सर्वोच्च न्यायलय ने शासन को AEO भर्ती परीक्षा फिर से करवाने की अनुमति के संबंध में ,न्यायोचित कार्यवाही करने के आदेश दिए है
सर्वोच्च न्यायलय की डबल बेंच में अर्चना राठौर व अन्य ने सर्वोच्च न्यायलय में विशेष अनुमति याचिका ( 7618/2015) दाखिल कर उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 08/09/2014 के विरुध अपील की थी। याचिका में शासन ने सर्वोच्च न्यायलय में अपना पक्ष रखते हुए ,कहा की उच्च न्यायलय द्वारा याचिका क्रमांक 14833 के आदेश में दिनांक 08/09/2014 के पेरा 42 में प्रधान अध्यापक + शिक्षक +अध्यापक को अपने पूर्ववर्ती पदो के अनुभव के अंक प्रदान करने का आदेश दिया था । चूँकि आवेदन के विज्ञापन में अहर्ताधारी पद पर 5 वर्ष के अनुभव की की बाध्यता थी , इस कारण 36000 अभ्यर्थी एईओ की परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित रह गये इसलिए सिततम्बर 2013 की परीक्षा निरस्त की जाकर नई परीक्षा ली जाना न्यायोचित होगा। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने शासन को नियमानुसार उचित निर्णय लेने हेतु कहा है।
साथियो सर्वविदित है की शासन ने 2015 में परीक्षा में अहर्ता प्राप्त सभी 19860 अभ्यर्थियों का सत्यापन फिर से करवा लिया था ,और सभी के अनुभव अंक में भी सुधार करवा दिया था।आप सभी यह भी जानते हैं की परीक्षा के विज्ञापन में अहर्ताधारी पद पर 5 वर्ष के अनुभव की बाध्यता थी ,विज्ञापन में अनुभव के लिए 2 अंक देने की बात थी और आदेश में 1 अंक की बात।उच्च न्यायलय के 5 वर्ष के अनुभव की अनिवार्यता को समाप्त नहीं किया था।
अनुभव के अंक और न्यूनतम योगयता में 5 वर्ष के अनुभव के विषय में मेरा मानना है की ,वही अभ्यर्थी विभागीय परीक्षा में सफल माना जाएगा जिसे उच्च श्रेणी शिक्षक और अध्यापक के पद पर 5 वर्ष का अनुभव का अनुभव होगा। अनुभव के अंक देना और योग्यता में 5 वर्ष का अनुभव होना दोनों अलग अलग बात है।
कुल मिलाकर पूर्व की परीक्षा निरस्त कर के व्यवस्थित और पारदर्शी नियम बना कर फिर से परिक्षा आयोजित की जाए जिसमे राजपत्र अनुसार अनुभव के अंक समाप्त किये जाएँ तभी हम अध्यापक साथियो के साथ न्याय हो पाएगा। सुरेश यादव कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ रतलाम
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