Monday, April 11, 2016

सुचना के अधिकार अंतर्गत प्राप्त अंतरिम राहत 2013 के आदेश की नस्ति

2013 में समान वेतन मान देने के लिए अंतरिम राहत के आदेश हुए ,अंतरिम राहत के आदेश होंगे और वेतन का अंतर  किश्तें होंगी यह बात 2013  में प्रदेश का हर अध्यापक जनता था ,13 मार्च को आंदोलन  समाप्त हुआ था ,  मई में  यह स्पष्ठ हो गया था की वेतन किश्तों में मिलेगा (कर्मचारी जगत में और इतिहास में यह पहला मौका नहीं था की किसि को अंतरिम राहत मिले ) , जून में झाबुआ में मुख्य्मंत्री महोदय ने समान वेतनमान देने की घोषणा की ,फिर गुरुपूर्णिमा के दिन ( जुलाई माह )उज्जैन में जनआशीर्वाद यात्रा के शुभारम्भ के अवसर पर  मुख्यमंत्री  महोदय ने  फिर किश्तों में वेतन देने की घोषणा की। और 4 सितंबर 2013 को आदेश हो गया। 

       आप सभी जानते है की छत्तीसढ में भी उसी दौरान आंदोलन हुआ था ,और 1 मई 2013 से वेतन मान देने के आदेश  भी हो गए थे कुछ उसी तर्ज पर मध्यप्रदेश सरकार ने भी हमारे अध्यापक नेताओं को  7 या 8 वर्ष के आधार पर  वेतन मान देने का या किश्तो में सभी अध्यापकों को समान वेतन मान देने का विकल्प दिया था ,इस बात की पुष्टि उस समय के प्रवक्ता और वर्तमान में अध्यापक सह संविदा शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेश पाण्डे की ततकालीन पोस्ट के माध्यम से आप  सकते हैं। परन्तु हमने सभी अध्यापकों के लिए विलकप का चुनाव किया।

आप समझ सकते है सरकार ने हमें 2 विकल्प दिए थे छत्तीसगढ़  वाला और किश्तों में सबको ,यदि किश्ते  स्वीकार न कर के हम छत्तीसगढ का वेतन मान स्वीकार करते तो ,जनवरी 2016  में भी सिर्फ 2008 के साथियो को समान वेतन मान का लाभ मिल सकता था  साथ ही  2013  में सिर्फ 1998 ,2001,और 2003 वेतन मिल सकता था परन्तु हमे भी भारी आर्थिक हानि हो चुकी होती ।  यदि हम  छत्तीसगढ़ वाले फार्मूले पर  हाँ कर देते तो ,उसी तरह हमें 1998 वाले को 2006 ,2001 वाले को 2009,2003 वाले को 2011  से सेवा में गिना जाता ,और उसके बाद 2013 तक  हर 2 वर्ष का एक इंक्रीमेंट मिलता।  और इसी प्रकार 2006 के बाद वाले साथियो को 8 वर्ष की सेवा  पूर्ण करने पर समान  वेतन मान मिल सकता था।
हमारे फार्मूले के अनुसार  सब को (1998,2001,2003) को 2007 से सेवा की गणना की गयी और वंही से जिस प्रकार इन्क्रीमेंट मिल रहे थे वैसे ही गिने जाएगे ,                                                                                                  और 2006 ,वाले को 2009,2007 वाले को 2010,2009,वालो को 2012,2010वालो को 2013 ,2013 वालो को 2016 से वेतन की गणना को जायेगी ,1998 वाले सथियो को 2007 में 2 इंक्रीमेंट लगा के गणना की जायेगी। इस बात के लिए आप अंतरिम राहत की नास्ति की कॉपी का ध्ययन कर सकते है। 

 
 
 
 
 
 
 
साथियो आदेश जारी होने के बाद कई बातें स्पष्ठ नही  थी इस कारण मेने आदेश के सबंध में  प्रचलित नस्ति निकलवाने का  निर्णय  लिया। इस नस्ति का अध्ययन करने पर स्प्ष्ट हो गया की  सरकार ने 2016 में ही समान  वेतन मान देने का निर्णय  लिया था (नस्ति में हाईलाइट  किया गया है ) और शिक्षा विभाग ने यही प्रस्ताव बन कर भिजवाया परन्तु वित्त विभाग ने इस फैसले को आगे बढ़वाया। यही नहीं नस्ति देखने के बाद सपष्ट हुआ की सहायक अध्यापक हेतु अंतरिम राहत की गणना 5200 +2400 से प्रारम्भ की गयी है जबकि  7440+2400  से गणना होना चाहिये थी। वरिष्ठ अध्यापक हेतु अंतरिम राहत की गणना 9300 +3600  से प्रारम्भ की गयी है जबकि 10230 +3600  से प्रारम्भ होना चहिये थी । हमारी इस विसंगति के लिए सरकार जिम्मेदार है ,शिक्षा विभाग ने  प्रस्ताव में ही इतनी बड़ी विसंगति रख दी है। जिस पर बाद में वित्त विभाग और कैबिनेट ने भी मंजूरी की मुहर लगा थी ,यह हास्यास्पद भी लगता है की उप संचालक स्तर के अधिकारी से लेकर वित्त विभाग तक के अफसरों को विसंगति का ज्ञान ही न हो। इस विसंगति के संबंध में सबसे पहले मैने 4 सितंबर 2013 को ही  लिखा था आप इस  फोटो के आठवें बिंदु का  अध्ययन करें 

इस विसंगति को लेकर सभी संगठनों ने अपने स्तर पर लगतार प्रयास कीये  ,राज्य अध्यापक संघ के तात्कालीन प्रान्ताध्यक्ष एवं वर्तमान संरक्षक मुरलीधर पाटीदार जी ने फरवरी 2014 ,30 जून 2014  सितंबर 2014 और जून 2015 में मुख्य्मंत्री जी के प्रधान सचिव ,शिक्षा मंत्री और विभाग के प्रमुख सचिव को ज्ञापन दिया था। कुछ ने पुरे प्रदेश में ज्ञापन दिया तो कुछ ने न्यायलय की शरण ली। परन्तु अब शासन ने लिखित मे कह दिया है की वे सितंबर 2013 से दिसंबर 15 तक की विसंगति में सुधार नहीं किया जाएगा । साथियों आप को जानकारी थी की अंतरिम राहत की

विसंगति में सुधार का एक प्रस्ताव कौर्ट की याचिका के कारण लंबित था

। इस आदेश के साथ उसका भी समापन हो गया है. 

2013 के आदेश में अंतरिम राहत का समायोजन का फार्मूला सपष्ट था ,आदेश में लिखा गया था की अंतरिम राहत पहले संवर्ग वेतन में फिर मूल वेतन में जोड़कर व्यवस्थित की जायेगी। वय्वस्थित की जाने से मतलब है काम और ज्यादा की जाती में यह बात इस लिए कह रहा हूँ क्योकि वेतन मान की गणना 2007 से गणना की  वय्वस्थित की जाती। इसमें वरिष्ठ अध्यापक और सहायक अध्यापक की अंतरिम राहत कम होती और सहायक अध्यापक की अंतरिम राहत बढ़ायी जाती।इस प्रकार कोई विसंगति नहीं रह जाती। 

साथियो नए वेतन मान में विसंगति होगी या नहीं यह अभी की स्थिति में कोई नहीं कह सकता ,सभी को गणना पत्रक की प्रतीक्षा है गणना पत्रक देख कर ही असली स्थिति की जानकारी हो पाएगी तब तक आप सभी साथी प्रतीक्षा करें। साथियो यह नस्ति मुझे दिसंबर 2014 में प्राप्त हुई थी इस के साथ  केबिनेट की चर्चा भी आ गयी थी जिसे सार्वजनिक नहीं कर सकता था इस विषय में राज्य स्तर से पत्राचार कर के  मैंने अनुमति प्राप्त कर के दस्तवाेज सार्वजनिक किये है।

धन्यवाद आप का साथी सुरेश यादव कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ रतलाम 


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Monday, April 11, 2016

सुचना के अधिकार अंतर्गत प्राप्त अंतरिम राहत 2013 के आदेश की नस्ति

2013 में समान वेतन मान देने के लिए अंतरिम राहत के आदेश हुए ,अंतरिम राहत के आदेश होंगे और वेतन का अंतर  किश्तें होंगी यह बात 2013  में प्रदेश का हर अध्यापक जनता था ,13 मार्च को आंदोलन  समाप्त हुआ था ,  मई में  यह स्पष्ठ हो गया था की वेतन किश्तों में मिलेगा (कर्मचारी जगत में और इतिहास में यह पहला मौका नहीं था की किसि को अंतरिम राहत मिले ) , जून में झाबुआ में मुख्य्मंत्री महोदय ने समान वेतनमान देने की घोषणा की ,फिर गुरुपूर्णिमा के दिन ( जुलाई माह )उज्जैन में जनआशीर्वाद यात्रा के शुभारम्भ के अवसर पर  मुख्यमंत्री  महोदय ने  फिर किश्तों में वेतन देने की घोषणा की। और 4 सितंबर 2013 को आदेश हो गया। 

       आप सभी जानते है की छत्तीसढ में भी उसी दौरान आंदोलन हुआ था ,और 1 मई 2013 से वेतन मान देने के आदेश  भी हो गए थे कुछ उसी तर्ज पर मध्यप्रदेश सरकार ने भी हमारे अध्यापक नेताओं को  7 या 8 वर्ष के आधार पर  वेतन मान देने का या किश्तो में सभी अध्यापकों को समान वेतन मान देने का विकल्प दिया था ,इस बात की पुष्टि उस समय के प्रवक्ता और वर्तमान में अध्यापक सह संविदा शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेश पाण्डे की ततकालीन पोस्ट के माध्यम से आप  सकते हैं। परन्तु हमने सभी अध्यापकों के लिए विलकप का चुनाव किया।

आप समझ सकते है सरकार ने हमें 2 विकल्प दिए थे छत्तीसगढ़  वाला और किश्तों में सबको ,यदि किश्ते  स्वीकार न कर के हम छत्तीसगढ का वेतन मान स्वीकार करते तो ,जनवरी 2016  में भी सिर्फ 2008 के साथियो को समान वेतन मान का लाभ मिल सकता था  साथ ही  2013  में सिर्फ 1998 ,2001,और 2003 वेतन मिल सकता था परन्तु हमे भी भारी आर्थिक हानि हो चुकी होती ।  यदि हम  छत्तीसगढ़ वाले फार्मूले पर  हाँ कर देते तो ,उसी तरह हमें 1998 वाले को 2006 ,2001 वाले को 2009,2003 वाले को 2011  से सेवा में गिना जाता ,और उसके बाद 2013 तक  हर 2 वर्ष का एक इंक्रीमेंट मिलता।  और इसी प्रकार 2006 के बाद वाले साथियो को 8 वर्ष की सेवा  पूर्ण करने पर समान  वेतन मान मिल सकता था।
हमारे फार्मूले के अनुसार  सब को (1998,2001,2003) को 2007 से सेवा की गणना की गयी और वंही से जिस प्रकार इन्क्रीमेंट मिल रहे थे वैसे ही गिने जाएगे ,                                                                                                  और 2006 ,वाले को 2009,2007 वाले को 2010,2009,वालो को 2012,2010वालो को 2013 ,2013 वालो को 2016 से वेतन की गणना को जायेगी ,1998 वाले सथियो को 2007 में 2 इंक्रीमेंट लगा के गणना की जायेगी। इस बात के लिए आप अंतरिम राहत की नास्ति की कॉपी का ध्ययन कर सकते है। 

 
 
 
 
 
 
 
साथियो आदेश जारी होने के बाद कई बातें स्पष्ठ नही  थी इस कारण मेने आदेश के सबंध में  प्रचलित नस्ति निकलवाने का  निर्णय  लिया। इस नस्ति का अध्ययन करने पर स्प्ष्ट हो गया की  सरकार ने 2016 में ही समान  वेतन मान देने का निर्णय  लिया था (नस्ति में हाईलाइट  किया गया है ) और शिक्षा विभाग ने यही प्रस्ताव बन कर भिजवाया परन्तु वित्त विभाग ने इस फैसले को आगे बढ़वाया। यही नहीं नस्ति देखने के बाद सपष्ट हुआ की सहायक अध्यापक हेतु अंतरिम राहत की गणना 5200 +2400 से प्रारम्भ की गयी है जबकि  7440+2400  से गणना होना चाहिये थी। वरिष्ठ अध्यापक हेतु अंतरिम राहत की गणना 9300 +3600  से प्रारम्भ की गयी है जबकि 10230 +3600  से प्रारम्भ होना चहिये थी । हमारी इस विसंगति के लिए सरकार जिम्मेदार है ,शिक्षा विभाग ने  प्रस्ताव में ही इतनी बड़ी विसंगति रख दी है। जिस पर बाद में वित्त विभाग और कैबिनेट ने भी मंजूरी की मुहर लगा थी ,यह हास्यास्पद भी लगता है की उप संचालक स्तर के अधिकारी से लेकर वित्त विभाग तक के अफसरों को विसंगति का ज्ञान ही न हो। इस विसंगति के संबंध में सबसे पहले मैने 4 सितंबर 2013 को ही  लिखा था आप इस  फोटो के आठवें बिंदु का  अध्ययन करें 

इस विसंगति को लेकर सभी संगठनों ने अपने स्तर पर लगतार प्रयास कीये  ,राज्य अध्यापक संघ के तात्कालीन प्रान्ताध्यक्ष एवं वर्तमान संरक्षक मुरलीधर पाटीदार जी ने फरवरी 2014 ,30 जून 2014  सितंबर 2014 और जून 2015 में मुख्य्मंत्री जी के प्रधान सचिव ,शिक्षा मंत्री और विभाग के प्रमुख सचिव को ज्ञापन दिया था। कुछ ने पुरे प्रदेश में ज्ञापन दिया तो कुछ ने न्यायलय की शरण ली। परन्तु अब शासन ने लिखित मे कह दिया है की वे सितंबर 2013 से दिसंबर 15 तक की विसंगति में सुधार नहीं किया जाएगा । साथियों आप को जानकारी थी की अंतरिम राहत की

विसंगति में सुधार का एक प्रस्ताव कौर्ट की याचिका के कारण लंबित था

। इस आदेश के साथ उसका भी समापन हो गया है. 

2013 के आदेश में अंतरिम राहत का समायोजन का फार्मूला सपष्ट था ,आदेश में लिखा गया था की अंतरिम राहत पहले संवर्ग वेतन में फिर मूल वेतन में जोड़कर व्यवस्थित की जायेगी। वय्वस्थित की जाने से मतलब है काम और ज्यादा की जाती में यह बात इस लिए कह रहा हूँ क्योकि वेतन मान की गणना 2007 से गणना की  वय्वस्थित की जाती। इसमें वरिष्ठ अध्यापक और सहायक अध्यापक की अंतरिम राहत कम होती और सहायक अध्यापक की अंतरिम राहत बढ़ायी जाती।इस प्रकार कोई विसंगति नहीं रह जाती। 

साथियो नए वेतन मान में विसंगति होगी या नहीं यह अभी की स्थिति में कोई नहीं कह सकता ,सभी को गणना पत्रक की प्रतीक्षा है गणना पत्रक देख कर ही असली स्थिति की जानकारी हो पाएगी तब तक आप सभी साथी प्रतीक्षा करें। साथियो यह नस्ति मुझे दिसंबर 2014 में प्राप्त हुई थी इस के साथ  केबिनेट की चर्चा भी आ गयी थी जिसे सार्वजनिक नहीं कर सकता था इस विषय में राज्य स्तर से पत्राचार कर के  मैंने अनुमति प्राप्त कर के दस्तवाेज सार्वजनिक किये है।

धन्यवाद आप का साथी सुरेश यादव कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ रतलाम 


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