Friday, June 3, 2016

वेतन निर्धारण हेतु जारी आदेश की विसंगतियां मेरी नजर में ( एक समीक्षा ) :- सुरेश यादव

      जिस गणना पत्रक का हमें 5 माह से इंतज़ार था वह  आक्रोश के माध्यम से आग के हवाले कर दिया गया । आखिर आक्रोश क्यों है अध्यापको में ? क्या जारी करने वाले किसी अधीकारी ने यह नहीं देखा होगा की इस ,आदेश के गणना पत्रक ( रेडी रेकनर ) परिशिष्ठ 1 और 2 के आधार पर प्रदेश का कोई अध्यापक अपना वेतन निर्धारण करना चाहे तो ,यह सम्भव ही नहीं है । कहने का मतलब यह है की, उक्त पत्रक  सिर्फ आदेश का वजन बढ़ाने के लिए है इसके अतिरिक्त इनका कोई काम नहीं है ।
   साथियो सच्चाई यह है की सरकार हमारी प्राथमिकताएं बदलना चाहती  हैं , याद कीजिए 2013 से 2015 तक चुनावो में निकल गया, मई 15 में ऐसी स्थांतरण निति बनायीं गयी की महिला और निशक्त अध्यापको के स्थान्तरण भी नहीं हो पाये और हमारा ध्यान विसंगतियों पर रहा । आप को स्मरण होगा , सितम्बर 15 में हमारी क्या माँग थी , " एक मुश्त 6 टा वेतन मान दिसंबर 15 तक  दिया जाए ,2013 से विसंगतियों का एरियर दिया जाए और शिक्षा विभाग में  संविलियन  किया जाये ।"  फिर मुख्य्मंत्री महोदय  की मुम्बई में घोषणा, उसके बाद 6 महीनो में हमारी आदेश को लेकर प्रतीक्षा और जब जारी हुआ तो होली  दहन ।

   आप विचार कीजिये ,अब हम इस विचार में लगे है की कम से कम जो मिल रहा है वह तो कम न हो ,साथ ही अब भले 1 जनवरी 2016 से ही सही सब व्यवस्थित हो जाए ।  समझें अब  हम इस बात को  भूल गए की हमारा वेतन निर्धारण 2013 से सेवा पुस्तिका में किया जाए ,और 1 सितम्बर 13 से  सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक  को अंतरिम राहत में कमी का एरियर प्रदान किया जाए ।
     साथियो जैसा हम सोच रहे है यदि इस प्रकार वेतन कम हुआ तो सरकार का तो एक पैसा भी खर्च नहीं होगा फिर 1125 करोड़ कैसे खर्च होंगे ?  ध्यान रहे  मुलभुत नियमो के अनुसार नविन वेतन निर्धारण होने पर यदि किसी का सकल वेतन कम होता है तो  वेतन निर्धारण उसी स्टेप पर निर्धारित किया जाता है  किसी 
का सकल  वेतन कम नही किया जा सकता है । अब अगर सभी को वही वेतन मिलता रहा तो भी सरकार का एक पैसा  खर्च नहीं होगा ,तो भी 1125 करोड़ की बात बेमानी हुई।

फिर आखिर विसंगतियां  हैं  क्या  इस आदेश में ?  साथियो मैनें जितना अध्ययन किया है और जँहा तक मेरी समझ है ।  उसके आधार पर कुछ कमियाँ मुझे नजर आई है वह इस प्रकार है ,
(1)  वेतन निर्धारण पत्रक में विद्यमान वेतन  1 अप्रैल  13 की स्थिति  में नविन वेतन निर्धारण के आधार पर बनाया गया  है । इस प्रत्रक  में अध्यापक संवर्ग का जो विद्यमान  वेतन बताया  गया है वह वर्तमान में , हम में से किसी को भी नहीं मिल रहा है ,तो छठे  वेतन मान में  निर्धारण किया ही नहीं  जा सकता है ?

(2)  इस आदेश में अंतरिम राहत के आदेश 2013 की कंडिका 2 के बिंदु  (द) ii की तरह अंतरिम राहत के समायोजन का कोई उल्लेख नहीं है कंडिका के अनुसार " अंतरिम राहत सबसे पहले ग्रेड पे में और उसके बाद मूल वेतन में जोड़ी जातीं ।"  अभी स्थिति सपष्ट नहीं है। 

(3)  2007 से सेवा की गणना करने  पर  स्थिति सपष्ट नहीं है , 2013 में अंतरिम राहत प्रदान करने के लिए 1 अगस्त 13 तक को  8 वर्ष मान कर  अंतरिम राहत ज्ञात की गई  थी , जबकी 1 अप्रैल 07 से 1 अगस्त  13 तक सिर्फ 6 वर्ष हुए थे । साथियो मेरे द्वारा RTI के  माध्यम से अंतरिम राहत की  नस्ति प्राप्त  की गयी थी , जिसमे 8 वर्ष के आधार पर अंतर ज्ञात किया गया था  अर्थात 1 अप्रैल 07 को दो-दो वेतन वृद्धि लगा कर 1 अगस्त 13 तक 8 वर्ष हुए। वर्तमान में जारी आदेश में  यह  स्थिति सपष्ट नहीं है । 
(4)  वेतन निर्धारण 1 जनवरी 16 को किया जाएगा ,जबकि आज तक का इतिहास रहा है वेतन निर्धारण सेवा पुस्तिका में उसी दिनांक  से  किया जाता है जिस दिनांक से अंतरिम राहत प्रदान की जाती है । लेकिन इस बार सभी सिद्धांतों और नियमों को ताक पर रख दिया गया है ।  1 जनवरी 16 को वेतन निर्धारण होने पर और सब ठीक  हो जाने पर भी 7 वें  वेतन मान के लागू होने पर काफी अंतर हो सकता है।  

(5) क्रमोन्नति और पदोन्नति का गणना पत्रक ( रेडी रेकनर ) वेतन  निर्धारण के समय न तो आज तक कभी जारी हुआ है न भविष्य में कभी होंगे। 


इसके अतिरिक्त मुझे कोई विसंगतियां नजर  नहीं आरही है । क्योंकि सबसे बड़ी विसंगति तो यही है की हमे इस आदेश के आधार वेतन मिलना ही नहीं है ,बाकी 2009 के नियम और मूल भुत नियम से सब ठीक हो जाएगा। 
 
         माननीय मुख्य मंत्री जी आप और आप की  सरकार की नियत सच में अध्यापकों का  भला करने की है ,तो इस आदेश तो तत्काल  निरस्त कर के  सिर्फ 2 लाइन का यह आदेश जारी कर  दें की , " अध्यापक संवर्ग को शिक्षक संवर्ग के समान 6 टे  वेतनमान  की गणना 1 अप्रैल 2007 से की जाए और सेवा  पुस्तिका  में 1 सितंबर 2013 में दर्ज कर के ,1 जनवरी 2016 से नगद लाभ प्रदान किया जाए । एवं  वेतन निर्धारण  वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के अनुसार कीया जाएगा । "  आदरणीय मुख्य मंत्री जी आप और आप की सरकार विगत  13 वर्षो से प्रदेश में है ,में अन्य की तरह आप के अधिकारियों को दोष नहीं दूंगा ,जिम्मेदार आप है क्योकि इस सरकार और प्रदेश के मुखिया आप  है  तो जिम्मेदार भी आप ही हैं ।  आप ने हमारी सुविधाओं को बढ़ाया नहीं हमेशा कम किया है। जैसे अनुकम्पा नियम ,  उदाहरण कई हैं उन पर बाद में बात होगी ।  
यह समीक्षा मेरे निजी विचार हैं सुरेश यादव ( रतलाम ) 

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Friday, June 3, 2016

वेतन निर्धारण हेतु जारी आदेश की विसंगतियां मेरी नजर में ( एक समीक्षा ) :- सुरेश यादव

      जिस गणना पत्रक का हमें 5 माह से इंतज़ार था वह  आक्रोश के माध्यम से आग के हवाले कर दिया गया । आखिर आक्रोश क्यों है अध्यापको में ? क्या जारी करने वाले किसी अधीकारी ने यह नहीं देखा होगा की इस ,आदेश के गणना पत्रक ( रेडी रेकनर ) परिशिष्ठ 1 और 2 के आधार पर प्रदेश का कोई अध्यापक अपना वेतन निर्धारण करना चाहे तो ,यह सम्भव ही नहीं है । कहने का मतलब यह है की, उक्त पत्रक  सिर्फ आदेश का वजन बढ़ाने के लिए है इसके अतिरिक्त इनका कोई काम नहीं है ।
   साथियो सच्चाई यह है की सरकार हमारी प्राथमिकताएं बदलना चाहती  हैं , याद कीजिए 2013 से 2015 तक चुनावो में निकल गया, मई 15 में ऐसी स्थांतरण निति बनायीं गयी की महिला और निशक्त अध्यापको के स्थान्तरण भी नहीं हो पाये और हमारा ध्यान विसंगतियों पर रहा । आप को स्मरण होगा , सितम्बर 15 में हमारी क्या माँग थी , " एक मुश्त 6 टा वेतन मान दिसंबर 15 तक  दिया जाए ,2013 से विसंगतियों का एरियर दिया जाए और शिक्षा विभाग में  संविलियन  किया जाये ।"  फिर मुख्य्मंत्री महोदय  की मुम्बई में घोषणा, उसके बाद 6 महीनो में हमारी आदेश को लेकर प्रतीक्षा और जब जारी हुआ तो होली  दहन ।

   आप विचार कीजिये ,अब हम इस विचार में लगे है की कम से कम जो मिल रहा है वह तो कम न हो ,साथ ही अब भले 1 जनवरी 2016 से ही सही सब व्यवस्थित हो जाए ।  समझें अब  हम इस बात को  भूल गए की हमारा वेतन निर्धारण 2013 से सेवा पुस्तिका में किया जाए ,और 1 सितम्बर 13 से  सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक  को अंतरिम राहत में कमी का एरियर प्रदान किया जाए ।
     साथियो जैसा हम सोच रहे है यदि इस प्रकार वेतन कम हुआ तो सरकार का तो एक पैसा भी खर्च नहीं होगा फिर 1125 करोड़ कैसे खर्च होंगे ?  ध्यान रहे  मुलभुत नियमो के अनुसार नविन वेतन निर्धारण होने पर यदि किसी का सकल वेतन कम होता है तो  वेतन निर्धारण उसी स्टेप पर निर्धारित किया जाता है  किसी 
का सकल  वेतन कम नही किया जा सकता है । अब अगर सभी को वही वेतन मिलता रहा तो भी सरकार का एक पैसा  खर्च नहीं होगा ,तो भी 1125 करोड़ की बात बेमानी हुई।

फिर आखिर विसंगतियां  हैं  क्या  इस आदेश में ?  साथियो मैनें जितना अध्ययन किया है और जँहा तक मेरी समझ है ।  उसके आधार पर कुछ कमियाँ मुझे नजर आई है वह इस प्रकार है ,
(1)  वेतन निर्धारण पत्रक में विद्यमान वेतन  1 अप्रैल  13 की स्थिति  में नविन वेतन निर्धारण के आधार पर बनाया गया  है । इस प्रत्रक  में अध्यापक संवर्ग का जो विद्यमान  वेतन बताया  गया है वह वर्तमान में , हम में से किसी को भी नहीं मिल रहा है ,तो छठे  वेतन मान में  निर्धारण किया ही नहीं  जा सकता है ?

(2)  इस आदेश में अंतरिम राहत के आदेश 2013 की कंडिका 2 के बिंदु  (द) ii की तरह अंतरिम राहत के समायोजन का कोई उल्लेख नहीं है कंडिका के अनुसार " अंतरिम राहत सबसे पहले ग्रेड पे में और उसके बाद मूल वेतन में जोड़ी जातीं ।"  अभी स्थिति सपष्ट नहीं है। 

(3)  2007 से सेवा की गणना करने  पर  स्थिति सपष्ट नहीं है , 2013 में अंतरिम राहत प्रदान करने के लिए 1 अगस्त 13 तक को  8 वर्ष मान कर  अंतरिम राहत ज्ञात की गई  थी , जबकी 1 अप्रैल 07 से 1 अगस्त  13 तक सिर्फ 6 वर्ष हुए थे । साथियो मेरे द्वारा RTI के  माध्यम से अंतरिम राहत की  नस्ति प्राप्त  की गयी थी , जिसमे 8 वर्ष के आधार पर अंतर ज्ञात किया गया था  अर्थात 1 अप्रैल 07 को दो-दो वेतन वृद्धि लगा कर 1 अगस्त 13 तक 8 वर्ष हुए। वर्तमान में जारी आदेश में  यह  स्थिति सपष्ट नहीं है । 
(4)  वेतन निर्धारण 1 जनवरी 16 को किया जाएगा ,जबकि आज तक का इतिहास रहा है वेतन निर्धारण सेवा पुस्तिका में उसी दिनांक  से  किया जाता है जिस दिनांक से अंतरिम राहत प्रदान की जाती है । लेकिन इस बार सभी सिद्धांतों और नियमों को ताक पर रख दिया गया है ।  1 जनवरी 16 को वेतन निर्धारण होने पर और सब ठीक  हो जाने पर भी 7 वें  वेतन मान के लागू होने पर काफी अंतर हो सकता है।  

(5) क्रमोन्नति और पदोन्नति का गणना पत्रक ( रेडी रेकनर ) वेतन  निर्धारण के समय न तो आज तक कभी जारी हुआ है न भविष्य में कभी होंगे। 


इसके अतिरिक्त मुझे कोई विसंगतियां नजर  नहीं आरही है । क्योंकि सबसे बड़ी विसंगति तो यही है की हमे इस आदेश के आधार वेतन मिलना ही नहीं है ,बाकी 2009 के नियम और मूल भुत नियम से सब ठीक हो जाएगा। 
 
         माननीय मुख्य मंत्री जी आप और आप की  सरकार की नियत सच में अध्यापकों का  भला करने की है ,तो इस आदेश तो तत्काल  निरस्त कर के  सिर्फ 2 लाइन का यह आदेश जारी कर  दें की , " अध्यापक संवर्ग को शिक्षक संवर्ग के समान 6 टे  वेतनमान  की गणना 1 अप्रैल 2007 से की जाए और सेवा  पुस्तिका  में 1 सितंबर 2013 में दर्ज कर के ,1 जनवरी 2016 से नगद लाभ प्रदान किया जाए । एवं  वेतन निर्धारण  वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के अनुसार कीया जाएगा । "  आदरणीय मुख्य मंत्री जी आप और आप की सरकार विगत  13 वर्षो से प्रदेश में है ,में अन्य की तरह आप के अधिकारियों को दोष नहीं दूंगा ,जिम्मेदार आप है क्योकि इस सरकार और प्रदेश के मुखिया आप  है  तो जिम्मेदार भी आप ही हैं ।  आप ने हमारी सुविधाओं को बढ़ाया नहीं हमेशा कम किया है। जैसे अनुकम्पा नियम ,  उदाहरण कई हैं उन पर बाद में बात होगी ।  
यह समीक्षा मेरे निजी विचार हैं सुरेश यादव ( रतलाम ) 

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