एक बड़ी विसंगति मुझे भी नजर आई है. वह विसंगति ( वेतन वाली नही ) यह है की अध्यापक की एक बड़ी संख्या सरकार विशेषतः राजनैतिक नेतृत्व के विरुद्ध लिखने बोलने से बचती है. कारण जो भी हो उनपर जाने से व्यर्थ का विवाद होगा किन्तु जब तक राजा की करनी का दोष हम वजीर घोड़े ऊंट हाथी प्यादों को देते रहेंगे कभी जीत नही पाएंगे. चेक मेट के बिना कोई जीत ही नही सकता. दुसरा यह की शोषितो पीडितो मज़दूरों को धर्म मज़हब विचारधारा व्यक्तिगत पसंदगी नापसंदगी के इतर अपने समूह के व्यापक हित में सोचना चाहिए।
(यह लेखक के निजी विचार है ) लेखक श्री रिजवान खान बैतूल में खेल प्रशिक्षक (अध्यापक ) है।
(यह लेखक के निजी विचार है ) लेखक श्री रिजवान खान बैतूल में खेल प्रशिक्षक (अध्यापक ) है।
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