शिक्षा क्रान्ति यात्रा क्यों ? भाग चार
शिक्षा क्रान्ति यात्रा क्यों ?
भाग 4
पहले के तीन भाग
में,मैंने बताया था की ,यह यात्रा राज्य अध्यापक संघ की पांचवी यात्रा है ,और किस प्रकार पूंजीपति ताकतो के दबाव में शिक्षा का सर्वनाश किया जा रहा है ।निजी विद्यालयो की मनमानी और 25 प्रतिशत छात्रों को निजी विद्यालय में भेजने का दुष्परिणाम भी बताया था ।
हमारे साथी जानते है, शिक्षा का सीधा संबंध श्रम से है लेकिन नीतियों के माध्यम से यह रिश्ता समाप्त कर दिया गया है ,आप अच्छे से जानते है की आज के इस प्रतिस्पर्धा वाले युग में भृत्य ,सफाई कर्मी और रसोइयो के पद पर भी प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से नियुक्ति हो रही है। दूसरी तरफ , सतत एवं व्यापक मूल्यांकन के नाम पर कक्षा 8 तक के विद्यार्थियो को कोई भी अनुत्तीर्ण नहीं कर सकता और अब तो CBSE ने भी 10 वी बोर्ड समाप्त कर दी है या वैकल्पिक कर दी है । इस प्रकार निति निर्माताओं ने नई पीढ़ी को बौद्धिक जड़ता मुफ्त में प्रदान कर ,प्रतिस्पर्धा की भावना ही समाप्त कर दी है। आप सभी विचार कीजिये परीक्षा से दूर हो चूका बच्चा प्रतियोगिता परीक्षा का सामना किस प्रकार करेगा ।
यह समाचार की कतरन भी है इसका भी अध्ययन करे ,कहने को तो यह बहुत छोटा सा समाचार है ।लेकिन ईतना छोटा भी नहीं है । राज्य शासन की किताबो में इस प्रकार की त्रुटियाँ आम हैं। तथ्यों से जिनका कोई सम्बन्ध नहीं है । यही नहीं हम "हार की जीत","पंचपरमेश्वर","ईदगाह "या "सतपुड़ा के घने जंगल" ,"पुष्प की अभिलाषा","आ रही रवि की सवारी "जैसा कुछ अपनी आने वाली नस्लो को नहीं दे पा रहे हैं ।
असलियत यह है की पुरे देश में कई प्रकार के पाठ्यक्रम चल रहे है ,सीबीएसई के अलग है ,तो पब्लिक स्कुल के अलग ,इसमे भी हिंदी माध्यम और अंग्रेजी माध्यम में अलग अलग पाठ्यक्रम ,इसी प्रकार हर राज्य का अलग पाठ्यक्रम है।
देश में सबसे प्रमाणिक किताबें और पाठ्य क्रम ncert का माना जाता है । जो राज्य के विद्यालयो में नहीं चलता है ।इस प्रकार पाठ्य में भी भेदभाव किया जा रहा है ।
ईस प्रकार प्रथम दृष्टया यह नजर आ रहा है की ,शिक्षा के व्यवसायीकरण के कारण ,शिक्षा चंद लोगो के नियंत्रण में जा रही है ,देश भर में असमान शिक्षा व्यवस्था है ,नेतृत्व गुण को समाप्त कर दिया गया है और व्यवसायिक शिक्षा बहुत महंगी हो गयी है। असलियत में शिक्षा क्रान्ति यात्रा का उद्देश्य भी यही है की "राष्ट्रपति हो या मजदुर की सन्तान सबको शिक्षा एक समान ", हम पुरे देश में समान स्तरिय व् गुणवत्ता पूर्ण पाठ्यक्रम की मांग के साथ ही परीक्षा प्राणाली की बहाली की मांग भी की जा रही है । गुणवत्ता पूर्ण और समान शिक्षा हर भारतीय अधिकार है जय हिन्द।
आप का साथी
सुरेश यादव
कार्यकारी जिलाध्यक्ष
राज्य अध्यापक संघ मध्य प्रदेश
शिक्षा क्रान्ति यात्रा क्यों ? भाग चार
शिक्षा क्रान्ति यात्रा क्यों ?
भाग 4
पहले के तीन भाग
में,मैंने बताया था की ,यह यात्रा राज्य अध्यापक संघ की पांचवी यात्रा है ,और किस प्रकार पूंजीपति ताकतो के दबाव में शिक्षा का सर्वनाश किया जा रहा है ।निजी विद्यालयो की मनमानी और 25 प्रतिशत छात्रों को निजी विद्यालय में भेजने का दुष्परिणाम भी बताया था ।
हमारे साथी जानते है, शिक्षा का सीधा संबंध श्रम से है लेकिन नीतियों के माध्यम से यह रिश्ता समाप्त कर दिया गया है ,आप अच्छे से जानते है की आज के इस प्रतिस्पर्धा वाले युग में भृत्य ,सफाई कर्मी और रसोइयो के पद पर भी प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से नियुक्ति हो रही है। दूसरी तरफ , सतत एवं व्यापक मूल्यांकन के नाम पर कक्षा 8 तक के विद्यार्थियो को कोई भी अनुत्तीर्ण नहीं कर सकता और अब तो CBSE ने भी 10 वी बोर्ड समाप्त कर दी है या वैकल्पिक कर दी है । इस प्रकार निति निर्माताओं ने नई पीढ़ी को बौद्धिक जड़ता मुफ्त में प्रदान कर ,प्रतिस्पर्धा की भावना ही समाप्त कर दी है। आप सभी विचार कीजिये परीक्षा से दूर हो चूका बच्चा प्रतियोगिता परीक्षा का सामना किस प्रकार करेगा ।
यह समाचार की कतरन भी है इसका भी अध्ययन करे ,कहने को तो यह बहुत छोटा सा समाचार है ।लेकिन ईतना छोटा भी नहीं है । राज्य शासन की किताबो में इस प्रकार की त्रुटियाँ आम हैं। तथ्यों से जिनका कोई सम्बन्ध नहीं है । यही नहीं हम "हार की जीत","पंचपरमेश्वर","ईदगाह "या "सतपुड़ा के घने जंगल" ,"पुष्प की अभिलाषा","आ रही रवि की सवारी "जैसा कुछ अपनी आने वाली नस्लो को नहीं दे पा रहे हैं ।
असलियत यह है की पुरे देश में कई प्रकार के पाठ्यक्रम चल रहे है ,सीबीएसई के अलग है ,तो पब्लिक स्कुल के अलग ,इसमे भी हिंदी माध्यम और अंग्रेजी माध्यम में अलग अलग पाठ्यक्रम ,इसी प्रकार हर राज्य का अलग पाठ्यक्रम है।
देश में सबसे प्रमाणिक किताबें और पाठ्य क्रम ncert का माना जाता है । जो राज्य के विद्यालयो में नहीं चलता है ।इस प्रकार पाठ्य में भी भेदभाव किया जा रहा है ।
ईस प्रकार प्रथम दृष्टया यह नजर आ रहा है की ,शिक्षा के व्यवसायीकरण के कारण ,शिक्षा चंद लोगो के नियंत्रण में जा रही है ,देश भर में असमान शिक्षा व्यवस्था है ,नेतृत्व गुण को समाप्त कर दिया गया है और व्यवसायिक शिक्षा बहुत महंगी हो गयी है। असलियत में शिक्षा क्रान्ति यात्रा का उद्देश्य भी यही है की "राष्ट्रपति हो या मजदुर की सन्तान सबको शिक्षा एक समान ", हम पुरे देश में समान स्तरिय व् गुणवत्ता पूर्ण पाठ्यक्रम की मांग के साथ ही परीक्षा प्राणाली की बहाली की मांग भी की जा रही है । गुणवत्ता पूर्ण और समान शिक्षा हर भारतीय अधिकार है जय हिन्द।
आप का साथी
सुरेश यादव
कार्यकारी जिलाध्यक्ष
राज्य अध्यापक संघ मध्य प्रदेश
No comments:
Post a Comment