राजिव लवानिया -ये कुछ तस्वीरें शाहडोल की हैं। देख के लगता नहीं की कल गड़ना पत्रक आया है। अगर कल आनन् फानन में वो गड़ना पत्रक इस डर से नही निकाला होता तो यक़ीनन ये संख्या इससे 4 गुना होती। लेकिन इतनी होना भी कम नहीं है। एक टीवी चैनल के अनुसार 30000 के पर हो सकती है। मतलब अगले कुछ महीनो में हमारी लड़ाई 1 लाख के ऊपर तो होगी ही ये आज तय लग रहा है।
और जो कुछ मिला है अगर उसकी बात करूँ तो नया कुछ भी नहीं है जिसका बहुत ज्यादा उत्साह दिखा के उन्मादी संवाद किये जायें। जैसा की कुछ लोगो की पोस्ट में दिख रहा है जिस तरह से बधाई दी जा रही रही है जिस तरह से पोस्टर बनाये जा रहे हैं श्रेय की होड़ सी मची हुई है। कुछ लोग तो मिडिया का भी महिमा मंडन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। ये सब वो काम कर रहे हैं जो हमारी इस एकता के लिए इस समय घातक सिद्ध होने वाला है। सर्कार या मिडिया का प्रवक्ता बनने से अच्छा है इस समय सबको और अधिक ताकत के साथ जोड़ा जाए ताकि अगली लड़ाई जो की संविलियन की हे सबसे महत्वपूर्ण इस लड़ाई के लिए एक जमीं जो तैयार हुई है उसको और अधिक ताकत मिले। लेकिन एक दो बड़े बड़े नेता जो ये समझ रहे हैं कि ये सब उनके कारण हुआ है वो मुगालते में जी रहे हैं। आज अभी अगर ये एकता की ताकत अलग होती है तो उनको उनकी असली औकात समझ में आ जायेगी। में उन्हें आगाह करना चाहता हूँ की या तो इस एकता के पक्षधर बने रहें या फिर जितनी राजनीती उनको करनी थी और जिस लिए वो इस राजनीती में आये थे वो पूरा हो चूका है अब उनका इस एकता में कोई स्थान नहीं है। कृपया अध्यापको की भावना के साथ खिलवाड़ न करें।
अब बात करें जो मिला है उसकी तो ये वही 2013 वाला ही तो आदेश की अगली प्रति हे। जो जरा सा एरियर मिलने वाला है वो भी किश्तों में हो गया। जो लड़ाई शुरू से थी की 7440 और 10230 की तो वो आज मिला है। लेकिन असली जीत तो हमारी उस दिन होगी जब हम भी शिक्षा विभाग के होंगे। इसलिए ये उसकी शुरुआत हे। जो छोटी मोटी विसंगति इसमें दिख रही है उसको जल्दी ही अगले आदेशों में ठीक होने ही हे। नए बजट सत्र में 7वा मिलेगा सबको तो वो हमें भी मिलेगा बस तैयारी संविलियन की होनी चाहिए। और जिस एकता के बल पे हमने आज एक दिन में ये आदेश निकलवाया हे तो इसी एकता के बल पे हम संविलियन भी ले ही लेंगे। इसलिए केवल एकता के पक्षधर ही जीवित रह पाएंगे। इसलिए सभी अध्यक्षीय मंडल सदस्यों से अनुरोध हे इस एकता को बनाएं रखें। जो भी इसके खिलाफ जाता है उसे तत्काल पद से हटाया जाए। इसे एक आम अध्यापक की चेतावनी भी समझ सकते हैं।
एक बात और कुछ अध्यापक आज भी शवराज मोह से बाहर नही आ पा रहे हैं। सीधे सीधे कहूँ तो ये वक़्त पूरी तरह बदलाव का ही हे। जिसको आम अध्यापक को समझते हुए आगे अपनी सोच पे विचार करना होगा। 2018 अब दूर नहीं है। सीधी और अंतिम लड़ाई अब भी नहीं हुई तो आम अधयापक हमेशा के लिए आम बन के ही रह जाएगा। हमें दुसरो की नजर में ख़ास बन के दिखाना होगा। जिस दिन हमने ये कर दिया समझो हमारा काम अपने आप हो गया।
(लेखक स्वय अध्यापक हैं और यह उनके निजी विचार हैं )
और जो कुछ मिला है अगर उसकी बात करूँ तो नया कुछ भी नहीं है जिसका बहुत ज्यादा उत्साह दिखा के उन्मादी संवाद किये जायें। जैसा की कुछ लोगो की पोस्ट में दिख रहा है जिस तरह से बधाई दी जा रही रही है जिस तरह से पोस्टर बनाये जा रहे हैं श्रेय की होड़ सी मची हुई है। कुछ लोग तो मिडिया का भी महिमा मंडन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। ये सब वो काम कर रहे हैं जो हमारी इस एकता के लिए इस समय घातक सिद्ध होने वाला है। सर्कार या मिडिया का प्रवक्ता बनने से अच्छा है इस समय सबको और अधिक ताकत के साथ जोड़ा जाए ताकि अगली लड़ाई जो की संविलियन की हे सबसे महत्वपूर्ण इस लड़ाई के लिए एक जमीं जो तैयार हुई है उसको और अधिक ताकत मिले। लेकिन एक दो बड़े बड़े नेता जो ये समझ रहे हैं कि ये सब उनके कारण हुआ है वो मुगालते में जी रहे हैं। आज अभी अगर ये एकता की ताकत अलग होती है तो उनको उनकी असली औकात समझ में आ जायेगी। में उन्हें आगाह करना चाहता हूँ की या तो इस एकता के पक्षधर बने रहें या फिर जितनी राजनीती उनको करनी थी और जिस लिए वो इस राजनीती में आये थे वो पूरा हो चूका है अब उनका इस एकता में कोई स्थान नहीं है। कृपया अध्यापको की भावना के साथ खिलवाड़ न करें।
अब बात करें जो मिला है उसकी तो ये वही 2013 वाला ही तो आदेश की अगली प्रति हे। जो जरा सा एरियर मिलने वाला है वो भी किश्तों में हो गया। जो लड़ाई शुरू से थी की 7440 और 10230 की तो वो आज मिला है। लेकिन असली जीत तो हमारी उस दिन होगी जब हम भी शिक्षा विभाग के होंगे। इसलिए ये उसकी शुरुआत हे। जो छोटी मोटी विसंगति इसमें दिख रही है उसको जल्दी ही अगले आदेशों में ठीक होने ही हे। नए बजट सत्र में 7वा मिलेगा सबको तो वो हमें भी मिलेगा बस तैयारी संविलियन की होनी चाहिए। और जिस एकता के बल पे हमने आज एक दिन में ये आदेश निकलवाया हे तो इसी एकता के बल पे हम संविलियन भी ले ही लेंगे। इसलिए केवल एकता के पक्षधर ही जीवित रह पाएंगे। इसलिए सभी अध्यक्षीय मंडल सदस्यों से अनुरोध हे इस एकता को बनाएं रखें। जो भी इसके खिलाफ जाता है उसे तत्काल पद से हटाया जाए। इसे एक आम अध्यापक की चेतावनी भी समझ सकते हैं।
एक बात और कुछ अध्यापक आज भी शवराज मोह से बाहर नही आ पा रहे हैं। सीधे सीधे कहूँ तो ये वक़्त पूरी तरह बदलाव का ही हे। जिसको आम अध्यापक को समझते हुए आगे अपनी सोच पे विचार करना होगा। 2018 अब दूर नहीं है। सीधी और अंतिम लड़ाई अब भी नहीं हुई तो आम अधयापक हमेशा के लिए आम बन के ही रह जाएगा। हमें दुसरो की नजर में ख़ास बन के दिखाना होगा। जिस दिन हमने ये कर दिया समझो हमारा काम अपने आप हो गया।
(लेखक स्वय अध्यापक हैं और यह उनके निजी विचार हैं )
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