शिक्षा और उस से जुड़े संवर्ग की सेवाओं से जुडी जानकारीयां ,आप तक आसानी से पहुंचाने का एक प्रयास है अध्यापक जगत
Monday, May 2, 2016
8 माह बाद अंतरिम राहत के आदेश जारी ,जिम्मेदार कौन ? :- सुरेश यादव
30 अप्रैल 2016 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अध्यापक संवर्ग को अंतरिम राहत की तीसरी किश्त का आदेश जारी कर दिया है । लेट लतीफी की पराकाष्ठा देखिये वित्त विभाग द्वारा आदेश जारी करने की सहमती दिनांक 04 जनवरी 2016 को ही दे दी गयी थी। परन्तु वित्त विभाग से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तक का सफर तय करने में इस नोटशीट को 118 दिन का समय लगा और 1 सितंबर 2015 जब से मिलना था आदेश उसके 8 महीने बाद निकला । 04 जनवरी 2016 की तारीख आप को याद आ रही है या नहीं मुझे अवश्य याद है 04 जनवरी 2016 को अध्यापकों को 6 टे वेतन मान के प्रस्ताव को केबिनेट में लाने के लिए अंतिम रूप दिया गया था और 5 जनवरी को प्रस्ताव केबीनेट में आया था । साथियो अध्यापक संगठन अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करें या इस प्रकार की लेटलतीफी को भी दूर करवाएं ,आखिर आदेश करवाना संगठनों की जिम्मेदारी थोड़े ही है ।
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Monday, May 2, 2016
8 माह बाद अंतरिम राहत के आदेश जारी ,जिम्मेदार कौन ? :- सुरेश यादव
30 अप्रैल 2016 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अध्यापक संवर्ग को अंतरिम राहत की तीसरी किश्त का आदेश जारी कर दिया है । लेट लतीफी की पराकाष्ठा देखिये वित्त विभाग द्वारा आदेश जारी करने की सहमती दिनांक 04 जनवरी 2016 को ही दे दी गयी थी। परन्तु वित्त विभाग से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तक का सफर तय करने में इस नोटशीट को 118 दिन का समय लगा और 1 सितंबर 2015 जब से मिलना था आदेश उसके 8 महीने बाद निकला । 04 जनवरी 2016 की तारीख आप को याद आ रही है या नहीं मुझे अवश्य याद है 04 जनवरी 2016 को अध्यापकों को 6 टे वेतन मान के प्रस्ताव को केबिनेट में लाने के लिए अंतिम रूप दिया गया था और 5 जनवरी को प्रस्ताव केबीनेट में आया था । साथियो अध्यापक संगठन अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करें या इस प्रकार की लेटलतीफी को भी दूर करवाएं ,आखिर आदेश करवाना संगठनों की जिम्मेदारी थोड़े ही है ।
यह सब कल्पना से भी परे नजर आ रहा है , आप भी इस अफसरशाही की गड़बड़ियों पर विचार कीजिये ,शिक्षा मंत्री से अफसर विधनसभा में गलत जानकारी दिलवाते है ,मंत्रियो के एक तिहाई पद सरकार के आधे कार्यकाल के बाद भी रिक्त है , गौरीशंकर शेजवार जैसे वरिष्ठ मंत्री को मिडिया में कहना पड़ता है की अफसर मेरी नहीं सुनते , ऐसा कहने वाले विधायको और सांसदों की तो गिनती ही नहीं। इस प्रकार की लेटलतीफी देख कर यह सपष्ट होता है की माननीय शिवराज सिंह चौहान शासन और प्रशासन पर अपना नियंत्रण खो बैठें है।
सुरेश यादव ( यह लेखक के निजी विचार है )
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इसके जिम्मेदार तो मुरलीधर ही है
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