Wednesday, May 11, 2016

आज अनुकम्पा नियम सुधार होना चाहिए :-सुरेश यादव

       सथियो सर्व विदित है की ,पुरे देश में 2005 से नविन पेंशन प्रणाली लागू की गयी है । जिसे हम अंशादायि पेंशन योजना भी कहते है ।
      इस योजना या प्रणाली का सबसे बड़ा दुष्परिणाम मुझे यह नजर आया है की किसी भी कर्मचारी की मृत्यु पर भी उस कर्मचारी के परिवार को जमाराशि के शतप्रतिशत भुगतान के अतिरिक्त कुछ आर्थिक लाभ नहीं मिलता  ।कुल मिला कर 1 जनवरी 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियो की आकस्मिक मृत्यु पर उस पर आश्रित परिजनों के लिए यह  पेंशन प्रणाली किसी काम की नहीं है ।
     राज्य सरकार के कर्मचारियों को कर्मचारी बिमा सह  अल्पबचत योजना के द्वारा भी कुछ आर्थिक लाभ मिल जाता है ।
      परंन्तु अध्यापक संवर्ग की इस मामले में स्थिति बहुत खराब है ।वर्ष 2005 में तात्कालिन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की केबिनेट ने अध्यापको के लिए समूह बिमा और मेडिक्लेम करवाने का निर्णय लिया साथ ही सम्बंधित निकाय को यह कार्य सम्पादित करने की जिम्मेदारी दी गयी परन्तु उस पर जमीनी काम कुछ नहीं हुआ ।ततपश्चात अध्यापक संवर्ग का गठन कर दिया गया । और यह मांमला फिर ठंडे बस्ते में चला गया ,उसके बाद फिर वर्तमान मुख्य मंत्री महोदय ने महोदय ने यह दोनों घोषनाये 12 जनवरी 2013 को की ।परंतु उस को अब तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका । हम अध्यापको की भी  मांगे वेतन तक ही सिमित रह जाती है । हम अपने परिवार के प्रति उतने फ़िक्र मंद नजर नहीं आते है ।यह बात तो बिमा मेडिक्लेम की हुई ।
   परंतु अनुकम्पा नियम ,उसको तो हमारी सरकार सरल करे ।जैसा की आप सभी जानते है अध्यापक(शिक्षाकर्मी) संवर्ग को अनुकम्पा नियुक्ति 2005 से तात्कालीन मुख्य मंत्री बाबूलाल गौर ने प्रारम्भ किया था ।इसमें स्पष्ट है की अध्यापक के आश्रित को संविदा शिक्षक वर्ग 3 के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति की पात्रता है ।शायद आप को जानकारी होगी मध्य प्रदेश में कर्मचारियों या अधिकारियो के आश्रित को वेतन बेंड 5200-20400 में ग्रेड पे 2800 तक के पदों पर ही अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जाती है ।और जो आश्रित अनुकम्पा नियुक्ति से इनकार कर दे उसे कर्मचारी के अंतिम प्रदाय वेतन ,7 वर्ष तक प्रदान किया जाता है,यह सुविधा अध्यापक संवर्ग के लिए लागू नही है  ।जंहा राज्य सरकार के कर्मचारी के आश्रित को चतुर्थ श्रेणी के पद पर नियुक्ति की पात्रता है ।वन्ही अध्यापक के आश्रित को सिर्फ संविदा शिक्षक वर्ग 3 के पद पर नियुक्ति की ही पात्रता है ।संविदा शिक्षक वर्ग 3 के पद पर  हर विभाग के कर्मचारी के आश्रित को  अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जाती है ।सथियो आप जानते ही है की ,देश में शिक्षा का अधिकार कानून लागू है इस कानून के कारण संविदा शिक्षक भर्ती पर के लिए प्रशिक्षण और पात्रता परीक्षा और अहर्ताकारी परीक्षा में न्यूनतम अंक की बाध्यता है और यह सब अनुकम्पा भर्ती पर भी लागू है।
        सथियो सर्व विदित है की प्रदेश में विज्ञान सहायक संविदा शिक्षक को बिना प्रशिक्षण के भर्ती किया जाता है ,अनुत्तीर्ण गुरूजी को भी संविदा शिक्षक बनाया गया है और न्यूनतम अंक की कोई बाध्यता भी नहीं रही है।फिर अनुकम्पा में इतनी सख्ती क्यों इसमें शिथिलता क्यों नहीं ?
         राज्य अध्यापक संघ ने 26 नंवम्बर और 3 दिसम्बर ,23 दिअम्बर  और 25 दिसम्बर 2015 और फरवरी 16 मे केंद्रीय मानव संसधान विकास मंत्री को भी पत्र लिखा था (जिस पर कार्यवाही करने के लिए मंत्रालय से राज्य शासन को पत्र प्राप्त हो गया है।)  हमने अपने 12 सूत्रीय ज्ञापन में
अंनुकम्पा भर्ती के लिए शिक्षा के अधिकार कानून की बाध्यता को शिथिल करने,राज्य के कर्मचारियों के समान 7 वर्ष तक अंतिम वेतन भुगतान करने और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर नियुक्ति का विकल्प भी प्रदान करने की मांग की है । सभी सथियो से निवेदन है की यह मांग अपने अपने ज्ञापन में सम्मिलित करें व राज्य के कर्मचारी संगठन भी इस मांग को प्रमुखता से अपने ज्ञापन में रखें ।
धन्यवाद ।
सुरेश यादव
कार्यकारी जिलाध्यक्ष
राज्य अध्यापक संघ रतलाम

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Wednesday, May 11, 2016

आज अनुकम्पा नियम सुधार होना चाहिए :-सुरेश यादव

       सथियो सर्व विदित है की ,पुरे देश में 2005 से नविन पेंशन प्रणाली लागू की गयी है । जिसे हम अंशादायि पेंशन योजना भी कहते है ।
      इस योजना या प्रणाली का सबसे बड़ा दुष्परिणाम मुझे यह नजर आया है की किसी भी कर्मचारी की मृत्यु पर भी उस कर्मचारी के परिवार को जमाराशि के शतप्रतिशत भुगतान के अतिरिक्त कुछ आर्थिक लाभ नहीं मिलता  ।कुल मिला कर 1 जनवरी 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियो की आकस्मिक मृत्यु पर उस पर आश्रित परिजनों के लिए यह  पेंशन प्रणाली किसी काम की नहीं है ।
     राज्य सरकार के कर्मचारियों को कर्मचारी बिमा सह  अल्पबचत योजना के द्वारा भी कुछ आर्थिक लाभ मिल जाता है ।
      परंन्तु अध्यापक संवर्ग की इस मामले में स्थिति बहुत खराब है ।वर्ष 2005 में तात्कालिन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की केबिनेट ने अध्यापको के लिए समूह बिमा और मेडिक्लेम करवाने का निर्णय लिया साथ ही सम्बंधित निकाय को यह कार्य सम्पादित करने की जिम्मेदारी दी गयी परन्तु उस पर जमीनी काम कुछ नहीं हुआ ।ततपश्चात अध्यापक संवर्ग का गठन कर दिया गया । और यह मांमला फिर ठंडे बस्ते में चला गया ,उसके बाद फिर वर्तमान मुख्य मंत्री महोदय ने महोदय ने यह दोनों घोषनाये 12 जनवरी 2013 को की ।परंतु उस को अब तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका । हम अध्यापको की भी  मांगे वेतन तक ही सिमित रह जाती है । हम अपने परिवार के प्रति उतने फ़िक्र मंद नजर नहीं आते है ।यह बात तो बिमा मेडिक्लेम की हुई ।
   परंतु अनुकम्पा नियम ,उसको तो हमारी सरकार सरल करे ।जैसा की आप सभी जानते है अध्यापक(शिक्षाकर्मी) संवर्ग को अनुकम्पा नियुक्ति 2005 से तात्कालीन मुख्य मंत्री बाबूलाल गौर ने प्रारम्भ किया था ।इसमें स्पष्ट है की अध्यापक के आश्रित को संविदा शिक्षक वर्ग 3 के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति की पात्रता है ।शायद आप को जानकारी होगी मध्य प्रदेश में कर्मचारियों या अधिकारियो के आश्रित को वेतन बेंड 5200-20400 में ग्रेड पे 2800 तक के पदों पर ही अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जाती है ।और जो आश्रित अनुकम्पा नियुक्ति से इनकार कर दे उसे कर्मचारी के अंतिम प्रदाय वेतन ,7 वर्ष तक प्रदान किया जाता है,यह सुविधा अध्यापक संवर्ग के लिए लागू नही है  ।जंहा राज्य सरकार के कर्मचारी के आश्रित को चतुर्थ श्रेणी के पद पर नियुक्ति की पात्रता है ।वन्ही अध्यापक के आश्रित को सिर्फ संविदा शिक्षक वर्ग 3 के पद पर नियुक्ति की ही पात्रता है ।संविदा शिक्षक वर्ग 3 के पद पर  हर विभाग के कर्मचारी के आश्रित को  अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जाती है ।सथियो आप जानते ही है की ,देश में शिक्षा का अधिकार कानून लागू है इस कानून के कारण संविदा शिक्षक भर्ती पर के लिए प्रशिक्षण और पात्रता परीक्षा और अहर्ताकारी परीक्षा में न्यूनतम अंक की बाध्यता है और यह सब अनुकम्पा भर्ती पर भी लागू है।
        सथियो सर्व विदित है की प्रदेश में विज्ञान सहायक संविदा शिक्षक को बिना प्रशिक्षण के भर्ती किया जाता है ,अनुत्तीर्ण गुरूजी को भी संविदा शिक्षक बनाया गया है और न्यूनतम अंक की कोई बाध्यता भी नहीं रही है।फिर अनुकम्पा में इतनी सख्ती क्यों इसमें शिथिलता क्यों नहीं ?
         राज्य अध्यापक संघ ने 26 नंवम्बर और 3 दिसम्बर ,23 दिअम्बर  और 25 दिसम्बर 2015 और फरवरी 16 मे केंद्रीय मानव संसधान विकास मंत्री को भी पत्र लिखा था (जिस पर कार्यवाही करने के लिए मंत्रालय से राज्य शासन को पत्र प्राप्त हो गया है।)  हमने अपने 12 सूत्रीय ज्ञापन में
अंनुकम्पा भर्ती के लिए शिक्षा के अधिकार कानून की बाध्यता को शिथिल करने,राज्य के कर्मचारियों के समान 7 वर्ष तक अंतिम वेतन भुगतान करने और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर नियुक्ति का विकल्प भी प्रदान करने की मांग की है । सभी सथियो से निवेदन है की यह मांग अपने अपने ज्ञापन में सम्मिलित करें व राज्य के कर्मचारी संगठन भी इस मांग को प्रमुखता से अपने ज्ञापन में रखें ।
धन्यवाद ।
सुरेश यादव
कार्यकारी जिलाध्यक्ष
राज्य अध्यापक संघ रतलाम

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