Tuesday, November 15, 2016

अजीत पाल यादव ( महामंत्री ) आजाद अध्यापक संघ का अपने पदाधिकारियो के नाम खुला पत्र

प्रति,
समस्त जिला अध्यक्ष व प्रांतीय पदाधिकारी
आजाद अध्यापक संघ (म.प्र)
सादर वंदे,
        आपसे कुछ बातों पर सार्वजनिक चर्चा करना आवश्यक हो गया है ।  जैसा की विदित है की एकजुटता के दबा व और सटीक रणनीति के परिणाम स्वरूप 10 माह से लंबित गणना पत्रक जारी हुआ । इसके उपरांत भी अभी पूरी तरह से मामला नहीं निपटा है । शासन की मंशा ठीक नहीं लगती ।
       आजाद अध्यापक संघ के रजिस्ट्रेशन के पूर्व कुछ चंद साथियों द्वारा सोशल मीडिया पर अध्यापक कोर कमेटी के नाम से सभी संघों को एकजुट करने का प्रयास किया । पर असफल रहे । तदुपरांत 2015 का आंदोलन आजाद अध्यापक संघ द्वारा आरंभ किया गया । जिसको बात में सभी संघों द्वारा समर्थन प्राप्त हुआ । इस आंदोलन को खड़ा करने में आस के भाई भरत पटेल और महासचिव जावेद खान की जी तोड़ मेहनत रही जिसको किसी भी कीमत पर भुलाया नहीं जा सकता । मैं व्यक्तिगत तौर पर दोनों को प्रणाम करता हूँ ।
सितंबर के आंदोलन के दौरान अस्पताल में भर्ती भरत भाई ने ही मुझसे कहा था कि सभी संघों को बुला लो हम मिलकर लडेंगे, वर्ना अकेले रह जाएंगे । भरत भाई की मंशा का सम्मान करते हुए सभी का आव्हान किया और सभी आंदोलन में कूद गए । मैं सभी का धन्यवाद देता हूँ, खासतौर पर ब्रजेश शर्मा जी और दिग्विजय  सिंह चौहान जी का  जिन्होंने मेरी एक बात पर खुला एलान किया था ।
            बाद में कुछ परिस्थितियों के चलते एकता विघटित हुई । इसके बाद फिर भरत भाई के ही कहने पर संघर्ष समिति के लिए प्रयास किया और एकजुटता कायम की । जैसा की संघर्ष समिति की मीटिंग में तय हुआ था की संविलियन के पहले टूटना और झुकना नहीं है, फिर आखिर क्यों अलग जाकर सम्मान किया गया? 

 कुछ प्रश्न हैं जिनपर आप चिंतन करना :-
(1) क्या संघर्ष समिति का हिस्सा रहते हुए आजाद अध्यापक संघ को अलग जाकर सम्मान समारोह का हिस्सा बनना चाहिए था?
(2) क्या बार बार एकजुटता कायम करके अलग जाना, अन्य संघों के साथ धोखा नहीं?
(3) क्या ये सम्मान केवल आजाद अध्यापक संघ द्वारा था?  था तो आमंत्रण तो सबको मिला था ।
(4) यदि सब आमंत्रित थे तो केवल आजाद अध्यापक संघ का कार्यक्रम कहकर क्यों प्रचारित किया गया?
(5) कार्यक्रम के पूर्व काफी आश्वासन दिए गए, पर मिला क्या?
(6) क्या आपको लगता है की बिना संघर्ष और एकजुटता के कुछ प्राप्त किया जा सकता है?
(7) क्या आपको लगता है का इन परिस्थितियों में आजाद अध्यापक संघ अकेले विरोध की रणनीति पर चलकर संघर्ष कर सकता है?
(8) क्या आपको लगता है की हम संपूर्ण अधिकार प्राप्त कर चुके हैं?
(9) क्या आपको लगता है की हम व्यक्तिवादी सोच के हो गए हैं?
(10) क्या आपको लगता है की व्यक्तिपूजा करके हम अधिकार प्राप्त कर लेंगे?
सभी साथियों से निवेदन है की समीक्षा और चिंतन करें । हमें एकजुटता पर कायम रहना होगा ।
अजीत पाल यादव   ( महामंत्री ) आजाद अध्यापक संघ

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Tuesday, November 15, 2016

अजीत पाल यादव ( महामंत्री ) आजाद अध्यापक संघ का अपने पदाधिकारियो के नाम खुला पत्र

प्रति,
समस्त जिला अध्यक्ष व प्रांतीय पदाधिकारी
आजाद अध्यापक संघ (म.प्र)
सादर वंदे,
        आपसे कुछ बातों पर सार्वजनिक चर्चा करना आवश्यक हो गया है ।  जैसा की विदित है की एकजुटता के दबा व और सटीक रणनीति के परिणाम स्वरूप 10 माह से लंबित गणना पत्रक जारी हुआ । इसके उपरांत भी अभी पूरी तरह से मामला नहीं निपटा है । शासन की मंशा ठीक नहीं लगती ।
       आजाद अध्यापक संघ के रजिस्ट्रेशन के पूर्व कुछ चंद साथियों द्वारा सोशल मीडिया पर अध्यापक कोर कमेटी के नाम से सभी संघों को एकजुट करने का प्रयास किया । पर असफल रहे । तदुपरांत 2015 का आंदोलन आजाद अध्यापक संघ द्वारा आरंभ किया गया । जिसको बात में सभी संघों द्वारा समर्थन प्राप्त हुआ । इस आंदोलन को खड़ा करने में आस के भाई भरत पटेल और महासचिव जावेद खान की जी तोड़ मेहनत रही जिसको किसी भी कीमत पर भुलाया नहीं जा सकता । मैं व्यक्तिगत तौर पर दोनों को प्रणाम करता हूँ ।
सितंबर के आंदोलन के दौरान अस्पताल में भर्ती भरत भाई ने ही मुझसे कहा था कि सभी संघों को बुला लो हम मिलकर लडेंगे, वर्ना अकेले रह जाएंगे । भरत भाई की मंशा का सम्मान करते हुए सभी का आव्हान किया और सभी आंदोलन में कूद गए । मैं सभी का धन्यवाद देता हूँ, खासतौर पर ब्रजेश शर्मा जी और दिग्विजय  सिंह चौहान जी का  जिन्होंने मेरी एक बात पर खुला एलान किया था ।
            बाद में कुछ परिस्थितियों के चलते एकता विघटित हुई । इसके बाद फिर भरत भाई के ही कहने पर संघर्ष समिति के लिए प्रयास किया और एकजुटता कायम की । जैसा की संघर्ष समिति की मीटिंग में तय हुआ था की संविलियन के पहले टूटना और झुकना नहीं है, फिर आखिर क्यों अलग जाकर सम्मान किया गया? 

 कुछ प्रश्न हैं जिनपर आप चिंतन करना :-
(1) क्या संघर्ष समिति का हिस्सा रहते हुए आजाद अध्यापक संघ को अलग जाकर सम्मान समारोह का हिस्सा बनना चाहिए था?
(2) क्या बार बार एकजुटता कायम करके अलग जाना, अन्य संघों के साथ धोखा नहीं?
(3) क्या ये सम्मान केवल आजाद अध्यापक संघ द्वारा था?  था तो आमंत्रण तो सबको मिला था ।
(4) यदि सब आमंत्रित थे तो केवल आजाद अध्यापक संघ का कार्यक्रम कहकर क्यों प्रचारित किया गया?
(5) कार्यक्रम के पूर्व काफी आश्वासन दिए गए, पर मिला क्या?
(6) क्या आपको लगता है की बिना संघर्ष और एकजुटता के कुछ प्राप्त किया जा सकता है?
(7) क्या आपको लगता है का इन परिस्थितियों में आजाद अध्यापक संघ अकेले विरोध की रणनीति पर चलकर संघर्ष कर सकता है?
(8) क्या आपको लगता है की हम संपूर्ण अधिकार प्राप्त कर चुके हैं?
(9) क्या आपको लगता है की हम व्यक्तिवादी सोच के हो गए हैं?
(10) क्या आपको लगता है की व्यक्तिपूजा करके हम अधिकार प्राप्त कर लेंगे?
सभी साथियों से निवेदन है की समीक्षा और चिंतन करें । हमें एकजुटता पर कायम रहना होगा ।
अजीत पाल यादव   ( महामंत्री ) आजाद अध्यापक संघ

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