शिक्षा क्रान्ति यात्रा क्यों ?
भाग दो
11 मार्च की पिछली पोस्ट में मैने बताया था, की शिक्षा क्रान्ति यात्रा ,शिक्षा के व्यवसायीकरण के खिलाफ हमारी एक नैतिक जिम्मेदारी है । और राज्य अध्यापक संघ इस जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए, पुरे प्रदेश के अध्यापक संवर्ग तक राष्ट्र हित का यह मुद्दा पहुँचा रहा है । साथियो विदित है की राज्य अध्यापक संघ की यह पांचवी यात्रा है ।
हमें यह यात्रा सिर्फ हमारे वेतन भत्तो और संविलियन की माँग वाली यात्रा लगती है ,परन्तु यह यात्रा राष्ट्र हित में किया गया एक प्रयास है ।गुरु होने के नाते हम ही तो राष्ट्र और उसके भविष्य की फ़िक्र करेंगे और इस लड़ाई को लड़ेंगे। सथियो शिक्षा और स्वास्थ्य वह क्षेत्र है जँहा सरकार को तत्काल कोई आर्थिक लाभ नहीं मीलता बस पैसा लगाना ही लगाना है ।
परंतु एक स्वस्थ्य समाज और राष्ट्र के निर्माण के लिए , गुणवत्ता पूर्ण और सर्वसुलभ शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाएं अनिवार्य है ।परंतु सरकार की नीतियों के और निति निर्माताओ के निजी स्वार्थ के कारण दोनों ही क्षेत्रो का बंटाधार कर दिया गया है ।आप जानते ही हैं की , निजी विद्यालय और अस्पताल है किसके हैं ?
में इस पोस्ट के माध्यम से आप को बताना चाहूँगा ,की अमेरिका में 74 प्रतिशत सरकारी विद्यालय है और 24 प्रतिशत निजी (मिशन) के विद्यालय है 2 प्रतिशत छात्र ओपन स्कुल के माध्यम से अध्ययन करते है। वंही ब्रिटेन में 91 प्रतिशत सरकारी और 8 प्रतिशत निजी मिशन के विद्यालय है 1 प्रतिशत छात्र ओपन स्कुल में पढ़ते है । जापान में 99 प्रतिशत विद्यालय सरकारी हैं 1 प्रतिशत धार्मिक विद्यालय है ।चीन एक विकासशील देश है और वँहा सरकारी विद्यालय ही होते हैं, और सरकार अपने वार्षिक बजट का 21 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करती है । वंही दक्षिणी अफ्रीका में भी विद्यालय सरकारी ही होते है और शिक्षा पर वार्षिक बजट का 27 प्रतिशत खर्च होता है । इसी प्रकार स्वास्थ्य पर अमेरिकी सरकार प्रति व्यक्ति साढे पाँच लाख और भारत सरकार छब्बीस सौ रूपये खर्च करती है । प्रश्न यह उठता है की जिन देशो को देख कर हम शिक्षा और स्वास्थ्य की तुलना करते है तो इन आंकड़ों पर सरकार का ध्यान क्यों नहीं जाता।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में अलीराजपुर जिला निजी हाथो में सौंप दिया गया है । कर्मचारी अब हड़ताल कर रहे है ,जिसका कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है ,हमारा निवेदन है हमारी लड़ाई समाज के लिए है तो समाज को साथ लेना भी आवश्यक है ,यही बात मैने स्वास्थ्य कर्मचारियों के हालिया आंदोलन में कही। समाज तक अपनी बात पहुंचाएं यह विभाग बचाने की लाडई है और हम समाज के लिए लड़ रहे हैं।साथियो हर ताले की चाबी निजीकरण नहीं हो सकती।
हमारे साथी आज एक खबर देख भेज कर खुश हो रहे है ,की सरकार ने शपथपत्र दे कर कह दिया की एक भी विद्यालय बंद नही करेंगे । लेकिन हमें 14 मार्च को शिक्षा के बजट पर चर्चा में भी सहमत हूँ सरकार न तो विद्यालय बंद करेगी और न आज तक किये है । सरकार विद्यालय को मर्ज कर रही है या युक्तियुक्तकरण कर रही है । 25 प्रतिशत छात्रो को निजी विद्यालयो में हमारी आँखों के समाने भेज कर कुल 4000 विद्यालय बंद (मर्ज या युक्तियुक्तकरण ) कर दिए गए है और 10 हजार स्कुल 20 से कम दर्ज संख्या वाले हो गए है । हर वर्ष शिक्षको के युक्तियुक्तकरण हो रहे है।अब नविन माध्यमिक विद्यालय ही नही खुल पा रहे है भविष्य में सहायक अध्यापक से अध्यापक के पद पर पदोन्नति लगभग असम्भव हो गयी है और सम्भवतः आगामी शिक्षक भर्ती प्रदेश की आखरी शिक्षक भर्ती होगी।
साथियो आप को याद होगा 14 मार्च को शिक्षा के बजट पर चर्चा करते हुए बैतूल के विधायक हेमंत खण्डेलवाल 20-25 किलोमीटर के दायरे में सभी स्कुल का युक्तियुक्तकरण कर के एक ही जगह करने की पुरजोर वकालत कर चुके है और बैतूल जिले का नाम भी प्रस्तावित कर चुके है कल्पना कीजिये सत्ताधारी कँहा तक का विचार कर चुके हैं। हमारी लड़ाई बहुत बढे लोगो से है और बहुत बड़ी है ,हमने इस यात्रा की कोई समय सिमा तय नहीं की है पहले चरण में आप तक मुद्दा पहुँचाया जा रहा है।हम अपनी अगली पोस्ट में आप को शिक्षा के व्यवसायीकरण के दुष्परिणाम और समान शिक्षा की आवश्यक्ता से परिचित करवाऊँगा।
धन्यवाद
आप का
सुरेश यादव
कार्यकारी जिलाध्यक्ष
राज्य अध्यापक संघ (म.प्र.)
No comments:
Post a Comment