Tuesday, November 8, 2016

अध्यपको के वेतन को उलझा रहे अधिकारी


 6वां वेतनमान को लेकर लड़ाई जीत तो ली गई लेकिन संघर्ष अब भी बाकी है। अब मामला संकुल स्तर पर आकर अटक गया है। चार्ट के हिसाब से अध्यापकों का मासिक मूल वेतन कितना निर्धारित करें इसको लेकर अभी अभी संकुल प्राचार्यों में असमंजस की स्थिति है। 
अध्यापकों के वेतन निर्धारण के लिए चार्ट में जो फार्मूला दिया गया है वो वर्तमान में अध्यापकों को दिए जा रहे वेतन से मैच नहीं हो रहा। ऐसे में यदि अध्यापकों का ज्यादा वेतन निर्धारित कर दिया तो रिकवरी भी निकल सकती है। कम दिया तो अध्यापक भड़क सकते हैं। लिहाजा अधिकांश प्राचार्य जोखिम से बचने के लिए बीच का रास्ता निकालते हुए अध्यापकों से ये वचन पत्र तक भरवाना शुरू कर दिया है कि यदि ज्यादा वेतन का भुगतान कर दिया तो ये वचन दो कि भविष्य में ज्यादा लौटा दोगे या समायोजित कराने तैयार रहोगे। जबकि कुछ प्राचार्य आपस में ही मिल-बैठकर चार्ट के आधार पर अध्यापकों को एक जैसा वेतन देने की योजना बना रहे हैं।
ये है आदेश
अध्यापक संवर्ग के मूल वेतन की टेबल 6480 से 8310 रुपए के मूल वेतन तक दी गई है तो इसी मूलवेतन के हिसाब से छठवें वेतनमान की गणना वेतन निर्धारित करने कहा गया है।
यहां फंसा पेच
जिन अध्यापकों का मूल वेतन ही 7470 है उनका वेतन किस फार्मूले से निर्धारित करें ये चार्ट में है नहीं। चार्ट में दी गई टेबिल में मूल वेतन 7290 और 7500 रुपए दिया गया है। जिन्हें 12 साल हो गए और उन्हें क्रमोन्नति, पदोन्नति के बाद बढ़ा हुआ वेतन मिल रहा है उसके वेतन का चार्ट में जिक्र ही नहीं है।
ये है दुविधा
प्राचार्यों को ये दुविधा है कि यदि ऐसे अध्यापकों को 7290 मूल वेतन के हिसाब से वेतन निर्धारित करते हैं तो वेतन कम हो जाएगा। और मूल वेतन 7500 के हिसाब से गणना कर छठवां वेतनमान का लाभ दे दिया गया तो बाद में जो अंतर की राशि होगी वे अध्यापकों से बाद में वसूलनी पड़ेगी।
9 माह तक दी राहत, अब रिकवरी में भी उलझन
सहायक अध्यापक, अध्यापकों को छठे वेतनमान का लाभ देने से पहले 2013 से अंतरिम राहत दी जा रही है। छठवां वेतनमान जनवरी 2016 से दिए जाने के आदेश के बाद अंतरिम राहत दिया जाना भी बंद हो गया। लिहाजा 9 माह तक अध्यापकों को किश्तों में दी गई राहत वसूलना या समायोजित करने भी टेंशन हो रही।
इसे ऐसे समझें
सहायक अध्यापकों को वर्तमान में 2100 से 3 हजार रुपए तक अंतरिम राहत मिल रही है। जबकि अध्यापकों को 7800 रुपए अंतरिम राहत मिली। छठवां वेतनमान 1 जनवरी 2016 से देना है, इसलिए जनवरी से सितम्बर तक यानी 9 माह अध्यापकों को जो अंतरिम राहत दी गई है। वे वसूल (समायोजित ) की जाएगी, लेकिन वेतन निर्धारित न होने एरियर्स की राशि ज्यादा निकल रही या राहत की ये भी तय नहीं कर कर पा रहे।
"अध्यापकों को छठे वेतनमान के हिसाब से वेतन नहीं दिया जा रहा। संकुल प्राचार्य ये तय नहीं कर पा रहे कि वेतन का निर्धारण कैसे करें? संपरिक्षा निधि कार्यालय से मार्गदर्शन लिया जा कर उसे लागू कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।"
- नरेन्द्र त्रिपाठी, जिला अध्यक्ष,राज्य अध्यापक संघ
"अध्यापकों के वेतन निर्धारण के संबंध में कहां क्या परेशानी आ रही है उसे जल्द दूर किया जाएगा।'' -सतीश अग्रवाल, डीईओ
स्त्रोत भौपाल समाचार ।
        

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Tuesday, November 8, 2016

अध्यपको के वेतन को उलझा रहे अधिकारी


 6वां वेतनमान को लेकर लड़ाई जीत तो ली गई लेकिन संघर्ष अब भी बाकी है। अब मामला संकुल स्तर पर आकर अटक गया है। चार्ट के हिसाब से अध्यापकों का मासिक मूल वेतन कितना निर्धारित करें इसको लेकर अभी अभी संकुल प्राचार्यों में असमंजस की स्थिति है। 
अध्यापकों के वेतन निर्धारण के लिए चार्ट में जो फार्मूला दिया गया है वो वर्तमान में अध्यापकों को दिए जा रहे वेतन से मैच नहीं हो रहा। ऐसे में यदि अध्यापकों का ज्यादा वेतन निर्धारित कर दिया तो रिकवरी भी निकल सकती है। कम दिया तो अध्यापक भड़क सकते हैं। लिहाजा अधिकांश प्राचार्य जोखिम से बचने के लिए बीच का रास्ता निकालते हुए अध्यापकों से ये वचन पत्र तक भरवाना शुरू कर दिया है कि यदि ज्यादा वेतन का भुगतान कर दिया तो ये वचन दो कि भविष्य में ज्यादा लौटा दोगे या समायोजित कराने तैयार रहोगे। जबकि कुछ प्राचार्य आपस में ही मिल-बैठकर चार्ट के आधार पर अध्यापकों को एक जैसा वेतन देने की योजना बना रहे हैं।
ये है आदेश
अध्यापक संवर्ग के मूल वेतन की टेबल 6480 से 8310 रुपए के मूल वेतन तक दी गई है तो इसी मूलवेतन के हिसाब से छठवें वेतनमान की गणना वेतन निर्धारित करने कहा गया है।
यहां फंसा पेच
जिन अध्यापकों का मूल वेतन ही 7470 है उनका वेतन किस फार्मूले से निर्धारित करें ये चार्ट में है नहीं। चार्ट में दी गई टेबिल में मूल वेतन 7290 और 7500 रुपए दिया गया है। जिन्हें 12 साल हो गए और उन्हें क्रमोन्नति, पदोन्नति के बाद बढ़ा हुआ वेतन मिल रहा है उसके वेतन का चार्ट में जिक्र ही नहीं है।
ये है दुविधा
प्राचार्यों को ये दुविधा है कि यदि ऐसे अध्यापकों को 7290 मूल वेतन के हिसाब से वेतन निर्धारित करते हैं तो वेतन कम हो जाएगा। और मूल वेतन 7500 के हिसाब से गणना कर छठवां वेतनमान का लाभ दे दिया गया तो बाद में जो अंतर की राशि होगी वे अध्यापकों से बाद में वसूलनी पड़ेगी।
9 माह तक दी राहत, अब रिकवरी में भी उलझन
सहायक अध्यापक, अध्यापकों को छठे वेतनमान का लाभ देने से पहले 2013 से अंतरिम राहत दी जा रही है। छठवां वेतनमान जनवरी 2016 से दिए जाने के आदेश के बाद अंतरिम राहत दिया जाना भी बंद हो गया। लिहाजा 9 माह तक अध्यापकों को किश्तों में दी गई राहत वसूलना या समायोजित करने भी टेंशन हो रही।
इसे ऐसे समझें
सहायक अध्यापकों को वर्तमान में 2100 से 3 हजार रुपए तक अंतरिम राहत मिल रही है। जबकि अध्यापकों को 7800 रुपए अंतरिम राहत मिली। छठवां वेतनमान 1 जनवरी 2016 से देना है, इसलिए जनवरी से सितम्बर तक यानी 9 माह अध्यापकों को जो अंतरिम राहत दी गई है। वे वसूल (समायोजित ) की जाएगी, लेकिन वेतन निर्धारित न होने एरियर्स की राशि ज्यादा निकल रही या राहत की ये भी तय नहीं कर कर पा रहे।
"अध्यापकों को छठे वेतनमान के हिसाब से वेतन नहीं दिया जा रहा। संकुल प्राचार्य ये तय नहीं कर पा रहे कि वेतन का निर्धारण कैसे करें? संपरिक्षा निधि कार्यालय से मार्गदर्शन लिया जा कर उसे लागू कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।"
- नरेन्द्र त्रिपाठी, जिला अध्यक्ष,राज्य अध्यापक संघ
"अध्यापकों के वेतन निर्धारण के संबंध में कहां क्या परेशानी आ रही है उसे जल्द दूर किया जाएगा।'' -सतीश अग्रवाल, डीईओ
स्त्रोत भौपाल समाचार ।
        

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