन वित्त वर्षो का ज्ञात किया गया है ,पहला जनवरी 16 से मार्च 16 का 141 करोड़, अप्रैल 16 से मार्च 17 तक 704 करोड़ ,और अप्रैल 17 से मार्च 18 तक 280 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय  भार  आकलन किया है ।सरकार का आकलन 58 करोड़ प्रतिमाह का है और यदि सब कुछ व्यवस्थित कर दिया जाए तो 121 करोड़ प्रतिमाह । सथियो सब कुछ व्यवस्थित करने पर सहायक अध्यापक को  न्यूनतम 7000 ,अध्यापक को 4500 और वरिष्ठ अध्यापक को 5500 का लाभ होगा । सरकार सब ठीक करना चाहती है तो  इच्छा शक्ति में बढ़ोतरी करे  और अध्यापको की समस्याओ का जड़ से अंत कर  दे । -उक्त विचार लेखक के निजी विचार है। 

       

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Thursday, June 9, 2016

वेतन मान की गणना का आदेश स्थगित होने के बाद अब क्या ? - सुरेश यादव

    सुरेश यादव  रतलाम -  अध्यापकों को 6 टा वेतनमान प्रदान करने के  गणना पत्रक ( पंचायत एवं ग्रामीण  विकास विभाग के पत्र ,एफ-131/2013/22/पं -2 ,भोपाल  दिनांक 31 मई 2016 )  के पालन पर आगामी आदेश पर रोक लग गयी है । गणना पत्रक  के स्थगन पर  तीन प्रमुख बहस चल रहीं हैं। 

        स्थगन हुआ है निरस्त नहीं हुआ ,निश्चित रूप से रोक लगायी गयी है तो जब तक यह रोक नहीं हटाई जाएगी तब तक अध्यापकों को लाभ प्राप्त नहीं होगा ,और जब लागू करने का आदेश होगा तो निश्चित रूप से कुछ सुधार भी होगा ।
        दूसरी चर्चा यह चल रही है की , पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आदेश को स्कुल शिक्षा विभाग ने कैसे स्थगित किया  ? हमारे लिए स्कुल शिक्षा विभाग नोडल विभाग है ,हमारे सभी आदेशो की फ़ाइल स्कूल शिक्षा विभाग से ही प्रारम्भ  होती  है ।इस  लिए यह विभाग इस आदेश पर रोक लगा सकता है।
        तीसरी चर्चा है की इस रोकने वाले आदेश में विसंगति का कोई उल्लेख नहीं है, वास्तविकता यह है की आदेश का विसंगतियों के कारण पुरजोर विरोध हुआ है इसी लिए इस आदेश के पालन को रोका  गया है । सब ठीक होता तो आदेश रोका ही क्यों जाता  ।
      साथियों असलियत यह है की सरकार द्वारा 25 फरवरी 2016 ( पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का पत्र क्रमांक एफ़ -1-31/2013/22/ पं-2 भोपाल दिनाक 25 फरवरी 2016 
) को जारी आदेश  पर स्थगन नहीं किया  गया है । सरकार ने 31 मई 2016 को जारी वेतन निर्धारण के लिए जारी आदेश पर ही रोक लगाईं है ।
       मेरे मतानुसार 31 मई 2016 के आदेश में सिर्फ इतना सा ही संशोधन कर दिया जाए की , आदेश का परिशिष्ट 1, "गणना पत्रक" परिरिष्ठ 2 " उदाहरण " को हटा देवे और ।
        
 आदेश की कंडिका " 2.4 " जो सेवा की गणना करने का कहती है इसमें सिर्फ इतना सुधार कर दिया जाए या जोड़ दिया जाए की ," वेतन मान की काल्पनिक गणना 1 अप्रैल 2007 से की जायेगी और 1 सितम्बर 2013 से सेवा पुस्तिका में दर्ज कर के नगद लाभ एक जनवरी 2016 से  प्रदान किया जाएगा ।" 2013 से वेतन मान निर्धारण के कारण हमें 7 वें वेतन मान के लिए अनावश्यक  संघर्ष नहीं करना होगा ,क्योकि आप भी जानते हैं की 7 वे वेतन मान पर वेतन निर्धारण 31 दिसंबर 15 की स्थिति में किया जाएगा । 31 दिसंबर 15 और 1 जनवरी 2016 की स्थिति काफी अंतर आसकता  है। 

        साथ ही कंडिका "2.5"  जो पदोन्नति में सेवा की गणना करने का कहती है उसे वलोपित कर दिया जाये ।क्योकि काल्पनिक वेतन की गणना ही 1 अप्रैल 2007 से की जाये तो इस कंडिका की आवश्यकता  ही नहीं है  ।
       साथियों इस प्रकार वेतन निर्धारण होने पर राज्य शासन  पर कुल 125 करोड़ प्रतिमाह का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा । जबकि सरकार ने अभी 1125 करोड़ का वित्तीय भार का आकलन किया है यह  वित्तीय भार तीन वित्त वर्षो का ज्ञात किया गया है ,पहला जनवरी 16 से मार्च 16 का 141 करोड़, अप्रैल 16 से मार्च 17 तक 704 करोड़ ,और अप्रैल 17 से मार्च 18 तक 280 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय  भार  आकलन किया है ।सरकार का आकलन 58 करोड़ प्रतिमाह का है और यदि सब कुछ व्यवस्थित कर दिया जाए तो 121 करोड़ प्रतिमाह । सथियो सब कुछ व्यवस्थित करने पर सहायक अध्यापक को  न्यूनतम 7000 ,अध्यापक को 4500 और वरिष्ठ अध्यापक को 5500 का लाभ होगा । सरकार सब ठीक करना चाहती है तो  इच्छा शक्ति में बढ़ोतरी करे  और अध्यापको की समस्याओ का जड़ से अंत कर  दे । -उक्त विचार लेखक के निजी विचार है। 

       

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