कल मुख्यमंत्री ने अपने सम्मान समारोह में कहा कि अध्यापक इतना पढ़ाएं की,निजी विद्यालयों में ताले लग जाएं ।
लेकिन उनका ध्यान अपनी सरकार के उस निर्णय पर नहीं गया जिसके चलते वह , बैतूल और खंडवा में कई सरकारी विद्यालयों पर ताले लगवा रही है। संयोग से यह समाचार कल ही प्रसारित हुआ है ।
विदित रहे राज्य सरकार बैतूल और खंडवा जिले में 2-2 मॉडल स्कूल का निर्माण पायलेट प्रोजेक्ट अंतर्गत कर रही है (पायलट प्रोजेक्ट को बाद में पुरे प्रदेश में लागु किया जा सकता है )। जिसके 10 से 25 किलोमीटर के दायरे में सभी शासकीय विद्यालय बंद कर के उन विद्यालयों में अध्ययनरत सभी बच्चो को नविन मॉडल विद्यालय में प्रवेश दिलाया जाएगा । इन विद्यालयों में बच्चो के आने जाने के लिए परिवहन के साधन भी उपलब्ध करवाए जायेगे यथा स्थिति स्कुल बस से बच्चों को लाया ले जाया जाएगा ।
10 किलो मीटर के दायरे में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों को बंद कर के एक माध्यमिक विद्यालय बनाया जाएगा वंही 25 किलो मीटर के दायरे में सभी हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कुल को बंद कर के एक हायर सेकेंडरी बनाया जायेगा।
सरकार की ओर से दावा है कि इसके माध्यम से हमारे विद्यालयों में ,निजी विद्यालयों की तरह सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी । निश्चित रुप से यदि इसके पीछे की सच्चाई यही होती तो उसका स्वागत करना चाहिए ।
लेकिन हकीकत कुछ और है । उस हकीकत के पहले में इस योजना की भूमिका भी बताना चाहता हूँ ।
यह योजना बैतूल के विधायक एवं भाजपा प्रदेश कोषाध्यक्ष हेमन्त खंडेलवाल के नवाचारवादी विचारों का परिणाम है। श्री खंडेलवाल ने शिक्षा के बजट पर चर्चा के दौरान कई विद्यालयो को बंद कर के एक विद्यालय बनाने का प्रस्ताव दिया था ।सरकार का मोटा मोटा अनुमान है कि वह प्रत्येक छात्र पर ,अध्य्यापक/शिक्षक के वेतन ,मध्यान्ह भोजन ,गणवेश,छात्रवृति के अतिरक्त 2250 रूपये खर्च करती है । जबकि इस प्रकार सरकार को 1600 रूपये ही व्यय आएगा।
अब इसका प्रभाव या दुष्परिणाम जो हमे मोटे तौर पर नजर आ रहा है, गाँवों में प्राथमिक विद्यालय और माध्यमिक विद्यालय बंद कर दिए जाएंगे ।
उसके ,आगे क्या क्या हो सकता है ? इसका चिंतन आप करें।लेकिन माननिय मुख्यमंत्री की कथनी और करनी का अंतर साफ़ नज़र आ रहा है । सरकारी स्कूलों में ताला लगवा कर निजी विद्यालयों में ताला लगवाने की बात कर रहैं ।(लेखक सवयंअध्यापक हैं और यह उनके निजी विचार हैं )
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