भोपाल। ब्यूरो। भोपाल सहित प्रदेश के 32 जिलों में अध्यापकों को अक्टूबर महीने का वेतन 6वें वेतनमान के हिसाब से नहीं मिल पाया है। वजह है नई गणना के आधार पर बाबुओं द्वारा बिल न बना पाना। शासन ने 15 अक्टूबर को गणना पत्रक जारी करते हुए चालू माह से वेतनमान देने के आदेश जारी किए थे।
डेढ़ साल चले आंदोलन के बाद अध्यापकों को सरकार ने उनकी मांग के मुताबिक वेतनमान तो दिया, लेकिन उसका फायदा अभी तक नहीं मिल सका है। संकुल केंद्रों में आहरण संवितरण अधिकारी (डीडीओ) और बाबू वेतन की गणना नहीं कर पा रहे हैं, जिससे वेतन बिल बनने में देरी हो रही है। अक्टूबर में प्रदेश के महज 20 फीसदी अध्यापकों को छठवें वेतनमान का नकद लाभ मिला है, जबकि शेष को पहले जितना वेतन मिला है। प्रदेश में कुल दो लाख 84 हजार अध्यापक हैं।
ये आ रही दिक्कत
लिपिक बताते हैं कि गणना पत्रक में वेतन निर्धारण के टेबल स्पष्ट हैं, लेकिन जो अध्यापक क्रमोन्न्ति का लाभ ले चुके हैं, उनका क्या करना है, यह स्पष्ट नहीं हैं। एक संकुल में 50 से 125 तक अध्यापक हैं। जबकि लिपिक एक। उसे अध्यापकों का वेतन निर्धारित करना है और नियमित कर्मचारियों के वेतन बिल भी बनाना है। इसलिए दिक्कत हो रही है।
पत्रक में स्थिति स्पष्ट
राज्य शासन ने 15 अक्टूबर को अध्यापकों का वेतन गणना पत्रक जारी किया है। इसमें स्थिति स्पष्ट है। शासन ने पांचवें और छठवें वेतनमान का तुलनात्मक चार्ट दिया है। लिपिकों को वर्तमान मूलवेतन के सामने की तालिका में दर्शाए नए वेतन के हिसाब से वेतन की गणना करनी है। जैसे-सहायक अध्यापक का पांचवें वेतनमान में 4860 वेतन बैंड, 1250 संवर्ग वेतन था।
अब इस अध्यापक को 7440 वेतन बैंड और 2400 रुपए ग्रेड-पे दी जाना है। इसमें 125 फीसदी डीए जुड़कर वेतन तैयार किया जाता है। लोक शिक्षण के अपर संचालक वित्त मनोज श्रीवास्तव बताते हैं कि क्रमोन्नत या पदोन्नत हो चुके अध्यापकों को लेकर कहीं कोई दिक्कत है, तो लिपिक वरिष्ठ अधिकारी से बात करें।
इन जिलों में नहीं मिला नया वेतनमान
भोपाल, शहडोल, दमोह, सागर, रीवा, रायसेन, विदिशा, राजगढ़, जबलपुर, सतना, सीधी सहित 32 जिलों में अध्यापकों के वेतन की गणना में दिक्कत हो रही है। हालांकि इनमें से कुछ जिलों में एक-दो संकुल केंद्रों ने गणना कर वेतन बिल बना दिए हैं, लेकिन शेष में गणना ही नहीं हुई है। सूत्र बताते हैं कि इस मामले में लिपिक काम से बचने की कोशिश भी कर पाए हैं।
डेढ़ साल चले आंदोलन के बाद अध्यापकों को सरकार ने उनकी मांग के मुताबिक वेतनमान तो दिया, लेकिन उसका फायदा अभी तक नहीं मिल सका है। संकुल केंद्रों में आहरण संवितरण अधिकारी (डीडीओ) और बाबू वेतन की गणना नहीं कर पा रहे हैं, जिससे वेतन बिल बनने में देरी हो रही है। अक्टूबर में प्रदेश के महज 20 फीसदी अध्यापकों को छठवें वेतनमान का नकद लाभ मिला है, जबकि शेष को पहले जितना वेतन मिला है। प्रदेश में कुल दो लाख 84 हजार अध्यापक हैं।
ये आ रही दिक्कत
लिपिक बताते हैं कि गणना पत्रक में वेतन निर्धारण के टेबल स्पष्ट हैं, लेकिन जो अध्यापक क्रमोन्न्ति का लाभ ले चुके हैं, उनका क्या करना है, यह स्पष्ट नहीं हैं। एक संकुल में 50 से 125 तक अध्यापक हैं। जबकि लिपिक एक। उसे अध्यापकों का वेतन निर्धारित करना है और नियमित कर्मचारियों के वेतन बिल भी बनाना है। इसलिए दिक्कत हो रही है।
पत्रक में स्थिति स्पष्ट
राज्य शासन ने 15 अक्टूबर को अध्यापकों का वेतन गणना पत्रक जारी किया है। इसमें स्थिति स्पष्ट है। शासन ने पांचवें और छठवें वेतनमान का तुलनात्मक चार्ट दिया है। लिपिकों को वर्तमान मूलवेतन के सामने की तालिका में दर्शाए नए वेतन के हिसाब से वेतन की गणना करनी है। जैसे-सहायक अध्यापक का पांचवें वेतनमान में 4860 वेतन बैंड, 1250 संवर्ग वेतन था।
अब इस अध्यापक को 7440 वेतन बैंड और 2400 रुपए ग्रेड-पे दी जाना है। इसमें 125 फीसदी डीए जुड़कर वेतन तैयार किया जाता है। लोक शिक्षण के अपर संचालक वित्त मनोज श्रीवास्तव बताते हैं कि क्रमोन्नत या पदोन्नत हो चुके अध्यापकों को लेकर कहीं कोई दिक्कत है, तो लिपिक वरिष्ठ अधिकारी से बात करें।
इन जिलों में नहीं मिला नया वेतनमान
भोपाल, शहडोल, दमोह, सागर, रीवा, रायसेन, विदिशा, राजगढ़, जबलपुर, सतना, सीधी सहित 32 जिलों में अध्यापकों के वेतन की गणना में दिक्कत हो रही है। हालांकि इनमें से कुछ जिलों में एक-दो संकुल केंद्रों ने गणना कर वेतन बिल बना दिए हैं, लेकिन शेष में गणना ही नहीं हुई है। सूत्र बताते हैं कि इस मामले में लिपिक काम से बचने की कोशिश भी कर पाए हैं।
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