बेहद सरल कूटनीति होती है की अगर कोई संवर्ग मूल हक की और ध्यान केन्द्रित करने लगे तो उसे आर्थिक मामलों पर उलझा दो । और हुआ भी यही । अभी जैसे ही सरकार को लगा कि अरे ये संघर्ष समिति ने कैसा ज्ञापन दे दिया? अरे ये तो मूल समस्याों को पकड़ रहे हैं । रोको रोको इनको ।
बस यहीं से शाकएब्जार्वर्स का काम शुरू हुआ और स्वागत रूपी सम्मेलन और सम्मोहन पर जाकर खत्म हुआ । दूसरी तरफ बड़ा वर्ग नाना प्रकार की गणना की टेबल, कुर्सी, सोफा में उलझा रहा और अपने ज्ञान का लोहा मनवाता रहा ।
आप देखना की नवंबर माह के समाप्त होते होते बहुत कुछ जादूगरी हमें समझ आने वाली है और ये समझ आते ही हम फिर खुद को भयंकर रूप से ठगा महसूस करेंगे । और फिर वही आर्थिक मामलों पर पूरा ध्यान अटक जाएगा ।
एक अधिकारी से चर्चा का सार :-
(1)अंतरिम राहत किश्तों की वसूली (समायोजन) 2013 से होगी
(2) क्रमोन्नति प्राप्त को अगला वेतन बैंड नहीं मिलेगा
(3) सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक क 3 प्रतिशत की वेतनवृद्धि नहीं मिलेगी
ये गणना पत्रक की भाषा अनुसार बताया गया है । इसके अलावा उनके द्वारा स्पष्ट किया गया की अब ये सारी विसंगतियाँ नगरीय व ग्रामीण एवं पंचायत विकास विभाग दूर करेगा । क्योंकि वित्त विभाग नियमित कर्मचारी के लिए स्पष्ट करता है और अध्यापक कर्मचारी नहीं है ।
(2) क्रमोन्नति प्राप्त को अगला वेतन बैंड नहीं मिलेगा
(3) सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक क 3 प्रतिशत की वेतनवृद्धि नहीं मिलेगी
ये गणना पत्रक की भाषा अनुसार बताया गया है । इसके अलावा उनके द्वारा स्पष्ट किया गया की अब ये सारी विसंगतियाँ नगरीय व ग्रामीण एवं पंचायत विकास विभाग दूर करेगा । क्योंकि वित्त विभाग नियमित कर्मचारी के लिए स्पष्ट करता है और अध्यापक कर्मचारी नहीं है ।
मेरा अनुमान है की एक बार फिर हमें बजट सत्र मार्च 2017 तक के लिए अटका दिया गया है और इस बार तो डाबर जन्मघुट्टी पिला कर घर भेजा गया है । मेरा सभी से अनुरोध है की सभी संघों से ऐसे शाकएब्जार्वर्स को निकाल बाहर किया जाए जो हमारे हितों के विरूद्ध शतरंज की बिसात बिछाते हैं और हमें मोहरों के रूप में इस्तेमाल करते हैं ।
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