Saturday, June 11, 2016

विष वमन में पीएचडी हासिल कर रहे कुछ अध्यापक साथी- नगेन्द्र त्रिपाठी नरसिंहपुर

    नगेन्द्र त्रिपाठी नरसिंहपुर - वर्तमान में अध्यापकों के संगठनों से ज्यादा वाट्स ऐप पर ग्रुप है किसी को अपने अनुकूल बात नहीं लगी तो नया ग्रुप ,नये ग्रुप की विशेषता बस दो चार को छोडकर वही सब साथी जो पहले वाले ग्रुप में थे।
       ऐसा लगता है कि साथी  जिस प्रकार से ग्रुपों से बाहर हो जाते है बैसे ही वे अपनेे संगठनों से भी । कुछ साथी तो अभी तक समझ में ही नहीं आये कि ये किस संगठन से है और क्या चाहते हैं बस विष वमन उनका मुख्य लक्ष्य बन गया है । अपने कुछ ऐसे साथी भी है जो अभी यहां थे और कुछ घंटो में दूसरी जगह अर्थात दूसरे संगठन में अथवा खुद का नया संगठन ।      
       संगठनों से असन्तुष्ट साथी इसलिये दूसरे संगठन बनाते है कि वे जिस संगठन से बाहर आये है उनने जो अभी तक किया है उससे अच्छा अध्यापक साथियों के हित में करेगें पर स्थिति सबके सामने है ।
    खेर मेरा यह मानना है अपने विचार केवल और केवल अध्यापक हित में हो अब एक उदाहरण है  प्रदेश में किसी ने नहीं कहा हम सभी संगठनों का साथ देगे यदि कोई भी संगठन अध्यापक हित में बात करता है तो हमें उसका सहयोग करना चाहिये न की विरोध ।   हमारे प्रदेश के अध्यापक ग्रुपों में ऐसे एक दो साथी जरूर मिल जायेगें जिन्हें करना धरना कुछ नहीं बस विष वमन में डिग्रियों पर डिग्रियां  हासिल करते जा रहे है ,मेरा निवेदन विष उगलने वाले सम्मानीय साथियों से है कि वो यदि अध्यापकों को इईमानदारी से एक सूत्र में बाँधना चाहते हैं तो विष की जगह अमृत उगलों जिससे लोग साथ देगें एक दूसरे का,यदि हमें  किसी व्यक्ति अथवा संगठन की कोई बात खराब या अध्यापक हित में नहीं लगती तो उसे तुरंत डिलिट कर दें और उस सज्जन से या उस संगठन के प्रमुख व्यक्ति से व्यक्तिगत बात करें । ऐसा करके हम अपने अध्यापकों के हित को प्राप्त कर सकते हैं।    
     हमारी यह बातें कुछ साथियों को उचित नहीं लगेगी पर फिर भी वो चिन्तन करेगें ऐसा पूर्ण विश्वास है।-(यह लेखक की निजी राय है)

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Saturday, June 11, 2016

विष वमन में पीएचडी हासिल कर रहे कुछ अध्यापक साथी- नगेन्द्र त्रिपाठी नरसिंहपुर

    नगेन्द्र त्रिपाठी नरसिंहपुर - वर्तमान में अध्यापकों के संगठनों से ज्यादा वाट्स ऐप पर ग्रुप है किसी को अपने अनुकूल बात नहीं लगी तो नया ग्रुप ,नये ग्रुप की विशेषता बस दो चार को छोडकर वही सब साथी जो पहले वाले ग्रुप में थे।
       ऐसा लगता है कि साथी  जिस प्रकार से ग्रुपों से बाहर हो जाते है बैसे ही वे अपनेे संगठनों से भी । कुछ साथी तो अभी तक समझ में ही नहीं आये कि ये किस संगठन से है और क्या चाहते हैं बस विष वमन उनका मुख्य लक्ष्य बन गया है । अपने कुछ ऐसे साथी भी है जो अभी यहां थे और कुछ घंटो में दूसरी जगह अर्थात दूसरे संगठन में अथवा खुद का नया संगठन ।      
       संगठनों से असन्तुष्ट साथी इसलिये दूसरे संगठन बनाते है कि वे जिस संगठन से बाहर आये है उनने जो अभी तक किया है उससे अच्छा अध्यापक साथियों के हित में करेगें पर स्थिति सबके सामने है ।
    खेर मेरा यह मानना है अपने विचार केवल और केवल अध्यापक हित में हो अब एक उदाहरण है  प्रदेश में किसी ने नहीं कहा हम सभी संगठनों का साथ देगे यदि कोई भी संगठन अध्यापक हित में बात करता है तो हमें उसका सहयोग करना चाहिये न की विरोध ।   हमारे प्रदेश के अध्यापक ग्रुपों में ऐसे एक दो साथी जरूर मिल जायेगें जिन्हें करना धरना कुछ नहीं बस विष वमन में डिग्रियों पर डिग्रियां  हासिल करते जा रहे है ,मेरा निवेदन विष उगलने वाले सम्मानीय साथियों से है कि वो यदि अध्यापकों को इईमानदारी से एक सूत्र में बाँधना चाहते हैं तो विष की जगह अमृत उगलों जिससे लोग साथ देगें एक दूसरे का,यदि हमें  किसी व्यक्ति अथवा संगठन की कोई बात खराब या अध्यापक हित में नहीं लगती तो उसे तुरंत डिलिट कर दें और उस सज्जन से या उस संगठन के प्रमुख व्यक्ति से व्यक्तिगत बात करें । ऐसा करके हम अपने अध्यापकों के हित को प्राप्त कर सकते हैं।    
     हमारी यह बातें कुछ साथियों को उचित नहीं लगेगी पर फिर भी वो चिन्तन करेगें ऐसा पूर्ण विश्वास है।-(यह लेखक की निजी राय है)

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